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व्यक्ति विशेष

भाग – 341.

चित्रकार नंदलाल बोस

नंदलाल बोस भारतीय आधुनिक कला के प्रमुख चित्रकारों में से एक थे. उनका जन्म 3 दिसंबर 1882 को हुआ था और उनका निधन 16 अप्रैल 1966 को हुआ था. नंदलाल बोस बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के अग्रणी सदस्यों में से एक थे, जिसने भारतीय कला को एक नई दिशा दी. उन्होंने अभिव्यक्ति में लोक कला की सादगी और ईमानदारी को महत्व दिया और पारंपरिक भारतीय शैलियों को पुनर्जीवित किया.

नंदलाल बोस ने अपने चित्रों में भारतीय संस्कृति, इतिहास और ग्रामीण जीवन को विशेष रूप से दर्शाया. उनकी कलाकृतियाँ अक्सर भारतीय जनजीवन के अनेक पहलुओं को उजागर करती हैं. उन्होंने हरिपुरा पैनल्स बनाये जो वर्ष 1938 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सत्र के लिए बनाये गए थे. ये पैनल्स ग्रामीण भारत के जीवन को बहुत ही सजीव तरीके से दर्शाते हैं.

नंदलाल बोस की कलाकृतियां उनके विस्तृत निरीक्षण और गहरी समझ को दर्शाती हैं. उनका काम भारतीय कला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है, और उनकी कला की प्रेरणा और महत्व आज भी अनगिनत कलाकारों और कला प्रेमियों के लिए बनी हुई है.

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प्रथम राष्ट्रपति  डॉ. राजेंद्र प्रसाद

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे. उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई में हुआ था. डॉ. प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. वह बिहार के लिए सत्याग्रह आंदोलन के नेता थे और उन्होंने वर्ष 1917 में चंपारण सत्याग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

उन्हें भारतीय संविधान सभा का पहला अध्यक्ष भी चुना गया था. जब भारत वर्ष 1950 में गणराज्य बना, तब डॉ. प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. उन्होंने वर्ष 1950 – 62 तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, जो अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है. उनकी प्रेसिडेंसी के दौरान, उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति, शिक्षा और सामाजिक सुधारों पर बहुत जोर दिया. डॉ. प्रसाद अपनी विनम्रता, समर्पण और नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते थे. उनका निधन 28 फरवरी 1963 को हुआ था.

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क्रांतिकारी खुदीराम बोस

खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे कम उम्र के क्रांतिकारियों में से एक थे. वे बंगाल के मिदनापुर जिले में जन्मे थे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में शामिल हुए. खुदीराम बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में साहस और बलिदान का प्रतीक बन गया है.

खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर1889 को बंगाल के मिदनापुर जिले के एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके माता-पिता का निधन कम उम्र में ही हो गया था, जिसके बाद उनकी बड़ी बहन ने उनका पालन-पोषण किया. कम उम्र से ही खुदीराम में देशभक्ति की भावना जाग गई थी. वे भारतीय समाज के भीतर ब्रिटिश शासन के अन्याय और अत्याचारों के खिलाफ उठ खड़े हुए.

किशोरावस्था में ही खुदीराम बोस ने क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने क्षेत्र में ब्रिटिश विरोधी पर्चे बांटने और स्थानीय लोगों को जागरूक करने का काम किया.  वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के बाद, खुदीराम बोस और भी अधिक सक्रिय हो गए. उन्होंने अनुशीलन समिति जैसी क्रांतिकारी संगठनों के साथ जुड़कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष तेज कर दिया.

30 अप्रैल 1908 को, खुदीराम बोस और उनके साथी प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर (बिहार) में किंग्सफोर्ड नामक ब्रिटिश न्यायाधीश पर बम फेंका. हालांकि, इस हमले में किंग्सफोर्ड तो बच गया, लेकिन एक ब्रिटिश महिला और उसकी बेटी की मौत हो गई. हमले के बाद खुदीराम को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि प्रफुल्ल चाकी ने खुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी. खुदीराम पर मुजफ्फरपुर सत्र न्यायालय में मुकदमा चलाया गया, और 13 जून 1908 को उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई.

11 अगस्त 1908 को, खुदीराम बोस को केवल 18 साल की उम्र में फांसी दे दी गई. उनकी शहादत के समय वे केवल 18 वर्ष, 7 महीने, और 11 दिन के थे, जिससे वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे कम उम्र के शहीदों में से एक बन गए. उनकी मृत्यु के बाद, खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गए. उनका साहस और बलिदान भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है.

