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व्यक्ति विशेष

भाग - 63.

मोरारजी देसाई

मोरारजी देसाई भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अग्रणी स्वाधीनता सेनानी थे. मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात के भडेली गाँव में हुआ था. वे भारतीय जनता के बीच अपनी नैतिकता और सादगी के लिए विख्यात थे.

मोरारजी देसाई ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पद संभाले. वे भारत के चौथे प्रधानमंत्री थे. और उन्होंने 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक इस पद पर कार्य किया. उन्होंने वित्त मंत्री, उप प्रधानमंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएँ दीं.

स्वाधीनता संग्राम के दौरान, मोरारजी देसाई ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया और कई बार जेल गए. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित किया. उनकी राजनीतिक दृष्टि और साहस ने उन्हें भारतीय जनता के बीच एक आदर्श नेता के रूप में स्थापित किया.

मोरारजी देसाई ने अपने जीवन में कई उपलब्धियाँ हासिल कीं और उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया, जो कि भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. उनका निधन 10 अप्रैल 1995 को हुआ.

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नृत्यांगना रुक्मिणी देवी अरुंडेल

रुक्मिणी देवी अरुंडेल एक प्रसिद्ध भारतीय नृत्यांगना, कोरियोग्राफर और नृत्य शिक्षिका थीं. वे भारतीय कलात्मक और सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में जानी जाती हैं. उनका जन्म 29 फ़रवरी 1904 को मदुरै, तमिलनाडु में हुआ था.

रुक्मिणी देवी ने भरतनाट्यम को एक नई पहचान और गरिमा प्रदान की. उस समय भरतनाट्यम को नीच समझा जाता था और यह मुख्यतः मंदिरों की देवदासियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता था. लेकिन रुक्मिणी देवी ने इस नृत्य शैली को एक नई ऊँचाई दी और उसे अधिक सम्मानजनक और स्वीकार्य बनाया.

उन्होंने 1936 में कलाक्षेत्र फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक नृत्य, संगीत और दृश्य कलाओं का एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान बन गया. कलाक्षेत्र में भारतीय कलाओं की पारंपरिक शैलियों को संरक्षित और प्रोत्साहित किया जाता है.

रुक्मिणी देवी ने न केवल भारतीय नृत्य को वैश्विक मानचित्र पर स्थान दिलाया, बल्कि उन्होंने पशु कल्याण के लिए भी बहुत काम किया। वे भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की संस्थापक सदस्य थीं और पशुओं के अधिकारों के लिए लड़ी.

रुक्मिणी देवी की मृत्यु 24 फ़रवरी 1986 को हुई थी, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है. उन्होंने भारतीय कला और संस्कृति को एक नई पहचान दी और उसे विश्व स्तर पर प्रशंसित कराया.

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गणितज्ञ सी. एस. शेषाद्री

सी. एस. शेषाद्री (कांजिवरम श्रीरंगचारी शेषाद्रि) एक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे, जिन्होंने मुख्य रूप से ज्यामितीय अलजेब्रा, अलजेब्राइक ज्योमेट्री और टॉपोलॉजी के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका जन्म 29 फरवरी 1932 को कुड्डालोर, तमिलनाडु में हुआ था.

शेषाद्री विशेष रूप से ‘शेषाद्री कॉन्स्टेंट्स’ के लिए जाने जाते हैं, जो अलजेब्राइक ज्योमेट्री में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है और जो दिखाती है कि कैसे विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों और संरचनाओं को मापा जा सकता है. उन्होंने वेक्टर बंडलों के अध्ययन में भी गहरा योगदान दिया, जो गणितीय भौतिकी और कई अन्य विज्ञान क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं.

शेषाद्री ने अपनी शिक्षा मद्रास विश्वविद्यालय से प्राप्त की और बाद में उन्होंने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR), मुंबई में काम किया. उन्होंने चेन्नई में मैथमेटिकल साइंसेज इंस्टिट्यूट की स्थापना में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो गणितीय अनुसंधान में भारत के प्रमुख संस्थानों में से एक है.

उनके शोध कार्य ने उन्हें विश्वव्यापी पहचान दिलाई और उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान मिले. उनके योगदान ने न केवल गणित के क्षेत्र में नई दिशाएँ प्रदान कीं, बल्कि युवा गणितज्ञों को भी प्रेरित किया.

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