Health

जादुई बीज है सोयाबीन…

दलहन की फसलों में एक नाम ‘सोयाबीन’ का भी आता है. इसमें बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है इसीलिए इसे शाकाहारी मनुष्यों का ‘मांस’ भी कहा जाता है. इसे अंग्रेजी में सोयाबीन कहते हैं जबकि हिंदी में सोया, सेवदाना और भटवास भी कहा जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम है “ग्लाईसिन मैक्स (Glycine max)”. यह शिम्बी कुल और सेम जाति का धान्य होता है.

सोयाबीन की खेती के लिए चिकनी दोमट मिटटी, ढेला रहित और भूरभुरी मिटटी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. खेत में पानी भरने से सोयाबीन की फसल खराब हो जाती है. अत: इसकी खेती के लिए गर्मी के दिनों में खेतो की जुताई तीन वर्षों में एक बार जरुर करनी चाहिए और वर्षा प्रारंभ होने से पहले खेतों को पाटा चलाकर अवश्य तैयार कर लेना चाहिए. बोने का समय जून के अन्तिम सप्‍ताह में जुलाई के प्रथम सप्‍ताह तक का समय सबसे उपयुक्‍त माना जाता है. सोयाबीन को कतारों में बोना चाहिए. खरीफ मौसम की फसल होने के कारण सामान्‍यत: सोयाबीन को सिंचाई की आवश्‍यकता नही होती है.

सोयाबीन का उत्पादन विश्व में सबसे ज्यादा अमेरिका में होता है.भारत में सोयाबीन का सबसे अधिक उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है. बताते चलें कि, चीन, जापान और मंगोलिया में सोयाबीन का प्रयोग हजारों सालों से होता आ रहा है. विश्व में सोयाबीन के समान पुष्टिकारक कोई अन्य  खाद्य पदार्थ नहीं है. स्वास्थ के दृष्टिकोण से सोयाबीन एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ होता है. इसमें मुख्यत: प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा पाया जाता है. सोयाबीन न केवल प्रोटीन का एक उत्कृष्ट श्रोत है जो कई शारीरिक क्रियाओं को भी प्रभावित करता है.

शोधकर्ताओं के अनुसार, सोयाप्रोटीन के एमीगेमिनो अम्ल की संरचना पशु प्रोटीन के समकक्ष होती हैं. यह मनुष्यों के पोषण के लिए सोयाबीन उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है. कार्बोहाइडेंट के रूप में आहार रेशा, शर्करा, रैफीनोस एवं स्टाकियोज होता है जो कि पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए लाभप्रद होता हैं जबकि, सोयाबीन तेल में लिनोलिक अम्ल एवं लिनालेनिक अम्ल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा सोयाबीन में आइसोफ्लावोन, लेसिथिन और फाइटोस्टेरॉल रूप में कुछ अन्य स्वास्थवर्धक उपयोगी घटक भी होते हैं. एक अध्ययन के अनुसार, सोया प्रोटीन मानव रक्त में कोलेस्टेरॉल की मात्रा कम करने में सहायक होता है. बताते चलें कि, 100 ग्राम सोयाबीन में जितनी प्रोटीन होती हैं, उतना ही प्रोटीन पाने के लिए 200 ग्राम पिश्ते की गिरी या 1200 ग्राम दूध या 07-08 अंडे में होती है.

  1. सोयाबीन खाने से वज़न और शरीर में तेजी से वृद्धि होती है.
  2. सोयाबीन खाने से शरीर स्वस्थ और सुगठित हो जाता है.
  3. इसमें लौह की मात्रा रहने के कारण एनीमिया (रक्तालापता) में काफी फायदा होता है.
  4. यह स्मरण शक्ति को बढाता है.
  5. यह स्नायु तन्त्र को शांत रखने में मदद करता है.
  6. यह चिड़चिड़े स्वभाव को दूर रखने में मदद करता है.
  7. यह लम्बी आयु प्रदान करने में मदद करता है.
  8. सोयाबीन खाने से रक्त में हानिकारक कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है.
  9. सोयाबीन में कुछ ऐसे तत्त्व पाये जाते हैं, जो कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक होता है.

