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व्यक्ति विशेष

भाग - 62.

लेखक एवं सम्पादक पंडित नरेंद्र शर्मा

पंडित नरेंद्र शर्मा एक प्रसिद्ध भारतीय लेखक और संपादक थे. वे हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व माने जाते हैं. पंडित नरेंद्र शर्मा का जन्म 28 फरवरी, 1913 को हुआ था और उनका निधन 12 फरवरी, 1989 को हुआ था. उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कविताएँ, नाटक, उपन्यास और लेख लिखे।

पंडित नरेंद्र शर्मा को उनकी कविता संग्रह ‘प्रभात के गीत’ के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. उन्होंने आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) के लिए भी काम किया और वहां के कार्यक्रमों में अपना योगदान दिया। पंडित नरेंद्र शर्मा की लेखनी में भारतीय संस्कृति, दर्शन और इतिहास की गहरी झलक मिलती है.

उनके काम ने हिंदी साहित्य में एक अमिट छाप छोड़ी है, और आज भी उनकी रचनाएँ पाठकों और साहित्य प्रेमियों द्वारा पढ़ी और सराही जाती हैं.

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भूतपूर्व उपराष्ट्रपति कृष्णकान्त

कृष्णकांत एक भारतीय राजनेता थे जिन्होंने भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा की. उनका पूरा नाम कृष्णकांत उन्नीकृष्णन था और वे 1997 से 2002 तक इस पद पर आसीन थे. कृष्णकांत का जन्म 28 फरवरी, 1929 को हुआ था और उनका निधन 27 जुलाई, 2002 को हुआ था.

कृष्णकांत ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत इंडियन नेशनल कांग्रेस से की थी और वे कई बार सांसद भी रहे. वे भारतीय राजनीति में एक सम्मानित व्यक्तित्व थे और उन्हें विशेष रूप से उनके विनम्र स्वभाव और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता था.

कृष्णकांत ने भारतीय राजनीति में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और उन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके उपराष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, वे राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य करते थे, जो उपराष्ट्रपति का एक पारंपरिक कार्य है. उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें उनकी सेवाओं और योगदानों के लिए व्यापक रूप से श्रद्धांजलि दी गई.

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संगीतकार और गायक रवीन्द्र जैन

रवींद्र जैन एक संगीतकार, गीतकार और गायक थे. उनका जन्म 28 फरवरी, 1944 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था. रवींद्र जैन जन्म से ही दृष्टिहीन थे, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी को अपने संगीत कैरियर में बाधा नहीं बनने दिया। वे भारतीय संगीत जगत में एक अद्वितीय और प्रेरणादायक व्यक्तित्व माने जाते हैं.

रवींद्र जैन का संगीत कैरियर 1970 के दशक में शुरू हुआ और उन्होंने हिंदी फिल्म संगीत और भक्ति संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई प्रसिद्ध फिल्मों जैसे कि ‘चितचोर’, ‘गीत गाता चल’, ‘अंखियों के झरोखों से’, और ‘नदिया के पार’ में अपने संगीत से जादू बिखेरा। उनके संगीत में एक विशिष्ट शैली और मिठास थी, जो उन्हें उनके समकालीनों से अलग करती थी.

रवींद्र जैन ने टेलीविजन के लिए भी कई सफल संगीत रचनाएँ कीं, जिनमें ‘रामायण’ और ‘श्रीकृष्ण’ जैसे धारावाहिक शामिल हैं. उनके भजन और आध्यात्मिक गीत भी बहुत लोकप्रिय हुए.

रवींद्र जैन को उनके उत्कृष्ट संगीत के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें फिल्मफेयर पुरस्कार और नेशनल फिल्म अवार्ड भी शामिल हैं. उनका निधन 9 अक्टूबर, 2015 को हुआ, लेकिन उनका संगीत आज भी उनके प्रशंसकों के दिलों में जीवित है.

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राजनीतिज्ञ दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सदस्य हैं. वे मध्य प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख आकृति हैं और राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में दो बार सेवा कर चुके हैं. उनका पूरा नाम दिग्विजय सिंह है, और वे राजनीति में अपने लंबे कैरियर के लिए जाने जाते हैं.

दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी, 1947 को हुआ था. उन्होंने 1993 से 2003 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दस वर्षों तक सेवा की. उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन किए, लेकिन उनकी सरकार की कुछ नीतियों को लेकर विवाद भी हुए.

दिग्विजय सिंह अपने बयानों और राजनीतिक स्थिति के लिए भी जाने जाते हैं. वे सामाजिक न्याय, गरीबी उन्मूलन और शासन में पारदर्शिता के समर्थक हैं. वे राजनीतिक वार्ता में सक्रिय रहते हैं और अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक नीतियों और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं.

दिग्विजय सिंह भारतीय राजनीति में एक अनुभवी और प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में माने जाते हैं, और उनका योगदान राजनीतिक चर्चाओं और विश्लेषणों में अक्सर सामने आता है.

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राजनीतिज्ञ विजय बहुगुणा

विजय बहुगुणा एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो उत्तराखंड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने 13 मार्च 2012 से 31 जनवरी 2014 तक इस पद पर कार्य किया. विजय बहुगुणा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य थे जब वे मुख्यमंत्री बने थे, हालांकि, बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए.

