प्रणाम में बड़ी ताकत होती है…
पहले लोग सुबह सुबह उठ कर घर के बड़े बुजुर्गों को झुक कर प्रणाम करते थे उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते थे विशेषकर महिलाएं लेकिन आजकल यह प्रथा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है और हम बुजुर्गों के आशीर्वादों से वंचित वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याएं हैं उनका मूल कारण यही है कि हम घर के बड़े-बुजुर्गों का आदर नहीं करते और जाने-अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है यदि घर के बच्चे और बहुएं प्रतिदिन घर केसभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो शायद किसी भी घर-परिवार में कभी कोई क्लेश ही न हो.
दरअसल बड़ों के दिए हुए आशीर्वाद हमारे लिए कवच की तरह काम करते हैं और उनको दुनिया का कोई भी अस्त्र-शस्त्र नहीं भेद सकता एक दिन महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर भीष्म पितामह घोषणा करते हैं कि वे कल पाण्डवों का वध कर देंगे. उनकी इस घोषणा का पता चलते ही पाण्डवों के शिविर में खलबली और बेचैनी बढ़ गई क्योंकि भीष्म पितामह की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था, इसीलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए तब श्रीकृष्ण जी ने द्रौपदी से कहा कि अभी मेरे साथ चलो और श्रीकृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए. शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि तुम अन्दर जाकर भीष्म पितामह को प्रणाम करो. द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम किया तो उन्होंने “अखण्ड सौभाग्यवती भव” का आशीर्वाद दे दिया और पूछा कि “वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहां कैसे आई हो, क्या तुमको श्रीकृष्ण लेकर आये है तब द्रोपदी ने कहा कि “हाँ, पितामह और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं”. तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया. भीष्म ने कहा “मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्रीकृष्ण ही कर सकते हैं शिविर से वापस लौटते समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि “तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है अगर तुम प्रतिदिन भीष्म धृतराष्ट्र द्रोणाचार्य आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन-दुःशासन आदि की पत्नियां भी पाण्डवों को प्रणाम करती होतीं, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती।
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Earlier people used to get up early in the morning and bow down to the elders of the house and touch their feet to receive their blessings, especially women, but nowadays this practice is slowly disappearing and we are deprived of the blessings of the elders in our homes at present. The root cause of so many problems is that we do not respect the elders of the house and Knowingly or unknowingly, the elders of the house are often neglected. If the children and daughter-in-law of the house bow down to all the elders of the house every day and seek their blessings, then perhaps there will never be any trouble in any household.
In fact, the blessings given by the elders work like armor for us and no weapon of the world can penetrate them. One day during the Mahabharata war, hurt by Duryodhana’s sarcasm, BhishmaPitamah declares that he will kill the Pandavas tomorrow. Will give As soon as he came to know about this announcement, panic and restlessness increased in the camp of Pandavas because everyone knew about BhishmaPitamah’s abilities, that’s why everyone got worried due to the apprehension of any evil, then Shri Krishna told Draupadi that now with me Let’s go and Shri Krishna took Draupadi straight to Bhishma’s grandfather’s camp. Standing outside the camp, he asked Draupadi to go inside and bow down to BhishmaPitamah. Draupadi went inside and bowed down to Pitamah, then he blessed “AkhandSaubhagyavati Bhava” and asked “Vats, how did you come here alone on such a night, has Shri Krishna brought you then Draupadi said” Yes, PitamahAnd they are standing outside the room”. Then Bhishma also came out of the room and both of them bowed down to each other. Bhishma said “Only Shri Krishna can do the work of breaking one of my words with my other words from the camp. While returning, Shri Krishna said to Draupadi that “Your husbands have got life by saluting your grandfather once, if you would have saluted Bhishma, Dhritarashtra, Dronacharya, etc. every day and the wives of Duryodhana-Dushshasan, etc. would have also saluted the Pandavas. , then perhaps this war would not have arisen at all.
Prabhakar Kumar.