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व्यक्ति विशेष

भाग – 387.

स्वतंत्रता सेनानी महादेव गोविन्द रानाडे

महादेव गोविन्द रानाडे एक भारतीय राष्ट्रवादी, विद्वान, समाज सुधारक और न्यायविद थे. उन्हें ‘जस्टिस रानाडे’ के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने समाज और धर्म सुधार से लेकर देश में शिक्षा और उसके इतिहास के प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया था.

महादेव गोविन्द रानाडे का जन्म 18 जनवरी, 1842 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के निफाड़ कस्बे में एक चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. रानाडे की प्रारंभिक शिक्षा कोल्हापुर में हुई. उन्होंने वर्ष 1862 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में एलएलबी की डिग्री भी हासिल की. रानाडे ने वर्ष 1866 में सरकारी सेवा में प्रवेश किया और विभिन्न पदों पर कार्य किया. वर्ष 1871 में उन्हें पूना के स्मॉल कॉज कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. वर्ष 1893 में वे बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने.

रानाडे ने भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने विधवा पुनर्विवाह, स्त्री शिक्षा और बाल विवाह के विरोध में आवाज उठाई. उन्होंने ‘विधवा विवाह उत्तेजक मंडल’ और ‘डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ जैसी संस्थाओं की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

रानाडे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक थे. उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए भी काम किया. उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले का गुरु माना जाता है. रानाडे एक उदारवादी हिंदू थे. उन्होंने धर्म के आडंबरों और कुरीतियों का विरोध किया. उनका मानना था कि धर्म को समाज के कल्याण के लिए काम करना चाहिए. महादेव गोविन्द रानाडे का निधन 16 जनवरी, 1901 को हुआ था.

महत्वपूर्ण कार्य: – विधवा पुनर्विवाह का समर्थन, स्त्री शिक्षा का समर्थन, बाल विवाह का विरोध, ‘विधवा विवाह उत्तेजक मंडल’ की स्थापना,  ‘डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ की स्थापना,  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में योगदान.

महादेव गोविन्द रानाडे एक महान समाज सुधारक और देशभक्त थे. उन्होंने भारतीय समाज को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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वीणा वादक सुन्दरम बालचंद्रन

सुंदरम बालचंद्रन एक भारतीय वीणा वादक और फिल्म निर्माता थे. उन्हें एस. बालचंद्रन के नाम से भी जाना जाता है. वे कर्नाटक संगीत के क्षेत्र में अपने वीणा वादन के लिए प्रसिद्ध थे. सुंदरम बालचंद्रन का जन्म 18 जनवरी, 1910 को मद्रास (अब चेन्नई), भारत में हुआ था. उनका परिवार संगीत और कला से जुड़ा हुआ था. उनके पिता, सुंदरम अय्यर, एक संगीतकार थे और उन्होंने ही बालचंद्रन को संगीत की प्रारंभिक शिक्षा दी थी.

बालचंद्रन ने बहुत कम उम्र में ही वीणा बजाना शुरू कर दिया था और जल्द ही इस वाद्य यंत्र पर अपनी असाधारण पकड़ बना ली थी. वे अपनी वादन शैली में नवीनता और रचनात्मकता के लिए जाने जाते थे. उन्होंने वीणा वादन की पारंपरिक शैलियों का पालन करते हुए अपनी एक अलग शैली विकसित की थी.

संगीत के अलावा, बालचंद्रन फिल्म निर्माण में भी रुचि रखते थे. उन्होंने कुछ तमिल फिल्मों का निर्देशन भी किया था, जिनमें “नल्ला थंगल” (1955) और “अंधा नाल” (1954) जैसी प्रसिद्ध फिल्में शामिल हैं. “अंधा नाल” एक रहस्य थ्रिलर फिल्म थी, जिसकी काफी सराहना हुई थी. वर्ष 1962 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. वर्ष 1982 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया, जो भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है.

सुंदरम बालचंद्रन एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, जिन्होंने संगीत और फिल्म दोनों क्षेत्रों में अपना योगदान दिया. उन्हें कर्नाटक संगीत के महानतम वीणा वादकों में से एक माना जाता है. उनकी वादन शैली में मधुरता, लयबद्धता और भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता था. उन्होंने कई युवा संगीतकारों को प्रेरित किया और वीणा वादन की परंपरा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सुंदरम बालचंद्रन का निधन 15 अक्टूबर, 1990 को चेन्नई में हुआ था. सुंदरम बालचंद्रन का संगीत और कला के क्षेत्र में योगदान हमेशा याद रखा जाएगा.

