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व्यक्ति विशेष

भाग – 356.

गुरु घासीदास

गुरु घासीदास छत्तीसगढ़ के एक महान संत और समाज सुधारक थे. वे सतनामी संप्रदाय के प्रवर्तक थे और उनके अनुयायी उन्हें “गुरु” के रूप में पूजते हैं. गुरु घासीदास ने समाज में फैली कुरीतियों, जाति-भेद और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को सत्य, अहिंसा और समानता का संदेश दिया.

गुरु घासीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी नामक गाँव में हुआ था. उनके माता-पिता का नाम महंगू दास और अमताई था. वे एक किसान परिवार से थे. उनकी धर्मपत्नी का नाम सफुरा था. गुरु घासीदास की मृत्यु वर्ष 1836 में हुई थी. गुरु घासीदास जी छत्तीसगढ़ के महान समाज सुधारक थे जिन्होंने समाज में व्याप्त भेदभाव, छुआछूत और अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष किया. उन्होंने सतनाम पंथ की स्थापना की.  “सतनाम” का अर्थ है “सत्य ही ईश्वर है”. उन्होंने समाज को सच्चाई और समानता के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी.  उन्होंने जातिवाद और ऊँच-नीच के भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया था.

गुरु घासीदास ने सिखाया कि सत्य की पूजा ही सच्चे ईश्वर की पूजा है. उन्होंने  सभी मनुष्य समान हैं, चाहे उनका धर्म, जाति या वर्ग कुछ भी हो. उन्होंने छुआछूत और सामाजिक असमानता का कड़ा विरोध किया. उनके उपदेश अहिंसा और शांति पर आधारित थे. गुरु घासीदास जी का जन्म स्थान, सतनाम पंथ का तीर्थ स्थल है. यहाँ गुरु घासीदास जी की स्मृति में विशाल जैतखाम (सफेद स्तंभ) स्थापित किया गया है, जो सतनाम पंथ के अनुयायियों के लिए श्रद्धा का प्रतीक है. गुरु घासीदास जयंती न केवल सतनाम पंथ के अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है. यह दिन हमें समानता, सत्य और मानवता के मार्ग पर चलने का संदेश देता है.

गुरु घासीदास ने सतनाम (सत्य का नाम) को महत्व दिया और लोगों से कहा कि सत्य ही परम सत्य है.उन्होंने सत्य और मानवता की शिक्षा दी.

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भोजपुरी रंगकर्मी भिखारी ठाकुर

भोजपुरी रंगकर्मी भिखारी ठाकुर एक प्रसिद्ध भोजपुरी रंगकर्मी, लोकगायक, और नाटककार थे. उन्हें भोजपुरी थिएटर के जनक के रूप में जाना जाता है. उनका जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर गाँव में हुआ था और उनका निधन 10 जुलाई 1971 को हुआ. भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी लोकसंस्कृति को समृद्ध करने और इसे व्यापक जनसमूह तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

भिखारी ठाकुर एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्ति थे. वे न केवल एक उत्कृष्ट अभिनेता और गायक थे, बल्कि उन्होंने कई नाटक और गीत भी लिखे. उनके नाटक सामाजिक मुद्दों और ग्रामीण जीवन की वास्तविकताओं पर आधारित थे. उनकी रचनाएं भोजपुरी संस्कृति और समाज की गहरी समझ को दर्शाती हैं.

प्रमुख रचनाएँ: –

बिदेसिया: – यह भिखारी ठाकुर का सबसे प्रसिद्ध नाटक है, जो प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों की समस्याओं पर आधारित है. यह नाटक आज भी भोजपुरी रंगमंच पर अत्यंत लोकप्रिय है. जैसे :-  गंगा स्नान,  बेटी बेचवा, विद्या दान, नाई-बहरूपिया,

भिखारी ठाकुर की रचनाओं में सामाजिक समस्याओं और सामुदायिक जीवन की सजीव चित्रण होती है. उन्होंने अपनी कला के माध्यम से न केवल मनोरंजन किया, बल्कि समाज को जागरूक भी किया. उनकी शैली में सादगी और स्पष्टता होती है, जिससे वे ग्रामीण जनता के बीच बेहद लोकप्रिय थे.

