महाराजा रणजीत सिंह
महाराजा रणजीत सिंह भारतीय इतिहास के महानतम शासकों में से एक थे. उन्हें पंजाब के महाराजा के रूप में जाना जाता है और उन्होंने सिख साम्राज्य की स्थापना की थी. उनका जन्म 13 नवंबर 1780 को गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में हुआ था और उनका निधन 27 जून 1839 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) में हुआ.
रणजीत सिंह का जन्म सिख संप्रदाय के सुकरचाकिया मिसल के प्रमुख महा सिंह और राज कौर के घर हुआ था. बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता से सैन्य कौशल सीखा और युद्ध में भाग लिया. वर्ष 1792 में उनके पिता की मृत्यु के बाद, रणजीत सिंह ने 12 वर्ष की आयु में सुकरचाकिया मिसल की जिम्मेदारी संभाली.
रणजीत सिंह ने पंजाब के विभिन्न मिसलों को एकजुट किया और एक शक्तिशाली सिख साम्राज्य की स्थापना की. उन्होंने वर्ष 1799 में लाहौर को अपने नियंत्रण में लिया और वर्ष 1801 में औपचारिक रूप से महाराजा के रूप में राज्याभिषेक किया. रणजीत सिंह ने कश्मीर, पेशावर, मुल्तान और पंजाब के अन्य क्षेत्रों को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया. उनकी सेना, जिसे खालसा सेना के नाम से जाना जाता था, आधुनिक हथियारों और यूरोपीय प्रशिक्षकों से सुसज्जित थी.
रणजीत सिंह ने अपने साम्राज्य में न्याय और प्रशासन का एक कुशल प्रणाली स्थापित किया. उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहित किया और सभी धर्मों के लोगों को अपने प्रशासन में शामिल किया. उनके शासनकाल में कला, संस्कृति और स्थापत्य का विकास हुआ. अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का पुनर्निर्माण और विस्तार उनके शासनकाल की प्रमुख उपलब्धियों में से एक था.
रणजीत सिंह ने अपने सादगीपूर्ण जीवन और धार्मिक सहिष्णुता के लिए ख्याति प्राप्त की. उन्होंने अपने राज्य में शांति और स्थिरता बनाए रखी और अपने लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय थे. उनकी मृत्यु के बाद, उनका साम्राज्य कमजोर पड़ गया और अंततः 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया.
महाराजा रणजीत सिंह को “शेर-ए-पंजाब” (पंजाब का शेर) के नाम से भी जाना जाता है. उनकी वीरता और शासन के गुण आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और उन्हें सिख इतिहास में एक महान नायक के रूप में याद किया जाता है.
महाराजा रणजीत सिंह की उपलब्धियाँ और उनकी प्रशासनिक कुशलता भारतीय इतिहास के सुनहरे अध्यायों में शामिल हैं. उनका योगदान न केवल सिख साम्राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण था, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को भी प्रभावित किया.
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कवि गजानन माधव मुक्तिबोध
गजानन माधव मुक्तिबोध हिंदी साहित्य के एक प्रख्यात कवि, कहानीकार, आलोचक और निबंधकार थे. वे प्रगतिशील आंदोलन के प्रमुख कवि माने जाते हैं और उनके साहित्य में तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवेश की झलक मिलती है. मुक्तिबोध की कविताओं में व्यक्ति और समाज के अंतर्विरोध, अंधेरों और संघर्षों का वर्णन मिलता है, जो उन्हें हिंदी कविता के एक गहरे और संवेदनशील कवि के रूप में प्रतिष्ठित करता है.
मुक्तिबोध का जन्म 13 नवम्बर, 1917 को श्योपुर, मध्य प्रांत और बरार में हुआ था और उनका निधन 11 सितम्बर 1964 को भोपाल में हुआ.
