कवि रामनरेश त्रिपाठी
रामनरेश त्रिपाठी (1889-1962) एक प्रसिद्ध हिन्दी कवि और साहित्यकार थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर (कुशभवनपुर) जिले के कोइरीपुर गाँव में हुआ था. उनके पिता, पं॰ रामदत्त त्रिपाठी, एक धार्मिक और सदाचारी ब्राह्मण थे जो भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर रह चुके थे. त्रिपाठी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के प्राइमरी स्कूल में हुई, लेकिन वह हाईस्कूल की शिक्षा पूरी नहीं कर सके और अट्ठारह वर्ष की आयु में पिता से अनबन होने पर वो कलकत्ता चले गए.
त्रिपाठी की कविता में रुचि बचपन से ही थी. उन्होंने कविता, कहानी, नाटक, निबंध, आलोचना और लोकसाहित्य जैसे विविध विधाओं में लेखन कार्य किया. उनकी प्रमुख रचनाएँ “पथिक”, “मिलन”, “स्वप्न”, “मानसी”, “ग्राम्यगीत”, और “गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता” हैं. उन्होंने ‘स्वप्न’ पर हिंदुस्तान अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त किया. उनके काव्य में राष्ट्रीय भावों के उन्नायन की भावना मुखर है, जिसके कारण हिन्दी साहित्य में उनका एक विशेष स्थान है.
रामनरेश त्रिपाठी ने अपने लेखन द्वारा भारतीय साहित्य की बड़ी सेवा की और उनकी रचनाओं में प्रकृति प्रेम, भक्ति और देशप्रेम की त्रिवेणी प्रवाहित होती है. उन्हें अपनी कविताओं में चरित्र और प्रकृति चित्रण में असाधारण सफलता मिली है.
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दरबान सिंह नेगी
दरबान सिंह नेगी प्रथम विश्व युद्ध के एक भारतीय सैनिक थे, जिन्हें उनके अदम्य साहस के लिए ‘विक्टोरिया क्रॉस’ से सम्मानित किया गया था. दरबान सिंह नेगी का जन्म 4 मार्च, 1883 को गढ़वाल के करबारतीर गांव में हुआ था.
उन्होंने 1/39 गढ़वाल राइफल्स के नेतृत्व में 1914 में फ्रांस में जर्मनी के कब्जे वाले इलाके को मुक्त कराया था. ‘विक्टोरिया क्रॉस’ सम्मान मिलने के बाद जब अंग्रेजी प्रशासन ने दरबान सिंह नेगी से कुछ मांगने को कहा, तो उन्होंने गढ़वाल मंडल के कर्णप्रयाग में एक इंग्लिश मीडियम स्कूल की स्थापना करने और ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन बिछवाने की इच्छा जताई थी.
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साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु
फणीश्वरनाथ रेणु एक प्रमुख हिंदी साहित्यकार थे, जिन्हें मुख्य रूप से उनके अंचलिक उपन्यासों के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के अररिया जिले में हुआ था. उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास ‘मैला आँचल’ है, जो 1954 में प्रकाशित हुआ था. इस उपन्यास ने हिंदी साहित्य में अंचलिकता (क्षेत्रीयता) की एक नई धारा को जन्म दिया. तीसरी कसम पर इसी नाम से राजकपूर और वहीदा रहमान की मुख्य भूमिका में प्रसिद्ध फिल्म बनी जो हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर मानी जाती है.
रेणु की अन्य प्रमुख कृतियों में ‘परती परिकथा’, ‘ठुमरी’, और ‘जुलूस’ शामिल हैं. उनकी कहानियाँ और उपन्यास सामाजिक यथार्थवाद के साथ-साथ ग्रामीण जीवन और उसकी संस्कृति के चित्रण के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने अपने लेखन में गाँव के लोगों की भाषा, उनके रीति-रिवाजों, और समाजिक चेतना को बड़ी सहजता और सच्चाई के साथ प्रस्तुत किया है.
रेणु ने न केवल उपन्यास और कहानियाँ लिखीं, बल्कि उन्होंने निबंध, यात्रा वृत्तांत और नाटक भी लिखे. उनके लेखन में आम आदमी के जीवन की गहरी अंतर्दृष्टि और संवेदना देखने को मिलती है. फणीश्वरनाथ रेणु का निधन 11 अप्रैल 1977 को हुआ था. उनका कार्य हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और आज भी उनकी रचनाएँ बहुत से लोगों द्वारा पढ़ी और सराही जाती हैं.
