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व्यक्ति विशेष

भाग - 72.

साहित्यकार डॉ. नगेन्द्र

डॉ. नगेन्द्र एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार थे. उन्होंने आधुनिक हिन्दी की आलोचना को समृद्ध करने में अपना महत्‍वपूर्ण योगदान दिया था. डॉ. नगेन्द्र का जन्म 9 मार्च, 1915 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले में अतरौली नामक कस्बे में हुआ था. उनकी  निबन्ध लेखन की शैली में भावों एवं विचारों को अभिव्यक्ति प्रदान करने की अद्भुत क्षमता लक्षित होती है.

डॉ. नगेन्द्र भारतीय साहित्य अकादमी के प्रसिद्ध आलोचक और शिक्षाविद् हैं. उन्होंने हिंदी साहित्य, खासकर काव्यशास्त्र, आलोचना और नाट्यशास्त्र पर कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं. उनका काम हिंदी साहित्य की समझ में गहराई और स्पष्टता प्रदान करता है. डॉ. नगेन्द्र ने अनेक शोध पत्र और लेख लिखे हैं, और वे अपने विचारशील और गहन विश्लेषण के लिए प्रसिद्ध हैं.

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सोली जहांगीर सोराबजी

सोली जहांगीर सोराबजी एक भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल थे. सोली सोराबजी का जन्म 1930 में बॉम्बे में हुआ था.

सोली जहांगीर सोराबजी एक प्रसिद्ध भारतीय वकील और जुरिस्ट थे. वे भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में दो बार सेवा कर चुके हैं, पहली बार 1989 से 1990 तक और फिर 1998 से 2004 तक. सोराबजी को उनकी कानूनी विद्वता, मानवाधिकारों की रक्षा में उनकी प्रतिबद्धता और न्यायपालिका के स्वतंत्रता के लिए उनकी लड़ाई के लिए बहुत सम्मानित किया जाता है.

उन्हें भारत के संविधान और मानवाधिकार कानूनों पर उनकी विशेषज्ञता के लिए विशेष रूप से जाना जाता था. सोराबजी ने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण कानूनी मामलों में भाग लिया और भारत में कानून और न्याय के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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राजनीतिज्ञ कर्ण सिंह

कर्ण सिंह एक भारतीय राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं. उनका जन्म 9 मार्च, 1931 को फ्रांस में हुआ था. वे जम्मू और कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के बेटे हैं. कर्ण सिंह ने दून स्कूल, देहरादून से अपनी शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में एम.ए. किया और श्रीअरविन्द की राजनीतिक विचारधारा पर शोध प्रबंध लिखकर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.

कर्ण सिंह ने 1952 से 1965 तक जम्मू और कश्मीर राज्य के सदर-ए-रियासत के रूप में कार्य किया. 1967 में वे इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए और जम्मू और कश्मीर के उधमपुर संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. उन्होंने पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्रालय और शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय के रूप में कार्य किया. उन्होंने सामाजिक सेवा में भी योगदान दिया और अपनी सारी राशि हरि-तारा धर्मार्थ न्यास को दान कर दी.

कर्ण सिंह ने जम्मू-कश्मीर पर नेहरू की भूमिका पर एक विवादास्पद लेख लिखा, जिसने रपर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के वक्तव्यों पर गौर करने से उन्होंने कहा था कि नेहरू ने कश्मीर के भारत में विलय को टाला था. कर्ण सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने 26 अक्टूबर 1947 के लॉर्ड माउंटबेटन को लिखे गए पत्र की चर्चा की और बताया कि उस समय जम्मू-कश्मीर ने न तो भारत और न ही पाकिस्तान में विलय को मंजूरी दी थी. उनके इस लेख ने जम्मू-कश्मीर पर नेहरू की भूमिका को संदिग्ध बना दिया. इस लेख के प्रकाशन के बाद, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कर्ण सिंह की आलोचना की और बताया कि वे नेहरू के बिना वो सब हासिल नहीं कर सकते थे जो उन्होंने किया.

कर्ण सिंह का जीवन और राजनीतिक कैरियर विविध और घटनापूर्ण रहा है, जिसमें उन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं और समाज सेवा में भी योगदान दिया.

