कथक नृत्यांगना सितारा देवी
सितारा देवी भारतीय शास्त्रीय नृत्य “कथक” की महान नृत्यांगना थीं, जिन्हें “कथक क्वीन” और “कथक साम्राज्ञी” के रूप में भी जाना जाता है. उनका जन्म 8 नवंबर 1920 को कोलकाता में हुआ था. उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सितारा देवी का जीवन और कला का सफर बेहद प्रेरणादायक था.
वह एक ऐसी नृत्यांगना थीं जिन्होंने अपने समय में शास्त्रीय नृत्य को मुख्यधारा में लाने के लिए न केवल मंचों पर नृत्य किया, बल्कि सिनेमा में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी कथक नृत्य को प्रस्तुत किया और उसे व्यापक दर्शकों तक पहुँचाया. उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में मदर इंडिया, रोटी, और नगीना शामिल हैं.
सितारा देवी ने कथक नृत्य में भाव और गति का अद्भुत संतुलन बनाया, और उनकी प्रस्तुतियों में ऊर्जा, शुद्धता और गहराई देखने को मिलती थी. उनका नृत्य शैली बेहद जीवंत, तेज और उत्कृष्ट तकनीक से भरपूर थी, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते थे.
भारतीय कला में उनके योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें कई सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री, और कालिदास सम्मान शामिल हैं. उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित करने की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि उनके योगदान के लिए यह सम्मान पर्याप्त नहीं था.
सितारा देवी का निधन 25 नवंबर 2014 को मुंबई में हुआ. उनकी अद्वितीय कला और नृत्य के प्रति उनकी समर्पण भावना ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय नृत्य जगत में अमर बना दिया है, और वह आज भी कथक के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत हैं.
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पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संस्थापकों में से एक माने जाते हैं. उनका जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची (अब पाकिस्तान में) में हुआ था. आडवाणी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से की और बाद में जनसंघ में शामिल हो गए. वह भारतीय जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताओं में से एक हैं और इसे राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में उनका योगदान सराहनीय है.
आडवाणी का राजनीतिक जीवन कई महत्वपूर्ण पड़ावों से गुजरा है. वह वर्ष 1970 के दशक में जनता पार्टी में शामिल हुए, लेकिन जनता पार्टी के टूटने के बाद उन्होंने वर्ष 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर बीजेपी की स्थापना की. आडवाणी का राजनीतिक कद वर्ष 1990 के दशक में “राम रथ यात्रा” के दौरान काफी बढ़ा. यह यात्रा राम जन्मभूमि आंदोलन का हिस्सा थी और इससे बीजेपी की लोकप्रियता में बड़ा इजाफा हुआ.
आडवाणी ने विभिन्न पदों पर कार्य किया है, जिनमें गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री का पद प्रमुख हैं. वह वर्ष 2002 04 तक भारत के उपप्रधानमंत्री रहे, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. आडवाणी की राजनीतिक सोच और नेतृत्व के कारण बीजेपी एक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी बनी और भारत में हिंदुत्व की विचारधारा को लोकप्रियता मिली.
उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उनका योगदान भारतीय राजनीति में अमूल्य माना जाता है. उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें उनकी आत्मकथा “My Country My Life” प्रमुख है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और अनुभवों का वर्णन किया है. लालकृष्ण आडवाणी का भारतीय राजनीति में योगदान और उनका व्यक्तित्व आज भी बीजेपी और उनके समर्थकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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प्लेबैक सिंगर उषा उत्थुप
उषा उत्थुप भारतीय संगीत की दुनिया में एक अद्वितीय प्लेबैक सिंगर हैं, जो अपनी गहरी आवाज़ और अनोखे अंदाज के लिए प्रसिद्ध हैं. उनका जन्म 7 नवंबर 1947 को मुंबई में हुआ था. उषा उत्थुप को पॉप, जैज़, फिल्मी संगीत और पारंपरिक भारतीय संगीत शैलियों में गाने के लिए जानी जाती है. अपनी ऊर्जावान प्रस्तुति और जोशीले व्यक्तित्व के कारण, उन्होंने संगीत जगत में एक अलग पहचान बनाई है. उनकी आवाज़ का जादू वर्ष 1960 – 70 के दशक से लेकर आज तक बरकरार है.