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अभिनेत्री दीना पाठक
दीना पाठक एक भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिंदी और गुजराती रंगमंच, फिल्मों और टेलीविजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका जन्म 4 मार्च 1922 को अमरेली, गुजरात में हुआ था. दीना पाठक ने अपने लंबे कैरियर में कई यादगार भूमिकाएँ निभाईं और उन्हें उनकी अभिनय क्षमता और विविध चरित्रों के लिए बहुत प्रशंसा मिली.
उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत रंगमंच से की और बाद में फिल्मों में भी काम किया. दीना पाठक ने ‘कोशिश’, ‘बावर्ची’, ‘खूबसूरत’, और ‘गोलमाल’ जैसी कई प्रसिद्ध फिल्मों में काम किया. उनकी भूमिकाएं अक्सर मजबूत और चरित्रवान महिलाओं की रहीं, जिन्होंने समाज में अपनी एक विशिष्ट जगह बनाई.
दीना पाठक ने नाटकों में भी काफी काम किया और गुजराती थिएटर में उनकी बहुत अधिक प्रशंसा की गई. वह एक प्रशिक्षित और प्रतिभाशाली अभिनेत्री थीं, जिनकी अभिनय शैली में गहराई और विविधता थी. उन्होंने अपने जीवनकाल में कला के प्रति अपनी समर्पित भावना के लिए कई सम्मान प्राप्त किए. दीना पाठक का निधन 11 अक्टूबर 2002 को हुआ. उनकी बेटियां, रत्ना पाठक शाह और सुप्रिया पाठक, भी प्रसिद्ध अभिनेत्रियाँ हैं.
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अभिनेत्री कमलिनी मुखर्जी
कमलिनी मुखर्जी एक भारतीय अभिनेत्री हैं जो मुख्य रूप से तेलुगु फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं, हालांकि वह मलयालम, तमिल, हिंदी, बंगाली और कन्नड़ फिल्मों में भी दिखाई दी हैं.4 मार्च 1980 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में जन्मी, उन्होंने मुंबई में थिएटर वर्कशॉप पूरी करने से पहले अंग्रेजी साहित्य में डिग्री हासिल की. उनके अभिनय कैरियर की शुरुआत 2004 में हिंदी फिल्म “फिर मिलेंगे” से हुई, जो एड्स महामारी पर केंद्रित थी. उस वर्ष के अंत में, उन्होंने “आनंद” में अपनी तेलुगु फिल्म की शुरुआत की, जिसमें रूपा की भूमिका के लिए प्रशंसा अर्जित की और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नंदी पुरस्कार प्राप्त किया.
कमलिनी के कैरियर का विस्तार हुआ क्योंकि उन्होंने “गोदावरी” और “गम्यम” जैसी फिल्मों में उल्लेखनीय भूमिकाएँ निभाईं, जिसमें उनके प्रदर्शन ने विभिन्न पुरस्कारों के लिए नामांकन अर्जित किए. उन्होंने 2006 में कमल हसन के साथ “वेट्टाइयाडु विलैयाडु” में तमिल में अपनी शुरुआत की. मुखर्जी को उनके बहुमुखी अभिनय कौशल के लिए पहचाना गया है और विभिन्न भारतीय फिल्म उद्योगों में उल्लेखनीय परियोजनाओं में शामिल रहे हैं.
अभिनय के अलावा, कमलिनी सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल हैं, कॉर्ड इंडिया और वर्ल्ड विजन जैसे गैर-लाभकारी संगठनों का समर्थन करती हैं, जो बच्चों के कल्याण और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं. वह अपनी बहनों के साथ सौंदर्य ट्यूटोरियल वीडियो बनाने और कविता और पाक गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी जानी जाती हैं.
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टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना
रोहन बोपन्ना एक भारतीय पेशेवर टेनिस खिलाड़ी हैं.2002 से भारत की डेविस कप टीम के एक सदस्य रहे हैं. उन्होंने ग्रैंड स्लैम ख़िताब जीता और अपने कैरियर में 5 ATP मास्टर्स 1000 ख़िताब भी हासिल किए हैं. बोपन्ना दाएं हाथ के टेनिस खिलाड़ी हैं. उन्होंने 2012 और 2016 के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है.
