क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह
क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे. 22 जनवरी, 1892 कोउत्तर प्रदेश के ख्याति प्राप्त जनपद शाहजहाँपुर में स्थित गांव ‘नबादा’ में पैदा हुए थे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था.
वर्ष 1929 के आस-पास ‘असहयोग आन्दोलन’ से पूरी तरह प्रभावित हो गए थे. वे देश सेवा की और झुके और अंतत: रामप्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आकर क्रांति पथ के यात्री बन गए. 9 अगस्त, 1925 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पास ‘काकोरी’ स्टेशन के निकट ‘काकोरी काण्ड’ के अंतर्गत सरकारी खजाना लूटा गया था. जिसके बाद ठाकुर रोशन सिंह को 26 सितम्बर, 1925 को गिरफ़्तार किये गए थे. जेल में रहने के दौरान जेल अधिकारीयों ने मुखबिर बनाने की कोशिस की परन्तु असफल रहे. ज्ञात है कि, काकोरी काण्ड’ के सन्दर्भ में रामप्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी और अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ की तरह ठाकुर रोशन सिंह को भी फ़ाँसी की सज़ा दी गई थी.
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निर्माता और निर्देशक विजय आनंद
निर्माता और निर्देशक विजय आनंद एक भारतीय फ़िल्म उद्योग के प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं. विजय आनंद फ़िल्म निर्माता, निर्देशक, और लेखक के रूप में अपनी पेशेवर जीवन में प्रसिद्ध हैं. उन्होंने भारतीय सिनेमा में कई महत्वपूर्ण फ़िल्में निर्मित की हैं और उनका काम उन्हें फ़िल्म उद्योग के कई पुरस्कारों से नवाजा गया है.
विजय आनंद का कुछ प्रमुख काम निम्नलिखित है:- ‘काला बाजार’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘तेरे मेरे सपने’ ‘कोरा कागज’.
विजय आनंद अपनी फिल्मों के गानों के लिए जाने जाते थे, वह अपने गाने कुछ ऐसे फिल्माया करते थे की देखनेवाले पर जादू छोड़ जाए.
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अभिनेत्री नम्रता शिरोडकर
नम्रता शिरोडकर एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं. नम्रता का 22 जनवरी, 1972 में पूना, महाराष्ट्र, भारत में पैदा हुई थी. नम्रता ने अपनी कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी. नम्रता ने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत फिल्म ‘जब प्यार किसी से होता है’ से की थी.
नम्रता शिरोडकर की कुछ महत्वपूर्ण फ़िल्में निम्नलिखित हैं:- ‘कच्चे धागे’, ‘वास्तव’, ‘पुकार’, ‘अलबेला’ ‘दिल विल प्यार व्यार’, पुकार, अस्तित्व, हेरा फेरी, आगाज़, रोक सको तो रोक लो, एलओसी कारगिल, कच्चे धागे, रागिनी पंडित, हीरो हिन्दुस्तानी, मेरे दो अनमोल रतन और जब प्यार किसी से होता है.
नम्रता शिरोडकर ने अपनी अभिनय क्षमता के लिए कई पुरस्कार भी जीते हैं. वह अभिनेता महेश बाबू की पत्नी भी हैं और उनके साथ एक सुखमय जीवन बिता रही हैं.
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मुग़ल सम्राट शाहजहाँ
मुग़ल सम्राट शाहजहाँ जिनका जन्म 5 जनवरी 1592 को हुआ था और मृत्यु 22 जनवरी 1666 को हुई, मुग़ल साम्राज्य का पुनः विस्तार करने वाले मुग़ल सम्राट अकबर के पौत्र और जहाँगीर के पोते थे. वह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण सम्राट थे और उन्होंने अपने राजा शासक के रूप में एक स्वर्गीय नगर, ताजमहल का निर्माण कराया, जिसे एक प्यार के प्रतीक के रूप में जाना जाता है.
