इतिहासकार यदुनाथ सरकार
यदुनाथ सरकार एक प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार थे, जिन्हें भारतीय इतिहास, विशेष रूप से मुगल साम्राज्य और मराठा इतिहास पर उनके गहन शोध के लिए जाना जाता है. वे भारत में इतिहास लेखन के उच्चतम मानकों के लिए विख्यात थे और उनके द्वारा लिखे गए ऐतिहासिक ग्रंथ आज भी इतिहास के विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत माने जाते हैं.
यदुनाथ सरकार का जन्म 10 दिसंबर 1870 को पश्चिम बंगाल के राजशाही (अब बांग्लादेश में) जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा कलकत्ता (अब कोलकाता) में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में महारत हासिल की और बाद में इतिहास की ओर रुचि बढ़ी. यदुनाथ सरकार ने अपने कैरियर की शुरुआत रिपन कॉलेज (अब सूर्य सेन कॉलेज) में अंग्रेजी साहित्य पढ़ाने से की. हालांकि, उनकी रुचि इतिहास लेखन में थी, और उन्होंने अंग्रेजी साहित्य से हटकर भारतीय इतिहास का गहन अध्ययन करना शुरू किया.
प्रमुख रचनाएँ: –
History of Aurangzib (5 खंड): – यह औरंगजेब के शासन और मुगल साम्राज्य के पतन का विस्तृत अध्ययन है.
Fall of the Mughal Empire (4 खंड): – मुगल साम्राज्य के पतन पर उनकी अत्यधिक चर्चित और प्रमाणिक कृति.
Shivaji and His Times: – मराठा साम्राज्य और छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक अध्ययन.
Mughal Administration: – मुगल प्रशासन की संरचना और उसकी कार्यप्रणाली का अध्ययन.
यदुनाथ सरकार को भारतीय इतिहास में प्राथमिक स्रोतों (जैसे फारसी पांडुलिपियों) का उपयोग करके गहन और प्रमाणिक लेखन के लिए जाना जाता है. उनके लेखन में तथ्यात्मकता, विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण, और गहराई पर जोर दिया गया है, जिससे उन्होंने इतिहास लेखन में नई ऊंचाइयां स्थापित कीं. उन्होंने मराठा और मुगल इतिहास के संदर्भ में भारतीय और विदेशी दोनों दृष्टिकोणों का समन्वय किया.
यदुनाथ सरकार को वर्ष 1926 में नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था. वे भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (Indian Historical Research) के अग्रणी सदस्यों में से एक थे. वर्ष 1954 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया. यदुनाथ सरकार का जीवन पूरी तरह से अध्ययन, लेखन और शिक्षण के प्रति समर्पित था. उनका निधन 15 मई 1958 को हुआ था. उनके द्वारा लिखित ग्रंथ आज भी इतिहास के क्षेत्र में अनुकरणीय माने जाते हैं. यदुनाथ सरकार को उनकी निर्णायक लेखन शैली, अनुशासित शोध दृष्टिकोण, और इतिहास के प्रति समर्पण के लिए भारतीय इतिहास का स्तंभ माना जाता है.
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राजनीतिज्ञ चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जिन्हें राजाजी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, लेखक और समाज सुधारक थे. वे भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल और स्वतंत्र भारत के पहले और एकमात्र भारतीय गवर्नर-जनरल थे. वे भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय विचारक और व्यावहारिक नेता थे.
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (राजाजी) का जन्म 10 दिसंबर 1878 को तमिलनाडु के सेलम जिले के होसुर के पास थोरापल्ली में हुआ था. उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और कुछ समय तक वकील के रूप में कार्य किया, लेकिन बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए.
राजाजी महात्मा गांधी के घनिष्ठ सहयोगी थे और अहिंसात्मक आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. उन्होंने नमक सत्याग्रह और दांडी मार्च जैसे आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई. राजाजी का दृष्टिकोण गांधीजी से अलग था. उन्होंने ब्रिटिश सरकार से सहमति बनाने का समर्थन किया और “भारत छोड़ो आंदोलन” के समय अपनी असहमति व्यक्त की. उन्होंने क्रिप्स मिशन को स्वीकार करने की वकालत की, ताकि स्वतंत्रता की दिशा में वार्ता आगे बढ़ सके. वे स्वतंत्रता से पहले मद्रास प्रेसीडेंसी के मुख्यमंत्री भी रहे.