बोपन्ना छोटे उम्र से टेनिस खेलते थे लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह एक व्यक्तिगत खेल पर ध्यान केंद्रित करें. बोपन्ना 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने टेनिस में अपना करियर बनाने का फ़ैसला किया लेकिन, रोहन बोपन्ना का एकल कैरियर कभी अच्छा नहीं रहा वहीँ, युगल वर्ग में उनके सितारे चमकते रहे.
उन्होंने 2024 ऑस्ट्रेलियन ओपन में अपना पहला मुख्य युगल खिताब जीता, जिससे वह 43 वर्ष की आयु में विश्व नंबर 1 बन गए, जो कि उम्र में पहली बार नंबर 1 बनने के लिए सबसे अधिक उम्र के खिलाड़ी हैं. बोपन्ना ने इस खिताब को मैथ्यू एबडेन के साथ मिलकर जीता. वह अब तक 24 एटीपी युगल खिताब जीत चुके हैं. उनके प्रमुख साझेदारों में एटीपी टूर पर पाकिस्तान के ऐसाम-उल-हक कुरेशी के साथ उनकी जोड़ी शामिल है. इसके अलावा, बोपन्ना को 2024 में पद्म पुरस्कार के लिए नामित किया गया है.
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अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रमोद काले
प्रमोद काले भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रारंभिक दिनों में शामिल थे और उन्होंने भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट के विकास और लॉन्चिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
प्रमोद काले ने अपनी उच्च शिक्षा भौतिकी में की और उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल की. उनके काम ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और उपग्रह प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने में मदद की. उनके नेतृत्व में, भारत ने अपने पहले वैज्ञानिक उपग्रह आर्यभट्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था.
उनके काम ने भारत के अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उन्नति की नींव रखी. प्रमोद काले की प्रेरणादायक योगदान ने अन्य वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को भी प्रेरित किया है और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाई है.
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बैडमिंटन खिलाड़ी गायत्री गोपीचंद
गायत्री गोपीचंद एक भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. गायत्री गोपीचंद का जन्म 4 मार्च 2003 को हैदराबाद, तेलंगाना में हुआ था. वह विशेष रूप से पूर्व भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद और पी.वी.वी. की बेटी के रूप में पहचानी जाती हैं. लक्ष्मी, जो अपने बैडमिंटन कैरियर में प्रभावशाली रही हैं।. छोटी उम्र से ही, उन्होंने अपने माता-पिता के अधीन बैडमिंटन में प्रशिक्षण शुरू किया और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में सक्रिय रूप से भाग लेती रही हैं.
गायत्री ने अपने कैरियर में काफी प्रगति की है. वह उस राष्ट्रीय टीम का हिस्सा थीं जिसने 2019 दक्षिण एशियाई खेलों में महिला टीम को स्वर्ण पदक दिलाया और उसी स्पर्धा में महिला एकल में रजत पदक हासिल किया. इसके अतिरिक्त, उन्होंने बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर और बीडब्ल्यूएफ इंटरनेशनल चैलेंज/सीरीज़ में सराहनीय प्रदर्शन किया है.2022 राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने अपनी जोड़ीदार ट्रीसा जॉली के साथ महिला युगल में कांस्य पदक जीता. दोनों ने 2021 में ओडिशा ओपन और इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज में भी स्वर्ण पदक जीता.
बैडमिंटन में गायत्री की यात्रा एकल से युगल में उनके संक्रमण से चिह्नित है, जहां उन्हें ट्रीसा जॉली के साथ साझेदारी में काफी सफलता मिली. वे एक सशक्त टीम रही हैं, जिन्होंने विभिन्न प्लेटफार्मों पर भारतीय बैडमिंटन में योगदान दिया है. अपने कैरियर की शुरुआत में भाई-भतीजावाद के आरोपों का सामना करने के बावजूद, गायत्री ने बैडमिंटन कोर्ट पर अपनी काबिलियत साबित करना जारी रखा है.
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क्रांतिकारी लाला हरदयाल
लाला हरदयाल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे. उनका जन्म 14 अक्टूबर 1884 को दिल्ली में हुआ था. वे एक विचारक, शिक्षाविद् और लेखक भी थे. लाला हरदयाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में पूरी की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड चले गए. हालांकि, उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपने विरोधी दृष्टिकोण के कारण वहां से डिग्री पूरी नहीं की.
