नाग पंचमी…
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्॥
पूरी दुनिया में हिन्दू संस्कृति एक अनूठी संस्कृति है, इस संस्कृति में धरती पर मौजूद हर प्राणी से आत्मीय सम्बन्ध जोड़ने के बारे में बताया गया है और हिन्दू इसी परम्परा या धर्म का पालन करते हैं. इस संस्कृति में सिर्फ पत्थर की ही नहीं अपितु पेड़-पौधों, वृक्ष-लताएं, पशु-पछीयों की भी पूजा की जाती है. इस संस्कृति में किसी भी जीव की हत्या नहीं की जाती है. चूकिं, हर जीव को उसी प्रभु ने बनाया है. जिस प्रकार मानव की रचना प्रभु की अनूठी रचना है ठीक उसी प्रकार भी जीवों की रचना हुई है.
हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता या यूँ कहें कि, सांप या सर्प की पूजा की जाती है. वेद-पुरानों में लिखा है कि दबवाएँ सर्प को आभूषण के रूप में प्रयोग करते हैं, तो कहीं देवता सर्प के फन पर नृत्य भी करते हैं, कहीं देवता सर्प को शैय्या बनाकर विश्राम भी करते हैं. उपर लिखे गये श्लोक को भविष्योत्तर पुराण से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, “वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, काकोर्टक और धनंजय ये प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं”.
हिन्दू संस्कृति में हर जीव की अपनी भूमिका होती है, जिसका निर्वहन खुद वह जीव ही करता है, जैसे:- जिस प्रकार वृषभ (वैल) का प्रयोग खेतों में या गाडी खीचने में होता है, घोड़ा का प्रयोग सवारी के लिए करते हैं ठीक, उसी प्रकार नाग या सर्प को क्षेत्रपाल कहा जाता है. ज्ञात है कि, भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकतर आबादी खेतों पर ही निर्भर होती है. कई ऐसे भी जीव-जन्तु होते है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन, सर्प इन नुकसान पहुँचाने वाले जीवों का नाश कर हमारे खतों को हरा-भरा रखने में मदद करता है.
प्रभु ने जब सृष्टि का निर्माण किया, तब उन्होंने धरती के उपर या भीतर रहने वाले जीव भी बनाये. हर जीव से हमें कुछ ना कुछ शिक्षा मिलती ही है, ठीक उसी प्रकार, सर्प भी है जो हमें, कई प्रकार की शिक्षा देता है जैसे:- सर्प हमेशा बिल में या यूँ कहें कि, एकांत में रहना पसंद करता है. वह अकारण किसी को परेशान भी नहीं करता है, पर छेड़ने वालों को छोड़ता भी नहीं है. सर्प को सुगंध बहुत ही प्रिय होती है इसीलिए वो हमेशा सुगन्धित पेड़ों पर ही निवास करता है. कुछ सर्पों के मस्तिष्क में मणि होती है, जो अमूल्य होती है. हमे भी अपने जीवन में अमूल्य बातों को मस्तक पर चढ़ाना चाहिए. सर्प वर्षों की कठिन तपस्या और अथक परिश्रम से संचित शक्ति या यूँ कहें कि जहर को अपने शरीर में रखते हैं और उसे वह व्यर्थ ही खोना पसंद नहीं करते हैं. उसी प्रकार मानव भी अपने जीवन में कठिन परिश्रम और तप से कुछ शक्ति पैदा करते है, जिसका प्रयोग गुस्सा करने में या निर्बलों या आश्क्तों को दुःख देने में खर्च करते हैं.
वेद-पुरानों या यूँ कहें कि ग्रंथों में कई कहानियाँ लिखी गई है, उन्हीं कहानियों में एक कहानी है समुद्र मंथन की. समुद्र मंथन में वासुकी नाग को रस्सी बनाकर देवता और दानव समुद्र का मंथन (मथते) करते हैं और इस मंथन से कई प्रकार की वस्तुएँ निकली थी, उनमें से एक अमृत भी था. ज्ञात है कि, अषाढ़ और सावन के महीने में झमाझम बरसात होती है, तब जीव-जन्तु बिलों से बाहर आकर किसी सुरक्षित स्थान की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं. ऐसे में कई जहरीले जीव-जन्तु हमारे घरों में घुसकर हमें नुकसान पहुंचा सकते है. इसलिए उनकी पूजा के जरिये प्रार्थना करते हैं कि वो किसी को नुकसान ना पहुंचाएं.
