चिकित्सक महेन्द्रलाल सरकार
महेन्द्रलाल सरकार एक प्रसिद्ध भारतीय चिकित्सक, समाज सुधारक और विज्ञान के प्रचारक थे, जिनका जन्म 2 नवंबर 1833 को हुआ था. वे 19वीं शताब्दी के बंगाल रेनेसांस के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में से एक थे और भारत में वैज्ञानिक शोध और शिक्षा के प्रसार के लिए काफी प्रसिद्ध हुए.
महेन्द्रलाल सरकार ने अपनी मेडिकल की पढ़ाई कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से की थी और उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक चिकित्सक के रूप में की. हालांकि, उनकी रुचि केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं रही, वे विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान में भी गहरी दिलचस्पी रखते थे.
उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारतीय विज्ञान समाज (Indian Association for the Cultivation of Science, IACS) की स्थापना थी, जो 1876 में कलकत्ता में स्थापित की गई थी. यह संस्था भारत में विज्ञान के प्रचार और शोध कार्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. महेन्द्रलाल सरकार ने इस संस्थान के माध्यम से विज्ञान शिक्षा और शोध को आम लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया.
वे एक आधुनिक विचारक थे जिन्होंने विज्ञान के प्रति जनता की समझ बढ़ाने और भारत में वैज्ञानिक ज्ञान के विकास के लिए काम किया. महेन्द्रलाल सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण योगदान दिए. उनकी मृत्यु 23 फरवरी 1904 को हुई, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और विचार आज भी भारतीय विज्ञान और समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं.
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अभिनेता तथा फ़िल्म निर्माता-निर्देशक सोहराब मोदी
सोहराब मोदी भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित अभिनेता, निर्माता, और निर्देशक थे, जिन्हें ऐतिहासिक और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 2 नवंबर 1897 को बंबई (अब मुंबई) में हुआ था. भारतीय सिनेमा में उन्होंने अपने जीवन में कई यादगार और प्रभावशाली फिल्में बनाईं, जो आज भी सराही जाती हैं.
सोहराब मोदी ने वर्ष 1930 के दशक में फ़िल्म निर्माण में कदम रखा और वर्ष 1935 में अपनी फ़िल्म कंपनी, मिनर्वा मूवीटोन की स्थापना की. उनकी फ़िल्में सामाजिक मुद्दों और ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित होती थीं, और उन्होंने फ़िल्मों में भारतीय संस्कृति, परंपराओं और नैतिक मूल्यों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया. उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में सिकंदर (1941), पुकार (1939), प्रिथ्वीराज चौहान (1944), और झाँसी की रानी (1953) जैसी ऐतिहासिक और महाकाव्य फिल्मों के नाम शामिल हैं.
सोहराब मोदी की आवाज़ और संवाद अदायगी का अंदाज बहुत प्रभावशाली था, जिसके कारण वे भारतीय सिनेमा के महान अभिनेताओं में गिने जाते हैं. उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से न्याय, समानता, और देशभक्ति जैसे विषयों को चित्रित किया, जिससे उनके सिनेमा में गहरी संवेदनशीलता और प्रासंगिकता दिखाई देती है.
वर्ष 1953 में रिलीज़ हुई उनकी फ़िल्म झाँसी की रानी भारत की पहली टेक्नीकलर फ़िल्मों में से एक थी, जिससे सोहराब मोदी भारतीय सिनेमा में तकनीकी नवाचार के लिए भी पहचाने जाते हैं. अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मानों से नवाजा गया। सोहराब मोदी का भारतीय सिनेमा पर गहरा प्रभाव है, और उन्हें भारतीय सिनेमा में ऐतिहासिक फिल्मों के एक बेमिसाल निर्माता-निर्देशक के रूप में याद किया जाता है. सोहराब मोदी का निधन 28 जनवरी, 1984 को हुआ था.
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राजनीतिज्ञ अरुण शौरी
अरुण शौरी एक प्रख्यात भारतीय राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, और अर्थशास्त्री हैं, जिन्हें उनकी निर्भीक पत्रकारिता, बुद्धिमत्ता और बेबाक लेखन के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 2 नवंबर 1941 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था. वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख नेता रहे हैं और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे हैं.