विजय बहुगुणा का जन्म 28 फरवरी 1947 को हुआ था. वह हेमवती नंदन बहुगुणा के पुत्र हैं, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे. विजय बहुगुणा ने अपना कैरियर एक वकील के रूप में शुरू किया था और बाद में राजनीति में आए.

उनके मुख्यमंत्री काल के दौरान, उत्तराखंड ने कई विकासात्मक चुनौतियों का सामना किया, खासकर 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के समय, जब राज्य में भयंकर बाढ़ और भूस्खलन हुआ था. इस आपदा के प्रबंधन को लेकर उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था.

विजय बहुगुणा का राजनीतिक कैरियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, और उनके निर्णयों और नेतृत्व की शैली ने उन्हें विभिन्न राजनीतिक विचारों और समीक्षाओं का केंद्र बनाया है.

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राणा उदयसिंह

राणा उदयसिंह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे, वे मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के राजा थे. उनका जन्म लगभग 1522 में हुआ था और उन्होंने 1537 से 1572 तक मेवाड़ पर शासन किया. वे महाराणा प्रताप के पिता थे, जो अपनी वीरता और मुगल साम्राज्य के खिलाफ अपने अडिग प्रतिरोध के लिए प्रसिद्ध हैं.

राणा उदयसिंह का शासनकाल मुगल सम्राट अकबर के उदय के समय के साथ मेल खाता है. उनके शासनकाल के दौरान, मेवाड़ को कई मुगल आक्रमणों का सामना करना पड़ा. उदयसिंह ने मेवाड़ की रक्षा के लिए विभिन्न युद्धों में नेतृत्व किया, लेकिन मुगल सेनाओं के बढ़ते दबाव के कारण उन्हें कई बार अपनी राजधानी बदलनी पड़ी.

राणा उदयसिंह ने अपनी नई राजधानी उदयपुर की स्थापना की, जो एक खूबसूरत झीलों के शहर के रूप में प्रसिद्ध है. उदयपुर आज भी अपनी राजसी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है. राणा उदयसिंह का योगदान मेवाड़ के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है, और उनकी विरासत उनके पुत्र महाराणा प्रताप के बहादुरी भरे कार्यों में भी देखी जा सकती है.

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प्रथम राष्ट्रपति  डॉ. राजेंद्र प्रसाद

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे. उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई में हुआ था. डॉ. प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. वह बिहार के लिए सत्याग्रह आंदोलन के नेता थे और उन्होंने 1917 में चंपारण सत्याग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

उन्हें भारतीय संविधान सभा का पहला अध्यक्ष भी चुना गया था. जब भारत 1950 में गणराज्य बना, तब डॉ. प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. उन्होंने 1950 – 62 तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, जो अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है. उनकी प्रेसिडेंसी के दौरान, उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति, शिक्षा और सामाजिक सुधारों पर बहुत जोर दिया. डॉ. प्रसाद अपनी विनम्रता, समर्पण और नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते थे. उनका निधन 28 फरवरी 1963 को हुआ था.

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कमला नेहरू

कमला नेहरू एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं और पंडित जवाहरलाल नेहरू, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, की पत्नी थीं. उनका जन्म 1 अगस्त 1899 को आज के उत्तर प्रदेश में हुआ था. कमला नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और महिलाओं के अधिकारों और उनकी आजादी के लिए काम किया.

वह विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण और उनकी शिक्षा की पक्षधर थीं. कमला नेहरू ने महिलाओं को राजनीतिक गतिविधियों और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कई आंदोलनों और अभियानों में भाग लिया, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न प्रदर्शन और सत्याग्रह शामिल थे.

कमला नेहरू का स्वास्थ्य हमेशा कमजोर रहा और उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में कई बीमारियों का सामना किया. उनकी मृत्यु 28 फरवरी 1936 को ट्यूबरकुलोसिस से हुई. उनकी मृत्यु के बाद, कमला नेहरू की याद में भारत में कई संस्थान और अस्पताल खोले गए. उनकी विरासत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और महिला अधिकारों के लिए उनके योगदान में जीवित है.

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जयेन्द्र सरस्वती

जयेन्द्र सरस्वती जिन्हें श्रीजयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य स्वामिगल के नाम से भी जाना जाता है, कांची कामकोटि पीठम के 69वें शंकराचार्य थे. उनका जन्म 18 जुलाई 1935 को तमिलनाडु के थिरुवनैकवल में हुआ था. वे धार्मिक और आध्यात्मिक नेता के रूप में बहुत सम्मानित थे और उनके अनुयायी उन्हें बहुत आदर और भक्ति के साथ देखते थे.

जयेन्द्र सरस्वती ने विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक पहलों का नेतृत्व किया. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और जल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में समुदायों की सहायता के लिए कई परियोजनाएँ चलाईं. उनके नेतृत्व में, कांची कामकोटि पीठम ने विभिन्न सामाजिक सेवा कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया.

उनका निधन 28 फरवरी 2018 को हुआ. उनके निधन के साथ, धार्मिक और आध्यात्मिक जगत ने एक प्रमुख व्यक्तित्व खो दिया. जयेन्द्र सरस्वती की विरासत उनके अनुयायियों और शिष्यों द्वारा आज भी याद की जाती है, और उनके धार्मिक और सामाजिक योगदान को बहुत सम्मानित किया जाता है.

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