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बीते दिनों की…

वो रक्षा बंधन का दिन था. तारीख थी 08 अगस्त 1979. दिल्ली से दो लड़के आंखों में बड़े-बड़े ख्वाब लिए मुंबई पहुंचे थे. दोनों की कलाई पर राखी बंधी थी. लेकिन मुंबई के विरार ब्रिज पर पहुंचने के बाद दोनों ने अपनी कलाई से राखी उतारी और नीचे पानी में फेंक दी, और मन ही मन अपनी बहनों के लिए ईश्वर से प्रार्थना की. वो दृश्य किसी फिल्म सरीखा ही था. दोनों लड़के आए भी थे फिल्मी दुनिया में एक मुकाम बनाने के इरादे से. वो दो लड़के थे सतीश कौशिक और राजा बुंदेला.

बात करेंगे सतीश कौशिक की क्योंकि, सतीश कौशिक का जन्मदिवस 13 अप्रैल 1956 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में हुआ था. जब ये मुंबई पहुंचे तो अपने एक रिश्तेदार के घर ठहरे. लेकिन जैसे ही कुछ दिनों बाद इनके रिश्तेदारों को पता चला कि ये तो एक्टर बनने आए हैं, उनका रवैया, जो शुरुआत में बहुत अच्छा था, वो बदल गया. उन्होंने सतीश कौशिक से बात करना भी बंद कर दिया. तब सतीश जी ने रिश्तेदारों का घर छोड़ दिया और एक पेइंग गेस्ट अकॉमोडेशन में जाकर रहने लगे. इत्तेफाक से वो जगह अमिताभ बच्चन के बंगले के पास स्थित थी. कुछ दिनों के बाद सतीश कौशिक ने प्रीमियर टैक्सटाइल्स नामक एक कपड़ा मिल में नौकरी शुरू कर दी.

नसीब अच्छा था तो वहां इन्हें बॉस भी अच्छा मिला. वो शाम को इन्हें जल्दी छोड़ देता था, क्योंकि वो जानता था कि ये कलाकार आदमी है. ड्यूटी खत्म करके ये रोज़ पृथ्वी थिएटर के बाहर नाटक कुछ और कलाकारों के साथ मिलकर नाटक खेला करते थे और उसके बदले इन्हें कुछ और पैसे मिल जाते थे. उस वक्त ओम पुरी, करन राजदान और राजा बुंदेला, ये सब मिलकर नाटकों से कमाए उस पैसे से खाने-पीने का इंतज़ाम करते थे.

वक्त गुज़रा और अपने नाटकों से ये कुछ फिल्मकारों की नज़रों में चढ़ गए. किस्मत से इन्हें कुछ फिल्मों में छोटे-छोटे लेकिन बढ़िया रोल भी मिल गए. लेकिन पहचान मिलनी अभी बाकी थी. ये उन दिनों डायरेक्टर अशोक सलूजा के असिस्टेंट भी हुआ करते थे. इत्तेफाक से एक दिन इनकी मुलाकात शशि कपूर साहब के स्पॉट बॉय से हो गई. उसने सतीश को बताया कि शेखर कपूर एक फिल्म बना रहे हैं और और उन्हें असिस्टेंट्स की ज़रूरत है. सतीश कौशिक ने काफी कोशिश की कि, वो शेखर कपूर से मिल सकें. लेकिन उनकी हर कोशिश नाकाम रही. फिर एक दिन किसी ने इन्हें बताया कि शेखर कपूर एक खास वक्त पर किसी को एयरपोर्ट छोड़ने जा रहे हैं. सो, सतीश कौशिक भी उसी वक्त पर एयरपोर्ट पहुंच गए.

सतीश कौशिक को जब शेखर कपूर ने एयरपोर्ट पर देखा तो उन्हें लगा कि ये भी कहीं जा रहे होंगे. लेकिन, इन्होंने शेखर को बताया कि मैं कहीं जा नहीं रहा हूं. मैं तो आपसे मिलने आया हूं. मुझे काम की ज़रूरत है. शेखर कपूर ने इनसे तीन दिन बाद आकर मिलने को कहा. जब ये उनसे मिले तो शेखऱ ने इन्हें बताया कि असिस्टेंट की तो सारी पोस्ट्स फुल हो गई हैं, अब कुछ नहीं हो सकता. सतीश काफी उदास हुए, वैसे, शेखऱ कपूर इन्हें पहचानते थे. उन्होंने चक्र और वो 7 दिन में इनका काम देखा हुआ था. खैर, उदास सतीश कौशिक उस दिन शेखर कपूर के जाते-जाते बोले,”आप एक अच्छा असिस्टेंट खो देंगे”. शेखर कपूर को इनकी वो बात टच कर गई. इनके जाने के बाद शेखर ने इनके बारे में नसीरुद्दीन शाह से बात की. नसीरुद्दीन शाह भी इन्हें बहुत अच्छी तरह से जान चुके थे, तो उन्होंने शेखर कपूर से इनकी खूब तारीफ की. और इस तरह नसीरुद्दीन शाह द्वारा की गई तारीफों से प्रभावित होकर शेखर कपूर ने सतीश कौशिक को अपने असिस्टेंट की नौकरी पर रख लिया.

वो फिल्म थी “ मासूम “ और उस फिल्म में भी नसीरुद्दीन शाह ही मुख्य भूमिका में थे. नसीरुद्दीन शाह से इनकी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई. कुछ वक्त तक ये नसीरुद्दीन शाह के घर पर भी रहे. खैर, एक दिन सतीश कौशिक ने एक बूढ़े का गेट-अप लिया और पहुंच गए शेखर कपूर के सामने. और इस तरह मासूम फिल्म में असिस्टेंट के साथ-साथ इन्हें एक रोल भी मिल गया. मासूम में इन्होंने तिवारी का रोल किया था. वही तिवारी जो जुगल हंसराज को नसीरुद्दीन के घर पर लाता है. सतीश कौशिक ने शेखर कपूर को मिस्टर इंडिया में भी असिस्ट किया था. मिस्टर इंडिया में इन्होंने कैलेंडर का रोल भी निभाया था.

उस रोल में सतीश कौशिक को खूब ख्याति मिली थी. वैसे, सतीश कौशिक के शुरुआती जीवन और फिल्मी सफर से जुड़ी कहानी आप इस लेख में भी पढ़ सकते है.  इनके बचपन की कहानी भी आपको बहुत पसंद आएगी. सतीश कौशिक अब हमारे बीच भले ही ना रहे हों, लेकिन उनकी कहानियां और उनकी फिल्में हमेशा हमारे बीच रहेंगी.

 प्रभाकर कुमार. 

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