राजाजी भारत के पहले भारतीय गवर्नर-जनरल थे. उनका कार्यकाल वर्ष 1948 – 50 तक था. उन्होंने भारतीय संविधान को लागू करने और प्रशासनिक संरचनाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राजाजी ने कई वर्षों तक कांग्रेस पार्टी में अहम भूमिका निभाई. स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने गांधीवादी विचारों पर आधारित राजनीति का समर्थन किया. वर्ष 1959 में उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की, जो समाजवाद और नेहरूवादी नीतियों का विरोध करती थी. यह पार्टी उदारवादी आर्थिक नीतियों और न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप की समर्थक थी.
राजाजी ने भारतीय भाषाओं के महत्व पर जोर दिया और शिक्षा में मातृभाषा को प्राथमिकता दी. हिंदी और तमिल भाषा के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया. उन्होंने दहेज प्रथा, जातिवाद, और छुआछूत का विरोध किया. उनका मानना था कि भारतीय समाज को प्रगतिशील बनाना जरूरी है. राजाजी एक लेखक और अनुवादक थे. उन्होंने रामायण और महाभारत का तमिल और अंग्रेजी में सरल भाषा में अनुवाद किया. वे एक पत्रकार भी थे और “स्वराज्य” नामक पत्रिका की स्थापना की. उनकी लेखनी और सामाजिक कार्यों को पूरे देश में सराहा गया. राजाजी को वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
राजाजी सादगी और सिद्धांतप्रियता के प्रतीक थे. उनका परिवार भी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय था. राजाजी का निधन 25 दिसंबर 1972 को मद्रास में हुआ था. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को उनकी राजनीतिक बुद्धिमत्ता, सामाजिक सुधारों, और अद्वितीय लेखन शैली के लिए याद किया जाता है. वे भारतीय इतिहास में गांधीवाद, लोकतंत्र और प्रगतिशील विचारों के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध हैं.
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स्वतन्त्रता सेनानी प्रफुल्लचंद चाकी
प्रफुल्लचंद चाकी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक उल्लेखनीय युवा क्रांतिकारी थे. उनका जन्म 10 दिसंबर 1888 को बंगाल के बोगरा जिले (वर्तमान में बांग्लादेश में) में हुआ था. प्रफुल्लचंद चाकी ने विशेष रूप से बंगाल के क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की और अंग्रेजी राज के खिलाफ उनके विद्रोह की कई घटनाएं महत्वपूर्ण हैं.
उनकी सबसे प्रमुख कार्रवाई वर्ष 1908 में हुई, जब उन्होंने और खुदीराम बोस ने मुजफ्फरपुर में ब्रिटिश जज किंग्सफोर्ड की हत्या की कोशिश की. यह कोशिश विफल रही, और इस घटना में दो अन्य व्यक्ति मारे गए. इस घटना के बाद खुदीराम बोस को पकड़ लिया गया और फांसी की सजा दी गई. प्रफुल्लचंद चाकी ने खुद को गिरफ्तार होने से बचाने के लिए 1 मई 1908 को आत्महत्या कर ली.
प्रफुल्लचंद चाकी की वीरता और समर्पण ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक वीर योद्धा के रूप में अमर कर दिया. उनकी कहानी बंगाल और पूरे भारत में युवा क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रही है.
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अभिनेत्री रति अग्निहोत्री
रति अग्निहोत्री एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने वर्ष 1980 – 90 के दशक में हिंदी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में अपने अभिनय के लिए प्रसिद्धि पाई थीं. वे अपनी खूबसूरती, अभिनय प्रतिभा और बहुभाषी सिनेमा में सक्रियता के लिए जानी जाती हैं.
