News

व्यक्ति विशेष

भाग – 293.

संथाली भाषा के शिक्षाविद दिगम्बर हांसदा

दिगम्बर हांसदा संथाली भाषा और साहित्य के शिक्षाविद और विद्वान थे. उन्होंने संथाली भाषा के विकास और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका उद्देश्य संथाली भाषा को शिक्षा और साहित्य के माध्यम से आदिवासी समुदाय में पहचान दिलाना था. उन्होंने संथाली भाषा के शिक्षण और इसके साहित्यिक रूप को समृद्ध करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए.

दिगम्बर हांसदा का जन्म 16 अक्टूबर 1939 को डोभापानी, पूर्वी सिंहभूम जिला, झारखंड में हुआ था. उनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजदोहा मिडिल स्कूल से हुई थी. उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मानपुर हाइस्कूल से पास की थी. वर्ष 1963 में रांची यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में स्नातक और वर्ष 1965 में एमए की परीक्षा पास की थी.

दिगम्बर हांसदा का योगदान विशेष रूप से संथाली भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है, जिससे संथाली को एक मान्यता प्राप्त भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ. इसके अलावा, उन्होंने कई ग्रंथ और लेख लिखे, जिनके माध्यम से संथाली साहित्य को एक नई ऊंचाई मिली.

वर्ष 2018 में प्रो. हांसदा को  साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया था. दिगम्बर हांसदा का निधन 19 नवंबर, 2020 को हुआ. उनके कार्यों का प्रभाव न केवल भाषा और साहित्य तक सीमित रहा, बल्कि उन्होंने संथाल समुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक उन्नति के लिए भी अपना जीवन समर्पित किया.

==========  =========  ===========

भजन गायक नरेंद्र चंचल

नरेंद्र चंचल एक भारतीय भजन गायक थे, जिन्हें विशेष रूप से माता के जागरण और भक्ति गीतों के लिए जाना जाता था. उनका जन्म 16 अक्टूबर 1940 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था.

चंचल के पिता का नाम चेतराम खरबंदा और माता का नाम कैलाशवती था. चंचल को अपनी माँ के कारण भजन में रूचि बढ़ी और  प्रेम त्रिखा से संगीत सीखा और वो भजन गाने लगे थे. चंचल का कैरियर भक्ति संगीत पर आधारित था. उनकी आवाज़ और गायकी की शैली उन्हें अन्य गायकों से अलग बनाती थी.

नरेंद्र चंचल के गाए हुए कई भजन जैसे “चलो बुलावा आया है” और “तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये” बेहद लोकप्रिय हुए और आज भी जागरण और धार्मिक आयोजनों में गाए जाते हैं. उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी कुछ गीत गाए, जिनमें उनकी भक्ति भावना झलकती थी.

उनकी संगीत यात्रा ने भक्ति संगीत को एक नए आयाम तक पहुँचाया और उनकी गायकी ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया. नरेंद्र चंचल का निधन 22 जनवरी 2021 को हुआ, लेकिन उनके भजन और जागरण आज भी श्रोताओं के दिलों में जीवित हैं.

==========  =========  ===========

तबला वादक लच्छू महाराज

लच्छू महाराज भारत के प्रसिद्ध तबला वादक थे, जिन्हें उनके अद्वितीय तबला वादन और लयकारी के लिए पहचाना जाता था. उनका असली नाम लक्ष्मण सिंह था, लेकिन उन्हें प्यार से “लच्छू महाराज” कहा जाता था. वे बनारस घराने के प्रतिष्ठित तबला वादक थे और भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

लच्छू महाराज का जन्म 16अक्टूबर 1944 को बनारस ( उत्तर प्रदेश ) में हुआ था. इनके पिता का नाम वासुदेव महाराज था. लच्छू महाराज ने बचपन से ही तबला सीखना शुरू किया. उनकी तबला वादन शैली में बनारस घराने की परंपरा और अपनी खुद की रचनात्मकता का समन्वय था. उनके वादन में ठेके की मजबूती और गहराई के साथ-साथ अत्यधिक गति और सूक्ष्मता भी शामिल थी.

लच्छू महाराज ने न केवल शास्त्रीय संगीत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि वे फिल्मी संगीत में भी सक्रिय रहे. उन्होंने कई प्रतिष्ठित संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया और देश-विदेश में अपनी कला का प्रसार किया. उनकी सादगी और संगीत के प्रति समर्पण ने उन्हें संगीत प्रेमियों के बीच आदर और सम्मान दिलाया.

