
आर्यन का प्यार अवनि के लिए एक नया आत्मविश्वास लेकर आया. अब वह अपनी भावनाओं को और भी खुलकर व्यक्त करने लगी थी. उसने महसूस किया कि किसी का साथ होने से मुश्किलों का सामना करना आसान हो जाता है.
धीरे-धीरे, अवनि ने अपने भाई से भी बातचीत करने की कोशिश शुरू की. वह जानती थी कि माँ के बदलने से सब कुछ ठीक नहीं हो जाएगा, उसे अपने भाई के साथ भी अपने रिश्ते को सुधारना होगा.
एक दिन, जब उसका भाई अपने कमरे में काम कर रहा था, अवनि उसके कमरे में गई.
“भैया,” उसने धीरे से कहा.
उसके भाई ने नज़रें उठाईं, थोड़ा चौंककर। “हाँ, क्या हुआ?”
“मैं… मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती थी,” अवनि ने कहा, थोड़ी हिचकिचाते हुए.
उसके भाई ने अपनी कुर्सी पर सीधा होकर बैठा. “बोलो।”
अवनि ने पिछली बातों का ज़िक्र किया, जिस तरह से उसके विचारों को हमेशा अनदेखा किया जाता था. उसने बताया कि उसे कितना बुरा लगता था जब उसकी बातों को ‘बेकार’ कहकर टाल दिया जाता था.
उसका भाई चुपचाप सुनता रहा. जब अवनि ने अपनी बात खत्म की, तो उसने एक गहरी साँस ली.
“देखो, अवनि,” उसके भाई ने कहा. “मैं यह नहीं कहूँगा कि मैंने सब कुछ जानबूझकर किया. शायद… शायद मैं अपनी ही दुनिया में इतना खोया रहता था कि दूसरों की भावनाओं पर ध्यान नहीं दे पाया. पापा हमेशा यही कहते थे कि तुम्हें मजबूत बनना है, और शायद मैंने उस बात को गलत तरीके से ले लिया.”
अवनि को यह सुनकर आश्चर्य हुआ. उसके भाई ने कभी इस तरह से बात नहीं की थी.
“तो… क्या अब तुम मेरी बातों को सुनोगे?” अवनि ने पूछा, उसकी आवाज़ में एक उम्मीद थी.
“हाँ, अवनि,” उसके भाई ने कहा, हल्की मुस्कान के साथ. “अब मैं सुनूँगा, और हम दोनों को एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए, है ना?”
उस दिन, भाई-बहन के रिश्ते में एक नई शुरुआत हुई. अब वे कभी-कभी साथ में बैठकर बातें करते थे, एक-दूसरे के विचारों को जानने की कोशिश करते थे. अवनि को लग रहा था कि उसके परिवार में धीरे-धीरे सब कुछ बेहतर हो रहा है.
आर्यन अक्सर अवनि के घर आता था. उसकी माँ और भाई भी अब उसे पसंद करने लगे थे. आर्यन के साथ अवनि को वह सम्मान और प्यार मिलता था जिसकी वह हमेशा से हकदार थी.
एक शाम, जब अवनि और आर्यन बालकनी में बैठे बातें कर रहे थे, माँ उनके पास आईं.
“अवनि, आर्यन,” माँ ने कहा – “मैंने सोचा… क्यों न हम सब मिलकर कहीं बाहर घूमने चलें? बहुत दिन हो गए हम सबने साथ में कुछ अच्छा समय नहीं बिताया.”
अवनि और आर्यन ने एक-दूसरे की ओर देखा और मुसकुराए. यह एक छोटा सा प्रस्ताव था, लेकिन अवनि के लिए इसका बहुत महत्व था. उसे लग रहा था कि आखिरकार उसका परिवार एक साथ आ रहा है.
उस दिन, वे सब एक साथ एक खूबसूरत झील के किनारे घूमने गए. उन्होंने हँसा, बातें कीं और एक-दूसरे के साथ समय बिताया. अवनि ने महसूस किया कि बरसों की उदासी और अकेलापन धीरे-धीरे दूर हो रहा है.
अवनि की कहानी एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसने अपनों से मिली व्यथा को सहा, लेकिन कभी हार नहीं मानी. उसने अपने भीतर की आवाज़ को सुना, अपने आत्म-सम्मान के लिए लड़ी, और आखिरकार प्यार और अपनेपन का अनुभव किया. यह कहानी दिखाती है कि रिश्तों में बदलाव मुमकिन है, अगर हम एक-दूसरे को समझने और स्वीकार करने के लिए तैयार हों.
शेष भाग अगले अंक में…,