चंद्रगुप्त प्रथम:-
Ø चंद्रगुप्त प्रथम को गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है. Ø गुप्त वंश का महत्वपूर्ण शासक जिसने गुप्त वंश को साम्राज्य की प्रतिष्ठा प्रदान की. Ø चन्द्रगुप्त प्रथम का शासन मगध और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों (साकेत और प्रयाग) तक सीमित था. Ø चांदी के सिक्कोँ का प्रचलन गुप्त वंश मेँ हुआ था. समुद्रगुप्त:- Ø समुद्रगुप्त गुप्त वंश का सबसे महत्वपूर्ण शासक और यह चन्द्रगुप्त प्रथम का पुत्र था. एक महान साम्राज्य निर्माता भी था. इसने गुप्त साम्राज्य का विस्तार किया. Ø आम तौर पर यह माना जाता है की उसने सम्पूर्ण उत्तर भारत पर (आर्यावर्त) प्रत्यक्ष शासन किया. Ø समुद्रगुप्त की सामरिक विजयों का विवरण हरिषेण के प्रयाग प्रशस्ति लेख में मिलता है. Ø उत्तर भारत के जिन नौ शासकों को समुद्रगुप्त ने पराजित किया था, उनमे अहिच्छत्र के अच्युत, चम्पावती के नागसेन तथा विदिशा के गणपति के नाम प्रमुख हैं. Ø समुद्रगुप्त ने दक्षिण भारत के 12 शासकों को पराजित किया. Ø समुद्रगुप्त के समकालीन बांकानरेश मेघवजे ने उसके पर उपहारों सहित एक दूत मंडल भेजा था तथा गया में एक गढ़ बनवाने की अनुमति मांगी थी. Ø समुद्रगुप्त विजेता के साथ-साथ कवि, संगीतज्ञ और विद्या का संरक्षक भी था. उसने महान बौद्ध विद्वान् वसुबंधु को संरक्षण भी प्रदान किया था. Ø समुद्रगुप्त संगीत प्रेमी था. उसके सिक्कों पर उसे वीणा बजाते भी दिखाया गया है. Ø प्रयाग प्रशस्ति के अनुसार समुद्रगुप्त की दिग्विजय का उद्देश्य ‘धरणिबन्ध’ था. उसके द्वारा उत्तर भारत में अपनाई गयी नीति को प्रसभोद्धरण तथा दक्षिणापाठ में ग्रहणमोक्षानुग्रह कहा गया है. चन्द्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादित्य’:- Ø समुद्रगुप्त के पश्चात उसका पुत्र चन्द्रगुप्त द्वितीय गुप्त साम्राज्य का शासक बना. परन्तु विशाखदत्त कृत देवीचंद्र्गुप्त नामक नाटक में समुद्रगुप्त और चन्द्रगुप्त द्वितीय के बीच एक दुर्बल रामगुप्त शासक के अस्तित्व का भी पता चलता है. Ø देवीचंद्र्गुप्त नाटक के अनुसार चन्द्रगुप्त द्वितीय समुद्रगुप्त को पदच्युत करके साम्राज्य के शासन पर बैठा. Ø चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शकों पर विजय के पश्चात् विक्रमादित्य की उपाधि धारण की. उसकी अन्य उपलब्धियां विक्रमांक और परम्परागत थीं. Ø चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य को भारत के महानतम सम्राटों में से एक माना जाता है, उसने अपने साम्राज्य का विस्तार वैवाहिक संबंधों और विजय दोनों से किया. Ø दिल्ली स्थित महरौली से प्राप्त लौह स्तंभ से जिस पर ‘चन्द्र’ का उल्लेख मिलता है, चन्द्रगुप्त द्वितीय से सम्बंधित बताया जाता है. Ø चन्द्रगुप्त द्वितीय का शासन उसकी विजयों के कारण नहीं बल्कि कला और साहित्य के प्रति उसके अनुराग के कारण विख्यात है. Ø चन्द्रगुप्त द्वितीय कला और साहित्य का महँ संरक्षक था. उसके दरबार में विद्वानों की मंडली रहती थी, जिसे नवरत्न कहा जाता था. Ø चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय में पाटलिपुत्र और उज्जयिनी विद्या के प्रमुख केंद्र थे. उज्जयिनी विक्रमादित्य की दूसरी राजधानी थी. Ø चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था. उसने अपने यात्रा वृतान्त में मध्य प्रदेश को ब्राह्मणों का देश कहा है. Ø फाह्यान के यात्रा विवरण से चन्द्रगुप्त द्वितीय के काल में शांति पूर्ण और सुखी जीवन की झांकी मिलती है. फाह्यान के अनुसार अतिथि पराजय और दान पराजय हैं. लोगों में धार्मिक सहिष्णुता विद्यमान थी. राज्य की ओर से उनमे किसी प्रकार का हस्तेक्षप नहीं किया जाता था. Ø चन्द्रगुप्त द्वितीय का शासन काल कला संस्कृति और धर्म के लिए उन्नति का काल था. Ø साहित्यिक विकास की दृष्टि में चन्द्रगुप्त