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व्यक्ति विशेष

भाग - 70.

साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन

सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन, जिन्हें उनके उपनाम ‘अज्ञेय’ के लिए जाना जाता है, हिंदी साहित्य के एक प्रमुख आधुनिक कवि, उपन्यासकार, निबंधकार और संपादक थे. वे 20वीं सदी के मध्य के आसपास सक्रिय थे और उन्होंने हिंदी साहित्य में आधुनिकतावाद को प्रोत्साहित किया. सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन का जन्म 7 मार्च, 1911 को कुशीनगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था.

अज्ञेय ने कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध और आलोचना के क्षेत्र में बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. उनकी कविताएँ जीवन, प्रकृति, प्रेम, और मानवीय भावनाओं के विविध पहलुओं को छूती हैं. उनके उपन्यासों में ‘शेखर: एक जीवनी’, ‘नदी के द्वीप’, ‘अपने-अपने अजनबी’ जैसे कृतियां शामिल हैं जिनमें जीवन और समाज के विभिन्न पहलुओं का चित्रण किया गया है.

अज्ञेय को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया, जिसमें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी शामिल है. उनका काम हिंदी साहित्य में आधुनिकता के विकास में मील का पत्थर माना जाता है.

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क्रिकेट खिलाड़ी नरी कॉन्ट्रैक्टर

नरी कॉन्ट्रैक्टर एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं. उनका पूरा नाम नारिमन जमशेदजी कॉन्ट्रैक्टर है और उन्हें मुख्य रूप से बाएं हाथ के बल्लेबाज के रूप में जाने  जाते है. नरी कॉन्ट्रैक्टर ने 1950- 60 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेला था. वो  भारतीय टीम के कप्तान भी थे.

उनके क्रिकेट कैरियर का सबसे चर्चित और दुर्भाग्यपूर्ण क्षण तब आया जब 1962 में वेस्ट इंडीज दौरे पर, एक मैच के दौरान, चार्ली ग्रिफिथ की एक गेंद उनके सिर पर लगी और उन्हें गंभीर चोटें आईं. यह घटना उनके क्रिकेट कैरियर पर गहरा असर डाली. हालांकि, चोट से उबरने के बाद, कॉन्ट्रैक्टर ने फिर से क्रिकेट खेलना शुरू किया लेकिन उन्होंने फिर कभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी नहीं की.

नरी कॉन्ट्रैक्टर की बल्लेबाजी की शैली और कप्तानी के नेतृत्व क्षमता को क्रिकेट इतिहास में सराहा गया है. वह उस समय के बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक माने जाते थे.

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राजनीतिज्ञ ग़ुलाम नबी आज़ाद

ग़ुलाम नबी आज़ाद एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो भारतीय राजनीति में कई दशकों से सक्रिय हैं. वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य नहीं हैं; उन्होंने अपना अधिकतर राजनीतिक कैरियर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के साथ बिताया है. आज़ाद विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य कर चुके हैं, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री, शहरी विकास मंत्री और परिवहन मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्री के पद शामिल हैं.

आज़ाद कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में जन्मे थे और उनका राजनीतिक जीवन छात्र राजनीति से शुरू हुआ था. वे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक रहे हैं और कई बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने जम्मू और कश्मीर में भी राजनीतिक सेवाएं दी हैं, जहाँ वे राज्य के मुख्यमंत्री नहीं रहे हैं लेकिन उन्होंने वहां के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक योगदान दिया है.

अपने लंबे राजनीतिक कैरियर में, गुलाम नबी आज़ाद ने विविध सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर काम किया है, और वे भारतीय राजनीति में सम्मानित व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं.

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अभिनेता अनुपम खेर

अनुपम खेर एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा में अपने विविध और प्रतिभाशाली अभिनय से एक विशेष स्थान बनाया है. उन्होंने हिंदी फिल्मों में अपने कैरियर की शुरुआत 1980 के दशक में की और तब से वे 500 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. खेर को उनकी विविध भूमिकाओं के लिए जाना जाता है, जिसमें वह कॉमेडी से लेकर गंभीर ड्रामा तक, और नकारात्मक भूमिकाओं से लेकर सहायक किरदारों तक सभी प्रकार की भूमिकाएँ निभा चुके हैं.

अनुपम खेर को उनकी असाधारण अभिनय प्रतिभा के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और कई फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं. उन्हें “सारांश”, “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे”, “कुछ कुछ होता है”, और “स्पेशल 26” जैसी फिल्मों में उनकी यादगार भूमिकाओं के लिए व्यापक रूप से सराहना की गई है.

अनुपम खेर ने इंटरनेशनल फिल्मों में भी काम किया है और हॉलीवुड में भी उनकी उपस्थिति दर्ज की गई है, जिसमें “बेंड इट लाइक बेकहम”, “सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक” और “द बिग सिक” जैसी फिल्में शामिल हैं.

अभिनय के अलावा, खेर ने फिल्म निर्देशन में भी हाथ आजमाया है और एक सफल मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी पहचाने जाते हैं. वह एक शिक्षक भी रहे हैं और मुंबई में ‘अनुपम खेर एक्टिंग स्कूल’ के नाम से अपना एक अभिनय स्कूल चलाते हैं. अनुपम खेर सामाजिक मुद्दों पर अपनी सक्रिय राय के लिए भी जाने जाते हैं.

