
गवाह है समय का…
समय बोलता नहीं, मौन रहकर सब कुछ कह जाता है, अतीत चुपचाप खड़ा रहकर, अपनी गवाही दे जाता है.
समय एक अदृश्य धारा है जो निरंतर प्रवाहित होती रहती है। यह न किसी की प्रतीक्षा करता है और न ही किसी को साथ लेकर चलता है. इसकी गति में अतीत, वर्तमान और भविष्य तीनों समाहित हैं. किंतु, समय का सबसे बड़ा साक्षी क्या है? यह मौन और अतीत ही है जो समय के प्रवाह को सहजता से देखते हैं, अनुभव करते हैं और फिर भी कुछ नहीं कहते. मौन और अतीत दोनों ही समय के सच्चे गवाह हैं, जो बिना शब्दों के ही इतिहास को संजोए रखते हैं.
मौन वह शक्तिशाली अभिव्यक्ति है जो बिना शब्दों के ही सब कुछ कह देती है. यह समय का सबसे बड़ा साक्षी है क्योंकि यह न तो बाधा डालता है और न ही विवाद करता है. मौन सिर्फ देखता है, सुनता है और अनुभव करता है. मौन केवल शांति नहीं, बल्कि एक गहन चिंतन है. जब हम मौन रहते हैं, तो हम समय के साथ बहते हैं, उसके प्रति सजग होते हैं. मौन हमें सिखाता है कि कभी-कभी बोलने से ज्यादा महत्वपूर्ण सुनना और देखना होता है. यही कारण है कि प्रकृति, इतिहास और जीवन के गहरे अनुभव मौन में ही समाहित होते हैं.
अतीत वह दर्पण है जिसमें समय अपनी छाप छोड़ जाता है. यह हमारे अनुभवों, गलतियों और सीखों का संग्रह है. अतीत के बिना वर्तमान अधूरा है और भविष्य अनिश्चित. अतीत हमें बताता है कि हम कहाँ से आए हैं और हमारी यात्रा कैसी रही है. पुराने मंदिर, ग्रंथ, स्मृतियाँ और यहाँ तक कि पुरातत्व के अवशेष भी समय की कहानी कहते हैं. अतीत से हमें सीख मिलती है जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है, वह भविष्य में उन्हीं गलतियों को दोहराता है. इसलिए, अतीत को याद रखना समय के प्रति हमारी जिम्मेदारी है.
मौन और अतीत दोनों ही समय के साथ एक गहरा संबंध रखते हैं. मौन और अतीत गवाह है समय…समय एक अदृश्य धारा है जो निरंतर प्रवाहित होती रहती है. यह न किसी की प्रतीक्षा करता है और न ही किसी को साथ लेकर चलता है. इसकी गति में अतीत, वर्तमान और भविष्य तीनों समाहित हैं. किंतु, समय का सबसे बड़ा साक्षी क्या है? यह मौन और अतीत ही है जो समय के प्रवाह को सहजता से देखते हैं, अनुभव करते हैं और फिर भी कुछ नहीं कहते. मौन और अतीत दोनों ही समय के सच्चे गवाह हैं, जो बिना शब्दों के ही इतिहास को संजोए रखते हैं.
मौन और अतीत दोनों ही समय के साथ एक गहरा संबंध रखते हैं. जब हम मौन होते हैं, तो अतीत की आवाज़ स्पष्ट सुनाई देती है. पुरानी यादें, अनुभव और ज्ञान मौन में ही प्रकट होते हैं.
अतीत के पन्नों में ऐसी अनेक घटनाएँ दर्ज हैं जिन्होंने मौन रहकर ही इतिहास बदल दिया. महात्मा गांधी का मौन अनशन, बुद्ध का मौन चिंतन—ये सभी अतीत के ऐसे पल हैं जिन्होंने समय को नई दिशा दी.
समय एक नदी की तरह है जो लगातार बहती रहती है. मौन और अतीत इस नदी के दो किनारे हैं जो इसे सँभालते हैं, देखते हैं और इसकी गवाही देते हैं. मौन हमें समय के साथ जुड़ना सिखाता है, जबकि अतीत हमें समय की यात्रा का बोध कराता है. दोनों ही हमें यह एहसास दिलाते हैं कि समय कभी रुकता नहीं, बस हमें उसके साथ चलना होता है.