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व्यक्ति विशेष

भाग - 90.

स्वतंत्रता सेनानी पुष्पलता दास

पुष्पलता दास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख महिला सेनानी थीं. वे असम की थीं और वहाँ की महिला आंदोलनों में सक्रिय रहीं. पुष्पलता दास ने विशेष रूप से महिलाओं को शिक्षित करने और उन्हें समाज में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया. पुष्पलता का जन्म  27 मार्च 1915 को  उत्तरी लखीमपुर, असम में हुआ था.

वे असम में महिलाओं के लिए शिक्षा की वकालत करती थीं और समाज में उनकी स्थिति में सुधार के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया करती थीं. पुष्पलता ने असम की महिलाओं को राजनीतिक और सामाजिक चेतना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ विरोध और सत्याग्रह आंदोलनों में सक्रिय भाग लिया.

पुष्पलता दास की योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पहचान है, खासकर असम और पूर्वोत्तर भारत में महिला आंदोलनों के संदर्भ में.

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नारीवादी विद्वान लीला दूबे

लीला दूबे एक प्रसिद्ध नारीवादी विद्वान हैं, जिन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति, उनकी भूमिकाओं, और सामाजिक संरचनाओं पर गहराई से अध्ययन किया है. उनका काम मुख्य रूप से समाजशास्त्र और नारीवादी अध्ययनों पर केंद्रित है. लीला दूबे का जन्म 27 मार्च, 1923 को हुआ और उनका निधन  20 मई, 2012 को हुआ था.

लीला दूबे ने विवाह, परिवार, लिंग संबंधों, और किन्नर समुदायों पर विस्तृत शोध किया है. उन्होंने भारतीय समाज में लिंग और जाति की परतों को उजागर करने वाले अनेक पेपर्स और किताबें लिखी हैं. उनके शोध ने नारीवादी चिंतन और सामाजिक न्याय के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

उनकी लेखनी ने नारीवादी अध्ययनों के क्षेत्र में भारतीय संदर्भों और परिप्रेक्ष्यों को महत्वपूर्ण बनाया है. लीला दूबे के काम ने न केवल भारतीय समाज में महिलाओं के जीवन को समझने में मदद की है, बल्कि वैश्विक नारीवादी चिंतन में भी एक अहम योगदान दिया है.

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धर्मपाल गुलाटी

धर्मपाल गुलाटी भारतीय व्यापार जगत की एक प्रमुख व्यक्तित्व थे. उन्हें अधिकतर लोग ‘मसाला किंग’ के नाम से जानते हैं. धर्मपाल गुलाटी MDH (महाशियां दी हट्टी) मसालों के मालिक और संस्थापक थे, जो भारत के सबसे प्रसिद्ध मसाला ब्रांडों में से एक है. धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च, 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था और उनका निधन  3 दिसंबर, 2020 को हुआ था.

उनकी कहानी एक उत्तरजीविता और सफलता की कहानी है. विभाजन के समय, गुलाटी अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से भारत आए थे. यहाँ आने के बाद, उन्होंने दिल्ली में एक छोटी सी दुकान से अपने व्यापारिक यात्रा की शुरुआत की. उनकी मेहनत, लगन, और उद्यमिता की भावना ने उन्हें इस क्षेत्र में एक विशाल साम्राज्य बनाने में मदद की.

धर्मपाल गुलाटी न केवल एक सफल उद्योगपति थे बल्कि एक महान समाजसेवी भी थे. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक कल्याण के कई प्रोजेक्ट्स में भी अपना योगदान दिया.

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बनवारी लाल जोशी

बनवारी लाल जोशी एक अनुभवी भारतीय प्रशासक थे, जिन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में लंबी और उल्लेखनीय सेवा दी. वे भारत के विभिन्न राज्यों में राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दी. बनवारी लाल जोशी का जन्म 27 मार्च 1936 को राजस्थान के नागौर ज़िले के छोटी खाटू में हुआ था.