सोयाबीन की पौष्टिकता को देखते हुए इसे हम सभी दैनिक जीवन में कई रूपों में प्रयोग करते हैं. सोयाबीन से दूध भी बनाया जाता है इसे हम सभी सोयादूध के नाम से जानते हैं. सोया दूध में ‘लैक्टोज’ नही होता है जबकि, गाय-भैंस के दूध में लैक्टोज की मात्रा पायी जाती है. सोयादूध बच्चों और डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान माना जाता है. सोयाबीन से पनीर भी बनाया जाता है जो आसानी से पच जाता है. सोयाबीन से आटा भी बनाया जाता है जो वसा रहित होता है. इसके अलावा सोयाबीन से दही, छाछ, मक्खन और पापड़ भी बनाया जाता है. सोयाबीन से तेल भी निकाला जाता है. इसके अलावा सोयाबीन का इस्तेमाल जैव इंधन, टैक्सटाइल्स, स्याही व पेंट आदि में भी किया जाता है. जिन लोगों को डायबटीज, माइग्रेन, हाईपोथायराइड या किडनी की समस्या हो उन्हें सोयाबीन से परहेज करना चाहिए.

सोयाबीन या इससे बने उत्पाद को अधिक मात्रा में खाने से नुक्सान भी होता है. इसमें मौजूद ट्रांस फैट दिल की बिमारियों और मोटापे को बढाने में सहायक होता है. प्रेगेंसी या दूध पिलाने वाली माता को अधिक मात्रा में सोयबीन या उससे बने प्रोडक्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए. अधिक मात्रा में प्रयोग करने से उलटी या चक्कर आने की समस्या हो सकती है.

==============  ==============  ============

Soybean is a magical seed…

One name ‘soybean’ also comes in the crops of pulses. A lot of protein is found in it, which is why it is also called the ‘meat’ of vegetarian humans. It is called soybean in English while it is also called soy, sevdana, and that is in Hindi. Its scientific name is “Glycine max”. This is the grain of the Shimbi clan and Sem caste.

Smooth loamy soil, lump-free and friable soil is considered most suitable for soybean cultivation. The filling of water in the field spoils the soybean crop. Therefore, for its cultivation, the fields must be plowed once in three years during the summer days and before the onset of rains, the fields must be prepared using screeds. The time of sowing from the last week of June to the first week of July is considered most appropriate. Soybean should be sown in rows. Due to being a crop of the Kharif season, generally, the soybean does not require irrigation.

America produces the most soybean in the world. Madhya Pradesh produces the most soybean in India. Let us say that soybean has been used in China, Japan, and Mongolia for thousands of years. There is no other nutritious food in the world like soybean. Soybean is a very useful food item from the point of view of health. It mainly contains proteins, carbohydrates, and fats. Soybean is not only an excellent source of protein but also affects many bodily functions.

According to the researchers, the amino acid structure of soy protein is similar to that of animal protein. Soybean is considered a good source of high-quality protein for human nutrition. Dietary fiber, sugar, raffinose, and stachyose are found in the form of carbohydrates which are beneficial for the microorganisms found in the stomach, whereas, linoleic acid and linolenic acid are found in abundance in soybean oil. Apart from this, soybean also contains some other health-beneficial components in the form of isoflavones, lecithin, and phytosterols. According to a study, soy protein helps reduce the amount of cholesterol in human blood. Let’s say that, to get the same amount of protein as there is in 100 grams of soybean, 200 grams of pistachio kernels or 1200 grams of milk, or 07-08 eggs.

  1. Eating soybeans leads to a rapid increase in weight and body.
  2. In soybeans, the body becomes healthy and well-formed.
  3. Due to the presence of iron in it, it is very beneficial in anemia.
  4. It increases memory power.
  5. It helps in keeping the nervous system calm.
  6. It helps in keeping away the irritable nature.
  7. It helps in providing long life.
  8. Eating soybean reduces the amount of harmful cholesterol in the blood.
  9. Some elements are found in soybean, which helps in reducing the risk of cancer.

Looking at the nutritional value of soybean, we all use it in many forms in our daily life. Milk is also made from soybean, we all know it by the name of soy milk. There is no ‘lactose’ in soya milk, whereas, the amount of lactose is found in cow-buffalo milk. Soya milk is considered a boon for children and diabetic patients. Paneer is also made from soybean which is easily digested. Flour is also made from fat-free soybean. Apart from this, curd, buttermilk, butter, and papad are also made from soybean. Oil is also extracted from soybean. Apart from this, soybean is also used in biofuel, textiles, ink, paint, etc. People who have diabetes, migraine, hypothyroid, or kidney problems should avoid soybeans.

Eating soybeans or its products in excess can also cause harm. The trans fat present in it helps increase heart disease and obesity. Pregnant or lactating mothers should not use soybean or products made from them in excess. Using in excess can cause vomiting or dizziness.

Rate this post
:

Related Articles

Check Also
Close
Back to top button
error: Content is protected !!