
व्यक्ति विशेष– 645.
महात्मा गांधी…
महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका जीवन सादगी, सच्चाई और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था.
महात्मा गांधी, जिन्हें बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे. उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था. उनके पिता का नाम करमचन्द गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था. महात्मा गांधी का विवाह वर्ष 1883 में कस्तूरबा बाई मकनजी के साथ हुआ था. उनके पुत्र (हरिलाल, मणिलाल,रामदास और देवदास गाँधी) थे.
गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की. वर्ष 1888 में इंग्लैंड गए और लंदन के इनर टेम्पल से वकालत की पढ़ाई की. वर्ष 1893 में वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया और सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की.
गांधी जी वर्ष 1915 में भारत लौट आए और यहाँ भी उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया. उनके अहिंसक सिद्धांतों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया और अंततः भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली.
गांधी जी को उनकी सादगी, अहिंसा और मानवता के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है. वे हमेशा गरीबों और वंचितों के अधिकारों के लिए खड़े रहे.30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी. उनकी अंतिम शब्द “हे राम” थे.
महात्मा गांधी का जीवन और उनके विचार आज भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करते हैं. उन्होंने हमें सिखाया कि अहिंसा और प्रेम से किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है.
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राजनीतिज्ञ लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय गणराज्य के दूसरे प्रधानमंत्री थे. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगालसराय जिले के बबरु परिवार में हुआ था. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे और महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने.
लाल बहादुर शास्त्री वर्ष 1964 में भारतीय प्रधानमंत्री बने थे. उनके प्रधानमंत्री बनने के समय, भारत-पाकिस्तान युद्ध (वर्ष 1965 भारत-पाक युद्ध) का समय था और उन्होंने युद्ध के दौरान भारतीय सेना को सशक्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए. उनका उपनाम “जय जवान जय किसान” था, जिसे वे भारतीय समृद्धि और अपादकी की दिशा में अपने नीतियों के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करते थे.
लाल बहादुर शास्त्री 11 जनवरी 1966 को तशकेंद में अपने निवास स्थल पर अचानक निधन हो गए. उनकी मृत्यु एक ही दिन में उनके पदक्षेप द्वारा पाकिस्तान के साथ टशकेंद में आयोजित शिमला समझौते के परिणामस्वरूप हुई थी. उनकी मृत्यु एक महत्वपूर्ण कारक बनी और उन्हें भारतीय इतिहास के महान नेता में शामिल किया गया.
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फ़िल्म निर्देशक तपन सिन्हा
तपन सिन्हा एक प्रमुख भारतीय फ़िल्म निर्देशक हैं. उनका जन्म 2 अक्तूबर, 1924 को हुआ था. तपन ने अपने कैरियर की शुरुआत फिल्म निर्देशन से की .
तपन द्वारा निर्देशित पहली फिल्म “तुम बिन” जिसमें सुरजीत चोपड़ा और प्रियंका चोपड़ा को मुख्य भूमिका में थे. इसके बाद, उन्होंने कई और सफल फ़िल्में डायरेक्ट की, जैसे कि “सिंगल्स” (2004), “आप की क्षमता” (2005), और “करीब करीब सिंगल” (2017).
फ़िल्मों: – ‘काबुलीवाला’, ‘सगीना’, ‘एक डॉक्टर की मौत’, और ‘बवर्ची’
तपन सिन्हा का निधन 15 जनवरी 2009 को कोलकाता में हुआ था. उन्होंने अपने फ़िल्मों में समाजिक मुद्दों पर ध्यान दिया है. उन्होंने फ़िल्म निर्देशन के साथ-साथ लेखन कार्य भी किया है और उनकी कविताएँ भी प्रकाशित हो चुकी हैं.
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अभिनेत्री आशा पारेख
आशा पारेख भारतीय सिनेमा की एक सदाबहार अभिनेत्री हैं, जिनका नाम वर्ष 1960 -70 के दशक की सबसे सफल और प्रतिभाशाली नायिकाओं में गिना जाता है. उन्होंने 95 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया।
आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को महुआ, गुजरात एक मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था. उनके पिता हिन्दू और माता मुस्लिम थीं. बचपन से ही आशा जी को नृत्य का बेहद शौक़ था. बड़ी होने पर पण्डित गोपीकृष्ण तथा पण्डित बिरजू महाराज से ‘भरतनाट्यम’ में भी उन्होंने कुशलता प्राप्त की थी. आशा पारेख ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी.
आशा पारेख ने दोबारा फ़िल्मी जगत् में जाने का निर्णय लिया, लेकिन फ़िल्म ‘गूँज उठी शहनाई’ के निर्देशक विजय भट्ट ने आशा की अभिनय प्रतिभा को नजरअंदाज़करते हुए उन्हें फ़िल्म में लेने से इनकार कर दिया यह. लेकिन, अगले ही दिन फ़िल्म निर्माता सुबोध मुखर्जी और लेखक-निर्देशक नासिर हुसैन ने अपनी आगामी फ़िल्म ‘दिल देके देखो’ में आशा पारेख को नायिका की भूमिका में चुन लिया.