अरुण शौरी ने अर्थशास्त्र में अपनी शिक्षा प्राप्त की और वर्ष 1960 के दशक में विश्व बैंक में अर्थशास्त्री के रूप में कार्य किया. बाद में उन्होंने पत्रकारिता का रुख किया और प्रमुख भारतीय पत्रिका इंडियन एक्सप्रेस के संपादक बने. वहाँ उन्होंने निर्भीक पत्रकारिता के कई उदाहरण प्रस्तुत किए, जिनमें भ्रष्टाचार और सरकारी कदाचार के खिलाफ आवाज उठाई. उनकी पत्रकारिता के लिए उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
वाजपेयी सरकार (वर्ष 1999-2004) में अरुण शौरी विनिवेश, संचार, और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों में कैबिनेट मंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण और सुधार के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार और वृद्धि के प्रयासों को बढ़ावा मिला.
अरुण शौरी एक विपुल लेखक हैं और उन्होंने राजनीति, धर्म, समाज और अर्थशास्त्र पर कई पुस्तकें लिखी हैं. उनकी पुस्तकों में द वर्ल्ड ऑफ फ्रीडम और एमिनेंट हिस्टोरियन्स: थायर हेंडलिंग ऑफ़ इंडियन हिस्ट्री जैसी प्रमुख रचनाएं शामिल हैं. उनकी छवि एक निष्पक्ष और साहसी विचारक की है, जो राष्ट्रहित के मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते हैं. अपने निर्भीक दृष्टिकोण, लेखन और राजनीतिक योगदान के कारण वे भारतीय समाज में एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में पहचाने जाते हैं. .
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संगीतकार और गायक अनु मलिक
अनु मलिक भारतीय संगीत उद्योग के एक प्रसिद्ध संगीतकार और गायक हैं, जिनका जन्म 2 नवंबर 1960 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. उनका असली नाम अनवर सरदार मलिक है. वे वर्ष 1980 – 90 के दशक में बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय संगीतकारों में से एक रहे हैं और अपने अनोखे संगीत, बहुमुखी धुनों और विशिष्ट गाने के अंदाज के लिए जाने जाते हैं. उनके पिता सरदार मलिक भी एक संगीतकार थे, जिससे उन्हें संगीत का माहौल घर से ही मिला।
अनु मलिक ने वर्ष 1980 के दशक में अपने कैरियर की शुरुआत की और बाज़ीगर (1993), मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी (1994), जुड़वा (1997), बॉर्डर (1997), फिजा (2000), अजनबी (2001), मैं हूं ना (2004), और मुझसे शादी करोगी (2004) जैसी फिल्मों में हिट संगीत देकर बॉलीवुड में एक प्रमुख स्थान हासिल किया. उनके गानों की पहचान उनकी नवीनता और भावनात्मक गहराई से होती है.
उन्होंने वर्ष 2001 में रेफ्यूजी के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता. अनु मलिक को कई फिल्मफेयर और अन्य संगीत पुरस्कारों के लिए नामांकित भी किया गया है. वे न केवल संगीतकार हैं बल्कि कई फिल्मों में गायक के रूप में भी गा चुके हैं. उनके प्रसिद्ध गानों में गरम चाय की प्याली हो, ओह! ओह! जाने जाना, और जिंदगी की ताल पे जैसे गीत शामिल हैं, जिनमें उनका एक विशेष गायक-शैली का अंदाज देखा जा सकता है.
अनु मलिक रियलिटी शो इंडियन आइडल में जज के रूप में भी नजर आए हैं और उन्होंने संगीत के क्षेत्र में नए प्रतिभाशाली गायकों को प्रोत्साहित करने में योगदान दिया है. बॉलीवुड में अपने संगीत के योगदान के लिए अनु मलिक का नाम भारतीय संगीतकारों की अग्रणी सूची में गिना जाता है.
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अभिनेता शाहरुख़ ख़ान
शाहरुख़ ख़ान भारतीय सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और सफल अभिनेताओं में से एक हैं, जिन्हें “बॉलीवुड का बादशाह,” “किंग ख़ान,” और “रोमांस का किंग” जैसे उपनामों से भी जाना जाता है. उनका जन्म 2 नवंबर 1965 को नई दिल्ली में हुआ था. वे एक विनम्र शुरुआत से आए और अपने कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प और अद्वितीय अभिनय क्षमता के कारण भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने में सफल रहे हैं.
शाहरुख़ ने वर्ष 1980 के दशक में टेलीविजन धारावाहिक फौजी और सर्कस से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की. इसके बाद, वर्ष 1992 में फिल्म दीवाना से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा और अपने पहले ही फिल्म में दर्शकों का दिल जीत लिया. वर्ष 1990 के दशक में दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995), कुछ कुछ होता है (1998), दिल तो पागल है (1997), और कभी खुशी कभी ग़म (2001) जैसी फिल्मों में उनकी रोमांटिक भूमिकाएं अमर हो गईं. इन फिल्मों ने शाहरुख़ को रोमांस के प्रतीक के रूप में स्थापित कर दिया.
