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व्यक्ति विशेष

भाग - 95.

नवें गुरु तेग बहादुर

गुरु तेग बहादुर , सिख धर्म के नवें गुरु थे, जिनका जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. वे गुरु हरगोबिंद साहिब के पुत्र और गुरु हर कृष्ण के पिता थे. गुरु तेग बहादुर को उनके त्याग, धर्म के प्रति अटूट आस्था, और सिख धर्म की रक्षा के लिए किए गए उनके असीम योगदान के लिए याद किया जाता है.

उन्होंने 1665 में गुरु पद संभाला. उनका काल भारतीय इतिहास में एक कठिन समय था, जब मुगल सम्राट औरंगजेब के धार्मिक उत्पीड़न का सामना सिख समुदाय कर रहा था. गुरु तेग बहादुर ने धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता की वकालत की और उन्होंने हिंदू धर्म के अनुयायियों की रक्षा के लिए मुगल साम्राज्य के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया.

उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के लिए लड़ाई का सबसे महत्वपूर्ण क्षण तब आया जब उन्होंने कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए अपने आपको औरंगजेब के समक्ष पेश किया. उन्होंने मुगल सम्राट से अपील की कि वह हिंदू धर्म के खिलाफ अपने धार्मिक उत्पीड़न को रोके. गुरु जी ने अपने जीवन की बलि देकर धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की, और उन्हें 24 नवंबर 1675 को दिल्ली में शहीद कर दिया गया.

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वैज्ञानिक प्राण कृष्ण पारिजा

प्राण कृष्ण पारिजा एक प्रसिद्ध भारतीय वनस्पति विज्ञानी थे, जिनका जन्म 1 अप्रैल, 1819 को उड़ीसा में हुआ और उनका निधन 2 जून, 1978 को हुआ था.

उनका शोध कार्य मुख्यतः पादप शरीर क्रिया विज्ञान, प्रयोगात्मक पादप मॉर्फोलॉजी, और पादप पर्यावरण के पारिस्थितिकी अध्ययनों के मौलिक और अनुप्रयुक्त पहलुओं को सम्मिलित करता था.

उन्होंने जलकुंभी और अन्य जलीय खरपतवारों पर विस्तृत अध्ययन किए. पारिजा को उनके वैज्ञानिक योगदान के लिए ओबीई (ब्रिटिश साम्राज्य का ऑफिसर) सम्मान से भी नवाजा गया था.​

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कवि एवं लेखक केदारनाथ अग्रवाल

केदारनाथ अग्रवाल एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और लेखक थे, जो अपनी लोकप्रियता और योगदान के लिए भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. उनका जन्म 1 अप्रैल 1911 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था. उनकी कविताओं में सामाजिक विषयों पर गहराई से चिंतन किया गया है, और वे अपनी सरल भाषा और ग्रामीण जीवन के चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं.

केदारनाथ अग्रवाल की कविताएँ अक्सर प्रकृति, प्रेम, गरीबी, और समाजिक अन्याय के विषयों को उठाती हैं. उनकी रचनाओं में मानवता के प्रति गहरी सहानुभूति और एक सरल, स्पष्ट दृष्टिकोण का दर्शन होता है. उन्होंने अपने साहित्यिक कैरियर में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए, जिसमें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल है.

उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में “नीले पर्वतों का फूल”, “अकाल और उसके बाद”, “युग की गंगा” और “हाथ हाथ में” शामिल हैं. केदारनाथ अग्रवाल ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा और गहराई प्रदान की. उनका निधन 21 जून 2000 को हुआ, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान के रूप में सम्मानित की जाती हैं.

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13वें उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी

मोहम्मद हामिद अंसारी भारत के 13वें उपराष्ट्रपति थे. उन्होंने 11 अगस्त 2007 से 10 अगस्त 2017 तक इस पद पर कार्य किया, जो दो कार्यकालों के लिए था. इस दौरान, वे भारतीय राज्यसभा (उच्च सदन) के अध्यक्ष भी रहे, जो उपराष्ट्रपति के पद की एक पारंपरिक जिम्मेदारी है.

हामिद अंसारी का जन्म 1 अप्रैल 1937 को कोलकाता में हुआ था. वे एक अनुभवी राजनयिक थे और भारत के विदेश सेवा में उनका लंबा कैरियर था. उन्होंने भारत के उपचारक राजनयिक के रूप में ऑस्ट्रेलिया, ईरान, सऊदी अरब, और अफगानिस्तान में सेवाएँ प्रदान कीं. इसके अलावा, वे ईरान में भारत के राजदूत और भारतीय प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त राष्ट्र में भी कार्यरत रहे.