उनके निधन के बाद भी लच्छू महाराज का नाम तबला वादन की दुनिया में अमर है, और उनके शिष्य और प्रशंसक आज भी उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

==========  =========  ===========

मुख्यमंत्री ‘नवीन पटनायक’

नवीन पटनायक ओडिशा राज्य के प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो वर्ष 2000 से राज्य के मुख्यमंत्री पद पर हैं. वह भारतीय राजनीति में अपनी सादगी, स्वच्छ छवि, और लंबी राजनीतिक स्थिरता के लिए जाने जाते हैं. नवीन पटनायक का जन्म 16 अक्टूबर 1946 को हुआ था और वे ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी बीजू पटनायक के बेटे हैं. उनके पिता की राजनीतिक विरासत को संभालते हुए, उन्होंने वर्ष 1997 में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की और उसी वर्ष बीजू जनता दल (BJD) की स्थापना की.

नवीन पटनायक की सबसे बड़ी खासियत उनकी नीतियों और शासन में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, और गरीबों के कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता रही है. ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने कई जनकल्याण योजनाओं और विकास परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें से कई राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा प्राप्त कर चुकी हैं.

उनकी राजनीति में सफलताएं इस तथ्य से स्पष्ट होती हैं कि वे लगातार पाँच बार (वर्ष 2000, 2004, 2009, 2014, और 2019) मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए हैं, जो भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ उपलब्धि है. उनकी लोकप्रियता का कारण उनकी नीतियों का गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों पर केंद्रित होना और प्राकृतिक आपदाओं के समय राज्य का सफलतापूर्वक नेतृत्व करना है. ओडिशा में आए कई चक्रवातों के दौरान उनकी सरकार की आपदा प्रबंधन नीतियों ने व्यापक प्रशंसा अर्जित की है.

नवीन पटनायक की राजनीतिक छवि की एक और खासियत उनकी स्वच्छ, भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन की प्रतिष्ठा है, और वे अपनी स्पष्टवादी और विनम्र व्यक्तित्व के लिए भी लोकप्रिय हैं.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी

हेमा मालिनी प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री, नृत्यांगना, फिल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ हैं, जिन्हें बॉलीवुड में “ड्रीम गर्ल” के नाम से जाना जाता है. उनका जन्म 16 अक्टूबर 1948 को तमिलनाडु के अम्मनकुड़ी में हुआ था. वह न केवल हिंदी सिनेमा की एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री हैं, बल्कि एक कुशल भरतनाट्यम नृत्यांगना भी हैं, जिन्होंने शास्त्रीय नृत्य को बड़े मंचों पर प्रस्तुत किया है.

हेमा मालिनी ने वर्ष 1968 में फिल्म सपनों का सौदागर से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्में दीं, जैसे: – सीता और गीता (वर्ष 1972), शोले (वर्ष 1975), जॉनी मेरा नाम (वर्ष 1970), ड्रीम गर्ल (वर्ष 1977), सत्ते पे सत्ता (वर्ष 1982), और बाग़बान (2003). उनके अभिनय में विविधता और लचीलेपन के कारण वे रोमांस, कॉमेडी, एक्शन और नृत्य पर आधारित भूमिकाओं में समान रूप से सफल रहीं.

हेमा मालिनी एक कुशल भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, और ओडिसी नृत्यांगना हैं. उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया और इस कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया. उनके नृत्य प्रस्तुतियों में शास्त्रीय और समकालीन नृत्य के मेल को देखा जा सकता है.

वर्ष 1979 में हेमा मालिनी ने अभिनेता धर्मेंद्र से विवाह किया. उनके दो बेटियाँ हैं – ईशा देओल और अहाना देओल, जिनमें से ईशा भी एक अभिनेत्री हैं. हेमा मालिनी ने वर्ष 2003 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़कर राजनीति में कदम रखा और वर्ष 2014 और वर्ष  2019 के लोकसभा चुनावों में मथुरा से सांसद चुनी गईं और क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए सक्रिय रही हैं.

अपने कैरियर में हेमा मालिनी को कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें वर्ष 2000 में भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और वर्ष 2012 में पद्म श्री शामिल हैं. उनका योगदान भारतीय सिनेमा और कला में अद्वितीय माना जाता है.

हेमा मालिनी की छवि एक बहुमुखी कलाकार और सफल राजनीतिज्ञ की है, जिन्होंने कला और राजनीति दोनों क्षेत्रों में अपना प्रभाव छोड़ा है.

==========  =========  ===========

भौतिक वैज्ञानिक और गणितज्ञ हरीश चंद्र महरोत्रा

हरीश चंद्र महरोत्रा प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी भौतिक वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे, जिन्होंने गणित के क्षेत्र में विशेष रूप से प्रतिनिधित्व सिद्धांत और हरमोनिक विश्लेषण में उल्लेखनीय योगदान दिया. उनका जन्म 11 अक्टूबर 1923 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. हरीश चंद्र ने गणित और भौतिकी दोनों ही विषयों में महत्वपूर्ण कार्य किए, और उनके शोध कार्यों ने गणित के कई क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डाला.

