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व्यक्ति विशेष

भाग - 61.

स्वतंत्रता सेनानी विजय सिंह पथिक

विजय सिंह पथिक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख सेनानी थे. उनका असली नाम भूप सिंह था और वे राजस्थान के बीकानेर राज्य में पैदा हुए थे. विजय सिंह पथिक ने ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह करने और भारतीय जनता को उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

विजय सिंह पथिक ने खास तौर पर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अपनी गतिविधियों के जरिए प्रसिद्धि प्राप्त की. उन्होंने बीकानेर और अन्य क्षेत्रों में किसानों के अधिकारों के लिए आंदोलन किया और ब्रिटिश जमींदारी प्रथा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किये. विजय सिंह पथिक की लीडरशिप में कई महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिसमें बीकानेर किसान संघर्ष और नीमराणा का आंदोलन शामिल हैं.

उनके समर्पण और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया. विजय सिंह पथिक का योगदान आज भी भारतीय इतिहास में याद किया जाता है और उन्हें एक प्रेरणादायक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मानित किया जाता है.

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भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्यामा चरण शुक्ल

श्यामा चरण शुक्ल भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे, जिन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. उनका कार्यकाल विकास और सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है. शुक्ल एक कुशल प्रशासक और एक दूरदर्शी नेता के रूप में उल्लेखनीय थे, जिन्होंने अपने राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियां और परियोजनाएँ शुरू कीं.

श्यामा चरण शुक्ल ने विभिन्न समयावधियों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और उनके नेतृत्व में राज्य ने कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की. वे विशेष रूप से अपने जल संसाधन विकास परियोजनाओं के लिए जाने जाते थे, जिन्होंने राज्य में सिंचाई सुविधाओं को मजबूत किया और कृषि उत्पादन में सुधार किया.

उनकी राजनीतिक यात्रा और नीतिगत निर्णयों ने उन्हें मध्य प्रदेश में एक लोकप्रिय और सम्मानित नेता के रूप में स्थापित किया. शुक्ल का राजनीतिक करियर उनके नेतृत्व, प्रतिबद्धता और राज्य के विकास के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है. वे आज भी मध्य प्रदेश के इतिहास में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में याद किए जाते हैं.

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बी. एस. येदयुरप्पा

बी. एस. येदियुरप्पा, जिनका पूरा नाम बुक्कनकेरे सिद्दलिंगप्पा येदियुरप्पा है, कर्नाटक राज्य के एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व हैं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक वरिष्ठ नेता हैं. उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कई कार्यकालों में सेवा की है, और उनका कार्यकाल उनकी पार्टी के लिए राज्य में एक मजबूत आधार बनाने और विकासात्मक परियोजनाओं की पहल करने के लिए जाना जाता है.

येदियुरप्पा ने कर्नाटक में BJP के उदय और स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे पहली बार 2007 में मुख्यमंत्री बने, हालांकि उनका पहला कार्यकाल बहुत छोटा था. उसके बाद, वे 2008 में फिर से मुख्यमंत्री बने, जब BJP ने कर्नाटक में पहली बार बहुमत हासिल किया था. उनका यह कार्यकाल विकासात्मक परियोजनाओं और नीतिगत पहलों के लिए उल्लेखनीय था, लेकिन विवादों और आरोपों के कारण उन्हें 2011 में पद छोड़ना पड़ा.

येदियुरप्पा ने 2018 में एक बार फिर से मुख्यमंत्री का पद संभाला, लेकिन उस समय उनकी सरकार बहुमत साबित करने में असफल रही और केवल कुछ दिनों के लिए ही सत्ता में रही. 2019 में, उन्होंने एक बार फिर से कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जब कुछ विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद विधानसभा में उनकी पार्टी को बहुमत मिल गया था.

येदियुरप्पा का राजनीतिक कैरियर उपलब्धियों और चुनौतियों से भरा हुआ है, और उन्होंने कर्नाटक के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं. उनकी नेतृत्व क्षमता और विकासोन्मुखी नीतियों ने उन्हें कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में एक प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया है.