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27वें मुख्य न्यायाधीश जगदीश शरण वर्मा

न्यायमूर्ति जगदीश शरण वर्मा भारत के 27वें मुख्य न्यायाधीश थे. उन्होंने भारतीय न्याय तंत्र के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को समझाने और सुधारने के लिए अपनी भूमिका में महत्वपूर्ण योगदान किया. वर्ष 1999- 2003 तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रहे थे.

जगदीश शरण वर्मा का जन्म 18 जनवरी, 1933 को मध्य प्रदेश के सतना में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा वेंकट हाई स्कूल, सतना और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त कर वर्ष 1955 में उन्होंने विंध्य प्रदेश ज्यूडिशयल कमिश्नर कोर्ट से अपना कैरियर शुरू किया.

वर्ष 1955 में रीवा में विंध्यप्रद्रेश ज्यूडिशयल कमिश्नर कोर्ट से काम शुरू किया. उन्हें 12 सितंबर, 1973 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में ही एडिशन जज बनाया गया. वर्ष 1985 में वे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. वर्ष 1997 में जे. एस. वर्मा को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. वहां से 17 जनवरी 1998 को वे सेवानिवृत्त हो गए.

न्यायमूर्ति जगदीश शरण वर्मा उस पीठ का हिस्सा थे जिसने विशाखा बनाम राजस्थान राज्य मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया था. इस फैसले में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे. वर्ष 2012 में दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले के बाद, न्यायमूर्ति वर्मा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था जिसने आपराधिक कानून में संशोधन की सिफारिशें की थीं.

जगदीश शरण वर्मा का निधन 22 अप्रैल 2013 को गुरु ग्राम, हरियाणा के मेदांता अस्पताल में हुआ था. लेकिन उनका योगदान भारतीय न्यायिक सिस्टम के सुधार में महत्वपूर्ण था, और उन्हें न्याय के क्षेत्र में महान प्राधिकृता के रूप में याद किया जाता है.

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राजनीतिज्ञ वीर बहादुर सिंह

राजनीतिज्ञ वीर बहादुर सिंह एक भारतीय राजनेता थे जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ थे. जिन्होंने राज्य और केंद्र दोनों स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.उत्तर प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह थे. 

वीर बहादुर सिंह का जन्म 18 फरवरी 1935 को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा गोरखपुर में ही पूरी की और छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े और जल्द ही पार्टी के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे. उन्होंने वर्ष 1967 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीता और लगातार पांच बार विधायक रहे.24 सितंबर 1985 से 25 जून 1988 तक वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद, वे राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में संचार मंत्री बने.

वीर बहादुर सिंह वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे थे. वे एक कुशल लेखक भी थे और उनके कई निबंध संग्रह प्रकाशित हुए. मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. केंद्र सरकार में रहते हुए उन्होंने संचार क्षेत्र में कई सुधार किए. वीर बहादुर सिंह के मुख्यमंत्री काल के दौरान उत्तर प्रदेश में कई दंगे हुए और बड़े पैमाने पर हड़ताल हुई थी.

वीर बहादुर सिंह का निधन 12 मई 2002 को हुआ था. वीर बहादुर सिंह को उत्तर प्रदेश के एक प्रभावशाली नेता के रूप में याद किया जाता है. उन्होंने राज्य और केंद्र दोनों स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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क्रिकेट खिलाड़ी विनोद काम्बली

विनोद काम्बली का पूरा नाम  विनोद गणपत कांबली है जो एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी थे, जिन्हें अपनी प्रतिभाशाली बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था. वे सचिन तेंदुलकर के बचपन के दोस्त थे और दोनों ने मिलकर भारतीय क्रिकेट में एक नई ऊर्जा का संचार किया था. विनोद कांबली का जन्म 18 जनवरी 1972 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने बचपन से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और सचिन तेंदुलकर के साथ शारदाश्रम विद्यालय में पढ़ते हुए क्रिकेट की बारीकियां सीखी थीं.

विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर के बचपन के दोस्त थे और दोनों ने मिलकर कई रिकॉर्ड बनाए. उन्होंने अपनी पहली ही प्रथम श्रेणी मैच की पहली गेंद पर छक्का लगाया था. उनके टेस्ट बल्लेबाजी औसत सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर और राहुल द्रविड़ से भी बेहतर रहा है.

विनोद काम्बली ने वर्ष 1991 में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट और वर्ष 1993 में वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया. कांबली एक आक्रामक बल्लेबाज थे और उन्होंने अपनी पारी में कई रिकॉर्ड बनाए. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम पारियों में 1000 रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था.