जोशी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के राज्यपाल के रूप में सेवा करने का अनुभव है. उन्होंने अपनी प्रशासनिक और गवर्नेंस क्षमताओं को इन विविध और चुनौती पूर्ण भूमिकाओं में सिद्ध किया.

बनवारी लाल जोशी को उनकी ईमानदारी, अखंडता और जनसेवा के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता था. उनका कार्यकाल अक्सर उनकी समझदारी, जनहित के प्रति उनके दृष्टिकोण और प्रशासनिक नीतियों में उनकी प्रगतिशीलता के लिए प्रशंसित किया जाता था. उनकी सेवाओं ने उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में एक सम्मानित स्थान दिलाया.

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लेखक और पत्रकार हेमन्त जोशी

हेमन्त जोशी एक भारतीय लेखक, पत्रकार और अध्यापक हैं, वे 27 मार्च 1954 को नैनीताल, उत्तराखंड में जन्मे थे.

उनकी शिक्षा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में शोध उपाधि और फ्रांसीसी भाषा एवं साहित्य में स्नातक में हुई. वे भारतीय जनसंचार संस्थान और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पत्रकारिता के प्रशिक्षक रह चुके हैं.

उनकी लेखन में कविताएँ, व्यंग्य और कहानियाँ शामिल हैं, और वे फ्रांसीसी कवियों के अनुवादक भी हैं​.

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सर सैयद अहमद ख़ान

सर सैयद अहमद खान एक प्रमुख 19वीं सदी के भारतीय विद्वान, शिक्षाविद् और समाज सुधारक थे. वे मुख्य रूप से भारतीय मुसलमानों की शैक्षणिक और सामाजिक प्रगति के लिए अपने प्रयासों के लिए जाने जाते हैं.

सर सैयद का जन्म 17 अक्टूबर 1817 में दिल्ली में हुआ था और उन्होंने अपना जीवन भारतीय समाज में शैक्षिक और सामाजिक सुधारों के लिए समर्पित किया. वे ब्रिटिश राज में एक उच्च रैंकिंग के सिविल सेवक भी थे, लेकिन उन्होंने शिक्षा और सामाजिक सुधार पर अधिक जोर दिया.

सर सैयद का सबसे महत्वपूर्ण योगदान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में था, जो पहले मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के रूप में जानी जाती थी. उनका उद्देश्य था मुस्लिम समुदाय के युवाओं को आधुनिक शिक्षा और विज्ञान की शिक्षा देना, जिससे वे बदलते समय के साथ कदम मिला सकें.

सर सैयद ने यह भी माना कि सामाजिक प्रगति के लिए धार्मिक और सामाजिक रूढ़िवादिता पर सवाल उठाना आवश्यक है. उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और शिक्षा के महत्व को बढ़ावा दिया. उनके इन प्रयासों ने भारतीय मुस्लिम समुदाय में एक नई जागृति लाने में मदद की और उन्हें एक महान सुधारक के रूप में याद किया जाता है.

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अभिनेत्री प्रिया राजवंश

प्रिया राजवंश, भारतीय सिनेमा की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं, जिन्होंने मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में काम किया. वह 1960 – 70 के दशक के दौरान सक्रिय रहीं और विशेष रूप से फिल्म निर्माता चेतन आनंद की फिल्मों में अपने अभिनय के लिए जानी जाती थीं. प्रिया ने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण फिल्मों में काम किया, जिसमें ‘हकीकत’, ‘हीर रांझा’, और ‘हंसते जख्म’ शामिल हैं.

उनका जन्म 30 दिसंबर 1937 को शिमला में हुआ था, और उनका निधन 27 मार्च 2000 को हुआ था. प्रिया राजवंश की मृत्यु बहुत ही विवादित रही, क्योंकि उनकी हत्या उनके घर में हुई थी. उनकी मृत्यु के मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें चेतन आनंद के बेटे के नाम भी शामिल थे. प्रिया राजवंश की मृत्यु अभी भी कई लोगों के लिए एक रहस्य बनी हुई है और उनकी मौत भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक दुखद कहानी के रूप में याद की जाती है.

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