Dharm

कामदा एकादशी…

Valvyas Suman ji Maharaj,

सत्संग के दौरान एक भक्त ने महाराज जी से पूछा कि, महाराज जी चैत्र शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है उस एकादशी का नाम क्या है और उसे करने पर किस तरह का फल प्राप्त होता है. वालव्यास सुमन जी महाराज कहते है कि, चैत्र का पावन और पवित्र महीना चल रहा है इस महीने की शुरुआत मनमनोहर, कमलनयन श्यामसुंदर से हुई है और समय के साथ चलते हुए ये पावन महीना माता भगवती के चरणों की आराधना करते हुए, भगवान वैकुंठपति के रतनारे नेत्र की या यूँ कहें भगवान आदित्य का महापर्व छठ और भगवान मारुती की आराधना करते हुए महीने के अंतिम समय में भगवान केशव से ही होती है. वालव्यास सुमन जी महाराज कहते है कि, मनुष्य का जीवन कर्म करने के लिए बनाया गया है और कर्म करने के दौरान जाने-अनजाने पाप हो जाते हैं और उन पापों की मुक्ति तथा मोक्ष पाने की अभिलाषा से पूजा-पाठ हवन के कर्म किये जाते हैं.

वालव्यास सुमन जी महाराज कहते है कि, चैत शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने से मनुष्यों के सभी कार्य (काम) सिद्ध हो जाते हैं साथ ही ब्रह्महत्या व पिशाचत्व आदि दोषों का नाश होता है. इस एकादशी का नाम कामदा एकादशी है कामदा एकादशी के व्रत की कथा पढने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है. वालव्यास सुमन जी महाराज कहते है कि, “विष्णु पुराण” में कामदा एकादशी व्रत की विस्तृत चर्चा की गई है. इस व्रत में भगवान विष्णु के “श्री हरी” की पूजा होती है और इस व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. इस व्रत को करने वाले साधक को चाहिए की पूजा के पश्चात भगवान के समक्ष बैठकर भगवद कथा का पाठ करना चाहिए.

पूजन सामाग्री: –

वेदी, कलश, सप्तधान, पंच पल्लव, रोली, गोपी चन्दन, गंगा जल, दूध, दही, गाय के घी का दीपक, सुपाड़ी, विल्वपत्र, भांग, धतुरा, मोगरे की अगरबत्ती, ऋतू फल, फुल, आंवला, अनार, लौंग, नारियल, नीबूं, नवैध, केला और तुलसी पत्र व मंजरी.

व्रत विधि: –

सबसे पहले आपको एकादशी के दिन सुबह उठ कर स्नान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है. उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा के लिए धूप, दीप, नारियल और पुष्प का प्रयोग करना चाहिए. अंत में भगवान विष्णु के स्वरूप का स्मरण करते हुए ध्यान लगायें, उसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करके, कथा पढ़ते हुए  विधिपूर्वक पूजन करें. ध्यान दें…. एकादशी की रात्री को जागरण अवश्य ही करना चाहिए, दुसरे दिन द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मणों को अन्न दान व दक्षिणा देकर इस व्रत को संपन्न करना चाहिए.

कथा: –

प्राचीन काल में भोगीपुर नामक एक नगर था, वहाँ पर अनेक ऐश्वर्यों से युक्त पुण्डरीक नाम का एक राजा राज्य करते थे. भोगीपुर नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गन्धर्व भी वास करते थे. उनमें से एक जगह ललिता और ललित नाम के दो स्त्री-पुरुष अत्यंत वैभवशाली घर में निवास किया करते थे. उन दोनों में अत्यंत स्नेह था, यहाँ तक कि अलग-अलग हो जाने पर दोनों व्याकुल हो जाते थे. एक दिन गन्धर्व ललित दरबार में गान कर रहा था कि अचानक उसे अपनी पत्नी की याद आ गई और इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगडने लगा तथा इस त्रुटि को कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी. राजा को ललित पर बड़ा ही  क्रोध आया और राजा ने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया.

जब उसकी प्रियतमा ललिता को यह वृत्तान्त मालूम हुआ तो उसे अत्यंत ही दुःख हुआ. ललित वर्षों वर्षों तक राक्षस योनि में घूमता रहा और उसकी पत्नी भी उसी का अनुकरण करती रही. अपने पति को इस हालत में देखकर वह बडी दुःखी होती थी. एक दिन वो  श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर विनीत भाव से प्रार्थना करने लगी, उसे देखकर श्रृंगी ऋषि बोले कि हे सुभगे! तुम कौन हो और यहाँ किस लिए आई हो? ‍ललिता बोली कि हे मुने! मेरा नाम ललिता है और मेरा पति राजा पुण्डरीक के श्राप से विशालकाय राक्षस हो गया है जिससे मुझे बहुत ही दुःख और गहरा आघात भी पहुंचा  है. अत: हे ऋषिवर मुझे इसके उद्धार का कोई उपाय बतलाइए.

श्रृंगी ऋषि बोले हे गंधर्व कन्या! चैत्र शुक्लपक्ष की एकादशी का व्रत करो जिसका नाम कामदा एकादशी भी है, इस व्रत को करने से मनुष्य के सब कार्य सिद्ध हो जाते हैं. यदि तू कामदा एकादशी का व्रत कर, उसके पुण्य का फल अपने पति को दे दो, तो वह शीघ्र ही राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा के श्राप भी अवश्यमेव शांत हो जाएगा. ललिता ने भी मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ. फिर अनेक सुंदर वस्त्राभूषणों से युक्त होकर ललिता के साथ विहार करते हुए वे दोनों विमान में बैठकर स्वर्गलोक को प्राप्त हुए.