लाला हरदयाल ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीयों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने सन् 1913 में अमेरिका में गदर पार्टी की स्थापना की, जो एक भारतीय राष्ट्रवादी संगठन था जिसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था. उनका मानना था कि भारतीयों को अपने देश की स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र क्रांति का सहारा लेना चाहिए.
लाला हरदयाल के विचार और लेखन ने भारत में कई युवाओं को प्रेरित किया. उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा विदेश में बिताया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय स्वतंत्रता के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की. उन्होंने भारतीयों को शिक्षित करने और उन्हें साम्राज्यवाद के खिलाफ जागरूक करने के लिए कई पुस्तकें और लेख लिखे.
लाला हरदयाल की विरासत आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में याद की जाती है. उनके जीवन और कार्यों ने भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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वैज्ञानिक अजीत राम वर्मा
अजीत राम वर्मा भारतीय वैज्ञानिक थे जिनकी मुख्य रुचि क्षेत्र ठोस अवस्था भौतिकी और विशेष रूप से क्रिस्टलोग्राफी में थी. उन्होंने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध किया और उनके काम ने ठोस अवस्था भौतिकी के अध्ययन में बहुत योगदान दिया. उनके शोध में अक्सर क्रिस्टल संरचना, डिफेक्ट्स और फेज़ ट्रांसफॉर्मेशन्स पर फोकस किया गया था.
अजीत राम वर्मा ने भारत में विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके शोध कार्यों और प्रकाशनों ने विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में युवा वैज्ञानिकों और छात्रों को प्रेरित किया.
अजीत राम वर्मा के विशेष योगदानों को उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र में मान्यता प्रदान की गई है, और उन्हें उनके शोध कार्यों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं. उनका काम आज भी ठोस अवस्था भौतिकी के क्षेत्र में शोध करने वाले वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण है. अजीत राम वर्मा का निधन 04 मार्च 2009 को हुआ था.
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राजनीतिज्ञ अर्जुन सिंह
अर्जुन सिंह एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने विभिन्न शासकीय और पार्टी पदों पर कार्य किया. वे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सदस्य थे और भारतीय राजनीति में उनका गहरा प्रभाव था.
अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में भी सेवा की और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में मंत्री के रूप में कार्य किया. वे विशेष रूप से शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के लिए जाने जाते हैं, जहाँ उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए.
अर्जुन सिंह का राजनीतिक जीवन कई विवादों से भरा था, लेकिन उनके नेतृत्व की क्षमता और प्रशासनिक दक्षता की वजह से वे अपने समर्थकों के बीच काफी लोकप्रिय थे. उनके निधन के बाद, उनके योगदान को भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण पदचिह्न के रूप में माना जाता है.
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राजनीतिज्ञ पी. ए. संगमा
पी. ए. संगमा, जिनका पूरा नाम पुर्णो अगितोक संगमा है, भारतीय राजनीति के एक अनुभवी नेता थे. वे मेघालय से थे और भारतीय राजनीति में उत्तर पूर्वी राज्यों के प्रतिनिधित्व के लिए महत्वपूर्ण थे.
संगमा ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी और बाद में वे मेघालय के राजनीतिक दृश्य में सक्रिय हो गए. उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें मेघालय के मुख्यमंत्री का पद भी शामिल है.
संगमा केंद्रीय सरकार में भी कई महत्वपूर्ण मंत्री पदों पर रहे और विशेष रूप से उन्हें उनके लोक सभा अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल के लिए जाना जाता है. उनके अध्यक्ष कार्यकाल में, उन्होंने संसदीय प्रक्रियाओं और नियमों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
पी. ए. संगमा भारतीय राजनीतिक जीवन में एक विशिष्ट और प्रभावशाली व्यक्तित्व थे, जिनके योगदान को उनके निधन के बाद भी याद किया जाता है. उनका निधन 4 मार्च 2016 को हुआ था. उन्होंने भारतीय राजनीति में उत्तर पूर्वी राज्यों की आवाज को मजबूत किया और राष्ट्रीय राजनीति में उनके प्रभाव को सराहा जाता है.