
सोमवती अमावस्या
हिन्दू पंचांग के अनुसार माह की 30वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या के नाम से जानते हैं. वैसे तो हर माह की अमावस्या को कोई न कोई पर्व अवश्य मनाया जाता हैं. धार्मिक ग्रंथों में पूर्णिमा और अमावस्या का विशेष ही महत्व होता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास में आने वाली अमावस्या को कहते हैं. किसी महीने में सोमवार के दिन अमावस्या हो उसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. और उस दिन का एक विशेष महत्व होता है. यह दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेषकर दान, स्नान, पितृ तर्पण और श्राद्ध के लिए. इस दिन को पवित्रता और शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है.
अमावस्या के दिन गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी जैसे पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है. इसे पापों से मुक्ति और पुण्य प्राप्ति का साधन माना जाता है. सोमवती अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करने से उन्हें शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं. वर्ष में चार अमावस्या होती है…
सोमवती अमावस्या: – जब अमावस्या सोमवार को आती है, इसे शुभ माना जाता है.
पौष अमावस्या: – पौष मास में आने वाली अमावस्या।
मौनी अमावस्या: – माघ मास की अमावस्या, जिसमें मौन रहकर पूजा का महत्व है.
आषाढ़ अमावस्या: – आषाढ़ मास में श्राद्ध और दान के लिए विशेष.
महालय अमावस्या: – श्राद्ध पक्ष की अंतिम अमावस्या.
कथा: –
प्राचीन समय की बात है, एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में एक कन्या थी. वह अत्यंत गुणवान, सुशील और धर्मपरायण थी, लेकिन उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. ब्राह्मण और उसकी पत्नी इस समस्या से अत्यंत दुखी थे. एक दिन, एक ऋषि उनके घर पधारे. ब्राह्मण ने उन्हें भोजन कराया और अपनी समस्या बताई. ऋषि ने कहा, “तुम्हारी पुत्री का विवाह न होने का कारण पितृ दोष है. अगर तुम सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर पितरों का तर्पण और पीपल के वृक्ष की पूजा करोगे, तो तुम्हारी समस्या दूर हो जाएगी.”
ऋषि ने बताया कि, सोमवती अमावस्या पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाकर 108 परिक्रमा करना. उसके बाद तर्पण कर गरीबों को भोजन कराना होगा. ब्राह्मण ने अपनी पत्नी और बेटी के साथ इस व्रत को विधिपूर्वक किया. कुछ समय बाद, उनकी बेटी का विवाह एक योग्य वर के साथ हो गया, और परिवार का जीवन सुखमय हो गया.
अमावस्या के दिन चंद्रमा और सूर्य की स्थिति ऐसी होती है कि चंद्रमा का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंचता. इससे समुद्र में ज्वार-भाटा अधिक तीव्र हो सकता है. चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव मनुष्य के मन और शरीर पर भी पड़ता है. इसलिए कई लोग इस दिन ध्यान और योग का अभ्यास करते हैं.
पौष अमावस्या से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं. एक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने पितरों को आशीर्वाद दिया था कि जो भी उनकी तृप्ति के लिए तर्पण और दान करेगा, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी.
सोमवती अमावस्या का व्रत पवित्रता, भक्ति और श्रद्धा से करने पर जीवन के कष्ट दूर होते हैं. यह व्रत न केवल पितृ दोष को शांत करता है, बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है.