कांबली के कैरियर में उतार-चढ़ाव आए. शुरुआती सफलता के बाद, फिटनेस और अनुशासन से जुड़ी समस्याओं के कारण उनका कैरियर प्रभावित हुआ. उन्होंने वर्ष 2000 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया.

विनोद कांबली के कुछ महत्वपूर्ण रिकॉर्ड और उपलब्धियां: –

टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम पारियों में 1000 रन: – यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जो आज भी कायम है.

सचिन तेंदुलकर के साथ शतकीय साझेदारी: – दोनों ने मिलकर कई शतकीय साझेदारियां कीं, जिसने भारतीय क्रिकेट में एक नई ऊर्जा का संचार किया.

प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन: – उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी शानदार प्रदर्शन किया और कई रन बनाए.

विनोद कांबली एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज थे, लेकिन उनके कैरियर में अनुशासन की कमी के कारण उन्हें वो सफलता नहीं मिल पाई जो उन्हें मिलनी चाहिए थी. फिर भी, उन्होंने भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनकी प्रतिभा को हमेशा याद किया जाएगा.

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अभिनेत्री मोनिका बेदी

मोनिका बेदी एक भारतीय अभिनेत्री हैं जिन्होंने हिंदी सिनेमा के साथ-साथ दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी काम किया है. हालांकि, उनकी फिल्मों से ज़्यादा उनकी निजी ज़िंदगी सुर्खियों में रही है.  मोनिका बेदी का जन्म 18 जनवरी 1975 को पंजाब के होशियारपुर में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई नॉर्वे और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से की है. उन्होंने हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम किया है. उन्होंने वर्ष 1990 के दशक के मध्य में हिंदी फिल्मों से अपने कैरियर की शुरुआत की.

फिल्में: – खिलाफ, जीने नहीं दूंगा, ज़ामाना देखो यारों,   पायल, सुरक्षा, जोड़ी नंबर 1, प्यार इश्क और मोहब्बत.

मोनिका बेदी का नाम गैंगस्टर अबू सालेम से जुड़ा रहा. दोनों को एक साथ पोर्तुगल से गिरफ्तार किया गया था और मोनिका को कुछ समय के लिए जेल में भी रहना पड़ा. इस घटना ने उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचाया था. जेल से छूटने के बाद मोनिका बेदी रियलिटी शो बिग बॉस में नज़र आईं, जिसने उनकी लोकप्रियता में इजाफा किया. इसके बाद उन्होंने कई अन्य रियलिटी शोज में भी भाग लिया.

मोनिका बेदी का जीवन हमेशा विवादों से घिरा रहा है. उनकी निजी ज़िंदगी और कैरियर में कई उतार-चढ़ाव आए हैं. हालांकि, उन्होंने हमेशा मुश्किलों का सामना करते हुए जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश की है.

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अभिनेत्री नफिसा अली

नफीसा अली एक भारतीय अभिनेत्री, मॉडल और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने अपनी खूबसूरती और प्रतिभा से सिनेमा जगत में एक खास पहचान बनाई है. नफीसा अली का जन्म 18 जनवरी 1957 को कोलकाता में हुआ था. उनके पिता अहमद अली बंगाली मुसलमान थे और उनकी माता फिलोमना रोमन कैथोलिक थीं. नफीसा अली सिर्फ अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि एक कुशल तैराक भी रही हैं. उनकी बुआ जैब-उन-निशा-हमीदुल्लाह एक पाकिस्तानी जर्नलिस्ट हैं.

नफीसा ने वर्ष 1972-1974 के दौरान वे राष्ट्रीय तैराकी चैंपियन रहीं. इसके अलावा, उन्होंने वर्ष 1976 में मिस इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.नफीसा ने वर्ष 1979 में कलकत्ता जिमखाना में एक जॉकी के रूप में भी काम किया था.

नफिसा अली ने अपना बॉलीवुड डेब्यू 1979 में फ़िल्म “जुली” (Julie) में किया था, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका में काम किया था और उनका प्रस्तावना कैरियर का एक महत्वपूर्ण कदम था. उन्होंने फिर कई अन्य फ़िल्मों में काम किया.  उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में काम किया है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं – ‘जानवर’, ‘यादों की बारात’, ‘अग्निपथ’ मजबूत, यादों की बारात, दशहरा, डियर जॉन और अब्बास-मस्तान की भारत आदि.

नफीसा अली सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं और राजनीति में भी सक्रिय रही हैं. नफीसा अली ने एक मुस्लिम से शादी की थी, जिसके कारण उनके परिवार को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. नफीसा अली कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी जूझ चुकी हैं और इस बीमारी पर विजय प्राप्त की है.