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बाल साहित्यकार हरिकृष्ण देवसरे

हरिकृष्ण देवसरे एक हिन्दी बाल साहित्यकार थे, जिनका जन्म 9 मार्च 1938 को मध्य प्रदेश के नागोद में हुआ था. उन्होंने बाल साहित्य में अपार योगदान दिया और 300 से अधिक पुस्तकें लिखीं. देवसरे की कृतियों में ‘डाकू का बेटा’, ‘आल्हा-ऊदल’, ‘महात्मा गांधी’, और ‘उड़ती तश्तरियाँ’ जैसी पुस्तकें शामिल हैं. उनकी संपादित कृतियाँ में ‘पराग’, ‘बाल साहित्य रचना और समीक्षा’ शामिल हैं. उन्हें बाल साहित्य भारती सम्मान, साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार, और कीर्ति सम्मान जैसे कई सम्मानों से नवाजा गया​​​​.

उनकी मुख्य कृतियाँ ‘बच्चों की 100 कहानियां’, ‘बच्चों के 100 नाटक’, और ‘भारतीय बाल कहानियां’ हैं, जो बाल साहित्य जगत में मील के पत्थर के रूप में जानी जाती हैं. उन्होंने विभिन्न विधाओं में काम किया और अपने समीक्षाओं और विज्ञान कथाओं के लिए जाने जाते थे. उनका बाल साहित्य के प्रति समर्पण और योगदान अद्वितीय था, जिसे साहित्य जगत ने सराहा​​.

हरिकृष्ण देवसरे की बाल साहित्य के क्षेत्र में उनकी अनूठी पहचान थी, और वे बाल साहित्य को एक महत्वपूर्ण और सम्मानित स्थान दिलाने के लिए जाने जाते थे. उनकी मृत्यु 14 नवंबर 2013 को हुई.

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तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर

तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व हैं. उनका जन्म 9 मार्च 1951 को हुआ था. वे तबले के महान वादक माने जाते हैं और उन्होंने विश्व भर में अपने अनूठे और अद्वितीय तबला वादन से प्रसिद्धि प्राप्त की है. उस्ताद ज़ाकिर हुसैन अल्ला रक्खा खान के पुत्र हैं, जो स्वयं एक महान तबला वादक थे.

उनका संगीत कैरियर बहुत ही युवा आयु में शुरू हुआ था और उन्होंने विभिन्न शैलियों में संगीतकारों के साथ सहयोग किया है. ज़ाकिर हुसैन ने जैज़, वर्ल्ड म्यूज़िक और अन्य विविध संगीत शैलियों में भी अपनी अनूठी छाप छोड़ी है. वे अपने अद्वितीय तबला वादन और उत्कृष्ट संगीत के लिए विश्व भर में प्रशंसित हैं.

उन्होंने कई पुरस्कार और सम्मान जीते हैं, जिसमें ग्रैमी पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण शामिल हैं. उनकी कला और संगीत में उनके योगदान को विश्व भर में मान्यता और सम्मान मिला है.

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राजनीतिज्ञ शशि थरूर

शशि थरूर एक भारतीय राजनीतिज्ञ, लेखक, और पूर्व अंतरराष्ट्रीय नौकरशाह हैं. वह इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य हैं और केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. थरूर अपनी वाकपटुता, शिक्षा, और लेखन क्षमता के लिए विख्यात हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं जो राजनीति, इतिहास, साहित्य, और संस्कृति पर केंद्रित हैं.

शशि थरूर का जन्म 9 मार्च 1956 को लंदन में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा भारत और विदेश में पूरी की और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में विशेषज्ञता हासिल की. थरूर संयुक्त राष्ट्र में विभिन्न उच्च स्तरीय पदों पर काम कर चुके हैं और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के पद के लिए भी दावेदार रहे हैं.

उनकी राजनीतिक यात्रा विभिन्न उतार-चढ़ाव से भरी हुई है. वे केंद्रीय मंत्री के रूप में भारतीय विदेश मंत्रालय में भी कार्य कर चुके हैं. थरूर को उनके विचारशील और सूचनाप्रद ट्वीट्स के लिए भी जाना जाता है, जिससे उन्होंने एक बड़ी सोशल मीडिया प्रसिद्धि हासिल की है.

