
महासागर मानव जीवन की शुद्ध शरणस्थली और मानवता की अमूल्य धरोहर
विश्व महासागर दिवस के अवसर पर नगर परिषद स्थित आनंद विहार कॉलोनी श्रीचंद नवादा में “मानव जीवन में महासागर का महत्व, संरक्षण और हमारा दायित्व” विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की जिसकी अध्यक्षता स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. (प्रो.) गौरी शंकर पासवान ने की.
अपने अध्यक्षीय प्रबोधन में प्रो. गौरी शंकर पासवान ने महासागर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए और समुद्र की समस्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि महासागर मानव जीवन की शुद्ध शरणस्थली और मानवता की बहुमूल्य धरोहर है. समुद्र जीवन का आधार, तो उसका संरक्षण हमारा दायित्व व अधिकार है. हमें समुद्र के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. महासागर हमें सीख देता है कि हमारा सुनहला भविष्य महासागरों पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि हमारा महासागर- हमारा दायित्व और हमारा अवसर सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि धरती पर जीवन और अस्तित्व की सबसे बड़ी चेतावनी और प्रेरणा है. समुद्र हमारे लिए केवल जल राशि नहीं, बल्कि भोजन, जलवायु, संतुलन, व्यापार और जैव विविधता का मुख्य स्रोत है. पृथ्वी के करीब 71% भागों पर महासागर है. महासागर 80% से अधिक जीवन का शरणस्थली और तारणहार है. समुद्र के अंदर असंख्य मूल्यवान परिसंपति भी हैं, जो मानव जीवन के लिए आर्थिक, वैज्ञानिक और औषधीय दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है.
उन्होंने कहा कि समुद्र करोड़ों अरबों जीव जंतुओं को भोजन प्रदान करता है.50 प्रतिशत ऑक्सीजन महासागर से प्राप्त होता है. समुद्र जलवायु को नियंत्रित करता है. वैश्विक तपन को संतुलित करता है. समुद्र की गहराई में ही पृथ्वी की सांसे बसती है. समुद्र की तलहटी में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के विपुल भंडार भी हैं. अरब सागर, बंगाल की खाड़ी इसके उदाहरण है. अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप में मोती की खेती होती है. समुद्री जल को शुद्ध करके पीने योग्य बनाया जाता है. समुद्र नहीं रहेगा तो धरती मां भी रोएगी. समुद्र बोझ नहीं वरदान है. क्योंकि समुद्र के अंदर अनोखी दुनिया है, जो विचित्र पौधे, रंग बिरंगे जीव जंतुओं और अनगिनत रहस्यों से भरा पड़ा है. समुद्र के लहरों के भीतर जीवन छिपा है. महासागर प्रकृति का पूर्ण वायु केंद्र है. अतः समुद्र बचाइए और जीवन बचाइए.
उन्होंने कहा कि आज समुद्र भी खतरे में है. क्योंकि प्लास्टिक प्रदूषण, तेल रिसाव, मछलियों का अत्यधिक शिकार, तटीय अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र की सेहत बिगड़ रही है. लाखों समुद्री जीव जंतु प्लास्टिक निगल कर मर रहे हैं. मूंगे की चट्टानें नष्ट हो रही हैं. पृथ्वी का तापमान बढ़ने से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है. तटीय बस्तियों पर संकट मंडरा रहा है. जो भी हो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समुद्र की समस्याओं का निराकरण जरूरी है. इसके प्रति स्कूल, कॉलेज के छात्रों में जागरूकता भी आवश्यक है.
प्रभाकर कुमार (जमुई).