नफीसा अली सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि एक मजबूत इरादों वाली महिला हैं, जिन्होंने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया और फिर भी हार नहीं मानी.

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बैडमिंटन खिलाड़ी अपर्णा पोपट

अपर्णा पोपट एक भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थीं, जिन्होंने भारतीय बैडमिंटन में एक सुनहरा अध्याय जोड़ा था. अपर्णा पोपट का जन्म 18 जनवरी 1978 को मुंबई में एक गुजराती परिवार में हुआ था. उन्होंने मुंबई के जे. बी. पेटिट हाई स्कूल में पढ़ाई की एवं मुंबई विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री ली. अपर्णा ने 08 साल की उम्र में बैडमिंटन की कोचिंग अनिल प्रधान से ली. वर्ष 1986 में मुम्बई में बैडमिंटन खेलना शुरू किया.

अपर्णा पोपट ने वर्ष 1997- 2006 तक लगातार नौ बार राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतकर एक रिकॉर्ड बनाया था. यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जो आज भी कायम है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई टूर्नामेंट जीते और भारत का नाम रोशन किया. अपर्णा पोपट के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें वर्ष 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

वर्ष 2006 में उन्होंने बैडमिंटन से संन्यास ले लिया, लेकिन आज भी उन्हें भारतीय बैडमिंटन इतिहास में एक महान खिलाड़ी के रूप में याद किया जाता है. अपर्णा पोपट सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं थीं, बल्कि एक प्रेरणा थीं. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से साबित किया कि लगातार प्रयास करने से सफलता जरूर मिलती है.

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अभिनेत्री मिनिषा लांबा

मिनिषा लांबा एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. अपनी खूबसूरती और अभिनय कौशल के लिए जानी जाने वाली मिनिषा ने बॉलीवुड में कई यादगार फिल्में दी हैं. मिनिषा लांबा का जन्म 18 जनवरी 1985 को नई दिल्ली में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से पूरी की है. पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने मॉडलिंग शुरू कर दी थी और कई बड़े ब्रांड्स के विज्ञापनों में नजर आईं.

वर्ष 2005 में उन्होंने फिल्म “यही है जुदा” से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने ‘हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड’, ‘बचना ऐ हसीनों’, ‘वेल डन अब्बा’ जैसी कई फिल्मों में काम किया.

मिनिषा लांबा ने वर्ष 2015 में रायन थाम से शादी की थी, हालांकि यह रिश्ता ज्यादा लंबा नहीं चल पाया और दोनों ने वर्ष  2020 में तलाक ले लिया. मिनिषा लांबा सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि एक बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. उन्होंने कई रियलिटी शोज में भी भाग लिया है, जैसे कि बिग बॉस 8. इसके अलावा, उन्हें पोकर खेलने का भी शौक है.

मिनिषा लांबा ने बॉलीवुड को कई यादगार किरदार दिए हैं. उनकी अभिनय क्षमता और खूबसूरती ने दर्शकों का दिल जीता है.

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गायक और अभिनेता कुन्दन लाल सहगल

कुन्दन लाल सहगल भारतीय सिनेमा के एक गायक और अभिनेता थे. उनका जन्म 11 अप्रैल 1904 को जम्मू में हुआ था और उनका निधन 18 जनवरी 1947 को हुआ. सहगल भारतीय संगीत और सिनेमा के स्वर्ण युग के एक अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व थे.

के. एल. सहगल ने वर्ष 1930 – 40 के दशक में अपने कैरियर की ऊँचाईयों पर रहते हुए, हिंदी सिनेमा में अपनी गायकी और अभिनय से एक अमिट छाप छोड़ी. उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और उनके गीतों ने उन्हें उस समय के सबसे प्रशंसित और लोकप्रिय गायकों में से एक बना दिया. सहगल की आवाज में एक विशेष प्रकार की गहराई और भावुकता थी, जो श्रोताओं के दिलों को छू जाती थी.

उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध गाने “जब दिल ही टूट गया”, “दो नैना मतवारे तिहारे”, और “घम दिए मुस्तक़िल” जैसे गीत हैं, जिन्होंने उन्हें अमरता प्रदान की. सहगल की गायकी की शैली ने आने वाली कई पीढ़ियों के गायकों को प्रेरित किया.

उनका जीवन और कैरियर, जो उस समय के संगीत और सिनेमा की दुनिया में उनके योगदान को दर्शाता है, आज भी कई लोगों द्वारा याद किया जाता है. के. एल. सहगल ने भारतीय संगीत को एक नई पहचान दी, और उनका काम आज भी उन्हें संगीत और सिनेमा के एक अद्वितीय कलाकार के रूप में सम्मानित करता है.