रति अग्निहोत्री का जन्म 10 दिसंबर 1960 को उत्तर प्रदेश के बरेली में एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उनका परिवार बाद में मद्रास (अब चेन्नई) चला गया, जहाँ उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. रति ने 16 साल की उम्र में तमिल फिल्म “पुधिया वरपुगल” (1979) से अपने कैरियर की शुरुआत की. इस फिल्म का निर्देशन प्रसिद्ध निर्देशक भारतीराजा ने किया. उनकी अदाकारी और सहजता को देखकर वे दक्षिण भारतीय सिनेमा में जल्दी ही लोकप्रिय हो गईं.
रति ने वर्ष 1981 में बॉलीवुड में कदम रखा, और उनकी पहली फिल्म “एक दूजे के लिए” (निर्देशक के. बालाचंदर) एक बड़ी हिट साबित हुई. यह फिल्म भारत में अंतरजातीय प्रेम पर आधारित थी. उनके सह-कलाकार कमल हासन थे. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नामांकित किया गया.
फिल्में: – शौकिन (1982), कूलि (1983), फर्ज़ और कानून (1982), तन-बदन (1986), मसूरी की हवा (1988).
रति ने वर्ष 1980 के दशक के अंत में फिल्मों से ब्रेक ले लिया, लेकिन वर्ष 2000 के दशक में हिंदी फिल्मों में सहायक भूमिकाओं के साथ वापसी की.
वापसी के बाद की फिल्में: – क्यों! हो गया ना… (2004), ह्यूमन्स ऑफ स्टोन (2005).
रति अपने दौर की बेहतरीन अभिनेत्रियों में गिनी जाती थीं. उन्होंने हिंदी के साथ तमिल, तेलुगु और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया, जिससे उनकी बहुभाषी पहचान बनी. रति की शादी अनिल विरवानी से हुई थी, जो एक व्यवसायी थे. उनके बेटे तानुज विरवानी एक अभिनेता हैं. रति ने वर्ष 2015 में अपनी शादी को समाप्त कर दिया और घरेलू हिंसा के मुद्दों को सामने रखा.
फिल्म एक दूजे (1981) के लिए रति अग्निहोत्री को फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नामंकित किया गया. उनके अभिनय और कैरियर को आज भी सिनेमा प्रेमी याद करते हैं. रति अग्निहोत्री भारतीय सिनेमा की उन अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं जिन्होंने विभिन्न भाषाओं में अभिनय करके अपनी छाप छोड़ी.
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अभिनेत्री अंजना सुखानी
अंजना सुखानी एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्य रूप से बॉलीवुड फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. अपने आकर्षक व्यक्तित्व और अभिनय के लिए पहचानी जाती हैं. अंजना सुखानी का जन्म 10 दिसंबर 1978 को जयपुर, राजस्थान में एक सिंधी परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा जयपुर में पूरी की और बाद में मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए यूके गईं.अभिनय के प्रति रुचि होने के बावजूद भी अंजना का शैक्षणिक कैरियर उत्कृष्ट था.
अंजना ने अपना कैरियर मॉडलिंग से शुरू किया था. उन्होंने कई विज्ञापनों में काम किया, जिनमें क्रिसेंट च्विंग गम और अन्य बड़े ब्रांड शामिल थे. उन्हें पहली बार कैडबरी डेयरी मिल्क के विज्ञापन में अमिताभ बच्चन के साथ देखा गया, जिसने उन्हें लोकप्रियता दिलाई. अंजना ने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुआत “हमदम” (2005) फिल्म से की थी. उनकी पहली प्रमुख भूमिका सलाम-ए-इश्क (2007) में थी, जिसमें उन्होंने एक नवयुवती का किरदार निभाया.
फिल्में: – गोलमाल रिटर्न्स (2008), जश्न (2009), संडे (2008), दे ताली (2008).
अंजना ने कुछ कन्नड़ और तेलुगु फिल्मों में भी काम किया है, जिनमें उनकी बहुमुखी प्रतिभा दिखती है. अंजना को उनकी सहज अदाकारी और चुलबुले अंदाज़ के लिए जाना जाता है. वे बॉलीवुड में सिंधी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली कुछ अभिनेत्रियों में से एक हैं.