हामिद अंसारी ने अपने राजनयिक और राजनीतिक कैरियर में विविध और महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके कार्यकाल में विदेश नीति, शिक्षा, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर उनकी गहरी समझ और संवेदनशीलता का प्रदर्शन हुआ. वे विशेष रूप से मानवाधिकारों, सामाजिक न्याय, और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के पक्षधर रहे हैं.

उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए, उन्हें भारतीय और विदेशी सम्मानों से नवाजा गया. हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत की सामाजिक-राजनीतिक चर्चाओं में सक्रिय भूमिका निभाई और उनका योगदान भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है.

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अभिनेत्री जबीन जलील

जबीन जलील भारतीय सिनेमा में एक अभिनेत्री थीं जो 1950 – 60 के दशक में सक्रिय थीं. उनका कैरियर मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में था, जहां उन्होंने विभिन्न सहायक और प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं. जबीन जलील की खूबसूरती और अभिनय कौशल ने उन्हें उस समय की कई प्रमुख फिल्मों में भूमिकाएँ दिलाईं. हालांकि, उनका कैरियर उतना लंबा नहीं चला जितना कि कुछ अन्य अभिनेत्रियों का, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने समय में सिनेमा के प्रति योगदान दिया.

जबीन ने अभिनय कैरियर की शुरुआत फिल्म ग़ुज़ारा से की थी. उन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा से दर्शकों का दिल जीता और कुछ फिल्मों में उनके प्रदर्शन को आज भी याद किया जाता है. जबीन जलील ने अपने कैरियर के दौरान विविध पात्रों को चित्रित किया और उनकी कुछ फिल्में उस समय की लोकप्रिय फिल्मों में से एक थीं.

फ़िल्में: –

लुटेरा, नई दिल्ली, चारमीनार, फ़ैशन, जीवनसाथी, हथकड़ी, पंचायत, रागिनी, बेदर्द ज़माना क्या जाने और रात के राही.

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क्रिकेट खिलाड़ी अजित वाडेकर

अजित लक्ष्मण वाडेकर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और एक प्रमुख क्रिकेटर थे. उनका जन्म 1 अप्रैल 1941 को मुंबई, भारत में हुआ था. वाडेकर मुख्य रूप से बाएं हाथ के बल्लेबाज थे और कभी-कभी वे धीमी बाएं हाथ की गेंदबाजी भी कर लेते थे. उन्होंने 1960 -70 के दशक के शुरुआती वर्षों में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेला और उनकी कप्तानी में भारत ने कुछ महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय जीत हासिल की.

वाडेकर की कप्तानी में भारतीय टीम ने 1971 में वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड के खिलाफ उनके घरेलू मैदानों पर पहली बार टेस्ट सीरीज जीती. ये जीत भारतीय क्रिकेट इतिहास में मील के पत्थर साबित हुईं और इसने भारतीय टीम के वैश्विक मानचित्र पर उभार में मदद की. वाडेकर की इन उपलब्धियों को भारतीय क्रिकेट में उनकी बहुत बड़ी योगदान के रूप में देखा जाता है.

अपने क्रिकेट कैरियर के बाद, वाडेकर ने कोचिंग और प्रशासनिक भूमिकाओं में भी योगदान दिया. उन्होंने भारतीय टीम के कोच और चयनकर्ता के रूप में भी काम किया. उनका निधन 15 अगस्त 2018 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत और उनके द्वारा भारतीय क्रिकेट के लिए किए गए योगदान को आज भी बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है.

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जादूगर ओ. पी. शर्मा

ओ. पी. शर्मा भारतीय जादू की दुनिया के एक प्रतिष्ठित नाम हैं. वे न केवल एक कुशल जादूगर हैं बल्कि इस कला के प्रचार-प्रसार में भी अग्रणी रहे हैं. उनका पूरा नाम ओम प्रकाश शर्मा है, और वे अपने जादू के कार्यक्रमों में ‘मैजिक शो ऑफ ओ. पी. शर्मा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं.

ओ. पी. शर्मा का जादूई कैरियर दशकों से फैला हुआ है, और उन्होंने अपनी जादू की प्रस्तुतियों से न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी ख्याति अर्जित की है. उनके शो बच्चों और बड़ों दोनों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं, और उनकी प्रस्तुतियाँ अक्सर मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा का भी संदेश देती हैं.

ओ. पी. शर्मा ने जादू को एक कला के रूप में बढ़ावा दिया है और इसे अधिक पेशेवर और संगठित रूप में पेश करने की दिशा में काम किया है. उन्होंने जादूगर समुदाय के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम और वर्कशॉप्स भी आयोजित किए हैं, जिससे इस कला के प्रति लोगों की जिज्ञासा और समझ बढ़ी है.