भिखारी ठाकुर को भोजपुरी थिएटर के पितामह के रूप में सम्मानित किया जाता है. उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए, कई सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित किया है. उनकी रचनाएँ और नाटक आज भी भोजपुरी लोकसंस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उन्हें अध्ययन और प्रदर्शन के लिए अपनाया जाता है.

भिखारी ठाकुर का जीवन और कार्य न केवल भोजपुरी संस्कृति के लिए बल्कि भारतीय लोकसंस्कृति के लिए भी एक अमूल्य धरोहर है. उनकी रचनाओं ने लाखों लोगों के दिलों को छुआ और समाज को एक नई दिशा दी.

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अभिनेत्री श्रुति सेठ

श्रुति सेठ एक भारतीय अभिनेत्री और टेलीविजन होस्ट हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी टेलीविजन और फिल्मों में अपने अभिनय के लिए जानी जाती हैं. श्रुति सेठ का जन्म 18 दिसंबर 1977 को  मुंबई में हुआ था. उन्होंने सेंट ज़ेवियर कॉलेज, मुंबई से अपनी पढ़ाई पूरी की. श्रुति ने अपना कैरियर वीजे (वीडियो जॉकी) के रूप में शुरू किया और बाद में टेलीविजन धारावाहिकों में अभिनय किया.

श्रुति सेठ को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि “शरारत” (वर्ष 2003-06) से मिली, जिसमें उन्होंने जिया मल्होत्रा का किरदार निभाया था. यह शो बच्चों और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था.श्रुति ने बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है.

टेलीविजन शो: – देखो मगर प्यार से,  कॉमेडी सर्कस (होस्ट के रूप में),  द ग्रेट इंडियन कॉमेडी शो,  बाल वीर,

फिल्में: –

फना (2006) – आमिर खान और काजोल के साथ,

राज़नीति (2010) – एक छोटी लेकिन प्रभावशाली भूमिका,

स्लाइस ऑफ़ पाई और तारा वर्सेस बिलाल.

श्रुति ने डिजिटल प्लेटफार्म पर भी काम किया है. उनकी वेब सीरीज़ में शामिल हैं: – माइंड द मल्होत्राज़ (2020) – अमेज़न प्राइम पर रिलीज हुई.

श्रुति सेठ ने फिल्म निर्देशक दानिश असलम से शादी की है. इस कपल की एक बेटी भी है. श्रुति सेठ अपनी एक्टिंग के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी खुलकर अपनी राय व्यक्त करती हैं और सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं.

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अभिनेत्री ऋचा चड्ढा

ऋचा चड्ढा एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में अपनी दमदार और प्रभावशाली भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं. ऋचा चड्ढा का जन्म 18 दिसंबर 1986 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया. ऋचा चड्ढा ने थिएटर से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की. ऋचा चड्ढा ने वर्ष 2008 में  फिल्म ओए लकी! लकी ओए! से बॉलीवुड में कदम रखा. ऋचा चड्ढा ने कई समीक्षकों द्वारा सराही गई फिल्मों में काम किया है.

फिल्में: –

ओए लकी! लकी ओए! (2008) – बॉलीवुड डेब्यू.

गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) – अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित इस फिल्म में ‘नगमा खातून’ की भूमिका ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई.

फुकरे (2013) – ‘भोली पंजाबन’ के किरदार में उन्होंने दर्शकों को खूब हँसाया.

मसान (2015) – उनकी इस भूमिका को आलोचकों और दर्शकों ने सराहा. यह फिल्म कान्स फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित हुई फ़िल्में – सरबजीत (2016), लव सोनिया (2018), शकीला (2020).

ऋचा चड्ढा ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया: – इनसाइड एज (अमेज़न प्राइम) – एक क्रिकेट ड्रामा वेब सीरीज़.

फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर और मसान के लिए ऋचा को कई पुरस्कार मिले हैं. वहीँ कान्स फिल्म फेस्टिवल में उनकी अदाकारी की तारीफ हुई. ऋचा चड्ढा ने अभिनेता अली फज़ल के साथ विवाह किया है. दोनों की प्रेम कहानी और केमिस्ट्री को फैंस बेहद पसंद करते हैं. ऋचा अपने सशक्त अभिनय और साहसी व्यक्तित्व के कारण बॉलीवुड में एक अलग पहचान रखती हैं.

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