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व्यक्ति विशेष

भाग – 323.

स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुण्डा

बिरसा मुंडा भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, और आदिवासी नेता थे, जिनका जन्म 15 नवंबर 1875 को छोटा नागपुर क्षेत्र में हुआ था. वे विशेष रूप से झारखंड, बिहार, ओडिशा, और मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदायों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय थे. बिरसा मुंडा का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर आदिवासियों के अधिकारों और उनकी संस्कृति की रक्षा के संदर्भ में.

बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश सरकार के भूमि हड़प नीति और आदिवासी समुदायों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने मुंडा समुदाय को संगठित किया और अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन किया, जिसे “उलगुलान” या “महाविद्रोह” के नाम से जाना गया. यह आंदोलन आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा और ब्रिटिश शोषण के विरुद्ध था. बिरसा ने आदिवासियों को अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक किया और धर्म, भूमि, और अधिकारों के प्रति उनकी आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान को बढ़ावा दिया.

उनकी मृत्यु 9 जून 1900 को जेल में हुई. बिरसा मुंडा का जीवन आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और उन्हें “भगवान बिरसा” के रूप में आदरपूर्वक स्मरण किया जाता है. 15 नवंबर को उनके जन्मदिवस को झारखंड राज्य स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

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टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा

सानिया मिर्ज़ा भारत की सबसे सफल और चर्चित महिला टेनिस खिलाड़ी हैं, जिनका जन्म 15 नवंबर 1986 को मुंबई में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन हैदराबाद में बिताया. सानिया ने वर्ष 2003 में अंतरराष्ट्रीय टेनिस में कदम रखा और जल्द ही अपने आक्रामक खेल और दमदार फोरहैंड के कारण लोकप्रियता हासिल की. वे भारत की पहली महिला टेनिस खिलाड़ी हैं जिन्होंने ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं, और अपने कैरियर के दौरान सिंगल्स और डबल्स दोनों में उल्लेखनीय सफलताएं हासिल कीं.

सानिया ने कैरियर की अपने शुरुआत सिंगल्स खेल से की, लेकिन बाद में डबल्स पर ध्यान केंद्रित किया और कई बार दुनिया की नंबर 1 डबल्स खिलाड़ी भी बनीं. उन्होंने अपने टेनिस पार्टनर महेश भूपति, मार्टिना हिंगिस, और अन्य खिलाड़ियों के साथ मिलकर डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में कई ग्रैंड स्लैम खिताब जीते. उनके प्रमुख खिताबों में ऑस्ट्रेलियन ओपन, फ्रेंच ओपन, विंबलडन और यूएस ओपन में डबल्स और मिक्स्ड डबल्स के खिताब शामिल हैं.

सानिया मिर्ज़ा भारत के खेल जगत में महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं और उनकी उपलब्धियों ने उन्हें कई पुरस्कार दिलाए, जैसे कि अर्जुन पुरस्कार, पद्म श्री, और पद्म भूषण. वे भारत के सबसे प्रभावशाली और आदरणीय एथलीटों में से एक मानी जाती हैं. वर्ष 2023 में उन्होंने अपने शानदार कैरियर को अलविदा कह दिया, लेकिन वे टेनिस के क्षेत्र में सक्रिय रूप से युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करती हैं और कई सामाजिक कार्यों में भी भाग लेती हैं.

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अभिनेत्री दलजीत कौर भनोट

दलजीत कौर भनोट एक भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी टीवी सीरियल्स में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 15 नवंबर 1982 को लुधियाना, पंजाब में हुआ था. दलजीत ने कई लोकप्रिय टीवी शोज में अभिनय किया है, जिनमें से इस प्यार को क्या नाम दूं?, कुमकुम – एक प्यारा सा बंधन, और काला टीका जैसे शोज़ शामिल हैं. उन्हें नच बलिए 4 जैसे डांस रियलिटी शो में भी अपने पूर्व पति शालीन भनोट के साथ देखा गया था, जिसमें उन्होंने विजेता का खिताब भी जीता.

दलजीत की ज़िन्दगी में कुछ व्यक्तिगत चुनौतियाँ भी रही हैं. उनकीशादी अभिनेता शालीन भनोट  से हुई थी, लेकिन बाद में दोनों का तलाक हो गया. दलजीत ने अपने बेटे की परवरिश अकेले की और अपने कैरियर में भी मजबूत वापसी की. उन्होंने अपनी मेहनत और अभिनय प्रतिभा से टेलीविजन जगत में विशेष स्थान बनाया है.

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अभिनेत्री आरोही पटेल

आरोही पटेल एक गुजराती फिल्म अभिनेत्री हैं, जो अपनी सादगी और प्राकृतिक अभिनय शैली के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 15 नवंबर 1994 को गुजरात में हुआ था. आरोही ने गुजराती सिनेमा में अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की और अपने दमदार प्रदर्शन से जल्दी ही दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो गईं.

