बॉक्सर विजेन्द्र कुमार सिंह
विजेंदर कुमार सिंह भारतीय मुक्केबाज हैं, जिन्होंने ओलंपिक में भारत के लिए मुक्केबाजी में पहला कांस्य पदक जीता था. उनका जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था. विजेंदर ने अपने कैरियर में अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और भारतीय मुक्केबाजी के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
प्रमुख उपलब्धियाँ: –
ओलंपिक कांस्य पदक: – विजेंदर ने वर्ष 2008 बीजिंग ओलंपिक में मिडलवेट वर्ग में कांस्य पदक जीता, जिससे वह ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बॉक्सर बने.
एशियाई खेल: – वर्ष 2010 ग्वांगझू एशियाई खेलों में उन्होंने कांस्य पदक जीता और वर्ष 2006 दोहा एशियाई खेलों में रजत पदक जीता.
राष्ट्रमंडल खेल: – वर्ष 2006 मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक और 2014 में कांस्य पदक हासिल किया.
विजेंदर सिंह ने वर्ष 2015 में प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखा और जल्द ही अपनी आक्रामक शैली के लिए प्रसिद्ध हो गए. अपने कैरियर में उन्होंने कई मुकाबले जीते और WBO एशिया पैसिफिक सुपर मिडलवेट चैंपियन और WBO ओरिएंटल सुपर मिडलवेट चैंपियन जैसे खिताब अपने नाम किए.
विजेंदर की मुक्केबाजी शैली उनके संयम, ताकत, और सटीकता के लिए जानी जाती है. उनके सफलता ने भारत में मुक्केबाजी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और युवा पीढ़ी को इस खेल में कैरियर बनाने के लिए प्रेरित किया.
विजेंदर सिंह ने फिल्म और मॉडलिंग में भी अपना हाथ आजमाया है. इसके अलावा, वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं और खेल व फिटनेस के प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए काम करते हैं. उनकी उपलब्धियाँ भारतीय खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय हैं और उन्होंने भारतीय मुक्केबाजी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिलाई है.
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अभिनेता राघव लॉरेंस
राघव लॉरेंस अभिनेता, निर्देशक, कोरियोग्राफर, और समाजसेवी हैं, जो मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में सक्रिय हैं. उनका असली नाम राघवेंद्र मुरुगईया है, लेकिन वे राघव लॉरेंस के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं. वे अपने अनोखे डांस मूव्स और हॉरर फिल्मों में अभिनय व निर्देशन के लिए जाने जाते हैं. लॉरेंस का जन्म 29 अक्टूबर 1976 को मुरुगायण और कनमनी के एक तमिल भाषी परिवार में हुआ था. लॉरेंस को बचपन में ही ब्रेन ट्यूमर हो गया था.
राघव लॉरेंस का कैरियर कोरियोग्राफी से शुरू हुआ. उन्होंने कई दक्षिण भारतीय फिल्मों में अपनी बेहतरीन कोरियोग्राफी से लोगों का ध्यान आकर्षित किया. बॉलीवुड में भी उन्होंने कोरियोग्राफर के रूप में काम किया. उनकी मेहनत और हुनर के कारण उन्हें जल्दी ही फिल्मों में अभिनय का अवसर मिलने लगा.
राघव लॉरेंस ने कई लोकप्रिय तमिल और तेलुगू फिल्मों में काम किया है. वे विशेषकर कंचना (Muni) फिल्म श्रृंखला के लिए प्रसिद्ध हैं, जो तमिल सिनेमा में हॉरर-कॉमेडी का एक अनूठा उदाहरण है. इस श्रृंखला में उन्होंने न केवल अभिनय किया, बल्कि इसका निर्देशन और लेखन भी किया.
प्रमुख फिल्में: –
कंचना (श्रृंखला): – एक हॉरर-कॉमेडी फ्रैंचाइज़ी, जिसे उन्होंने निर्देशित और अभिनीत किया.
मुनि: – इस फिल्म ने उन्हें तमिल सिनेमा में एक लोकप्रिय चेहरा बना दिया.
काला: – रजनीकांत के साथ की गई इस फिल्म में उन्होंने एक प्रभावशाली भूमिका निभाई.
लक्ष्मी बॉम्ब: – इस फिल्म के हिंदी रीमेक में अक्षय कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई, और इसका निर्देशन राघव लॉरेंस ने किया.
राघव लॉरेंस समाजसेवा के लिए भी जाने जाते हैं. वे गरीब और जरूरतमंदों की मदद के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं. उन्होंने कई बार सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी है और अपने फाउंडेशन के माध्यम से चिकित्सा, शिक्षा, और जरूरतमंदों की सहायता के लिए काम किया है.
राघव लॉरेंस को उनके निर्देशन, अभिनय और कोरियोग्राफी के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं. उनकी अनोखी प्रतिभा और बहुआयामी व्यक्तित्व ने उन्हें तमिल फिल्म उद्योग में एक प्रमुख स्थान दिलाया है. राघव लॉरेंस एक बहुआयामी कलाकार हैं, जिन्होंने अभिनय, निर्देशन और समाजसेवा में अपनी अलग पहचान बनाई है और तमिल सिनेमा के दर्शकों के बीच लोकप्रियता हासिल की है.
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अभिनेत्री अदिति भाटिया
अदिति भाटिया टेलीविजन अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी टीवी धारावाहिकों में काम करती हैं. उनका जन्म 29 अक्टूबर 1999 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी और टेलीविजन की दुनिया में अपनी खास पहचान बनाई.
अदिति ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत बचपन में की, जब उन्होंने कुछ बॉलीवुड फिल्मों में छोटे किरदार निभाए. उन्हें “विवाह” (2006) और “द ट्रेन” (2007) जैसी फिल्मों में देखा गया था.
अदिति भाटिया को असली प्रसिद्धि स्टार प्लस के लोकप्रिय शो “ये है मोहब्बतें” में रुही भल्ला के किरदार से मिली, उन्होंने इस शो में लीड किरदार इशिता भल्ला और रमन भल्ला की बेटी का किरदार निभाया, जो दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया, अदिति ने कॉमेडी शो “कॉमेडी नाइट्स बचाओ ताज़ा” में भी काम किया है, जिसमें उनकी कॉमिक टाइमिंग की खूब सराहना हुई. इसके अलावा, उन्होंने रियलिटी शो “नच बलिए” में भी भाग लिया है.
अदिति भाटिया सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं और उनके इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोअर्स हैं. वे अक्सर अपने फैंस के साथ अपने जीवन से जुड़ी झलकियाँ साझा करती हैं. अदिति भाटिया ने अपने अभिनय और व्यक्तित्व के दम पर टेलीविजन इंडस्ट्री में एक मजबूत पहचान बनाई है.
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संग्राम सेनानी कमलादेवी चट्टोपाध्याय
कमलादेवी चट्टोपाध्याय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की समर्थक थीं.। उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प, कला और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया. कमलादेवी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, महिला सशक्तिकरण, और भारत के सांस्कृतिक और शिल्पिक उत्थान में अद्वितीय योगदान है.
कमलादेवी का जन्म 3 अप्रैल 1903 को मैंगलोर, कर्नाटक में हुआ था. वे बचपन से ही प्रतिभाशाली और स्वावलंबी थीं. उनके पति, हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय, जो खुद एक कवि और नाटककार थे, ने भी उनके विचारों और कार्यों को प्रेरित किया. कमलादेवी ने अपने समय के पारंपरिक सोच से आगे बढ़कर उच्च शिक्षा प्राप्त की और समाज सुधार के कार्यों में सक्रियता से भाग लिया.
कमलादेवी चट्टोपाध्याय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं और महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह आंदोलनों में भाग लिया. वे वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह में शामिल हुईं और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया. वे भारत में सामाजिक सुधार और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी निरंतर आवाज उठाती रहीं.
कमलादेवी का सबसे बड़ा योगदान भारतीय हस्तशिल्प और ग्रामीण कला के पुनर्जागरण में था. उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प, बुनाई, और पारंपरिक कुटीर उद्योगों को संरक्षित करने के लिए ऑल इंडिया हैंडीक्राफ्ट्स बोर्ड की स्थापना की. उनकी प्रेरणा से नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और संगीत नाटक अकादमी जैसी संस्थाओं की स्थापना हुई, जिन्होंने भारतीय नृत्य, संगीत और रंगमंच को समृद्ध बनाने में मदद की. उन्होंने कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिले और पारंपरिक कला और शिल्प को संरक्षित किया जा सके.
कमलादेवी ने भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किया. वे ऑल इंडिया वुमेन कॉन्फ्रेंस की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं. उनकी सोच थी कि महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना चाहिए, जिससे वे समाज में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकें.
कमलादेवी चट्टोपाध्याय को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख हैं: –
पद्म भूषण (1955) और पद्म विभूषण (1987),
मैगसेसे पुरस्कार भी उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए दिया गया.
कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जीवन और कार्य एक प्रेरणा स्रोत हैं. उनकी दूरदर्शिता ने भारत की संस्कृति, कला, और समाज सुधार में अमूल्य योगदान दिया, जिससे वे भारत के सांस्कृतिक इतिहास का एक अभिन्न अंग बन गईं.
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अन्य: –
- बंगाल में ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की स्थापना वर्ष 1851 में की गई थी.
- आइसलैंड के राष्ट्रपति ओलोफ़र रेगनर ग्रिमसन वर्ष 2000 में सात दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत पहुँचे थे.
- वर्ष 2004 में त्रिनिदाद एवं टोबैगो के राष्ट्रपति मेक्सवेल रिचर्डस ने नई दिल्ली में भारतीय राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ वार्ता की थी.
- वर्ष 2005 में ‘आयल फ़ार फ़ूड प्रोग्राम’ विषयक बोल्कर रिपोर्ट में भारत के विदेश मंत्री नटवर सिंह पर उंगली उठाई गयी थी.
- वर्ष 2012 में शीर्ष भारतीय खिलाड़ी पंकज आडवाणी ने फिर अपनी श्रेष्ठता साबित करते हुए इंग्लैंड के मौजूदा चैंपियन और स्थानीय प्रबल दावेदार माइक रसेल को हराकर सातवां वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैंपियनशिप ख़िताब अपने नाम किया था.