Article

व्यक्ति विशेष

भाग - 05.

भारत के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन

मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में पहले भारतीय चुनाव आयुक्त का नाम सुकुमार सेन था। उन्होंने 1950 से 1958 तक इस पद की कुर्सी पर रहकर चुनाव प्रणाली की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। सुकुमार सेन ने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय चुनाव आयोग की नीतियों और दिशाओं को स्थापित करने में मदद की और चुनाव प्रक्रिया को सुधारने के लिए कई पहल की। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया को स्थापित करने के लिए एक योजना बनाई जिसमें चुनाव आयोग को ब्रिटिश चुनाव प्रणाली से दूर ले जाने का प्रस्ताव था।

सुकुमार सेन का यह योगदान महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र और न्यायाधीन बनाने के लिए काम किया और इसे एक न्यायप्रधान प्रक्रिया में बदलने का प्रयास किया।

==========  =========  ===========

स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मज़हरुल हक

मौलाना मजहरुल हक एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हुए थे। वे एक मुस्लिम लीडर और इस्लामिक विद्वान भी थे। मजहरुल हक ने भारतीय मुस्लिमों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने भारतीय सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ा।

मजहरुल हक ने 1942 में कुछ अन्य मुस्लिम नेताओं के साथ मिलकर ‘अल्ल इंडिया मुस्लिम मजलिस’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था मुस्लिमों के हक़ में लड़ना और उनकी आवश्यकताओं की सुरक्षा करना। उन्होंने भी ‘भारतीय मुस्लिम लीग’ का समर्थन किया और मुस्लिम समुदाय को संगठित करने में मदद की।

मजहरुल हक ने स्वतंत्रता संग्राम के समय अपनी भूमिका के लिए चर्चा में भी हिस्सा लिया और उन्होंने भारतीय सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ा। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता सेना में भी अपनी भूमिका निभाई।

स्वतंत्रता के बाद, मजहरुल हक ने भारतीय सियासत में भी अपना योगदान दिया और वे विभिन्न जनपदों में नेतृत्व की भूमिका में रहे। उन्होंने मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के हक़ में लड़ने में अपना समय दिया और समाज में सामाजिक सुधार के लिए काम किया।

मौलाना मजहरुल हक ने अपने जीवनभर भारतीय समाज में सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से समर्थन किया और उनका योगदान स्वतंत्र भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण रहा।

==========  =========  ===========

निर्देशक एवं गीतकार सफ़दर हाशमी

मुज़तफ़ा अली और सफ़दर हाशमी (26 नवम्बर 1925 – 1970) एक उर्दू भाषा के मार्क्सवादी नाटककार, कलाकार, निर्देशक और गीतकार थे। उन्हें “मैरा सफ़दर” के नाम से भी जाना जाता है।

सफ़दर हाशमी ने अपने कैरियर के दौरान विभिन्न कला रूपों में अपना प्रदर्शन किया। उन्होंने लेखन, नाटक, सिनेमा, गीत, और नृत्य में अपनी माहिरी दिखाई। उनका काम आमतौर पर सामाजिक न्याय, न्यायिक स्वतंत्रता, और मानवाधिकारों पर ध्यान केंद्रित रहा है।

सफ़दर हाशमी का प्रसिद्ध नाटक “ये दाग़ दाग़ उजाला” है, जो उनके समाजवादी दृष्टिकोण और मार्क्सवादी विचारों को अभिव्यक्त करता है। इस नाटक का उन्होंने लेखन, निर्देशन, और अभिनय भी किया था।

सफ़दर हाशमी ने बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया और उन्होंने फिल्म “हक़ीक़त” के लिए गीत लिखा था, जिसे संगीतकार मदन मोहन ने संगीत किया था।सफ़दर हाशमी का कार्य उर्दू साहित्य और सांस्कृतिक धाराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और उन्हें उर्दू साहित्य के कई पहलुओं में महान कलाकारों में से एक माना जाता है।

 

Rate this post
:

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!