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व्यक्ति विशेष

भाग - 88.

वैज्ञानिक वसंत गोवारिकर

वसंत गोवारिकर एक भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियर थे, जिन्होंने अपनी महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और मौसम विज्ञान में ख्याति प्राप्त की. उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में काम किया और वहां के विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर कार्य किया.

गोवारिकर ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के लिए भी काम किया और उनका योगदान भारत में मौसम की भविष्यवाणी में सुधार लाने में महत्वपूर्ण था. उनके कार्यों ने भारत में विज्ञान और तकनीकी विकास को एक नई दिशा प्रदान की.

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अभिनेता फ़ारुख़ शेख़

फारुख शेख, एक भारतीय अभिनेता हैं जिनका जन्म 25 मार्च 1948 को हुआ था और उनका निधन 28 दिसंबर 2013 को हुआ था. वे हिंदी सिनेमा के प्रतिष्ठित चेहरे थे और उन्होंने 1973 से 1993 तक हिंदी फिल्म जगत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

उन्होंने टेलीविजन पर भी 1988 से 2002 तक कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई. फारुख शेख खासतौर पर पैरेलल सिनेमा या नई भारतीय सिनेमा के प्रमुख चेहरों में से एक थे और उन्हें “गरम हवा” (1973) जैसी फिल्मों में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है. उन्होंने फिल्मों, टेलीविजन धारावाहिकों और नाटकों में काम किया, जिसमें “तुम्हारी अमृता” जैसे मंच प्रोडक्शन शामिल हैं.

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अभिनेत्री जुबिदा बेगम धनजगिर

जुबिदा बेगम धनजगिर, जिन्हें अधिकतर ज़ुबेदा के नाम से जाना जाता है, 1911 में जन्मी थीं और 21 सितंबर 1988 को उनका निधन हो गया था.

वह भारतीय सिनेमा की पहली बोलती हुई फिल्म, ‘आलम आरा’ (1931) में अभिनय करने वाली पहली अभिनेत्री थीं. उन्होंने मूक फिल्मों में भी अभिनय किया था. ज़ुबेदा को उनके काम के लिए ‘देवदास’ (1937) और सागर मूवीटोन की पहली नाटकीय फिल्म ‘मेरी जान’ में भी याद किया जाता है.

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स्वतंत्रता सेनानी गणेशशंकर विद्यार्थी

गणेशशंकर विद्यार्थी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और प्रखर राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थक थे. विद्यार्थी जी ने ‘प्रताप’ नामक समाचार पत्र की स्थापना की, जिसके माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लिखा और जनता को जागरूक किया.

उनका जन्म 26 अक्टूबर, 1890 को हुआ था, और वे एक समर्पित शिक्षक भी थे जिन्होंने अपने समय के दौरान शिक्षा के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाने की कोशिश की. उनकी मृत्यु 25 मार्च, 1931 को हुई थी, जब वे कानपुर में सांप्रदायिक दंगों को रोकने की कोशिश में शामिल थे. उन्होंने अपने जीवन के दौरान सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता के लिए काम किया.

गणेशशंकर विद्यार्थी ने अपनी लेखनी और सामाजिक कार्यों के माध्यम से भारतीय समाज पर गहरी छाप छोड़ी और वे आज भी अपने साहसिक कार्यों और समर्पण के लिए याद किए जाते हैं.

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आलोचक कमला प्रसाद

कमला प्रसाद प्रसिद्ध हिंदी आलोचक, साहित्यकार और अकादमिक विद्वान हैं. उन्होंने हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं पर गहन शोध और विश्लेषण किया है. कमला प्रसाद जी का काम मुख्य रूप से हिंदी साहित्यिक आलोचना, थियोरी और समकालीन साहित्यिक चलनों पर केंद्रित है. उनके आलोचनात्मक लेखन और विचार उन्हें हिंदी आलोचना के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं.

कमला प्रसाद ने साहित्यिक आलोचना के साथ-साथ भाषा विज्ञान, सामाजिक मुद्दे और साहित्यिक सिद्धांतों पर भी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और लेख लिखे हैं. उनका कार्य व्यापक रूप से पढ़ा और सराहा जाता है. उनकी आलोचना शैली में गहराई, स्पष्टता और विचारशीलता का मेल है, जिससे पाठकों और अध्येताओं को हिंदी साहित्य के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिलती है.

उनकी आलोचना और विचार आधुनिक हिंदी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में नई दिशाएं और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं.

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अभिनेत्री नन्दा

अभिनेत्री नंदा भारतीय सिनेमा की एक अभिनेत्री थीं, जिन्होंने 1950 के दशक से 1970 के दशक तक कई हिंदी फिल्मों में काम किया. वे अपनी विनम्र अभिनय शैली, सादगी और खूबसूरती के लिए जानी जाती थीं. नंदा का जन्म 8 जनवरी 1939 को हुआ था, और वे फिल्म उद्योग के एक प्रसिद्ध परिवार से आई थीं.

नंदा ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी, लेकिन जल्द ही वे एक सफल अभिनेत्री के रूप में उभरीं. उन्होंने ‘आंचल’, ‘चोटी बहू’, ‘इत्तेफाक’ और ‘जब जब फूल खिले’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया. उनकी फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ में उनके अभिनय को विशेष रूप से सराहा गया, जिसमें उन्होंने राज कपूर के साथ अभिनय किया था.

नंदा की ऑन-स्क्रीन उपस्थिति ने उन्हें उस समय की सबसे पसंदीदा अभिनेत्रियों में से एक बना दिया और उनकी फिल्मों को बड़ी सफलता मिली. उनकी सादगी और प्राकृतिक अभिनय शैली ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई. नंदा के निधन से भारतीय सिनेमा ने एक महान अभिनेत्री खो दी, लेकिन उनकी फिल्में और उनका अभिनय आज भी उन्हें जीवित रखते हैं.

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अभिनेत्री निम्मी

अभिनेत्री निम्मी भारतीय सिनेमा की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं, जिन्होंने 1940 और 1950 के दशक में अपने अभिनय से बहुत नाम कमाया. उनका असली नाम नवाब बानू था, लेकिन फिल्म जगत में उन्होंने निम्मी के नाम से ख्याति प्राप्त की. निम्मी का जन्म 18 फरवरी 1933 को हुआ था.

निम्मी ने अपने कैरियर की शुरुआत 1949 में फिल्म ‘बरसात’ से की, जिसमें उन्होंने एक पहाड़ी लड़की की भूमिका निभाई थी. इस फिल्म में उनके अभिनय को बहुत सराहा गया और इसके बाद वे बहुत से हिट फिल्मों में दिखाई दीं. उन्होंने ‘दीदार’, ‘आन’, ‘उड़न खटोला’, ‘कुंदन’, ‘मेरे महबूब’ और ‘पूजा के फूल’ जैसी फिल्मों में काम किया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.

निम्मी को उनकी आँखों के अभिव्यक्ति और गहरी भावनात्मक अभिनय क्षमता के लिए जानी  जाती  थी. उनका अभिनय उस समय के दर्शकों को बहुत भावुक और यथार्थवादी लगा. उनके अभिनय में एक खास प्रकार की मासूमियत और गर्मजोशी थी, जिसने उन्हें दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। निम्मी की फिल्मों और उनकी अभिनय शैली ने उन्हें भारतीय सिनेमा की एक अमर अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया है.

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