
भगवान सूर्य के 108 नाम…
हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार स्वर्गलोक के देवता इंद्र के सभासदों में एक है और इन्हें भगवान सूर्य कहते हैं. पौराणिक ग्रंथो के अनुसार सूर्य की उत्पत्ति के कई प्रसंग है.प्रचलित मान्यताओं के अनुसार महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं भगवान सूर्य. अदिति के पुत्र होने के कारण उन्हें आदित्य भी कहते हैं. इनकी पत्नी का नाम अदिति और छाया है तथा उनके पुत्र शनि देव है जिन्हें न्याय का देवता कहा जाता है. वैदिक काल से ही आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता मानते थे. सूर्य का शब्द का अर्थ होता है “सर्व प्रेरक, सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक” होने के साथ ही सर्व कल्याणकारी है. हिन्दू धर्म ग्रंथ ऋग्वेद के अनुसार देवताओं ने सूर्य को महत्वपूर्ण स्थान दिया है जबकि, यजुर्वेद के अनुसार “चक्षो सूर्यो जायत” अर्थात “सूर्य” को भगवान का नेत्र माना गया है वहीं, ब्रह्मवैर्वत पुराण के अनुसार तो “सूर्य” को परमात्मा स्वरूप बताया गया है. सूर्योपनिषद के अनुसार “सूर्य” को ही संपूर्ण जगत की उतपत्ति का एक मात्र कारण बताया गया है. बताते चलें कि, वैदिक काल में सूर्य की उपासना या पूजा मन्त्रो के द्वारा होती थी. भगवान सूर्यके अन्य कई नाम हैं….
1. अरुण – तांबे जैसे रंग वाला
2. शरण्य – शरण देने वाला 3. करुणारससिन्धु – करुणा- भावना के महासागर 4. असमानबल – असमान बल वाले 5. आर्तरक्षक – पीड़ा से रक्षा करने वाले 6. आदित्य – अदिति के पुत्र 7. आदिभूत – प्रथम जीव 8. अखिलागमवेदिन – सभी शास्त्रों के ज्ञाता 9. अच्युत – जिसता अंत विनाश न हो सके (अविनाशी) 10. अखिलज्ञ – सब कुछ का ज्ञान रखने वाले 11. अनन्त – जिसकी कोई सीमा नहीं है 12. इना – बहुत शक्तिशाली 13. विश्वरूप – सभी रूपों में दिखने वाला 14. इज्य – परम पूजनीय 15. इन्द्र – देवताओं के राजा 16. भानु – एक अद्भुत तेज के साथ 17. इन्दिरामन्दिराप्त – इंद्र निवास का लाभ पाने वाले 18. वन्दनीय – स्तुती करने योग्य 19. ईश – इश्वर 20. सुप्रसन्न – बहुत उज्ज्वल 21. सुशील – नेक दिल वाल 22. सुवर्चस् – तेजोमय चमक वाले 23. वसुप्रद – धन दान करने वाले 24. वसु – देव 25. वासुदेव- श्री कृष्ण 26. उज्ज्वल- धधकता हुआ तेज वाला 27. उग्ररूप-क्रोद्ध में रहने वाले 28. ऊर्ध्वग- आकार बढ़ाने वाला 29. विवस्वत्-चमकता हुआ 30. उद्यत्किरणजाल- रोशनी की बढ़ती कड़ियों का एक जाल उत्पन्न करने वाले 31. हृषीकेश- इंद्रियों के स्वामी 32. ऊर्जस्वल- पराक्रमी 33. वीर- (निडर) न डरने वाला 34. निर्जर- न बिगड़ने वाला 35. जय- जीत हासिल करने वाला 36. ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथी- बिना जांघों वाले सारथी 37. ऋषिवन्द्य- ऋषियों द्वारा पूजे जाने वाले 38. रुग्घन्त्र्- रोग के विनाशक 39. ऋक्षचक्रचर- सितारों के चक्र के माध्यम से चलने वाले 40. ऋजुस्वभावचित्त- प्रकृति की वास्तविक शुद्धता को पहचानने वाले 41. नित्यस्तुत्य- प्रशस्त के लिए तैयार रहने वाला 42. ऋकारमातृकावर्णरूप- ऋकारा पत्र के आकार वाला 43. उज्ज्वलतेजस्- धधकते दीप्ति वाले 44. ऋक्षाधिनाथमित्र- तारों के देवता के मित्र 45. पुष्कराक्ष- कमल नयन वाले 46. लुप्तदन्त- जिनके दांत नहीं हैं 47. शान्त- शांत रहने वाले 48. कान्तिद- सुंदरता के दाता 49. घन- नाश करने वाल 50. कनत्कनकभूष- तेजोमय रत्न वाले 51. खद्योत- आकाश की रोशनी 52. लूनिताखिलदैत्य- असुरों का नाश करने वाला 53. सत्यानन्दस्वरूपिण्- परमानंद प्रकृति वाले 54. अपवर्गप्रद- मुक्ति के दाता 55. आर्तशरण्य- दुखियों को अपने शरण में लेने वाले 56. एकाकिन्- त्यागी 57. भगवत्- दिव्य शक्ति वाले 58. सृष्टिस्थित्यन्तकारिण्- जगत को बनाने वाले, चलाने वाले और उसका अंत करने वाले 59. गुणात्मन्- गुणों से परिपूर्ण 60. घृणिभृत्- रोशनी को अधिकार में रखने वाले 61. बृहत्- बहुत महान 62. ब्रह्मण्- अनन्त ब्रह्म वाला 63. ऐश्वर्यद- शक्ति के दाता 64. शर्व- पीड़ा देने वाला 65. हरिदश्वा- गहरे पीले के रंग घोड़े के साथ रहने वाला 66. शौरी- वीरता के साथ रहने वाला 67. दशदिक्संप्रकाश- दसों दिशाओं में रोशनी देने वाला 68. भक्तवश्य- भक्तों के लिए चौकस रहने वाला 69. ओजस्कर- शक्ति के निर्माता 70. जयिन्- सदा विजयी रहने वाला 71. जगदानन्दहेतु- विश्व के लिए उत्साह का कारण बनने वाले 72. जन्ममृत्युजराव्याधिवर्जित- युवा,वृद्धा, बचपन सभी अवस्थाओं से दूर रहने वाले 73. उच्चस्थान समारूढरथस्थ- बुलंद इरादों के साथ रथ पर चलने वाले 74. असुरारी- राक्षसों के दुश्मन 75. कमनीयकर- इच्छाओं को पूर्ण करने वाले 76. अब्जवल्लभ- अब्जा के दुलारे 77. अन्तर्बहिः प्रकाश- अंदर और बाहर से चमकने वाले 78. अचिन्त्य- किसी बात की चिन्ता न करने वाले 79. आत्मरूपिण्- आत्मा रूपी 80. अच्युत- अविनाशी रूप वाले 81. अमरेश- सदा अमर रहने वाले 82. परम ज्योतिष्- परम प्रकाश वाले 83. अहस्कर- दिन की शुरूआत करने वाले 84. रवि- भभकने वाले 85. हरि- पाप को हटाने वाले 86. परमात्मन्- अद्भुत आत्मा वाले 87. तरुण- हमेशा युवा रहने वाले 88. वरेण्य- उत्कृष्ट चरित्र वाला 89. ग्रहाणांपति- ग्रहों के देवता 90. भास्कर- प्रकाश के जन्म दाता 91. आदिमध्यान्तरहित- जन्म, मृत्यु, रोग आदि पर विजय पाने वाले 92. सौख्यप्रद- खुशी देने वाला 93. सकलजगतांपति- संसार के देवता 94. सूर्य- शक्तिशाली और तेजस्वी 95. कवि- ज्ञानपूर्ण 96. नारायण- पुरुष की दृष्टिकोण वाले 97. परेश- उच्च देवता 98. तेजोरूप- आग जैसे रूप वाले 99. हिरण्यगर्भ्- संसार के लिए सोनायुक्त रहने वाले 100. सम्पत्कर- सफलता को बनाने वाले 101. ऐं इष्टार्थद- मन की इच्छा पूरी करने वाले 102. अं सुप्रसन्न- सबसे अधिक प्रसन्न रहने वाले 103. श्रीमत्- सदा यशस्वी रहने वाले 104. श्रेयस्- उत्कृष्ट स्वभाव वाले 105. सौख्यदायिन्- प्रसन्नता के दाता 106. दीप्तमूर्ती- सदा चमकदार रहने वाले 107. निखिलागमवेद्य- सभी शास्त्रों के दाता 108. नित्यानन्द- हमेशा आनंदित रहने वाले
वाल व्यास सुमनजीमहाराज, महात्मा भवन, श्रीराम-जानकी मंदिर, राम कोट, अयोध्या. Mob: – 8709142129.
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