द्वितीय अत्यंत समृद्ध था. कालिदास, अमरसिंह और धनवंत आदि उसके समकालीन थे, जिन्होंने महत्वपूर्ण रचनाओं का सृजन किया. कालिदास, धनवंत, अपसक, अमरसिंह, शंकु, वेताल, भट्ट, घटकपट, वराहमिहिर, वररूचि जैसे विद्वान नवरत्नों में शामिल थे. कुमारगुप्त :- Ø चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के बाद कुमारगुप्त साम्राज्य की गद्दी पर बैठा. Ø परन्तु कुमारगुप्त से पूर्व एक और शासक का नाम आता है. वह शासक ध्रुवदेवी (रामगुप्त की पत्नी) का पुत्र गोविन्द गुप्त था. Ø गुप्त वंशावली के आधार पर अधिकांश इतिहासकार इस मत से सहमत हैं की समुद्रगुप्त के उपरांत कुमारगुप्त की गुप्त वंश का शासक बना. Ø कुमारगुप्त के शासनकाल में मध्य काल में मध्य एशिया के देशों की एक शाखा ने बैक्ट्रिया को जीत लिया और उसके बाद हिन्दुकुश के पहाड़ों से हूणों के आक्रमण का खतरा मंडराने लगा. लेकिन उसके शासन काल में गुप्त सम्राज्य हूणों के खतरे से दूर ही रहा. Ø स्कंदगुप्त के भीतरी अभिलेखों से पता चलता है की कुमारगुप्त के अंतिम दिनों में गुप्त साम्राज्य पर पुश्य्मित्रों का आक्रमण हुआ. लेकिन उसने अपने पुत्र स्कंदगुप्त की सहायता से साम्राज्य को पुष्यमित्रों से बचा लिया. Ø कुमारगुप्त के सिक्कों से पता चलता है कि उसने अश्वमेघ यज्ञ किया. सुव्यवस्थित शासन का वर्णन उसके मंदसौर अभिलेख से मिलता है. Ø कुमारगुप्त ने महेंद्रादित्य, श्रीमहेन्द्र और महेंद्र कल्प की उपाधियाँ धारण की थी. स्कंदगुप्त :- Ø कुमारगुप्त की मृत्यु के उपरांत उसका पुत्र स्कंदगुप्त गुप्त साम्राज्य का शासक बना. Ø स्कंदगुप्त गुप्तवंश का अंतिम महत्वपूर्ण शासक था. वह एक वीर और पराक्रमी योद्धा था. Ø इसके शासनकाल में हूणों (मलेच्छों) का आक्रमण हुआ, लेकिन उसने अपने पराक्रम से हूणों को पराजित कर साम्राज्य की प्रतिष्ठा स्थापित की. Ø हूणों पर स्कंदगुप्त की सफलता का उल्लेख जूनागढ़ अभिलेख से मिलता है. Ø स्कंदगुप्त का साम्राज्य कठियावाड़ से बंगाल तक सम्पूर्ण उत्तरी भारत में फैला हुआ था। पश्चिम में सौराष्ट्र, कैम्बे, गुजरात तथा मालवा के भाग सम्मिलित थे. Ø स्कंदगुप्त एक योग्य सैन्य संचालक होने के साथ ही एक कुशल प्रशासक भी था. उसने 466 ई. में चीनी सम्राट के दरबार में एक राजदूत भेजा. इसके उसके सुदूर चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों का भी पता चलता है. Ø इसने सौ राजाओं के स्वामी की भी उपाधि धारण की. Ø प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए उसने अपनी राजधानी को अयोध्या स्थनान्तरित किया. Ø इसके शासन काल में आन्तरिक समस्याएं गठित होने लगीं. सामंत अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गए थे. फिर भी वह गुप्त साम्राज्य की शक्ति और प्रतिष्ठा कायम रखने में सफल रहा. Ø स्कंदगुप्त को कहौम स्तंभ लेख में ‘शक्रादित्य’ आर्यगंजु श्री मूल कल्प में ‘देवरॉय’ तथा जूनागढ़ अभिलेख में ‘श्री परिक्षिपृवआ’ कहा गया है. Ø स्कंदगुप्त ने सुदर्श झील के पुनरुद्धार का कार्य सौराष्ट्र के गवर्नर पर्यदत्त के पुत्र पत्रपालित को सौंपा था. Ø स्कंदगुप्त गुप्त साम्राज्य का अंतिम महत्वपूर्ण शासक था. इसकी मृत्यु के बाद अनेक शासकों ने शासन किया लेकिन उसमे सबसे अधिक शक्तिशाली शासक बुद्धगुप्त हुआ. Ø परवर्ती शासकों की कमजोरी का लाभ उठाकर एक ओर सामंतों ने सर उठाना शुरू किया, दूसरी ओर हूणों के आक्रमण ने गुप्तों की शक्ति को इतना कम कर दिया की स्कंदगुप्त के बाद गुप्त साम्राज्य को कायम नहीं रखा जा सका. ‘शेष अगले अंक में’ ========== ========== =========== …important rulers of the Gupta dynasty… Chandragupta I: – Ø Chandragupta I is considered the real founder of the Gupta dynasty. Ø Important ruler of the Gupta dynasty who gave the Gupta dynasty the prestige of empire. Ø The