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व्यक्ति विशेष

भाग - 77.

अभिनेता आमिर खान

आमिर खान, एक भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक हैं. उनका जन्म 14 मार्च 1965 को हुआ था. आमिर खान ने अपने चाचा नासिर हुसैन की फिल्म ‘यादों की बारात’ (1973) में बाल कलाकार के रूप में काम किया था और उन्हें अपनी पहली व्यवसायिक सफलता ‘कयामत से कयामत तक’ (1988) से मिली थी.

उन्होंने ‘लगान’ (2001) और ‘तारे जमीन पर’ (2007) जैसी फिल्मों के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं. ‘तारे जमीन पर’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला है. ‘3 इडियट्स’ (2009) उनके कैरियर की एक बड़ी सफलता थी, और यह फिल्म इतिहास में सबसे अधिक कमाई करने वाली हिंदी फिल्मों में से एक थी.

व्यक्तिगत जीवन के संदर्भ में, आमिर ने रीना दत्ता से अपनी पहली शादी की और उनसे उनके दो बच्चे हैं, जुनैद और ईरा. बाद में उन्होंने किरण राव से शादी की, और उनका एक बेटा, आजाद, सरोगेट माँ के माध्यम से हुआ. आमिर ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी काफी योगदान दिया है और उन्होंने कई सफल फिल्में प्रस्तुत की हैं, जैसे ‘लगान’, ‘जाने तू या जाने ना’, ‘तारे जमीन पर’, ‘धोबी घाट’, ‘पीपली लाइव’, ‘देली बेली’, और ‘तलाश’.

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मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला

इरोम चानू शर्मिला का जन्म 14 मार्च 1972 को मणिपुर में हुआ था, एक प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता, कवियित्री और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने 2000 – 16 तक लगभग 16 वर्षों तक आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) के खिलाफ भूख हड़ताल की. इस एक्ट के तहत सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार दिए गए थे, जिसे शर्मिला ने मानवाधिकारों का उल्लंघन माना. उनकी इस हड़ताल का आरंभ 10 निर्दोष लोगों की हत्या के विरोध में हुआ था, जो मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों द्वारा मारे गए थे.

उनकी भूख हड़ताल के दौरान, उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और फिर छोड़ा गया. उन्हें नाक में नली के जरिए भोजन दिया जाता था और उन्हें एक कमरे में रखा गया था, जिसे अस्थायी जेल में बदल दिया गया था.

2016 में, शर्मिला ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी और राजनीति में प्रवेश करने की घोषणा की, यह कहते हुए कि वे मणिपुर की मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं. उन्होंने अपने इस निर्णय का कारण आम जनता की उनके संघर्ष के प्रति बेरुखी को बताया.

इरोम को उनके संघर्ष के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भारत की शीर्ष महिला आइकन के रूप में सम्मानित किया गया था. उन्होंने ‘बर्थ’ शीर्षक सएक लंबी कविता लिखी, जिसे ‘आइरन इरोम टू जर्नी- व्हेयर द एबनार्मल इज नार्मल’ नामक एक किताब में प्रकाशित किया गया था. इस कविता में उन्होंने अपने लंबे संघर्ष को व्यक्त किया है.

इरोम शर्मिला का जीवन और उनका संघर्ष न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उनकी लड़ाई और दृढ़ संकल्प ने कई लोगों को प्रेरित किया है और मानवाधिकारों के लिए उनकी निरंतर लड़ाई आज भी प्रासंगिक है.

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निर्देशक रोहित शेट्टी

रोहित शेट्टी एक भारतीय फिल्म निर्देशक हैं जो हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए प्रसिद्ध हैं. वे मुख्य रूप से एक्शन, कॉमेडी और मसाला शैलियों को मिलाकर फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं. रोहित शेट्टी का जन्म 14 मार्च 1973 को मुम्बई में हुआ था.

रोहित शेट्टी को ‘गोलमाल’ फिल्म फ्रैंचाइजी के साथ बड़ी सफलता मिली, जो 2006 में ‘गोलमाल’ फिल्म के साथ शुरू हुई और इसमें अजय देवगन और अरशद वारसी जैसे कलाकार शामिल थे. यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई.

रोहित शेट्टी की अन्य प्रसिद्ध फिल्मों में ‘सिंघम’ और ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ जैसी फिल्में शामिल हैं. वे न केवल फिल्मों का निर्देशन करते हैं बल्कि वे एक स्टंटमैन, लेखक, निर्माता और टेलीविजन होस्ट भी हैं.

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स्वतंत्रता सेनानी जयनारायण व्यास

जयनारायण व्यास, एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजस्थान के तीसरे मुख्यमंत्री थे. उनका जन्म 18 फरवरी, 1899 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था और उनका निधन 14 मार्च, 1963 को नई दिल्ली में हुआ​​​​​​.

व्यास जी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी और वे विशेष रूप से सामंतशाही और जागीरदारी प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले व्यक्ति थे. उन्होंने राजस्थान में रियासतों के उत्तरदायी शासन की स्थापना की मांग की थी​​​​.

1927 में व्यास जी ‘तरुण राजस्थान’ समाचार पत्र के प्रधान संपादक बने और 1936 में ‘अखण्ड भारत’ नामक दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया. उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण कई बार जेल की यात्रा भी की. 1948 में वे ‘जोधपुर प्रजामण्डल’ के प्रधानमंत्री बने और 1951 से 1954 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. 1956-57 तक वे प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे​​​​​​.

जयनारायण व्यास की सम्मान में उनकी जन्मस्थली जोधपुर में ‘जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय’ का नाम रखा गया है​.

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