फ़िल्में: – तीसरी मंजिल, कटी पतंग, लव इन टोक्यो, आन मिलो सजना, मेरा गाँव मेरा देश.
आशा पारेख को पद्म श्री (1992) और वर्ष 2022 में भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान’दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ के अलावा कई फिल्मफेयर, IIFA, और स्टारडस्ट लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
आशा पारेख ने कभी शादी नहीं की. उन्होंने अपने जीवन को कला, समाज सेवा और आत्मनिर्भरता को समर्पित किया. वे लंबे समय तक फिल्म सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष भी रहीं. उनकी फिल्मों में भारतीय नारी की विविध छवियाँ देखने को मिलती हैं.
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चित्रकार राजा रवि वर्मा
राजा रवि वर्मा भारतीय चित्रकारी के क्षेत्र में एक अत्यंत प्रतिष्ठित नाम हैं. उनका जन्म 29 अप्रैल 1848 में केरल के किलिमनूर में हुआ था और उन्होंने 19वीं शताब्दी के दौरान भारतीय चित्रकला में नवीन योगदान दिया. रवि वर्मा को विशेष रूप से उनकी विशद और भावपूर्ण शैली के लिए जाना जाता है जिसमें उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं और एपिक्स के पात्रों को चित्रित किया.
उनके चित्रों में हिन्दू देवी-देवताओं को मानवीय रूप में दर्शाया गया है, जिसे देखकर दर्शकों को उनसे एक विशेष आत्मीयता महसूस होती है. रवि वर्मा ने यूरोपीय तकनीकों और भारतीय विषय-वस्तु का मिश्रण किया, जिससे उनके चित्र न केवल कलात्मक रूप से सुंदर थे, बल्कि उनमें गहरी सांस्कृतिक समझ भी निहित थी.
रवि वर्मा ने अपने कला कौशल से भारतीय कला को एक नई पहचान दी और उन्हें ‘कला का राजकुमार’ भी कहा जाता है. उनका निधन 02 अक्टूबर 1906 को हुआ. उनके कार्यों में शक्तिशाली भावाभिव्यक्ति और सूक्ष्म विस्तार देखने को मिलते हैं, जो उन्हें अपने समकालीनों से अलग करता है. आज भी उनकी कलाकृतियाँ दुनियाभर के कला संग्रहालयों में प्रदर्शित की जाती हैं और कला प्रेमियों द्वारा उन्हें बहुत सराहा जाता है.
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राजकुमारी अमृत कौर
स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी अमृत कौर, जिनका जन्म 2 फ़रवरी, 1889 में हुआ था और उनका निधन 6 फ़रवरी 1964 को हुआ. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख उद्यमियों में से एक थीं. उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सक्रिय हिस्सा लिया और अपने संघर्षों में बहुत ही साहसी और समर्पित धैर्य दिखाया.
अमृत कौर ने कांग्रेस से जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) के नेतृत्व में भाग लिया और उनके साथ असहमति के बावजूद उनके आलोचकों को समझाने का काम किया. वे नॉन-कोपरेशन और सत्याग्रह आंदोलनों में भी भाग लिया और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार कैद में रहकर अपने संघर्ष को जारी रखा.
अमृत कौर का योगदान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण है. अमृत कौर बाल विवाह और महिलाओं की अशिक्षा को दूर करने पर निरंतर ज़ोर देती रही थीं. उन्होंने विवाह नहीं किया था.
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सी. डी. देशमुख
सी. डी. देशमुख एक भारतीय राजनीतिज्ञ और आर्थिक विशेषज्ञ थे, जो भारतीय गणराज्य के पहले वित्त मंत्री रहे थे. उन्होंने भारतीय अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें भारतीय सिनेट के पहले गवर्नर भी बनाया गया था. देशमुख का जन्म 14 जनवरी 1896 को हुआ था और उन्होंने कृषि और वित्त के क्षेत्र में अपनी पढ़ाई की थी. उन्होंने अपनी प्रोफेशनल कैरियर की शुरुआत भारतीय प्रशासनिक सेवा में की और फिर भारत सरकार में विभिन्न पदों पर कार्य किया.
वर्ष 1943 में, उन्होंने भारतीय सिनेट के पहले गवर्नर के रूप में नामित होकर भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख बने और इस पद पर वर्ष 1949 तक कार्य किया. उन्होंने भारतीय रुपया की स्वाधीनता के बाद की मुद्रा नीति को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय अर्थशास्त्र को स्थिरता दिलाने में मदद की. वर्ष 1950 में, उन्होंने भारतीय सरकार के पहले वित्त मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और उन्होंने भारतीय रुपया की पुनर्निर्माण और मुद्रा प्रबंधन के क्षेत्र में सुधार किया. उनका कार्यकाल आर्थिक विकास और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मददगार रहा.
देशमुख के कार्यकाल में, भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता और सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए और उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में अपने कुशल नेतृत्व के साथ देश के आर्थिक विकास में योगदान किया. सी. डी. देशमुख का निधन 2 अक्टूबर 1982 को हुआ, लेकिन उनका योगदान भारतीय अर्थशास्त्र और वित्त क्षेत्र में आज भी स्मरण में है.