उन्होंने कई हिट गुजराती फिल्मों में काम किया है, जिनमें लव नी भवाई (2017), छेलो दिवस (2015), और मोंटी पायलट जैसी फ़िल्में शामिल हैं. फिल्म लव नी भवाई में उनके अभिनय को दर्शकों और समीक्षकों ने काफी सराहा. आरोही का अभिनय करने का तरीका दर्शकों को बहुत ही स्वाभाविक और संजीदा लगता है, जिससे वे गुजराती सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक बन गई हैं.

आरोही पटेल की पढ़ाई-लिखाई गुजरात में हुई और उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहती हैं और अपने फैंस के साथ अपने प्रोजेक्ट्स और निजी जीवन के बारे में साझा करती रहती हैं. गुजराती सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें आने वाले समय में भी कई सफल प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनने की उम्मीद है.

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विनोबा भावे

 विनोबा भावे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता थे, जिन्हें महात्मा गांधी के सबसे निकट सहयोगियों में से एक माना जाता है. उनका पूरा नाम विनायक नरहरि भावे था, उनका जन्म 11 सितंबर, 1895 को गाहोदे, गुजरात में हुआ था.  उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया और भारत में कई सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया.

विनोबा भावे ने “भूदान आंदोलन” की शुरुआत की, जो उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है. इस आंदोलन का उद्देश्य भूमिहीन और गरीब किसानों को जमीन दिलाना था. विनोबा ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जमींदारों और संपन्न लोगों से जमीन का दान मांगा ताकि इसे गरीब किसानों में बांटा जा सके. इस आंदोलन को व्यापक सफलता मिली, और कई हजार एकड़ भूमि का वितरण गरीबों में किया गया.

उनका जीवन साधना, अहिंसा, और सेवा का प्रतीक था. वे हमेशा सरल और सादा जीवन जीते थे और समाज के लिए अपने कार्यों में लीन रहते थे. उनके विचार भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर आधारित थे, और उन्होंने शिक्षा, समाज सुधार, और धर्म के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया.

15 नवम्बर 1982 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं. भारत सरकार ने उन्हें “भारत रत्न” से सम्मानित किया, और उन्हें भारत के महान समाज सुधारकों और मानवतावादियों में गिना जाता है.

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साहित्यकार जयशंकर प्रसाद

साहित्यकार जयशंकर प्रसाद भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण नामों में से एक थे, और वे हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि और नाटककार थे. जन्म: – 30 जनवरी 1889,  वाराणसी, उत्तर प्रदेश और मृत्यु: – 15  नवम्बर 1937, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था.

उन्होंने अपने लेखनी से हिंदी साहित्य को नए और मोदर्न दिशाओं में ले जाने का प्रयास किया. उनकी कविताएँ, कहानियाँ और नाटक अपने समय के भारतीय समाज की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उजागर करते थे.

उनकी प्रमु रचनाएँ:

“कामायनी” (Kamayani) यह काव्य ग्रंथ उनका महत्वपूर्ण काव्य रचना है जिसमें वे मानव जीवन, भावनाओं, और धर्म के मुद्दे पर विचार करते हैं.

“स्कंदगुप्त” (Skandagupta) इस नाटक में उन्होंने भारतीय इतिहास के मौर्य वंश के एक महान सम्राट, स्कंदगुप्त, के जीवन को प्रस्तुत किया।

“चित्रांगदा” (Chitrangada) यह भारतीय महाकाव्य “महाभारत” की एक घटना पर आधारित एक नाटक है.

जयशंकर प्रसाद को “छायावाद” के आदि कवि माने जाते है, और उनका योगदान हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण है. उनकी रचनाओं में भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का महत्वपूर्ण स्थान है और वे साहित्य के माध्यम से समाज को सुधारने का संदेश देते थे.

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महात्मा हंसराज

महात्मा हंसराज पंजाब के प्रसिद्ध आर्य समाजी नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे. हंसराज का जन्म 19 अप्रैल, 1864 को  होशियारपुर, पंजाब में हुआ था और उनका निधन 15 नवम्बर 1938 को हुआ था. 

हंसराज ने 19वीं और 20वीं सदी में भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. वे खास तौर से शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय थे और उन्होंने दयानंद एंग्लो-वैदिक (डी.ए.वी.) स्कूल और कॉलेज सिस्टम की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह संस्थान आर्य समाज के सिद्धांतों पर आधारित था, जो वैदिक शिक्षा के प्रचार और प्रसार में लगा हुआ था.

महात्मा हंसराज ने शिक्षा के माध्यम से समाज में उचित नैतिकता और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने की कोशिश की थी. उनका मानना था कि शिक्षा समाज को सुधारने का एक मुख्य उपकरण है और इसे सभी वर्गों तक पहुंचाया जाना चाहिए.

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