फायदेमंद होता है परवल…
हरी सब्जियों में मशहूर परवल, भोजन में कई लोगों की खास पसंद होती है, वहीं कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते है. इसमें कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. परवल या ‘पटोल’ एक प्रकार की पौष्टिक सब्जी है, और इसकी लता जमीन पर पसरती है. इसकी खेती मुख्यत: असम,बंगाल,ओडिस,बिहार और उत्तरप्रदेश में की जाती है. परवल को हिंदी में ‘परवल’, तमिल में ‘कोवाककई’ (Kovakkai),कन्नड़ कन्नड़ में ‘थोंड़े काई’ (thonde kayi) और असमिया,संस्कृत ओडिसा व बंगाली में ‘पोटोल’ तथा भोजपुरी,उर्दुऔर अवध भाषा में ‘परोरा’ के नाम से भी जाना जाता है. इनके आकर छोटे और बड़े से लेकर मोटे और लम्बे में 2 से 6 इंच (5 से 15 सेंटीमीटर) तक हो सकते हैं. साधारणतया यह गर्म और आर्द्र जलवायु में ही इसकी खेती होती है.
परवल का फल कुंदरु की तरह दिखता है, इसका प्रयोग मुख्य रुप से सब्जी, आचार और मिठाई बनाने के लिये किया जाता है. उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, आसाम, केरल तथा चेन्नई में इसकी अधिक खेती की जाती है. परवल आदिवासियों के लिए किसी चमत्कारिक असरदार औषधि से कम नहीं है. परवल का वानस्पतिक नाम ट्रायकोसेन्थस डायोका (Trichosanthes dioica) है और इसे अग्रेंजी में पोईटेड गार्ड भी कहते हैं. आदिवासी इसे साल भर सब्जी के रुप मे सेवन करते हैं, यह आसमनी और हरे रंग का होता होता है, स्वाद में चरपरे व गर्म होते हैं. यह दो तरह के पाए जाते हैं-मीठे और कड़वे. इसमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.
इसमें विटामिन-ए, विटामिन-बी1, विटामिन बी2 और विटामिन-सी के अलावा कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो कैलोरी की मात्रा कम कर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करती है. करीब सौ ग्राम परवल के छिलकों में २४ कैलोरीज होती है और इसमें मैग्नीशियम, पोटैशियम, फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार परवल में त्वचा के रोग, बुखार और कब्ज की समस्याओं को खत्म करने वाले औषधीय गुण होते हैं. परवल में जो बीजों में कब्ज को दूर करने के गुण होते हैं इसके अलावा ये बीज रक्त में शर्करा और फैट्स को नियंत्रित करने का कार्य भी करते हैं. पेशाब संबंधी रोगों और मधुमेह की समस्या के लिए भी परवल बेहद लाभदायक है. परवल में भरपूर मात्रा में फाइबर्स होते हैं, जो पाचन क्रिया को बेहतर कर, पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है. आयुर्वेद के अनुसार गैस की समस्या होने पर परवल को इलाज के तौर पर अपनाया जाता है. परवल में भरपूर मात्रा में फाइबर्स होते हैं, जो क्रिया को बेहतर कर, पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है. आयुर्वेद के अनुसार गैस की समस्या होने पर परवल को इलाज के तौर पर अपनाया जाता है. परवल एंटीऑक्सीडेंट्स भी भरपूर मात्र में पाया जाता है, जो बढ़ती उम्र के निशानों जैसे झाइयों, झुर्रियों और बारीक रेखाओं को कम कर त्वचा में कसाव लाने में मदद करती हैं, साथ ही यह तनाव को दूर करने में भी सहायक होता है. आयुर्वेद के अनुसार परवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है. यह बुखार, खांसी, सर्दी, त्वचा संक्रमण और घावों के उपचार में भी लाभप्रद होता है. भूख न लगने की स्थिति में परवल खाना काफी लाभदायक होता है. परवल के सेवन से पेट के कीड़े भी मर जाते हैं और यह पीलिया रोग के उपचार में भी सहायक होता है. परवल की सब्जी खाने से पेट की सूजन दूर होती है, और पेट में पानी भरने की गंभीर समस्या से भी लाभ मिलता है. इसके पत्तों का लेप करने से फोड़े, फुंसी और त्वचा संबंधी अन्य रोग भी जल्द ही समाप्त हो जाते हैं.
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Parwal is beneficial…
Parwal, famous among green vegetables, is a special choice of many people in food, while there are many people who do not like it at all. Many types of nutrients are also found in it, which are very beneficial for your health. Parwal or ‘Patol’ is a kind of nutritious vegetable, and its creeper spreads on the ground. It is mainly cultivated in Assam, Bengal, Odisha, Bihar, and Uttar Pradesh. Parval is also known as ‘Parval’ in Hindi, ‘Kovakkai’ in Tamil, ‘thonde kayi’ in Kannada, and Kannada as ‘potol’ in Assamese, Sanskrit, Orissa and Bengali and ‘parora’ in Bhojpuri, Urdu, and Awadh languages, also known by the name. Their sizes can range from small and large to thick and 2 to 6 inches (5 to 15 cm) in length. Generally, it is cultivated only in a hot and humid climate.
Parwal’s fruit looks like Kundru, it is mainly used for making vegetables, pickles, and sweets. It is cultivated more in Uttar Pradesh, Bihar, Bengal, Assam, Kerala, and Chennai. Parwal is no less than a miraculous effective medicine for the tribals. The botanical name of parwal is Trichosanthes dioica and it is also called potted guard in English. Tribals consume it as a vegetable throughout the year, it is of sky blue and green color, spicy and hot in taste. It is found in two types – sweet and bitter. Many types of nutrients are found in it, which are very beneficial for your health.
Apart from Vitamin-A, Vitamin B1, Vitamin B2, and Vitamin C, calcium is also found in plenty of it, which controls cholesterol levels by reducing the number of calories. There are 24 calories in about 100 grams of parwal peels and magnesium, potassium, and phosphorus are also found in plenty of it. According to Ayurveda, Parwal has medicinal properties to eliminate skin diseases, fever, and constipation problems. The seeds in Parwal have the properties to remove constipation, apart from this, these seeds also work to control sugar and fats in the blood. Parwal is also very beneficial for urinary diseases and diabetes problems. Parwal contains a lot of fibers, which improves digestion and strengthens the digestive system. According to Ayurveda, Parwal is adopted as a treatment for the gas problem. Parwal contains a lot of fibers, which improves digestion and strengthens the digestive system. According to Ayurveda, Parwal is adopted as a treatment for the gas problem. Parwal antioxidants are also found in abundance, which help in tightening the skin by reducing the signs of aging such as freckles, wrinkles, and fine lines, as well as it is also helpful in relieving stress. According to Ayurveda, Parwal helps in fighting diseases by increasing the immunity of the body. It is also beneficial in the treatment of fever, cough, cold, skin infections, and wounds. In case of loss of appetite, eating Parwal is very beneficial. Intestinal worms also die by consuming Parwal and it is also helpful in the treatment of jaundice. Eating parwal vegetables removes swelling of the stomach, and also benefits from the serious problem of filling water in the stomach. By coating its leaves, boils, pimples and other skin-related diseases also end soon.
Dr. Binod Upadhyay,
Dhrub Ayurvedic Centre, Munna Chowk,
Tilaknagar, Kankarbagh, Patna.