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पुरातत्त्ववेत्ता दयाराम साहनी

दयाराम साहनी एक प्रसिद्ध भारतीय पुरातत्त्ववेत्ता थे, जिन्होंने भारतीय पुरातत्त्व के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. वह खास तौर पर हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं. दयाराम साहनी ने 1921 में हड़प्पा की खुदाई की अगुवाई की थी, जो भारतीय पुरातत्त्व इतिहास में एक मील का पत्थर है. इस खुदाई के दौरान, उन्होंने हड़प्पा सभ्यता के कई महत्वपूर्ण अवशेषों की खोज की, जिससे हड़प्पा सभ्यता की वास्तविक प्रकृति और संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई.

दयाराम साहनी का काम हड़प्पा सभ्यता और उसके लोगों के जीवन, उनकी सामाजिक संरचना, आर्थिक गतिविधियों और कलात्मक अभिव्यक्तियों को समझने में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ. उनके काम ने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में पुरातत्ववेत्ताओं के लिए नए अध्यायों को खोला और इस क्षेत्र में नई खोजों का मार्ग प्रशस्त किया. उनके योगदान को भारतीय पुरातत्त्व शास्त्र में बहुत महत्व दिया जाता है और उन्हें इस क्षेत्र में एक अग्रणी माना जाता है.

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परमहंस योगानन्द

परमहंस योगानन्द, जिनका जन्म मुकुंद लाल घोष के नाम से 5 जनवरी 1893 को हुआ था, एक प्रसिद्ध भारतीय योगी और गुरु थे जिन्होंने पश्चिमी देशों में क्रिया योग की शिक्षाओं को फैलाया. वह आध्यात्मिक जगत में एक प्रमुख आकृति माने जाते हैं और उनकी सबसे लोकप्रिय पुस्तक “ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी” ने विश्वभर में लाखों लोगों को प्रेरित किया है.

योगानन्द ने 1920 के दशक में अमेरिका का दौरा किया और वहां सेल्फ-रियलाइजेशन फैलोशिप की स्थापना की, जो उनके शिक्षणों को फैलाने और लोगों को ध्यान और क्रिया योग के मार्ग पर मार्गदर्शन करने के लिए एक मंच बन गई. उनके द्वारा शिक्षित क्रिया योग, एक प्राचीन योगिक तकनीक है जो मानव चेतना को व्यक्तिगत आत्मा से परमात्मा से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करती है.

योगानन्द की शिक्षाएं मुख्य रूप से आत्म-साक्षात्कार, ध्यान, और सद्भावपूर्ण सार्वभौमिक धर्म की बात करती हैं. उन्होंने यह संदेश दिया कि सच्ची खुशी और शांति आंतरिक आत्म-खोज के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है, और इसे धार्मिक या सांसारिक बंधनों से मुक्त माना जाता है.

परमहंस योगानन्द का 7 मार्च 1952 को निधन हो गया, लेकिन उनकी शिक्षाएँ और आध्यात्मिक दर्शन आज भी उनके अनुयायियों और आध्यात्मिक खोजीयों के बीच जीवंत हैं.

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स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत

गोविंद बल्लभ पंत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी और भारतीय राजनीतिक नेता थे. उनका जन्म 10 सितंबर 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ था. पंत ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गांधीजी के अनुयायी के रूप में विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया.

पंत उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने और बाद में भारतीय गणराज्य के गृह मंत्री के रूप में भी कार्य किया. उन्हें उनके प्रशासनिक कौशल और जनता के प्रति समर्पण के लिए याद किया जाता है. गोविंद बल्लभ पंत ने भारतीय समाज में सुधारों की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने जाति प्रथा के उन्मूलन, शिक्षा के प्रसार और महिलाओं के अधिकारों के लिए काम किया.

गोविंद बल्लभ पंत को उनके योगदान के लिए भारतीय गणराज्य के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया. उनकी मृत्यु 7 मार्च 1961 को हुई. उनका जीवन और कार्य आज भी भारतीय राजनीति और समाज में प्रेरणादायक बने हुए हैं.

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संगीतकार रवि

रवि जिनका पूरा नाम रवि शंकर शर्मा था, एक प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार थे जो हिंदी फिल्म संगीत उद्योग में अपने अनोखे योगदान के लिए जाने जाते हैं. उनका जन्म 3 मार्च 1926 को दिल्ली में  हुआ था. रवि ने 1950- 60 के दशकों में अपने संगीत कैरियर की शुरुआत की और जल्द ही वे बॉलीवुड में एक मान्यताप्राप्त संगीतकार के रूप में उभरे.

रवि ने अपने संगीत में विविधता और गहराई लाई. उन्होंने कई सफल और यादगार फिल्मी गीतों की रचना की, जिसमें “छू लेने दो नाज़ुक होंठों को”, “बाबुल की दुआएँ लेती जा”, “तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी”, और “ऐ मेरे प्यारे वतन” जैसे गीत शामिल हैं. उनका संगीत अक्सर भावपूर्ण, मधुर और भावनात्मक रहा है, जिसने श्रोताओं के दिलों को छू लिया.

रवि ने न केवल हिंदी सिनेमा में बल्कि मलयालम सिनेमा में भी संगीत दिया. उन्हें मलयालम फिल्मों में अपने योगदान के लिए भी काफी सराहना मिली. रवि का संगीत समय के साथ पुराना नहीं पड़ा है और आज भी उनके गीत और धुनें लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. उनकी मृत्यु 7 मार्च 2012 को हुई, लेकिन उनका संगीत आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित है.

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