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व्यक्ति विशेष

भाग - 74.

स्वतंत्रता सेनानी तिलका माँझी

स्वतंत्रता सेनानी तिलका माँझी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं. उन्हें “भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्रामी” के रूप में भी जाना जाता है. तिलका माँझी, जिन्हें झारखंड के ट्राइबल नेता भी कहा जाता है, ने 18वीं सदी में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था. वे बिहार के भागलपुर जिले के एक आदिवासी समुदाय से थे.

तिलका माँझी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्व किया और उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को अंग्रेजी सेना के खिलाफ उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी लड़ाई में साहस और निष्ठा को बहुत सराहा गया.

उनके संघर्ष और बलिदान को याद करते हुए, भारत में कई स्थानों पर उनके सम्मान में स्मारक और मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं. उनकी गाथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रेरणादायक कहानी के रूप में याद की जाती है.

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स्वतंत्रता सेनानी दामोदर स्वरूप सेठ

स्वतंत्रता सेनानी दामोदर स्वरूप सेठ एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी, देशभक्त, समाजवादी नेता थे. वे 1925 में काकोरी काण्ड मामले में गिरफ्तार किए गए थे और बाद में भारत की संविधान सभा के सदस्य भी बने.

दामोदर स्वरूप सेठ का जन्म 11 फरवरी 1901 में उत्तर प्रदेश के जिला बरेली में हुआ था. उन्होंने असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और वे कांग्रेस समाजवादी पार्टी के प्रमुख सदस्य भी रहे.

दामोदर स्वरूप सेठ को उनकी देशसेवा और वक्तव्य कला के लिए याद किया जाता है. उनके योगदान को सम्मान देते हुए, बरेली में उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण का आयोजन किया गया और उन्हें ‘बांस बरेली के सरदार’ के नाम से भी जाना जाता है.

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छत्रपति संभाजी राजे भोसले

छत्रपति संभाजी राजे भोसले मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति थे और छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े पुत्र थे. उनका जन्म 14 मई 1657 को हुआ था. संभाजी राजे का शासनकाल 1681-89 तक रहा, जिस दौरान उन्होंने मराठा साम्राज्य को और अधिक मजबूती प्रदान की और इसके विस्तार में अहम योगदान दिया.

संभाजी महाराज का शासनकाल उनके पिता शिवाजी महाराज के समान ही युद्ध और संघर्षों से भरा हुआ था. उन्होंने मुगल साम्राज्य, पुर्तगालियों, और सिद्दियों के साथ कई युद्ध लड़े. उनका मुख्य शत्रु मुगल सम्राट औरंगजेब था, जिसने मराठा साम्राज्य को नष्ट करने के लिए कई अभियान चलाए.

दुर्भाग्य से, संभाजी महाराज का अंत बहुत ही त्रासदीपूर्ण था.1689 में, उन्हें मुगलों द्वारा पकड़ लिया गया और बहुत ही निर्मम तरीके से उनकी हत्या कर दी गई. उनका बलिदान और वीरता आज भी मराठी और भारतीय इतिहास में याद की जाती है. संभाजी महाराज को उनके शौर्य, नेतृत्व क्षमता और मराठा साम्राज्य के प्रति उनके अटूट समर्पण के लिए सम्मानित किया जाता है.

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उद्योगपति जमनालाल बजाज

जमनालाल बजाज एक प्रमुख भारतीय उद्योगपति, समाजसेवी और एक प्रतिष्ठित गांधीवादी थे. उनका जन्म 4 नवंबर 1889 को राजस्थान में हुआ था. जमनालाल बजाज ने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत एक छोटे से व्यापारी के रूप में की थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने व्यापार को विस्तारित किया और बजाज समूह की स्थापना की, जो आज भी भारत के प्रमुख उद्योग समूहों में से एक है.

जमनालाल बजाज को उनके गांधीवादी विचारों और समाजसेवा के लिए भी जाना जाता है. वे महात्मा गांधी के करीबी मित्र और अनुयायी थे. उन्होंने गांधीजी के स्वदेशी और स्वावलंबन के विचारों को अपनाया और उनके आदर्शों के अनुसार अपने व्यावसायिक और सामाजिक जीवन को ढाला.

उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अनेक सामाजिक और चैरिटेबल कार्य किए. उनकी योगदान की सराहना में, भारत सरकार ने उन्हें 1958 में पद्म भूषण से सम्मानित किया. जमनालाल बजाज की मृत्यु 11 फरवरी 1942 को हुई थी, लेकिन उनकी विरासत आज भी उनके द्वारा स्थापित संस्थाओं और उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों के माध्यम से जीवित है.

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साहित्यकार हरिकृष्ण जौहर

हरिकृष्ण ‘जौहर’ एक प्रमुख हिंदी साहित्यकार और पत्रकार थे. उनका जन्म 1880 में काशी, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने अपने साहित्यिक कैरियर की शुरुआत भारतजीवन प्रेस में की और वहां ‘कुसुमलता’ नामक उपन्यास लिखा. उनका उपनाम ‘जौहर’ उर्दू में लेखन कार्य प्रारम्भ करने के बाद आया, और उन्होंने इस उपनाम के साथ विभिन्न उपन्यास लिखे.

जौहर जी ने विभिन्न पत्रिकाओं का संपादन किया और उनका पत्रकार के रूप में भी बड़ा नाम था. उन्होंने हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए कलकत्ता में नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना की. उन्होंने नाटक और फिल्मों के लिए भी कथाएं लिखीं.