शाहरुख़ ने स्वदेस (2004), चक दे! इंडिया (2007), माई नेम इज खान (2010), और फैन (2016) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय के विविध रूप भी प्रस्तुत किए, जिससे उन्होंने साबित किया कि वे केवल रोमांटिक हीरो तक सीमित नहीं हैं. उनकी फिल्मों का दायरा व्यापक है, जिसमें विभिन्न तरह की भूमिकाएं और भावनाओं को उन्होंने पर्दे पर उतारा है.
शाहरुख़ ख़ान का कैरियर सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं है; वे एक सफल निर्माता भी हैं. उनकी प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट ने कई हिट फिल्मों का निर्माण किया है. इसके अलावा, वे कोलकाता नाइट राइडर्स क्रिकेट टीम के सह-मालिक भी हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शाहरुख़ ख़ान का बहुत बड़ा प्रशंसक वर्ग है, और उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया है. उनकी मेहनत, लगन और विनम्रता के कारण वे न केवल एक सफल अभिनेता हैं बल्कि एक प्रेरणा स्रोत भी हैं. बॉलीवुड में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है.
शाहरुख़ की लोकप्रियता, उनकी फिल्में, और उनके संवाद भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमिट छाप छोड़ चुके हैं, और उनकी अद्वितीय अभिनय शैली उन्हें बॉलीवुड के महानतम अभिनेताओं में एक विशेष स्थान प्रदान करती है.
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संजीव बजाज
संजीव बजाज भारतीय उद्योग जगत के प्रमुख कारोबारी और बजाज फिनसर्व लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (MD) हैं. उनका जन्म 2 नवंबर 1969 को प्रसिद्ध बजाज परिवार में हुआ, जो भारत में उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में अपनी मजबूत पहचान रखता है. संजीव बजाज का नाम देश के प्रमुख उद्योगपतियों में शामिल है, और उन्होंने वित्तीय सेवा क्षेत्र में कंपनी की स्थिति को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
संजीव बजाज ने अपनी शिक्षा प्रतिष्ठित संस्थानों से प्राप्त की है. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पुणे के COEP (College of Engineering Pune) से की और इसके बाद मास्टर्स इन मैनेजमेंट की डिग्री हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से प्राप्त की. उनके नेतृत्व में बजाज फिनसर्व ने भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में अपनी पहचान मजबूत की है. बजाज फिनसर्व के तहत बीमा, कंज्यूमर फाइनेंसिंग, वेल्थ मैनेजमेंट, और अन्य वित्तीय सेवाओं में कंपनी का विस्तार हुआ है, जिससे इसे एक प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के रूप में पहचान मिली है.
उनके कुशल नेतृत्व में बजाज फिनसर्व ने डिजिटल फाइनेंसिंग और नवाचारी योजनाओं का इस्तेमाल कर ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं. संजीव बजाज के नेतृत्व में कंपनी ने वित्तीय उत्पादों को सुलभ और सरल बनाने पर जोर दिया है, ताकि अधिक से अधिक ग्राहक वित्तीय सेवाओं का लाभ उठा सकें.
संजीव बजाज को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्हें फोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड्स जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है, और वे भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और अन्य व्यापारिक संगठनों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं.
संजीव बजाज का नेतृत्व और उनके नवाचार, बजाज समूह को वित्तीय सेवा क्षेत्र में एक मजबूत और प्रतिष्ठित नाम बनाने में महत्वपूर्ण रहे हैं. उनके प्रयासों ने बजाज फिनसर्व को न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मजबूत वित्तीय संस्था के रूप में स्थापित किया है.
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अभिनेत्री ईशा देओल
ईशा देओल भारतीय अभिनेत्री और भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं, जो बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में से एक हैं. उनका जन्म 2 नवंबर 1981 को मुंबई में हुआ था. वे दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र और अभिनेत्री हेमा मालिनी की बेटी हैं, और उनके परिवार में फिल्मी पृष्ठभूमि की गहरी जड़ें हैं. उनके पिता पंजाबी और माता तमिलनाडु से हैं, जिससे उनकी परवरिश एक समृद्ध सांस्कृतिक माहौल में हुई.