rule of Chandragupta I was limited to Magadha and some areas of eastern Uttar Pradesh (Saket and Prayag). Ø Silver coins were introduced in the Gupta dynasty. Samudragupta: – Ø Samudragupta was the most important ruler of the Gupta dynasty and was the son of Chandragupta I. He was also a great empire builder. This expanded the Gupta Empire. Ø It is generally believed that he directly ruled over the entire North India (Aryavarta). Ø The details of the military victories of Samudragupta are found in the Prayag Prashasti article of Harishen. Ø Among the nine rulers of North India who were defeated by Samudragupta, the names of Achyuta of Ahichchatra, Nagsen of Champavati, and Ganapati of Vidisha are prominent. Ø Samudragupta defeated 12 rulers of South India. Ø Samudragupta’s contemporary Bankaranesh Meghavaje had sent a delegation with gifts on him and sought permission to build a fort in Gaya. Ø Samudragupta was a conqueror as well as a poet, musician, and patron of learning. He also provided protection to the great Buddhist scholar Vasubandhu. Ø Samudragupta was a lover of music. He has also been shown playing Veena on his coins. Ø According to Prayag Prashasti, the aim of Samudragupta’s Digvijay was ‘Dharanibandha’. The policy adopted by him in North India has been called Prasbhodharan and Grahanmokshanugrah in Dakshinapatha. Chandragupta II ‘Vikramaditya’: – Ø After Samudragupta, his son Chandragupta II became the ruler of the Gupta Empire. But the existence of a weak Ramagupta ruler between Samudragupta and Chandragupta II is also known in the drama named Devi Chandragupta by Vishakhadatta. Ø According to Devi Chandragupta drama, Chandragupta II sat on the rule of the empire by deposing Samudragupta. Ø Chandragupta II assumed the title of Vikramaditya after his victory over the Shakas. His other achievements were Vikramank and Paramparatik. Ø Chandragupta Vikramaditya is considered one of the greatest emperors of India, he expanded his empire both through matrimonial alliances and conquests. Ø An iron pillar found from Mehrauli, Delhi, on which mention of ‘Chandra’ is found, is said to be related to Chandragupta II. Ø The reign of Chandragupta II is famous not because of his victories but because of his love for art and literature. Ø Chandragupta II was a great patron of art and literature. There used to be a group of scholars in his court, which was called Navaratna. Ø During the time of Chandragupta II, Pataliputra and Ujjayini were the main centers of learning. Ujjayini was the second capital of Vikramaditya. Ø During the reign of Chandragupta II, the Chinese traveler Fa Hien came to India. He has called Madhya Pradesh the country of Brahmins in his travelogue. Ø From the travel details of Fahyan, a glimpse of a peaceful and happy life can be found in the period of Chandragupta II. According to Fahyan, guest defeat and donation are defeating. Religious tolerance existed among the people. There was no interference in them from the side of the state. Ø The reign of Chandragupta II was a period of advancement for art, culture, and religion. Ø Chandragupta II was extremely prosperous in terms of literary development. Kalidas, Amarsingh, Dhanwant, etc. were his