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फ़िल्मकार प्रकाश झा

प्रकाश झा एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्मकार, निर्देशक, और निर्माता हैं, जिन्होंने समाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों के माध्यम से भारतीय सिनेमा में एक खास पहचान बनाई है. उनकी फिल्में अक्सर राजनीति, भ्रष्टाचार, अपराध, और सामाजिक न्याय जैसे विषयों को छूती हैं, और उन्होंने अपने निर्देशन में इन मुद्दों को बहुत ही सजीव और प्रभावशाली तरीके से पेश किया है.

प्रकाश झा की कुछ सबसे चर्चित फिल्मों में “गंगाजल” (2003), “अपहरण” (2005), “राजनीति” (2010), और “आरक्षण” (2011) शामिल हैं. इन फिल्मों में, उन्होंने भारतीय समाज के विविध पहलुओं को बहुत ही सटीक और गहराई से दर्शाया है. उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं बल्कि दर्शकों को सोचने पर भी मजबूर करती हैं.

प्रकाश झा ने अपने कैरियर की शुरुआत डॉक्यूमेंट्री फिल्मों से की थी और धीरे-धीरे फीचर फिल्म निर्देशन की ओर बढ़े. उनकी फिल्मों को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. उनका निर्देशन और निर्माण शैली उन्हें भारतीय सिनेमा में एक अनूठी पहचान देती है. प्रकाश झा अपने विषय चयन और प्रस्तुतिकरण के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं, जिससे वे भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित फिल्मकारों में से एक बने हैं.

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स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद

चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी नेताओं में से एक थे. उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के भाभरा गाँव में हुआ था. वे ब्रिटिश राज के खिलाफ भारत की स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष के समर्थक थे और हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA), जो बाद में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) में परिवर्तित हुआ, के प्रमुख सदस्यों में से एक थे.

चंद्रशेखर आज़ाद ने कई गुप्त और साहसिक क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया. उन्होंने काकोरी ट्रेन डकैती (1925), असेंबली बम कांड (1929) जैसी प्रमुख घटनाओं में योगदान दिया. आज़ाद अपने आदर्श और दृढ़ संकल्प के लिए जाने जाते थे, और उन्होंने स्वयं को ‘आज़ाद’ नाम दिया था, जिसका मतलब है ‘स्वतंत्र’. वे कभी भी ब्रिटिश पुलिस के हाथों नहीं आए और हमेशा अपनी शर्तों पर जीने की कसम खाई थी.

27 फरवरी 1931 को, इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क (अब चंद्रशेखर आज़ाद पार्क) में, जब ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें घेर लिया, तो उन्होंने खुद को गोली मार ली, ताकि वे ब्रिटिश पुलिस के हाथों में न आ सकें. उनकी मृत्यु ने भारतीय युवाओं को और अधिक प्रेरित किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अमर हो गया. चंद्रशेखर आज़ाद आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक आदर्श और प्रेरणास्रोत के रूप में याद किए जाते हैं.

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स्वतंत्रता सेनानी गणेश वासुदेव मावलंकर

गणेश वासुदेव मावलंकर, जिन्हें आदर से ‘दादा साहेब’ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे, लेकिन उनकी प्रमुख पहचान भारतीय संसदीय जीवन में उनके योगदान से है. उनका जन्म 27 नवंबर 1888 को हुआ था और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था, लेकिन उनकी मुख्य ख्याति भारतीय संविधान सभा और बाद में लोकसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में है.

भारतीय संविधान सभा में उनकी भूमिका और बाद में 1952 में जब भारत की पहली लोकसभा का गठन हुआ, तब उन्हें इसका पहला अध्यक्ष चुना गया. उनके नेतृत्व में लोकसभा ने भारतीय लोकतंत्र की मजबूत नींव रखी. उनके कार्यकाल में, उन्होंने सदन की कार्यवाही को निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए कई प्रावधानों और नियमों को स्थापित किया.