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लेखक सआदत हसन मंटो

सआदत हसन मंटो एक प्रमुख उर्दू और हिन्दी के कथाकार और नाटककार थे, जिनका जन्म 11 मई 1912 में पंजाब के समराला में हुआ था. मंटो को विशेष रूप से अपनी लघु कहानियों के लिए जाने जाते हैं, जिनमें वे समाज के मार्जिनल तबकों के जीवन को चित्रित करते हैं. उनकी रचनाएँ समाज की विसंगतियों और विरोधाभासों को उजागर करती हैं, और वे अक्सर उन मुद्दों पर केंद्रित होती हैं जो तत्कालीन समाज में वर्जित माने जाते थे.

मंटो की कुछ सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ “टोबा टेक सिंह”, “बू”, “काली शलवार” और “ठंडा गोश्त” हैं. इन कहानियों में उन्होंने विभाजन की त्रासदी, मानवीय संवेदनाओं की पेचीदगियों और व्यक्तिगत संघर्षों को बहुत ही मार्मिक ढंग से दर्शाया है. मंटो के लेखन को उनकी बेबाकी और वास्तविकता के चित्रण के लिए सराहा जाता है, लेकिन उसी के साथ उन्हें अक्सर विवादों का सामना भी करना पड़ा.

सआदत हसन मंटो का निधन 18 जनवरी 1955 को हुआ था. मंटो ने अपनी रचनाओं में सामाजिक मुद्दों को बहुत ही गहराई से उठाया और अपने समय के समाज की अच्छाइयों और बुराइयों को बड़ी बेबाकी से प्रस्तुत किया. मंटो की कहानियाँ आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं और उर्दू और हिन्दी साहित्य में उनका स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन

हरिवंश राय बच्चन एक हिंदी कवि और लेखक थे, जिन्होंने अपने काव्य और गीतों के माध्यम से भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान किया. उनका जन्म 27 नवम्बर 1907 को हुआ था और उनका निधन 18 जनवरी 2003 को हुआ था.

हरिवंश राय बच्चन का प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ है “मधुशाला” जो उनकी महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है. “मधुशाला” कविता का संदेश मधुशाला के रूप में पिये जाने वाले व्यक्ति के जीवन और उसके दरिद्र अवस्थाओं के बावजूद जीवन का सौभाग्यी होने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. “मधुशाला” उनकी काव्य और रसधारा कृतियों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और आज भी उनके कविता के प्रशंसकों के बीच में प्रसिद्ध है.

हरिवंश राय बच्चन ने अपने लेखन कैरियर में कई अन्य महत्वपूर्ण काव्य और कृतियों को भी उत्पन्न किया और उन्होंने हिंदी साहित्य में गहरे और प्रभावशाली रूप से अपना संकेत दिया. उन्होंने अपने जीवन के दौरान भी कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए, और उन्हें भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण आदर्श माना जाता है.

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अभिनेत्री दुलारी

 दुलारी भारतीय सिनेमा की एक लोकप्रिय चरित्र अभिनेत्री थीं, जिन्होंने 1940 के दशक से 1990 के दशक तक कई हिंदी फिल्मों में काम किया. वे प्रमुख रूप से सहायक भूमिकाओं में नजर आईं. उन्हें अक्सर मातृ या पारिवारिक मित्र की भूमिकाओं में देखा गया.

अभिनेत्री दुलारी का जन्म 18 अप्रैल 1928 को हुआ था, और उनका नाम विलायत खानम था और उनका निधन 18 जनवरी 2013 को हुआ. दुलारी ने भारतीय सिनेमा में छवि गाने के लिए प्रसिद्ध हो गई थी और उन्होंने कई मशहूर हिट फ़िल्मों में काम किया, जैसे कि आदमी, संगम, सुख सपना, एक था दिल, सफर और धून.

दुलारी ने अपने कैरियर में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया. उनकी उपस्थिति ने कई फिल्मों में पारिवारिक और भावनात्मक दृश्यों को गहराई प्रदान की. उनकी विशिष्ट भूमिकाएँ अक्सर ऐसी माँ की थीं, जो अपने परिवार की भलाई के लिए समर्पित होती थीं, और इस तरह की भूमिकाओं में उनका अभिनय प्रशंसनीय था.

दुलारी की अभिनय क्षमता और उनकी स्क्रीन उपस्थिति ने उन्हें हिंदी सिनेमा में एक यादगार चरित्र अभिनेत्री के रूप में स्थान दिलाया.

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