उनका मानना है कि जादू सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह लोगों को आश्चर्यचकित करने, सोचने के नए तरीके प्रदान करने और विज्ञान और कला की सीमाओं को तोड़ने का एक जरिया भी है. उनकी प्रतिभा और समर्पण ने उन्हें भारतीय जादू कला के एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ के रूप में स्थापित किया है.

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केशव बलिराम हेडगेवार

केशव बलिराम हेडगेवार, जिन्हें डॉ. हेडगेवार के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय सामाजिक और राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे. उनका जन्म 1 अप्रैल 1889 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था. हेडगेवार एक समर्पित स्वतंत्रता सेनानी थे और बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक के रूप में प्रसिद्ध हुए, जो भारत में एक प्रमुख हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन है.

हेडगेवार ने अपने युवा वर्षों में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया. उन्होंने कोलकाता में मेडिकल की पढ़ाई की, जहां उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले कई नेताओं के साथ संपर्क स्थापित किया. वे अनुशीलन समिति और हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन जैसे क्रांतिकारी संगठनों से भी जुड़े थे.

1925 में, हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदू समुदाय को संगठित करना और एक मजबूत राष्ट्रीय आत्म-सम्मान की भावना विकसित करना था. हेडगेवार का मानना था कि भारत की सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं का समाधान राष्ट्रीय एकता और आत्मनिर्भरता में निहित है. उन्होंने राष्ट्रीय चेतना और हिंदू संस्कृति के पुनरुद्धार पर जोर दिया.

हेडगेवार की दृष्टि और नेतृत्व में, RSS ने भारतीय समाज में गहरी जड़ें जमाईं और अनेक सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. उनकी मृत्यु 21 जून 1940 को हुई, लेकिन उनके विचार और संगठन की नींव आज भी RSS और इसके सहयोगी संगठनों के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हेडगेवार को भारतीय राष्ट्रवाद के एक महत्वपूर्ण प्रणेता के रूप में याद किया जाता है.

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पहलवान वीरेन्द्र सिंह

वीरेन्द्र सिंह, जिन्हें गोटा लागने के बाद ‘गूंगा पहलवान’ के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रेरणादायक भारतीय पहलवान हैं. वे बधिर और गूंगे हैं, लेकिन इसने उन्हें अपने खेल में उत्कृष्टता हासिल करने से नहीं रोका. वीरेन्द्र सिंह ने अपने जुझारू व्यक्तित्व और अदम्य साहस से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहलवानी प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं.

उनकी कहानी न केवल खेल जगत में, बल्कि समाज में भी प्रेरणा का स्रोत बनी है, क्योंकि उन्होंने संचार की अपनी बाधाओं को पार करते हुए खेल में श्रेष्ठता हासिल की है. वीरेन्द्र सिंह की उपलब्धियों में देफलिम्पिक्स में कई पदक शामिल हैं, जो बधिर एथलीटों के लिए ओलंपिक के समकक्ष है. उनकी सफलताओं ने भारत में बधिर एथलीटों और उनकी उपलब्धियों के प्रति जागरूकता और समर्थन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

वीरेन्द्र सिंह की जीवनी पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म “गूंगा पहलवान” भी बनाई गई है, जिसने उनकी जीवन यात्रा और संघर्षों को दर्शाया है. इस फिल्म ने उन्हें और भी अधिक प्रसिद्धि दिलाई और उनके संघर्ष और उपलब्धियों को व्यापक पहचान दिलाने में मदद की. वीरेन्द्र सिंह की अद्भुत कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो विषम परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने की आशा रखते हैं.

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साहित्यकार कैलाश वाजपेयी

कैलाश वाजपेयी एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार थे, जिन्होंने मुख्य रूप से कविता लेखन में अपनी विशेष पहचान बनाई. उनका जन्म 11 नवंबर 1936 को हुआ था और उनका निधन 01 अप्रैल 2015 को हुआ. उनकी कविताएँ अक्सर जटिल विचारों और भाषाई प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपने अनूठे योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए.

वाजपेयी के साहित्यिक कार्य में गहरी दार्शनिकता और मानवीय मूल्यों की खोज दिखाई देती है. उन्होंने आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच संतुलन बनाया और अपनी रचनाओं में विभिन्न विषयों को स्पर्श किया. उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में ‘तीसरा अंधेरा’, ‘शहर अभी दूर है’, और ‘समय से बाहर’ शामिल हैं. उनका साहित्य व्यक्तिगत और सामाजिक चेतना के बीच के संवाद को प्रकट करता है.

कैलाश वाजपेयी की कविताओं में भाषा की संवेदनशीलता और सौंदर्य के प्रति उनकी सजगता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. वे अपने लेखन में नई काव्य शैलियों और प्रतीकों का प्रयोग करके हिंदी कविता को नए आयामों तक ले गए.

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