अंजना ने अपनी निजी जिंदगी को हमेशा मीडिया से दूर रखा है. वे फिटनेस और योग की शौकीन हैं और अपने स्वस्थ जीवनशैली के लिए जानी जाती हैं. अंजना सुखानी अपनी मधुर मुस्कान और विविध भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं. उनकी फ़िल्में आज भी दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए हैं.
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अभिनेत्री शिल्पा आनंद
शिल्पा आनंद, जो अब ओहाना शंकरनंद के नाम से जानी जाती हैं, एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं. वे मुख्य रूप से हिंदी टेलीविजन धारावाहिकों और फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. शिल्पा को स्टार वन के लोकप्रिय शो “दिल मिल गए” में डॉ. रिद्धिमा गुप्ता के किरदार के लिए विशेष पहचान मिली.
शिल्पा का जन्म 10 दिसंबर 1982 को दक्षिण भारत में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) में पूरी की. शिल्पा के परिवार में उनकी बहन सौम्या टंडन भी टेलीविजन इंडस्ट्री से जुड़ी रही हैं.
शिल्पा ने “दिल मिल गए” (2007-2008) से अपने टेलीविजन कैरियर की शुरुआत की. इसमें उन्होंने डॉ. रिद्धिमा गुप्ता की भूमिका निभाई, जो शो का मुख्य किरदार था. इस किरदार से उन्हें बड़े पैमाने पर लोकप्रियता मिली. बाद में उन्होंने अन्य टेलीविजन प्रोजेक्ट्स में काम किया लेकिन दिल मिल गए उनकी सबसे यादगार भूमिका रही.
फिल्में: – आई लव यू (2006), धन धना धन गोल (2007).
टेलीविजन और फिल्मों के अलावा, शिल्पा ने कई विज्ञापनों और म्यूजिक वीडियो में भी काम किया. शिल्पा अपने किरदारों में भावनात्मक गहराई और सहजता लाने के लिए जानी जाती हैं. उनके फैंस उन्हें “दिल मिल गए” की “ऑरिजिनल रिद्धिमा” के रूप में आज भी याद करते हैं.
शिल्पा ने आध्यात्मिकता की ओर कदम बढ़ाते हुए अपना नाम ओहाना शंकरनंद रखा. वे सामाजिक कार्यों और आत्मज्ञान की गतिविधियों में सक्रिय हैं. शिल्पा आनंद टेलीविजन इंडस्ट्री में अपनी खूबसूरती और शानदार अभिनय के लिए हमेशा याद की जाती रहेंगी.
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अभिनेता अशोक कुमार
अशोक कुमार भारतीय सिनेमा के प्रमुख अभिनेताओं में से एक थे, जिनका असली नाम कुमुदलाल गांगुली था. उनका जन्म 13 अक्टूबर 1911 को बिहार के भागलपुर शहर के आदमपुर मोहल्ले के एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था और वे हिंदी सिनेमा के “दादा मुनि” के नाम से प्रसिद्ध थे. अशोक कुमार ने भारतीय सिनेमा में एक लंबा और सफल कैरियर बनाया, जो छह दशकों से अधिक समय तक चला.
अशोक कुमार ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1936 में फिल्म जीवन नैया से की, लेकिन उन्हें असली पहचान वर्ष 1943 में आई फिल्म किस्मत से मिली, जो उस समय की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी. वे अपने प्राकृतिक अभिनय के लिए जाने जाते थे और उन्होंने रोमांस, कॉमेडी, और चरित्र भूमिकाओं में महारत हासिल की.
प्रमुख फिल्में: – बांदी (1947), महल (1949), चलती का नाम गाड़ी (1958), आशिर्वाद (1968), विक्टोरिया नंबर 203 (1972).
अशोक कुमार को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और दादा साहेब फाल्के अवार्ड शामिल हैं. अशोक कुमार का निधन 10 दिसंबर 2001 को मुंबई में हुआ था. उनका योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में अद्वितीय माना जाता है.