ईशा ने वर्ष 2002 में फिल्म कोई मेरे दिल से पूछे से बॉलीवुड में कदम रखा, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला. इसके बाद उन्होंने धूम (2004), कयामत (2003), नो एंट्री (2005), काल (2005), और शादी नं. 1 (2005) जैसी फिल्मों में काम किया. फिल्म धूम में उनके किरदार को दर्शकों ने खासा पसंद किया, और इससे उन्हें बड़ी लोकप्रियता मिली.
ईशा ने अपनी मां हेमा मालिनी से भरतनाट्यम सीखा है और वे एक उत्कृष्ट नृत्यांगना भी हैं. वे कई बार विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मंचों पर अपनी मां के साथ परफॉर्म कर चुकी हैं. उनके नृत्य में उनकी पारंपरिक शैली और कड़ी मेहनत साफ झलकती है.
ईशा ने वर्ष 2012 में व्यवसायी भरत तख्तानी से शादी की. उनके दो बच्चे हैं, और शादी के बाद उन्होंने फिल्मों से कुछ समय के लिए दूरी बना ली थी. हालाँकि, वे हाल के वर्षों में वेब सीरीज़ और अन्य प्लेटफार्मों के माध्यम से वापसी कर रही हैं. ईशा देओल का कैरियर भले ही लंबा न हो, लेकिन उनके अभिनय और नृत्य के प्रति समर्पण ने उन्हें बॉलीवुड में एक विशेष स्थान दिलाया है.
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पहलवान योगेश्वर दत्त
योगेश्वर दत्त भारत के पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता हैं. उनका जन्म 2 नवंबर 1982 को हरियाणा के भैंसवाल कलां गांव में हुआ था. उन्होंने कुश्ती में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और देश के लिए कई पदक जीते हैं.
योगेश्वर दत्त ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक में 60 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा. इसके अलावा, उन्होंने एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता, और वर्ष 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.
योगेश्वर अपनी मेहनत और समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं. उनकी कुश्ती में आक्रामक शैली और आत्म-विश्वास ने उन्हें कुश्ती के क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाई है. उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2012 में पद्मश्री और वर्ष 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया.
योगेश्वर दत्त कुश्ती को बढ़ावा देने और नई पीढ़ी के पहलवानों को प्रेरित करने में भी सक्रिय हैं. उनके खेल जीवन और उपलब्धियों ने देश में कुश्ती को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है.
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अभिनेत्री डायना पेंटी
डायना पेंटी एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो अपनी सादगी और खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 2 नवंबर 1985 को मुंबई में हुआ था. डायना ने मॉडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत की और कुछ ही समय में फैशन की दुनिया में अपनी एक खास पहचान बना ली. वे प्रमुख फैशन ब्रांड्स और डिजाइनर्स के लिए रैंप पर चल चुकी हैं और कई प्रतिष्ठित फैशन शो का हिस्सा रही हैं.
डायना ने वर्ष 2012 में फिल्म कॉकटेल से बॉलीवुड में कदम रखा. इस फिल्म में उनके किरदार “मीरा” को दर्शकों ने बहुत पसंद किया, और उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री के लिए नामांकित भी किया गया. कॉकटेल में उनकी सादगी और सहज अभिनय ने उन्हें तुरंत एक बड़े दर्शक वर्ग का पसंदीदा बना दिया. इसके बाद डायना ने हैप्पी भाग जाएगी (2016) में मुख्य भूमिका निभाई, जिसमें उनके किरदार को भी काफी सराहना मिली. फिल्म में उनके किरदार “हैप्पी” का चुलबुला और हाजिरजवाबी भरा अंदाज दर्शकों को पसंद आया.
उनकी अन्य फिल्मों में लखनऊ सेंट्रल (2017), हैप्पी फिर भाग जाएगी (2018), और परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण (2018) शामिल हैं. डायना पेंटी ने अपने हर किरदार में विविधता लाने की कोशिश की है और अपनी भूमिकाओं में सहजता और संजीदगी का परिचय दिया है. इसके अलावा, उन्होंने कई विज्ञापनों और मॉडलिंग असाइनमेंट में भी काम किया है, जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ी है.
डायना पेंटी अपनी सादगी, स्टाइल और गहरे अभिनय कौशल के लिए जानी जाती हैं. वे बॉलीवुड की उन अभिनेत्रियों में से हैं जिन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत से ही एक विशेष पहचान बनाई है. फिल्मी दुनिया में उनकी चुनिंदा मगर प्रभावशाली भूमिकाओं ने उन्हें बॉलीवुड की उभरती और प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में शुमार किया है.