प्यारेलाल की 84वें जन्मदिन पर जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें ?….
प्यारेलाल का जन्म 3 सितंबर 1940 को यूपी के गोरखपुर जिले में हुआ था। प्यारेलाल आज अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्यारेलाल ने अपने पिता की बात को सुनकर वायलिन बजाना शुरू कर दिया था। उन्होंने 8 साल की उम्र से ही वायलिन सीखना शुरू किया था और डेली 8 से 12 घंटे का अभ्यास किया करते थे।
भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज म्यूजिक डायरेक्टर प्यारेलाल का जन्म 3 सितंबर 1940 को यूपी के गोरखपुर जिले में हुआ था। प्यारेलाल आज अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्यारेलाल का पूरा नाम प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा है। प्यारेलाल का बचपन बेहद संघर्षपूर्ण रहा। प्यारेलाल ने छोटी सी उम्र में अपनी मां को खो दिया था। उनके पिता पंडित रामप्रसाद ट्रम्पेट बजाते थे और चाहते थे कि प्यारेलाल भी वायलिन सीखें।
म्यूजिक डायरेक्टर प्यारेलाल ने अपने पिता की बात को सुनकर वायलिन बजाना शुरू कर दिया था। उन्होंने 8 साल की उम्र से ही वायलिन सीखना शुरू किया था और डेली 8 से 12 घंटे का अभ्यास किया करते थे। उन्होंने एंथनी गोंजाल्विस नाम के एक गोअन संगीतकार से वायलिन बजाने का हुनर सीखा था। प्यारेलाल को स्कूल की फीस ना देने के कारण सातवीं में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। इन मुश्किल हालातों ने भी प्यारेलाल के हौसले कम नहीं होने दिए।
लता मंगेशकर ने दिया था प्यारेलाल को प्राइज
प्यारेलाल ने अपनी मेहनत के दम पर मुंबई के रंजीत स्टूडियो के आर्केस्ट्रा में 85 रुपए मासिक की नौकरी की थी। फ़िल्मी संगीत से जुड़े लोग बताते हैं कि एक बार प्यारेलाल को लेकर उनके पिता जी उन्हें लता मंगेशकर के घर चले गए। वहां पर प्यारेलाल ने लता जी के सामने वायलिन बजाया। प्यारेलाल की कलाकारी से खुश हो कर लता मंगेशकर ने उन्हें 500 रुपए दिए, जो कि उस जमाने में बहुत बड़ी रकम थी। इससे प्यारेलाल का हौसला बढ़ा।
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की पहली मुलाकात
प्यारेलाल की मुलाकात लक्ष्मीकांत से मात्र 10 साल की उम्र में हो गई थी। बताया जाता है कि उस समय मंगेशकर परिवार द्वारा चलाई जा रही बच्चों की अकादमी सुरीला कला केंद्र बच्चे संगीत सिखाने आया करते थे। जहां पर समान उम्र और आर्थिक स्थिति के चलते लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल अच्छे दोस्त बन गए।
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को मिला था फिल्मफेयर पुरस्कार
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने साथ मिलकर पहली बार 1963 में आई फिल्म पारसमणि को अपने संगीत से सजाया, जिसके सभी गाने बहुत लोकप्रिय हुए। फिल्म का गाना हंसता हुआ नूरानी चेहरा और वो जब याद आए, बहुत याद आए, कौन भूल सकता है, लता मंगेशकर मोहम्मद रफी जैसे बड़े गायकों ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ ही अपने अधिकतर गाने गए। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को 7 वर्ष सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया।
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का योगदान
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को यह पुरस्कार दोस्ती, मिलन, जीने की राह, अमर अकबर एंथनी, सत्यम शिवम सुंदरम, सरगम और कर्ज जैसी दिग्गज फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का पुरस्कार मिला था। यह उनकी जोड़ी की खास पहचान के लिए फिर काफी है। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने लगभग 35 साल तक भारतीय संगीत में अपना जलवा बरकरार रखा। 1963 से लेकर 1998 तक इन्होंने 503 गाने 160 गायक गायिकाओं और 72 गीतकारों के फूल 2845 गानों की धुन बनाई। बॉलीवुड जगत के संगीत में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का जबरदस्त योगदान इससे जाहिर होता है।