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राजनीतिज्ञ विजय रूपाणी

विजय रूपाणी गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता थे. उनका राजनीतिक सफर, प्रशासनिक योगदान और नेतृत्व क्षमता उन्हें राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बनाते हैं. विजय रूपाणी का पूरा नाम विजयभाई रमणिकलाल रूपाणी है और उनका जन्म 2अगस्त 1956 को रंगून, बर्मा (अब यांगून, म्यांमार) में एक जैन बनिया परिवार में हुआ था. उनके पिता रमणिकलाल रूपाणी एक व्यापारी थे और माता मायाबेन गृहिणी थीं. सात भाई-बहनों में सबसे छोटे विजय का परिवार वर्ष 1960 में राजकोट आकर बस गया, जब बर्मा में राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हुई. राजकोट में ही उन्होंने धर्मेंद्रसिंहजी आर्ट्स कॉलेज से बीए और सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की. छात्र जीवन से ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े और समाजसेवा में सक्रिय रहे.

रूपाणी ने वर्ष 1987 में राजकोट नगर निगम बोर्ड से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी. वर्ष 1996-97 में वे राजकोट के मेयर बने और बाद में वर्ष 2006-12 तक राज्यसभा सांसद रहे. वर्ष 2013 में उन्हें गुजरात म्युनिसिपल फाइनेंस बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. वर्ष 2014 में वे गुजरात भाजपा अध्यक्ष बने और परिवहन, श्रम, जल आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया. अगस्त 2016 में पहली बार मुख्यमंत्री बने और दिसंबर 2017 में दोबारा चुने गए. उन्होंने वर्ष 2016-21 तक गुजरात का नेतृत्व किया.

मुख्यमंत्री के रूप में रूपाणी ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को आगे बढ़ाया, जिनमें शामिल हैं: –

SAUNI योजना – राज्य में जल आपूर्ति सुधारने की पहल.

विधवा पेंशन सुधार सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए.

सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण प्रशासनिक प्रक्रियाओं को ऑनलाइन लाने में योगदान.

रूपाणी के परिवार में उनकी पत्नी अंजली रूपाणी और दो बच्चे हैं. उनकी बेटी लंदन में रहती हैं, जबकि बेटा व्यवसाय संभालता है. उनके कनिष्ठ पुत्र पुजित का बचपन में ही निधन हो गया था, जिसकी याद में उन्होंने Pujit Rupani Memorial Trust की स्थापना की.

12 जून 2025 को अहमदाबाद विमान हादसे में विजय रूपाणी का निधन हो गया. वे लंदन जा रहे थे, जब यह दुर्घटना हुई. उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया.

विजय रूपाणी का राजनीतिक जीवन संवेदनशील प्रशासन और लोकप्रिय नेतृत्व का उदाहरण था. उन्होंने गुजरात की राजनीति में स्थिरता और विकास को प्राथमिकता दी और अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण सुधार किए. उनकी अप्रत्याशित मृत्यु ने गुजरात को एक ऐसा नेता खो दिया जो विकास और सामाजिक समरसता के लिए सतत प्रयत्नशील था.

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