खुदीराम बोस की शहादत के बाद, उन्हें पूरे देश में एक राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मानित किया गया. कई शहरों और कस्बों में उनके नाम पर सड़कों, स्कूलों, और संस्थानों का नाम रखा गया है. उनका जीवन और बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अमर गाथाओं में से एक है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.

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8वें राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन

आर. वेंकटरमन भारतीय गणराज्य के 8वें राष्ट्रपति थे. उनका जन्म 4 दिसम्बर 1910 को तंजावुर, मद्रास प्रांत (अब तमिलनाडु) में हुआ था और उन्होंने विभिन्न सरकारी पदों पर योगदान किया.

रामस्वामी वेंकटरमन ने अपने कैरियर 1935 में चेन्नई म्युनिसिपल काउंसिल के सदस्य के रूप में शुरू हुआ था, और उन्होंने फिर 1950 में मद्रास लोक सभा के सदस्य बनने का मौका पाया. उन्होंने केंद्रीय मंत्री मंडल में भी विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री के रूप में काम किया, और इनमें केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में भी रहे.

आर. वेंकटरमन वर्ष 1984 में उपराष्ट्रपति के रूप में पद संभाला. आर. वेंकटरमन 25 जुलाई, 1987 को भारतीय गणराज्य के 8वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया. रामस्वामी वेंकटरमन का निधन 27 जनवरी 2009 को हुआ था.

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अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा

कोंकणा सेन शर्मा एक भारतीय अभिनेत्री और फिल्म निर्देशक हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी और बंगाली सिनेमा में काम करती हैं. वे अपनी शानदार अभिनय प्रतिभा और विविध भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं.

कोंकणा का जन्म 3 दिसंबर 1979 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ. वे प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक और निर्देशक अपर्णा सेन की बेटी हैं. उनकी पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से हुई, जहां उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किया.

कोंकणा ने अपने कैरियर की शुरुआत बंगाली फिल्मों से की और अपनी मां अपर्णा सेन की फिल्म “Mr. and Mrs. Iyer” (2002) में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता. इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा में कदम रखा और कई हिट फिल्मों में काम किया, जैसे: – पेज 3 (2005), ओमकारा (2006), लाइफ इन ए मेट्रो (2007), वेक अप सिड (2009), तलवार (2015).

कोंकणा ने निर्देशन के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त की. उनकी पहली निर्देशित फिल्म “ए डेथ इन द गंज” (2016) को खूब सराहा गया और कई पुरस्कार जीते.कोंकणा को कई राष्ट्रीय और फिल्मफेयर पुरस्कार मिले हैं, जिसमें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री और आलोचकों द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार शामिल हैं.वे अपनी अदाकारी और कला-प्रियता के लिए दर्शकों और आलोचकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय हैं.

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अभिनेत्री सारा जेन दिअस

सारा-जेन डायस एक भारतीय अभिनेत्री, मॉडल और गायिका हैं, जो मुख्य रूप से बॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स में अपनी उपस्थिति के लिए जानी जाती हैं. वे मिस इंडिया 2007 का खिताब जीतने के बाद प्रसिद्ध हुईं.

सारा-जेन डायस का जन्म 3 दिसंबर 1982 को मस्कट, ओमान में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा इंडियन स्कूल अल वादी कबीर और इंडियन स्कूल मस्कट में हुई. बाद में उन्होंने मुंबई के सेंट ऐक्सवियर कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की. सारा योगा, फिटनेस और म्यूजिक में गहरी रुचि रखती हैं. वे अपने स्टाइल और बहुमुखी प्रतिभा के लिए जानी जाती हैं.

सारा ने वर्ष 2007 में मिस इंडिया का खिताब जीता और इसके बाद मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा. उन्होंने कई बड़े ब्रांड्स के लिए विज्ञापन किए और रैंप पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.

सारा ने वर्ष 2010 में तमिल फिल्म “Theeradha Vilaiyattu Pillai” से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की. वर्ष 2011 में उन्होंने बॉलीवुड फिल्म “गेम” से डेब्यू किया, जिसमें उनके साथ अभिषेक बच्चन थे.

फिल्में: – काय पो छे! (2013), ज़ुबान (2015), एंग्री इंडियन गॉडेसेस (2015), जो एक महिला-केंद्रित फिल्म थी और काफी सराही गई.

सारा एक प्रतिभाशाली गायिका भी हैं और उन्होंने कई म्यूजिक वीडियोज़ में काम किया है. वे वेब सीरीज और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी सक्रिय हैं, जैसे कि “इनसाइड एज”.

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अभिनेत्री सोनारिका भदोरिया

सोनारिका भदोरिया एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्य रूप से टेलीविजन और तेलुगु फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. वे पौराणिक धारावाहिक “देवों के देव… महादेव” में देवी पार्वती/आदिशक्ति की भूमिका निभाने के लिए मशहूर हैं.