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क्रिकेट खिलाड़ी पार्थिव पटेल

पार्थिव पटेल एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में खेला. वह गुजरात में जन्मे थे और उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर में कई यादगार प्रदर्शन किए हैं. पार्थिव पटेल ने बहुत कम उम्र में भारतीय टेस्ट टीम में अपनी जगह बनाई और उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में खेला था.

पार्थिव पटेल ने भारत के लिए टेस्ट, वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेला है. उनकी बल्लेबाजी की शैली बाएं हाथ की होती थी और वह एक प्रभावशाली विकेटकीपर भी थे. पार्थिव को उनके शांत स्वभाव और क्रिकेट मैदान पर उनकी लगन के लिए जाना जाता है. उन्होंने अपने कैरियर में कई अहम मैचों में अहम योगदान दिया है.

क्रिकेट से संन्यास के बाद, पार्थिव पटेल ने कमेंट्री और क्रिकेट से जुड़े अन्य कार्यक्रमों में भी अपनी भागीदारी दिखाई है. उनके अनुभव और क्रिकेट के प्रति उनकी समझ को देखते हुए, वह एक लोकप्रिय कमेंटेटर और विश्लेषक बन गए हैं.

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साहित्यकार हरिशंकर शर्मा

हरिशंकर शर्मा एक प्रसिद्ध भारतीय साहित्यकार थे जिन्होंने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे कवि, उपन्यासकार, नाटककार और आलोचक के रूप में जाने जाते थे. हरिशंकर शर्मा की रचनाएँ अक्सर समाजिक और राजनीतिक मुद्दों के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाती हैं. उनके काम में आम आदमी के जीवन के संघर्षों और खुशियों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ पेश किया गया है.

हरिशंकर शर्मा ने हिंदी साहित्य में विभिन्न विधाओं में काम किया और उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों और आलोचकों द्वारा सराही जाती हैं. उनकी रचनात्मकता और भाषाई कौशल ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की. हरिशंकर शर्मा का निधन 9 मार्च 1968 को हुआ था.

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हारमसजी पेरोशा मोदी

हारमसजी पेरोशा मोदी, जिन्हें सामान्यतः होमी मोदी के नाम से जाना जाता है, एक प्रख्यात पारसी व्यापारी और भारतीय प्रशासक थे. उनका जन्म 23 सितंबर 1881 को हुआ था और उनका निधन 9 मार्च 1969 को हुआ. हारमसजी मोदी ने अपनी शिक्षा बम्बई के सेंट जैवियर्स कॉलेज में पूरी की थी. उन्होंने अपना कैरियर मुंबई में एक वकील के रूप में शुरू किया और बाद में बंबई नगर निगम के अध्यक्ष बने.

उन्होंने 1920 में व्यापार में कदम रखा और कपड़ा मिल मालिकों के एसोसिएशन के सदस्य बने. वह 1927 में इसके अध्यक्ष बने और 1939 से 1959 तक टाटा समूह में निदेशक के रूप में काम किया. वे 1968 तक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के निदेशक रहे. हारमसजी मोदी 1929 से 1943 तक भारतीय विधानसभा के सदस्य रहे और 1948-1949 में संविधान सभा के सदस्य बने.

भारतीय स्वतंत्रता के बाद, हारमसजी मोदी को 1949-1952 के दौरान संयुक्त प्रांत के गवर्नर और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया. वे एक लेखक भी थे और उन्होंने ‘भारत के राजनीतिक भविष्य; कुछ विचार’, ‘फिरोजशाह मेहता’, और ‘समझदार की जीवनी’ जैसी पुस्तकें लिखीं.

1935 में उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य (KBE) के आदेश से नाइट कमांडर की उपाधि दी गई और 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध मे दौरान उनकी सेवाओं के लिए ग्रीस के राजा जॉर्ज द्वितीय ने उन्हें ग्रैंड कमांडर की उपाधि दी.