सावन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन पुरे देश में नाग पंचमी का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग सर्प को दूध पिलाते है. जबकि पुराणों में साफ़ तौर पर लिखा है कि, नाग पंचमी के दिन सर्प को दूध से नहलाना चाहिए. हिन्दू परम्परा के अनुसार नाग पंचमी के दिन दीवालों पर नाग देव की आकृति बनाकर या सोने, चांदी, लकड़ी व मिटटी की आकृति बनाकर कच्चा दूध, दही, दूर्वा, कुश, हल्दी, चन्दन, गंध, अक्षत, पुष्प, रोली व चावल आदि से पूजन कर खीर-सेवई और मिठाई का भोग लगाते है. उसके बाद उनकी कथा या शिव पुराण का पाठ कर आरती करते हैं. बताते चलें कि, सावन महीने के कृष्ण पक्ष पंचमी को भी कहीं-कहीं नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है और, इस दिन सर्प देव की पूजा में सफेद कमल का प्रयोग भी किया जाता है.
========== ========= ===========
Nag Panchami…
Vasukih Takshakaschaiv Kaliyo Manibhadrakah:।
Airavato Dhrutarashtrah Karkotakdhananjayo ॥
Ete̕bhayam Prayacchhanti Praninam Pranjivinam ॥
Hindu culture is a unique culture in the whole world. It is told in this culture to establish a soulful relationship with every living being on earth and Hindus follow this tradition or religion. In this culture, not only stones but also trees, plants, creepers, animals and birds are worshipped. In this culture, no living being is killed. Because every living being is created by the same God. Just as the creation of human beings is a unique creation of God, in the same way, the creation of living beings is also done.
According to the Hindu calendar, the Panchami of the Shukla Paksha of the month of Sawan is celebrated as Nag Panchami. On this day, the snake god or in other words, the snake is worshipped. It is written in the Vedas and Puranas that the gods use snakes as ornaments, and sometimes the gods dance on the hood of a snake, and sometimes the gods rest on a snake as their bed. The above verse is taken from Bhavishyottar Purana, which means, “Vasuki, Takshak, Kaliya, Manibhadrak, Airavat, Dhritarashtra, Kakortaka and Dhananjay protect living beings”.
In Hindu culture, every living being has its role, which is performed by that living being itself, such as: – Just as a bull is used in the fields or to pull a cart, a horse is used for riding, similarly, the serpent is called Kshetrapal. It is known that India is an agricultural country and most of the population here depends on the fields. Many animals harm the crops, but snakes help keep our fields green by destroying these harmful creatures.
When God created the world, he also created creatures living on or inside the earth. We learn something or the other from every creature, in the same way, snakes also teach us many types of lessons: – Snakes always like to live in burrows or solitude. They do not trouble anyone without reason but do not spare those who tease them. Snakes are very fond of fragrance, which is why they always live on fragrant trees. Some snakes have a gem in their brain, which is priceless. We should also give importance to priceless things in our lives. Snakes keep the power or poison accumulated through years of hard penance and tireless hard work in their bodies and do not like to lose it in vain. Similarly, humans also generate some power in their lives through hard work and penance, which they use to get angry or hurt the weak or the needy.
Many stories have been written in the Vedas and Puranas or other words, in those texts, one of those stories is the story of Samudra Manthan. In Samudra Manthan, the gods and demons churn the ocean using Vasuki Nag as a rope and many things came out of this churning, one of them was Amrit. It is known that, in the months of Ashadh and Sawan, there is heavy rainfall, and then the animals come out of their burrows and wander here and there in search of a safe place. In such a situation, many poisonous animals can enter our homes and harm us. That is why we pray by worshipping them that they do not harm anyone.
The festival of Nag Panchami is celebrated with great pomp and show all over the country on the day of Sawan Shukla Paksha Panchami. On this day, people feed milk to the snake. Whereas it is written in the Puranas that on the day of Nag Panchami, the snake should be bathed with milk. According to Hindu tradition, on the day of Nag Panchami, the figure of the snake god is drawn on the walls or by making figures of gold, silver, wood and clay, and after worshipping with raw milk, curd, Durva, Kush, turmeric, sandalwood, fragrance, Akshat, flowers, Roli and rice etc., kheer-sevai and sweets are offered. After that, his story or Shiv Purana is recited and Aarti is performed. Let us tell you that, the festival of Nag Panchami is also celebrated on the Krishna Paksha Panchami of the month of Sawan in some places and, on this day, white lotus is also used in the worship of the snake god.