contemporaries, who created important works. Scholars like Kalidas, Dhanvant, Apsak, Amarsingh, Shanku, Vetal, Bhatt, Ghatakpat, Varahmihir, and Varruchi were included in the Navratnas. Kumargupta:- Ø After Chandragupta Vikramaditya, Kumaragupta sat on the throne of the empire. Ø But the name of another ruler comes before Kumaragupta. That ruler was Govind Gupta, son of Dhruvadevi (wife of Ramgupta). Ø On the basis of the Gupta genealogy, most historians agree that after Samudragupta, Kumaragupta became the ruler of the Gupta dynasty. Ø During the reign of Kumaragupta, a branch of the countries of Central Asia conquered Bactria in the middle period and after that, the threat of invasion of Hunas from the mountains of Hindukush started looming. But during his reign, the Gupta Empire remained away from the danger of the Huns. Ø It is known from the internal records of Skandagupta that in the last days of Kumaragupta, there was an attack of Pushymitras on the Gupta Empire. But he saved the empire from Pushyamitra with the help of his son Skandagupta. Ø It is known from the coins of Kumaragupta that he performed Ashwamedha Yagya. The description of well-organized governance comes from his Mandsaur inscription. Ø Kumaragupta assumed the titles of Mahendraditya, Srimahendra, and Mahendra Kalpa. Skandagupta:- Ø After the death of Kumaragupta, his son Skandagupta became the ruler of the Gupta Empire. Ø Skandagupta was the last important ruler of the Gupta dynasty. He was a brave and mighty warrior. Ø During his reign, there was an invasion of Hunas (Malechhas), but he established the prestige of the empire by defeating the Hunas with his bravery. Ø The mention of the success of Skandagupta on the Hunas is found in the Junagarh inscription. Ø Skandagupta’s empire was spread across northern India from Kathiawar to Bengal. Saurashtra, Cambay, parts of Gujarat, and Malwa were included in the west. Ø Apart from being a capable military operator, Skandagupta was also an efficient administrator. He sent an ambassador to the court of the Chinese emperor in 466 AD. It also shows his friendly relations with distant China. Ø He also assumed the title of lord of hundred kings. Ø Keeping in mind the administrative convenience, he shifted his capital to Ayodhya. Ø During his reign, internal problems started forming. Samant had become aware of his rights. Still, he was successful in maintaining the power and prestige of the Gupta Empire. Ø Skandagupta has been called ‘Shakraditya’ in the Kahoum pillar article, ‘Devaroy’ in Aryaganju Shri Mool Kalpa, and ‘Shri Parikshiprivaa’ in the Junagarh inscription. Ø Skandagupta entrusted the work of revival of Sudarsha Lake to Patrapalit, son of Saurashtra governor Paryadatta. Ø Skandagupta was the last important ruler of the Gupta Empire. Many rulers ruled after his death, but the most powerful ruler was Buddhagupta. Ø Taking advantage of the weakness of the later rulers, on the one hand, the feudatories started raising their heads, on the other hand, the attack of the Huns reduced the power of the Guptas so much that the Gupta empire could not be maintained after Skandagupta. ‘The rest in the next issue…
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