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निर्माता-निर्देशक के. आसिफ़

के. आसिफ़, एक प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म निर्माता और निर्देशक थे. उन्हें सबसे अधिक उनकी महाकाव्य हिन्दी फ़िल्म ‘मुगल-ए-आज़म’ के लिए जाना जाता है, जो 1960 में रिलीज़ हुई थी. यह फ़िल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है और यह उस समय की सबसे महंगी फ़िल्मों में से एक थी.’मुगल-ए-आज़म’ की कहानी मुगल शासक अकबर के बेटे प्रिंस सलीम और एक गरीब नर्तकी अनारकली की अमर प्रेम कहानी पर आधारित है.

के. आसिफ़ की फ़िल्म निर्माण शैली उनके विस्तृत सेट, भव्यता, विस्तारपूर्ण नृत्य दृश्यों, और गहन कहानीकारी के लिए जानी जाती थी. उनका काम आज भी भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ निर्माणों में से एक माना जाता है.

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अभिनेत्री देविका रानी

देविका रानी भारतीय सिनेमा की प्रथम अभिनेत्रियों में से एक थीं. वह 1930 के दशक में अपने कैरियर की शुरुआत करने के बाद से ही एक प्रतिष्ठित चेहरा बन गई थीं. देविका रानी को खास तौर पर फिल्म ‘अछूत कन्या’ (1936) के लिए याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी और जिसने उन्हें एक बड़ी स्टार के रूप में स्थापित किया था.

देविका रानी को उनके सूक्ष्म अभिनय, ग्रेस और बहुमुखी प्रतिभा के लिए सराहा गया था. वह राजा हरिश्चंद्र फेम हिमांशु राय की पत्नी भी थीं और उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर भारतीय सिनेमा को आधुनिक युग में ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. देविका रानी ने अपने कै रियर में कई फिल्मों में काम किया और भारतीय सिनेमा के विकास में एक महत्वपूर्ण आवाज़ बनी रहीं। उनके योगदान के लिए उन्हें भारतीय सिनेमा में उनकी अग्रणी भूमिका के लिए पद्म श्री और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार जैसे उच्च सम्मान से नवाजा गया.

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अभिनेता जॉय मुखर्जी

जॉय मुखर्जी एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता थे जो 1960 के दशक में हिंदी सिनेमा में सक्रिय थे. उनका जन्म 24 फरवरी 1939 को हुआ था और वे फिल्म निर्माता और निर्देशक शशधर मुखर्जी के बेटे थे. जॉय मुखर्जी ने अपने चार्मिंग लुक्स और रोमांटिक हीरो की छवि के साथ 1960 के दशक में युवा दिलों पर राज किया.

उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत 1960 में फिल्म “लव इन शिमला” से की थी, जिसमें उनकी प्रमुख भूमिका थी और फिल्म सफल रही थी. जॉय मुखर्जी को उनकी फिल्मों ‘फिर वही दिल लाया हूँ’, ‘शागिर्द’, ‘लव इन टोक्यो’, ‘जिद्दी’, ‘एक मुसाफिर एक हसीना’ आदि के लिए भी बहुत प्रसिद्धि मिली. उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए रोमांस और कॉमेडी की एक अनूठी शैली प्रस्तुत की और अपने समय के कई प्रसिद्ध अभिनेत्रियों के साथ काम किया.

जॉय मुखर्जी अपने समय के एक बेहद लोकप्रिय और सफल अभिनेता थे. उनकी फिल्में आज भी पुराने हिंदी फिल्म संगीत और रोमांटिक ड्रामा के शौकीन दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं.

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अभिनेता सतीश कौशिक

सतीश कौशिक एक भारतीय अभिनेता, निर्देशक, निर्माता, हास्य अभिनेता और पटकथा लेखक थे. वे विशेष रूप से हिंदी फिल्मों में अपने काम के लिए जाने जाते थे.

सतीश कौशिक का जन्म  13 अप्रैल 1956 को हुआ था और 9 मार्च 2023 को उनका निधन हो गया. सतीश कौशिक बॉलीवुड में अपनी सहायक भूमिका के लिए प्रसिद्ध थे, खासकर ‘मिस्टर इंडिया’ में कैलेंडर की भूमिका के लिए, जिसमें अनिल कपूर, श्रीदेवी और अमरीश पुरी ने भी अभिनय किया था. वे इस फिल्म के सहायक निर्देशक भी थे​.

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