दादा साहेब मावलंकर ने न केवल भारतीय संसदीय प्रणाली के विकास में अपना योगदान दिया, बल्कि वे समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय थे. उनका निधन 27 फरवरी 1956 को हुआ. उनकी मृत्यु के बाद, उनके नाम पर कई संस्थानों और पुरस्कारों की स्थापना की गई है, जो उनके द्वारा दी गई सेवाओं को सम्मानित करते हैं. गणेश वासुदेव मावलंकर भारतीय लोकतंत्र के एक महान स्तंभ के रूप में याद किए जाते हैं.

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गीतकार इन्दीवर

इन्दीवर, जिनका असली नाम श्यामलाल बब्बर था, हिंदी सिनेमा के एक प्रमुख गीतकार थे. उन्होंने 1950 के दशक से लेकर 1990 के दशक तक, भारतीय फिल्म उद्योग में अपने गीतों के माध्यम से एक विशेष पहचान बनाई. इन्दीवर के गीतों में भावनाओं की गहराई, सरलता और जीवन के विविध पहलुओं का चित्रण मिलता है, जिसने उन्हें संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय बनाया.

उन्होंने कई प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया, जिनमें कल्याणजी-आनंदजी, आर.डी. बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे नाम शामिल हैं. इन्दीवर के लिखे कुछ सबसे यादगार गीतों में “चाँदनी रात में एक बार तुझे देखा है” (फिल्म: दिल-ए-नादान), “ये दुनिया ये महफिल” (फिल्म: हीर रांझा), और “चिंगारी कोई भड़के” (फिल्म: अमर प्रेम) शामिल हैं.

इन्दीवर की गीत-रचना की विशेषता उनके गीतों में सामाजिक और दार्शनिक विचारों का समावेश होना था. उनके गीत अक्सर जीवन के संघर्ष, प्रेम, विरह और उम्मीदों की बात करते थे. उनकी रचनाएँ न केवल समकालीन थीं, बल्कि आज भी संगीत प्रेमियों द्वारा सराही जाती हैं. इन्दीवर का 27 फ़रवरी 1997 में निधन हो गया, लेकिन उनके गीत आज भी हिंदी फिल्म संगीत के अमूल्य खजाने के रूप में याद किए जाते हैं.

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समाजसेवक नानाजी देशमुख

नानाजी देशमुख, जिनका पूरा नाम चंदिकादास अमृतराव देशमुख था, भारतीय समाजसेवा के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे. उनका जन्म 11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले में हुआ था. नानाजी ने अपने जीवन को भारतीय समाज के विकास और सुधार के लिए समर्पित किया. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे और उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी योगदान दिया, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी में परिवर्तित हो गई.

नानाजी देशमुख का मुख्य योगदान समाज सेवा में था, जिसमें ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और गरीबों के उत्थान पर विशेष जोर दिया गया. उन्होंने ‘दीनदयाल शोध संस्थान’ की स्थापना की, जो ग्रामीण विकास और समाज सेवा के क्षेत्र में काम करता है. इस संस्थान के माध्यम से, नानाजी ने ‘ग्रामोदय’ की अवधारणा को प्रोत्साहित किया, जिसका लक्ष्य गाँवों को आत्मनिर्भर और विकसित बनाना था.

नानाजी देशमुख की एक अन्य महत्वपूर्ण पहल ‘चित्रकूट परियोजना’ थी, जिसे मध्य प्रदेश के चित्रकूट में लागू किया गया. इस परियोजना के तहत, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वरोजगार के क्षेत्र में कई उपायों को अपनाया, जिससे स्थानीय समुदाय के जीवन स्तर में सुधार हुआ.

नानाजी के काम को व्यापक पहचान मिली और उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया. 1999 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उनका निधन 27 फरवरी 2010 को हुआ. नानाजी देशमुख का जीवन और कार्य आज भी अनेक समाजसेवकों और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

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