सोनारिका का जन्म 3 दिसंबर 1992 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ. उनका परिवार उत्तर प्रदेश से है.उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई से पूरी की और बाद में मुंबई के डी. जी. रुपारेल कॉलेज से पढ़ाई की.

सोनारिका ने वर्ष 2011 में धारावाहिक “तुम देना साथ मेरा” से टेलीविजन डेब्यू किया. वर्ष 2012 में “देवों के देव… महादेव” में देवी पार्वती की भूमिका निभाकर उन्हें अपार लोकप्रियता मिली. उनकी इस भूमिका को दर्शकों और आलोचकों से खूब सराहना मिली. वर्ष 2018 में उन्होंने “पृथ्वी वल्लभ – इतिहास भी, रहस्य भी” में मृणालवती का किरदार निभाया.

सोनारिका ने वर्ष 2015 में तेलुगु फिल्म “जदोगाडू” से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की.

 फिल्में: –  ईदो रखम, आदो रखम” (2016), सरदा” (2017).

वर्ष 2016 में उन्होंने हिंदी फिल्म “सांसें” से बॉलीवुड में कदम रखा. सोनारिका योगा, ट्रैवलिंग और डांसिंग की शौकीन हैं. वे अपने साधारण और सौम्य व्यक्तित्व के लिए अपने फैंस के बीच लोकप्रिय हैं.

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अभिनेता और निर्माता देव आनंद

देव आनंद भारतीय सिनेमा के एक महान अभिनेता, निर्माता और निर्देशक थे, जिन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए याद किया जाता है. उनका असली नाम धरमदेव पिशोरीमल आनंद था और उनका जन्म 26 सितंबर 1923 को पंजाब (अब पाकिस्तान में) के शंकरगढ़ में हुआ था.

देव आनंद वर्ष 1940- 70 के दशक के बीच हिंदी सिनेमा के सबसे प्रमुख और करिश्माई अभिनेताओं में से एक थे. उनकी पहली फिल्म “हम एक हैं” (1946) थी, लेकिन उन्हें असली पहचान फिल्म “जिद्दी” (1948) से मिली. इसके बाद उन्होंने “बाजी” (1951), “काला पानी” (1958), “काला बाज़ार” (1960), “गाइड” (1965), “जॉनी मेरा नाम” (1970), “हरे राम हरे कृष्णा” (1971) जैसी कई हिट फिल्में दीं. देव आनंद अपने अनोखे अभिनय शैली और संवाद अदायगी के लिए मशहूर थे. उनकी स्टाइल और फैशन सेंस को भी खूब सराहा गया, खासकर उनकी सिग्नेचर हेयर स्टाइल और रोमांटिक भूमिकाएं.

देव आनंद ने वर्ष 1949 में अपने भाइयों चेतन आनंद और विजय आनंद के साथ मिलकर “नवकेतन फिल्म्स” की स्थापना की. इस बैनर के तहत उन्होंने कई हिट फिल्मों का निर्माण किया. उनकी फिल्म “गाइड” (1965), जो आर.के. नारायण के उपन्यास पर आधारित थी, ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति प्राप्त की. उन्होंने निर्देशक के तौर पर भी काम किया और “हरे राम हरे कृष्णा” (1971) जैसी फिल्में बनाईं, जिसमें उन्होंने ज़ीनत अमान को लॉन्च किया. यह फिल्म युवाओं के जीवनशैली और हिप्पी संस्कृति पर आधारित थी.

देव आनंद को उनके कैरियर में कई पुरस्कार मिले. उन्हें “काला पानी” (1958) के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला. उन्हें वर्ष 2001 में भारत सरकार द्वारा “पद्म भूषण” और भारतीय सिनेमा में उनके जीवन भर के योगदान के लिए वर्ष 2002 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

देव आनंद का व्यक्तिगत जीवन भी उनके फिल्मी कैरियर की तरह रंगीन रहा. उनकी एक बेहद चर्चित प्रेम कहानी अभिनेत्री सुरैया के साथ रही, लेकिन वह विवाह में नहीं बदल पाई. बाद में उन्होंने अभिनेत्री कल्पना कार्तिक से विवाह किया. देव आनंद का निधन 3 दिसंबर 2011 को लंदन में हुआ. उनकी मृत्यु से भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत हो गया, लेकिन उनकी फिल्मों और योगदान से वह हमेशा याद किए जाएंगे.

देव आनंद को भारतीय सिनेमा के सबसे स्टाइलिश और चिरयुवा अभिनेताओं में गिना जाता है. उनका जोश, ऊर्जा और नए प्रयोग करने की चाह उन्हें बाकी अभिनेताओं से अलग बनाती है.

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