एकादशी का फल: –

एकादशी प्राणियों के परम लक्ष्य, भगवद भक्ति, को प्राप्त करने में सहायक होती है. यह दिन प्रभु की पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने के लिए अति शुभकारी एवं फलदायक माना गया है. इस दिन व्यक्ति इच्छाओं से मुक्त हो कर यदि शुद्ध मन से भगवान की भक्तिमयी सेवा करता है तो वह अवश्य ही प्रभु की कृपापात्र बनता है.

वालव्यास सुमन जी महाराज,

महात्मा भवन, श्रीराम-जानकी मंदिर,

राम कोट, अयोध्या. 8709142129.

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Kamada Ekadashi…

Valvyas Suman ji Maharaj,

During the satsang, a devotee asked Maharaj ji, Maharaj ji, what is the name of the Ekadashi that occurs in Chaitra Shuklapaksha and what kind of results are obtained by doing it. Valvyas suman ji Maharaj says that, the holy and sacred month of Chaitra is going on. This month has started with the charming, lotus-eyed Shyamsundar and with the passage of time, this holy month is worshiping the feet of Mata Bhagwati and worshiping the Ratnare Netra of Lord Vaikunthapati. In this way, the great festival of Lord Aditya is celebrated with the worship of Chhath and Lord Keshav in the last time of the month while worshiping Lord Maruti. Valvyassumanji Maharaj says that man’s life is made for doing work and while doing work, sins are committed knowingly or unknowingly and with the desire to get rid of those sins and attain salvation, rituals of worship and havan are done.

Valvyassumanji Maharaj says that by observing fast on Ekadashi of Chait Shukla Paksha, all the works of humans get accomplished and also the evils like Brahmahatya and vampirism etc. get destroyed. The name of this Ekadashi is Kamada Ekadashi. By reading or listening to the story of fasting on Kamada Ekadashi, one gets the results of Vajpayee Yagya. Valvyassumanji Maharaj says that Kamada Ekadashi fast has been discussed in detail in “Vishnu Purana”. In this fast, “Shri Hari” of Lord Vishnu is worshiped and by observing this fast, all sins are destroyed. The devotee observing this fast should sit in front of God and recite Bhagavad Katha after worship.

Pooja material: –

Vedi, Kalash, Saptadhan, Panch Pallav, Roli, Gopi Chandan, Ganga water, milk, curd, cow ghee lamp, betel nut, Vilvapatra, hemp, Dhatura, Mogre incense sticks, seasonal fruits, flowers, Amla, pomegranate, cloves, Coconut, lemon, sweet lime, banana and basil leaves and manjari.

Fasting Method: –

First of all, you should wake up in the morning on the day of Ekadashi, take bath and take a resolution to fast. After that the idol or picture of Lord Vishnu is installed. After that, incense, lamp, coconut and flowers should be used to worship Lord Vishnu. In the end, meditate remembering the form of Lord Vishnu, after that recite Vishnu Sahastranam and worship him methodically while reading the story. Note…. Jagran must be done on the night of Ekadashi, this fast should be completed by donating food and dakshina to Brahmins on the next day in the morning on Dwadashi.

Story: –

In ancient times, there was a city named Bhogipur, where a king named Pundarik, who had many opulences, ruled there. Many Apsaras, Kinnars and Gandharvas also lived in Bhogipur city. In one of those places, two men and women named Lalita and Lalit used to live in a very luxurious house. There was immense love between them, so much so that both of them would get distraught when separated. One day Gandharva Lalit was singing in the court when suddenly he remembered his wife and due to this his voice, rhythm and rhythm started getting distorted and the snake named Karkat came to know about this error and told this to the king. The king became very angry at Lalit and cursed Lalit of becoming a demon.

When his beloved Lalita came to know about this incident, she felt very sad. Lalit kept roaming in the demon vagina for years and his wife also kept following him. She was very sad to see her husband in this condition. One day she went to Shringi Rishi’s ashram and started praying humbly. Seeing her, Shringi Rishi said, O good luck! Who are you and why have you come here? Lalita said, O Mune! My name is Lalita and my husband has become a giant monster due to the curse of King Pundarika, which has caused me great sorrow and deep shock. Therefore, O Rishivar, please tell me some solution to its salvation.

Shringi Rishi said, O Gandharva girl! Keep a fast on Ekadashi of Chaitra Shuklapaksha, which is also known as Kamada Ekadashi, by observing this fast all the tasks of a person get accomplished. If you observe a fast on Kamada Ekadashi and give the fruits of his good deeds to your husband, he will soon be freed from the demonic form and the king’s curse will definitely be calmed. Lalita also followed the sage’s orders and as soon as she gave the results of Ekadashi, her husband got freed from the demon form and regained his old form. Then , adorned with many beautiful clothes and ornaments, while traveling with Lalita, both of them sat in the plane and reached heaven.

Result of Ekadashi: –

Ekadashi is helpful in achieving the ultimate goal of living beings, devotion to God. This day is considered very auspicious and fruitful for serving the Lord with full devotion. On this day, if a person becomes free from desires and does devotional service to God with a pure heart, then he definitely becomes blessed by the Lord.

Valvyas Suman ji Maharaj,

Mahatma Bhawan,

Shri Ramjanaki Temple,

Ram Kot, Ayodhya. 8709142129.

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