उनकी प्रमुख रचनाओं में चाँद का मुँह टेढ़ा है और भूरी भूरी ख़ाक धूल जैसी कविताएं शामिल हैं. मुक्तिबोध की कविताओं का प्रमुख स्वर आत्म-संवाद, मानसिक संघर्ष, और समाज में व्याप्त अन्याय के खिलाफ आक्रोश है. वे उन गिने-चुने कवियों में से एक थे जिन्होंने मनुष्य के भीतर चल रहे द्वंद्व, समाज में व्याप्त अनैतिकताओं और आंतरिक पीड़ा को अपनी कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया.
उनकी आलोचना कृतियाँ, जैसे नई कविता का आत्मसंघर्ष, और एक साहित्यिक की डायरी, साहित्य के सिद्धांतों और समाज में साहित्य के महत्व पर विचार करती हैं. मुक्तिबोध ने अपनी लेखनी के माध्यम से विचार और संवेदनाओं की गहराई को छुआ और आधुनिक हिंदी कविता को नई दिशा दी.
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अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्रि
मीनाक्षी शेषाद्रि एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म अभिनेत्री, मॉडल और भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथक और ओडिसी नृत्य की कुशल नर्तकी हैं. उनका जन्म 16 नवंबर 1963 को झारखंड (तब बिहार) के सिंदरी में हुआ था. मीनाक्षी ने 17 वर्ष की उम्र में 1981 में मिस इंडिया का खिताब जीता और इसके बाद फिल्म जगत में कदम रखा.
उनकी प्रमुख फिल्मों में हीरो (1983), मेरा गांव मेरा देश, घायल (1990), दामिनी (1993), और घातक (1996) शामिल हैं. दामिनी में उनके अभिनय को विशेष रूप से सराहा गया, और इस फिल्म में उनका किरदार एक सामाजिक मुद्दे पर केंद्रित था, जिसने भारतीय सिनेमा में महिलाओं के साहसी और संजीदा किरदारों की मिसाल कायम की.
फिल्मी कैरियर के शिखर पर होते हुए भी, मीनाक्षी ने शादी के बाद फिल्मों से दूरी बना ली और अमेरिका में बस गईं. वहां वे एक नृत्य विद्यालय का संचालन करती हैं, जिसमें भारतीय शास्त्रीय नृत्य सिखाती हैं. मीनाक्षी शेषाद्रि आज भी अपने अभिनय और नृत्य के लिए सम्मानित मानी जाती हैं और हिंदी सिनेमा में उनकी उपस्थिति को प्रशंसा के साथ याद किया जाता है.
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अभिनेत्री जूही चावला
जूही चावला एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री, मॉडल, और फिल्म निर्माता हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में अपने हास्य, रोमांटिक और संवेदनशील अभिनय के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 13 नवंबर 1967 को अंबाला, हरियाणा में हुआ था. वर्ष 1984 में, जूही ने मिस इंडिया का खिताब जीता और उसके बाद बॉलीवुड में कदम रखा.
जूही ने वर्ष 1988 में फिल्म कयामत से कयामत तक के साथ बड़े पर्दे पर सफलता पाई, जिसमें उनके सह-कलाकार आमिर खान थे. इस फिल्म ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया और वे उस दौर की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में शामिल हो गईं. उनकी अन्य प्रमुख फिल्मों में हम हैं राही प्यार के, डर, यस बॉस, इश्क, और मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी शामिल हैं. जूही का हास्य-प्रधान अंदाज और मासूमियत दर्शकों में बेहद लोकप्रिय रहे हैं.
फिल्मों के अलावा जूही ने प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया और शाहरुख खान के साथ मिलकर ड्रीम्स अनलिमिटेड प्रोडक्शन कंपनी बनाई. वे इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में कोलकाता नाइट राइडर्स टीम की सह-मालिक भी हैं. जूही चावला अपने पर्यावरण-संरक्षण और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं, खासकर प्लास्टिक प्रदूषण और ऑर्गेनिक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्य कर रहीं हैं.