शाहजहाँ के राज्यकाल में मुग़ल साम्राज्य ने अपने साम्राज्य को एक सुखमय और प्रतिष्ठित काबिले तारीक़ रूप में स्थापित किया और संगठित किया. उनका शासनकाल मुग़ल साम्राज्य के सांस्कृतिक और आर्थिक उत्कृष्टता की एक महत्वपूर्ण धारा था. ताजमहल, जिसे शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था, एक अत्यद्भुत मकबरा है और यह विश्व धरोहर स्थल के रूप में अब जाना जाता है. ताजमहल की विशेषता उसकी सुंदर आर्किटेक्चर, मकराना मार्बल से बनी भव्यता, और उसके पास में यमुना नदी का बहाव होने में है.
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समर्थ रामदास स्वामी
समर्थ रामदास स्वामी, जिनका जन्म 1608 में हुआ था और मृत्यु 1682 में हुई, एक प्रमुख मराठा संत और साधक थे जिन्होंने महाराष्ट्र क्षेत्र में अपने उपास्य और सेवा के कार्य किए. उनका जन्म संप्रभु राम की उपासना और भक्ति में हुआ था, और उन्होंने अपने जीवण में रामभक्ति और सेवा को प्रमुखता दी.
समर्थ रामदास स्वामी ने महाराष्ट्र के मराठा साम्राज्य के महान शिवाजी महाराज के गुरु और आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने शिवाजी महाराज को नीतिशास्त्र और धर्मिक तत्वों के माध्यम से सिखाया और उनके साथ आध्यात्मिक बातचीत की. समर्थ रामदास स्वामी के द्वारा लिखे गए काव्य, उपदेश, और संदेश भक्तिभावना और धर्म के मुद्दों पर आधारित थे. उन्होंने मराठा साम्राज्य के साथी और समर्थ रामदासी सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिए भक्तिभावना और आध्यात्मिक गुरु के रूप में महत्वपूर्ण थे.
समर्थ रामदास स्वामी के जीवन और उनके उपदेशों के प्रसार के कारण उन्होंने महाराष्ट्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और उन्हें “समर्थ रामदास” के नाम से जाना जाता है. उनकी समर्थ रामदासी सम्प्रदाय का पालन आज भी महाराष्ट्र के लोगों द्वारा किया जाता है और उनके उपदेश धार्मिकता, आध्यात्मिकता, और भक्ति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं.
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गायक नरेंद्र चंचल
नरेंद्र चंचल एक प्रमुख भारतीय भजन गायक थे, जिन्होंने अपनी शक्तिशाली और भक्तिपूर्ण आवाज़ के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की थी. वे हिंदी और पंजाबी भजनों के लिए मशहूर थे और उन्होंने अपनी कैरियर में अनेक प्रमुख भक्ति गीत गाए, जिनमें प्रमुख हैं “मां दुर्गा, मां शेरावाली”.
नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर 1940 को अमृतसर के पंजाबी परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी गायकी का कैरियर 1960 के दशक में शुरू किया. उनके भजन और गीतों की आवाज़ और उनका भक्तिपूर्ण अंदाज उन्हें भारतीय संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण थे. नरेंद्र चंचल ने भक्ति के अलावा कुछ हिंदी फिल्मों के भी गाने गाये हैं.
नरेंद्र चंचल के कुछ प्रसिद्ध भजन हैं : – “चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है”, “तूने मुझे बुलाया”, “डेंगू भी आया और स्वाइन फ्लू भी आया, चिकन गोनिया ने शोर मचाया, कित्थे आया कोरोना?”…
नरेंद्र चंचल की कुछ महत्वपूर्ण फिल्मों के गाने : – “बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो”( बॉबी), “मैं बेनाम हो गया”(बेनाम), “बाकि कुछ बचा तो महंगाई मार गयी” (रोटी कपड़ा और मकान) , “दो घूंट पिला दे सकिया”( काला सूरज) आदि..
नरेंद्र चंचल का निधन 22 जनवरी 2021 को हुआ था, लेकिन उनकी आवाज़ और भक्ति गानों की प्रसिद्धता और महत्वपूर्ण भक्ति गीतों के माध्यम से वे आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं.