राजनीतिज्ञ यशवंतराव चव्हाण
यशवंतराव चव्हाण एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिनका जन्म 12 मार्च 1913 को महाराष्ट्र के सातारा जिले में हुआ था. वे महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री और भारत के पाँचवें उप-प्रधानमन्त्री के रूप में सेवा कर चुके हैं. चव्हाण एक मजबूत कांग्रेस नेता, स्वतंत्रता सेनानी, सहकारी नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए काम किया और महाराष्ट्र में किसानों की बेहतरी के लिए सहकारी समितियों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी शिक्षा बम्बई विश्वविद्यालय से हुई और वे 1940 में सतारा जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बने.
चव्हाण ने 1956 में द्विभाषिक मुंबई राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में काम किया और 1960 में महाराष्ट्र के निर्माण के बाद महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री बने. 1962 में उन्हें चीन युद्ध के दौरान भारत के संरक्षणमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. उनकी कार्यकाल में उन्होंने उपपंतप्रधान, केंद्रीय गृहमंत्री, अर्थमंत्री, संरक्षणमंत्री और परराष्ट्रमंत्री के रूप में सेवाएँ दीं. 1977-78 के दौरान जनता पक्ष के सरकार में वे विरोधी पक्ष के नेता रहे और आठवें केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष भी बने.
चव्हाण ने आर्थिक नीतियों में भी महत्वत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके आर्थिक विचार कृषि, उद्योग, सहकार, समाजवाद, और आर्थिक विषमता पर केंद्रित थे. उन्होंने खेती में मालिकी हकों, भूमिहीनों के मुद्दों, और कृषि विकास के उपायों पर जोर दिया. उनका मानना था कि खेतकरी को अपनी जमीन का मालिक होना चाहिए और खेती को व्यापारी तत्त्वाने करना चाहिए. उन्होंने नदियों का पानी खेती में इस्तेमाल करने और नदियों पर धरणे बांधने की वकालत की. उनके विचारों में सामाजिक न्याय और सामाजिक क्षमता के दृष्टिकोण को भी महत्व दिया गया था.
उन्होंने नाशिक से लोकसभा के लिए बिना किसी विरोध के चुनाव जीता और 14 नवंबर 1966 को देश के गृह मंत्री के रूप में नियुक्त हुए. उन्होंने अपने कार्यकाल में अनेक महत्वपूर्ण पद संभाले. आपातकाल के बाद जब कांग्रेस की हार हुई, तब वे विरोधी पक्ष के नेता बने और बाद में कांग्रेस से अलग हो गए. हालांकि, 1981 में वे फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए और 1982 में उन्हें भारत के आठवें वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. उनका निधन 25 नवंबर 1984 को दिल्ली में हुआ और उनके अंतिम संस्कार में शासकीय सन्मान दिया गया.
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पार्श्वगायिका श्रेया घोषाल
श्रेया घोषाल एक भारतीय पार्श्व गायिका हैं जो अपनी व्यापक गायन रेंज और बहुमुखी प्रतिभा के लिए जानी जाती हैं. 12 मार्च 1984 को पश्चिम बंगाल के बेरहामपुर में जन्मी वह राजस्थान के रावतभाटा में पली बढ़ीं. उन्होंने चार साल की उम्र में संगीत सीखना शुरू किया और छह साल की उम्र में शास्त्रीय संगीत में औपचारिक प्रशिक्षण शुरू किया. घोषाल को सोलह साल की उम्र में गायन रियलिटी शो “सा रे गा मा पा” जीतने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. इस सफलता के कारण उन्हें संजय लीला भंसाली की फिल्म “देवदास” (2002) से बॉलीवुड पार्श्व गायन की शुरुआत मिली, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले.
अपने पूरे कैरियर में, श्रेया घोषाल ने हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली और मलयालम सहित कई भाषाओं में गाने गाए हैं. उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं, जैसे पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और कई फिल्मफेयर पुरस्कार. वह विभिन्न टेलीविजन रियलिटी शो में जज के रूप में भी दिखाई दी हैं और उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में ओहियो राज्य द्वारा “श्रेया घोषाल दिवस” की स्थापना से सम्मानित किया गया है.
श्रेया ने 2015 में अपने बचपन के दोस्त शिलादित्य मुखोपाध्याय, जो कि एक उद्यमी हैं, से शादी की और उनका एक बेटा है, जिसका नाम देवयान है. गायन के अलावा, उन्हें किताबें पढ़ना, यात्रा करना और खाना बनाना पसंद है. घोषाल ने दिल्ली में मैडम तुसाद संग्रहालय के भारतीय विंग में अपना मोम का पुतला प्रदर्शित करने वाली पहली भारतीय गायिका के रूप में भी इतिहास रचा है.
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क्षितिजमोहन सेन
क्षितिजमोहन सेन एक प्रमुख संस्कृत विद्वान और मध्यकालीन संत साहित्य के मर्मज्ञ समीक्षक थे. उनका जन्म 1880 में भारत की प्राचीन नगरी वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्हें बांग्ला और हिन्दी भाषाओं में उत्कृष्ट लेखन के लिए जाना जाता है और उन्होंने ‘भारतवर्ष में जाति भेद’ और ‘संस्कृति संगम’ जैसी कृतियाँ लिखीं। विश्व भारती विश्वविद्यालय में ‘विद्या भवन’ के अध्यक्ष के रूप में उनकी सेवाएं भी महत्वपूर्ण रहीं।.
सेवा-निवृत्ति के बाद, उन्हें वहाँ ‘कुल स्थविर’ के रूप में प्रतिष्ठित किया गया और ‘देशिकोत्तम’ की उपाधि से सम्मानित किया गया. उनकी मृत्यु 12 मार्च 1960 को हुई. क्षितिजमोहन सेन विख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के नाना थे और उनके प्रभाव से ही अमर्त्य सेन ने संस्कृत सीखी थी.
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गणितज्ञ पी. सी. वैद्य
प्रल्हाद चुन्नीलाल वैद्य एक भारतीय गणितज्ञ और भौतिकविज्ञानी थे, जो मुख्य रूप से आम सापेक्षतावाद (General Relativity) और कॉस्मोलॉजी के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते हैं. उनका सबसे प्रसिद्ध योगदान ‘वैद्य मैट्रिक’ (Vaidya Metric) है, जो एक गतिशील समय-स्पेस समाधान प्रदान करता है, और यह खगोल भौतिकी में चर ज्योति स्रोतों का वर्णन करने के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर तारों के विकिरण प्रक्रियाओं में.
वैद्य ने भारत में शिक्षा और शोध के क्षेत्र में भी बहुत काम किया. उन्होंने अनेक छात्रों को पढ़ाया और मार्गदर्शन किया जो बाद में खुद विज्ञान और गणित के क्षेत्र में प्रतिष्ठित हुए. वैद्य ने भारत में वैज्ञानिक शोध और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास किए.
उनका काम और योगदान आज भी भौतिकी और खगोल भौतिकी के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण माना जाता है.