उषा उत्थुप का कैरियर कोलकाता के नाइटक्लब ट्रिनकस से शुरू हुआ, जहाँ से उनकी लोकप्रियता बढ़ी. उनके गाए गानों में विभिन्न भाषाओं और शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है. हिंदी के अलावा, उन्होंने तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, बंगाली, पंजाबी, और मराठी जैसी भाषाओं में भी गाने गाए हैं. इसके अलावा, उन्होंने अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन, और स्वाहिली में भी गीत गाए हैं.
उनके कुछ बेहद लोकप्रिय गानों में “हरे रामा हरे कृष्णा” का दम मारो दम, “शालीमार” का वन टू चा चा चा, काली तेरी चोटी है, और फिल्म “सात खून माफ़” का डार्लिंग शामिल हैं. उनकी आवाज़ में एक अलग कशिश है, जो सीधे श्रोताओं के दिलों तक पहुंचती है.
उषा उत्थुप की विशिष्टता उनकी भारतीयता में है; वे पारंपरिक साड़ी और बड़ी बिंदी पहनकर प्रदर्शन करती हैं, जो उनकी व्यक्तिगत शैली का हिस्सा बन गया है. उनके व्यक्तित्व और अनोखे अंदाज ने उन्हें भारतीय संगीत के क्षेत्र में एक प्रेरणास्रोत बना दिया है.
उन्हें भारतीय संगीत में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें पद्मश्री भी शामिल है. उषा उत्थुप आज भी संगीत के क्षेत्र में सक्रिय हैं और नई पीढ़ी के गायकों को प्रेरित करती हैं. उनकी कला, आवाज़, और शैली ने उन्हें एक लेजेंड के रूप में स्थापित कर दिया है.
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साहित्यकार लोचन प्रसाद पाण्डेय
लोचन प्रसाद पाण्डेय हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार, इतिहासकार और कवि थे, जिन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध किया. उनका जन्म 10 नवंबर 1887 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था. वे छत्तीसगढ़ी साहित्य और हिंदी साहित्य में अपनी उल्लेखनीय रचनाओं और योगदान के लिए जाने जाते हैं. पाण्डेय जी ने साहित्य, इतिहास और संस्कृति के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किए और उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक मानी जाती हैं.
लोचन प्रसाद पाण्डेय ने मुख्य रूप से इतिहास, पुरातत्व, और संस्कृति के प्रति गहरी रुचि दिखाई. उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों और भारतीय संस्कृति को अपने लेखन में प्रमुखता दी. उनकी कृतियों में छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति का गहन वर्णन देखने को मिलता है, जिससे उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना का भी ज्ञान होता है.
उनकी प्रमुख कृतियों में छत्तीसगढ़ का इतिहास और छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य उल्लेखनीय हैं, जिनमें उन्होंने छत्तीसगढ़ी संस्कृति और भाषा की समृद्धि को प्रस्तुत किया है. वे हिंदी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को एक नई दिशा देने वाले साहित्यकारों में से एक थे और उनकी लेखनी में भारतीय परंपरा, संस्कृति, और इतिहास का बोध मिलता है.
पाण्डेय जी का योगदान साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. उनके कामों के कारण आज भी लोग उन्हें आदर और सम्मान के साथ याद करते हैं.
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अन्य: –
- 08 नवंबर 1999 में राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर ने एक दिवसीय क्रिकेट मैच में 331 रन बनाकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया.
- 08 नवंबर 2008 में भारत का पहला मानव रहित अंतरिक्ष मिशन चन्द्रयान – श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था.
- 08 नवंबर 2016 में को रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को किए गए संबोधन के द्वारा बड़े नोटों को विमुद्रीकरण किया जिसमें 500 और 1000 रुपये के नोटों का अवैध घोषित किया था.