उनकी प्रमुख कृतियों में ‘कुसुमलता’, ‘काला बाघ’, ‘गवाह गायब’, ‘जापान वृतांत’, ‘अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास’, और ‘नेपोलियन वोनापार्ट’ शामिल हैं। उनके जीवन में सात्विकता और साधुता का बहुत महत्व था.

हरिकृष्ण ‘जौहर’ का निधन 11 फ़रवरी 1945 को हुआ था। उनके साहित्यिक और पत्रकारिता कार्य आज भी याद किए जाते हैं.

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राजनीतिज्ञ दीनदयाल उपाध्याय

पंडित दीनदयाल उपाध्याय, एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, चिंतक और संगठनकर्ता थे, जिनका जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गाँव में हुआ था. उनके जीवन की शुरुआती वर्ष अत्यधिक दुख और कठिनाइयों में बीते, जिनमें उनके माता-पिता की मृत्यु और उनके नाना-नानी और अन्य परिवारजनों के निधन शामिल हैं.

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गंगापुर में प्राप्त की और बाद में कानपुर के सनातन धर्म कॉलेज से बी.ए. और आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज से एम.ए. की पढ़ाई की. वे एक उत्कृष्ट छात्र थे और उन्होंने अपनी अध्ययन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.

पंडित उपाध्याय ने भारतीय राजनीति में एक गहरा निशान छोड़ा. वे भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेता थे और उन्होंने ‘एकात्म मानवदर्शन’ के दर्शन को प्रतिपादित किया, जो भारतीय समाज के लिए एक नए दृष्टिकोण का सुझाव देता है. इस विचारधारा में व्यक्ति और समाज की समग्रता पर जोर दिया गया था और यह साम्यवाद और पूँजीवाद दोनों की आलोचना करता है.

उनका जीवन और कार्य भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सहायक रहे हैं, और आज भी उनकी विचारधारा और सिद्धांत भारतीय राजनीतिक दृष्टिकोण में पप्रभावित करते हैं.

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कवि पंडित नरेंद्र शर्मा

पंडित नरेंद्र शर्मा एक भारतीय कवि और गीतकार थे. वह हिंदी साहित्य में अपने योगदान के लिए विख्यात हैं. नरेंद्र शर्मा की रचनाएं भावपूर्ण और गहरे अर्थों से भरी हुई होती थीं. उन्होंने कविता, गीत और अन्य साहित्यिक रूपों में अपनी लेखनी का प्रयोग किया.

उन्हें खास तौर पर उनके द्वारा लिखित दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक “भारत एक खोज” के शीर्षक गीत के लिए भी जाना जाता है, जो जवाहरलाल नेहरू की पुस्तक “भारतीय इतिहास की खोज” पर आधारित था. उनका साहित्य और कविताएँ भारतीय संस्कृति और इतिहास की गहराइयों को छूती हैं.

पंडित नरेंद्र शर्मा का जीवन और उनका कार्य भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और उन्हें साहित्य प्रेमियों द्वारा बहुत सराहा जाता है.

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निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही

निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे. वे 1918 में उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जन्मे थे और उन्होंने भारतीय सिनेमा को कई यादगार फिल्मों का निर्माण किया. कमाल अमरोही विशेष रूप से अपनी फिल्म ‘पाकीज़ा’ के लिए जाने जाते हैं, जो एक म्यूजिकल रोमांस ड्रामा फिल्म थी और इसने भारतीय सिनेमा में क्लासिक की स्थिति प्राप्त की.

उनकी फिल्में अक्सर उनकी अद्वितीय कहानी कहने की शैली और दृश्य सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थीं. कमाल अमरोही ने न केवल निर्देशन में, बल्कि पटकथा लेखन और उत्पादन में भी अपनी छाप छोड़ी. उनकी अन्य प्रसिद्ध फिल्मों में ‘महल’ (1949), ‘दायरा’ (1953), और ‘रजिया सुल्तान’ (1983) शामिल हैं.

कमाल अमरोही की फिल्में आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में उनके योगदान के रूप में याद की जाती हैं. उनकी फिल्मों में उनके दृश्यात्मक और शैलीगत पहलुओं को खासतौर से सराहा जाता है.

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फ़िल्म निर्देशक रवि टंडन

फिल्म निर्देशक रवि टंडन भारतीय सिनेमा में एक जाना-माना नाम हैं. वे 1970 -80 के दशक के दौरान अधिक सक्रिय थे और उन्होंने कई प्रसिद्ध हिंदी फिल्में बनाईं. रवि टंडन ने विभिन्न शैलियों में फिल्में निर्देशित कीं, जिनमें रोमांस, ड्रामा, और थ्रिलर शामिल हैं.

उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में ‘खेल खेल में’ (1975), ‘अनहोनी’ (1973), और ‘मजबूर’ (1974) शामिल हैं. उनकी फिल्में अक्सर सामाजिक मुद्दों को उठाती थीं और दर्शकों के साथ गहरा संवाद स्थापित करती थीं. उनकी निर्देशन शैली ने उन्हें अपने समय के प्रमुख फिल्म निर्देशकों में एक स्थान दिलाया.

रवि टंडन का योगदान भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण है, और उनकी फिल्में आज भी उनके काम की गुणवत्ता और विविधता को दर्शाती हैं.

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