अर्थशास्त्र से संबंधित-143.
- What is the definition of national income? What difficulties are encountered in measuring it?
National Income: – In an economy, the monetary value of all final goods and services produced in a year is calculated without double counting. This calculation is done at the prevailing prices and the net resources obtained from abroad are included in it.
According to Prof. Marshall – “The work of labor and capital on the natural resources of the country produces material and non-material goods and services every year. The sum of net production of all these is called national income”.
Difficulties in national income calculation: –
- Lack of sufficient and reliable data.
- Lack of determination of some goods and services under national income.
- Difficult to calculate some parts of production.
- Lack of professional specialization.
- Absolute use of industrial labor in the country.
- Difficulty in the computation of national income due to taxes and expenditures imposed by the government.
- Impact of the non-monetary zone.
- Social and economic backwardness and lack of education and vigilance.
- Double computation problem.
- Proper use of natural and human resources in the country.
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प्र०- राष्ट्रीय आय की परिभाषा क्या है. इसके मापने में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है?
राष्ट्रीय आय : – किसी अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी गणना के बिना की जाती है. यह गणना प्रचलित कीमतों पर की जाती है तथा इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन सम्मिलित की जाती है.
प्रो० मार्शल के अनुसार – “देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है. इन सबकी शुद्ध उत्पादन का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है”.
राष्ट्रीय आय गणना में होने वाली कठिनाइयां :-
- पर्याप्त एवं विश्वसनीय आंकड़ों का अभाव.
- कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं का राष्ट्रीय आय के अन्तर्गत निर्धारण का अभाव.
- उत्पादन के कुछ भाग की गणना करना कठिन होना.
- व्यावसायिक विशिष्ट करण का अभाव.
- देश में औद्योगिक क्षमता का पूर्ण उपयोग न होना.
- सरकार द्वारा लगाये गये कर तथा व्यय के कारण राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाई उत्पन्न होना.
- अमौद्रिक क्षेत्र का प्रभाव.
- सामाजिक व आर्थिक पिछड़ापन तथा शिक्षा तथा जागरुकता का अभाव.
- दोहरी गणना की समस्या.
- देश में प्राकृतिक तथा मानवी संसाधनों का समुचित उपयोग न होना.