हरीश चंद्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहाँ उन्होंने भौतिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद वे इंग्लैंड चले गए और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञानी पॉल डिराक के साथ कार्य करना शुरू किया. हालांकि, बाद में उनकी रुचि गणित की ओर अधिक हो गई और उन्होंने गणित में अपना कैरियर बनाने का फैसला किया.

हरीश चंद्र ने गणित के प्रतिनिधित्व सिद्धांत और हरमोनिक विश्लेषण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया. विशेष रूप से, उन्होंने सेमिसिंपल लाइ ग्रुप्स के प्रतिनिधित्व सिद्धांत पर काम किया, जो गणित के कई क्षेत्रों, जैसे संख्या सिद्धांत और गणितीय भौतिकी में उपयोगी साबित हुआ. उनके कार्यों ने गणितीय समुदाय में उन्हें एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी वैज्ञानिक के रूप में स्थापित किया.

उनके नाम पर “हरीश-चंद्र मॉड्यूल” और “हरीश-चंद्र चरित्र” जैसे कई गणितीय अवधारणाएँ हैं, जिनका उपयोग गणित के उन्नत अध्ययन में किया जाता है. उनके काम ने न केवल गणितीय सिद्धांतों को प्रभावित किया, बल्कि उनका उपयोग भौतिकी और अन्य वैज्ञानिक क्षेत्रों में भी किया गया.

हरीश चंद्र ने भारत और अमेरिका में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में काम किया, जिनमें प्रिंसटन विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय प्रमुख हैं. वे वर्ष 1961 में प्रिंसटन के प्रसिद्ध “इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी” में प्रोफेसर बने, जहाँ उन्होंने जीवनभर गणितीय शोध और शिक्षा में योगदान दिया.हरीश चंद्र के उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई सम्मान मिले, जिनमें वर्ष 1974 में भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार और वर्ष 1981 में अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की सदस्यता शामिल है.

हरीश चंद्र का जीवन गणित और विज्ञान के प्रति समर्पित था. उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों तक गणितीय शोध किया और 16 अक्टूबर 1983 को अमेरिका में उनका निधन हो गया. हरीश चंद्र का योगदान गणितीय विज्ञान के क्षेत्र में आज भी प्रेरणा स्रोत है, और उनकी विरासत गणितीय शोध और शिक्षण में अमर है.

==========  =========  ===========

स्वतंत्रता सेनानी गणेश घोष

गणेश घोष प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जो बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन से जुड़े थे. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रसिद्ध चटगांव शस्त्रागार अभियान (Chittagong Armoury Raid) के नेताओं में से एक थे, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सबसे साहसिक और प्रभावशाली क्रांतिकारी कार्रवाइयों में से एक था.

गणेश घोष का जन्म 22 जून 1900 को बंगाल में चटगांव (वर्तमान में बांग्लादेश) के पास एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. वे शुरुआती उम्र से ही राष्ट्रीय आंदोलन से प्रभावित थे और पढ़ाई के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए. वे अनुशीलन समिति नामक क्रांतिकारी संगठन के सदस्य बने, जो ब्रिटिश राज के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का समर्थन करता था.

वर्ष 1930 में, गणेश घोष ने सूर्य सेन और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर चटगांव शस्त्रागार अभियान में भाग लिया. इस साहसिक अभियान का उद्देश्य ब्रिटिश सेना के शस्त्रागार पर कब्जा करना और उनके हथियारों का उपयोग करके ब्रिटिश शासन को कमजोर करना था. इस अभियान के तहत, क्रांतिकारियों ने चटगांव में पुलिस आर्मरी और टेलीग्राफ ऑफिस पर हमला किया, लेकिन उन्हें ब्रिटिश सेना से कड़ा प्रतिरोध मिला. इसके बाद भी, यह अभियान ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय क्रांतिकारियों की हिम्मत और दृढ़ता का प्रतीक बना.

चटगांव शस्त्रागार अभियान के बाद गणेश घोष को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया. उन्हें जेल में लंबी सजा दी गई और कई साल तक वे जेल में बंद रहे. जेल में रहते हुए उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखी.

स्वतंत्रता के बाद, गणेश घोष ने भारतीय राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई. वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य बने और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधायक चुने गए. उन्होंने समाजवाद और श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम किया और भारतीय समाज के विकास में योगदान दिया.

गणेश घोष का जीवन स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद देश के पुनर्निर्माण के प्रयासों का प्रतीक था. उन्होंने अपने संघर्षों और त्याग के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया. वर्ष 1994 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में हमेशा याद किया जाता है.

गणेश घोष की क्रांतिकारी गतिविधियाँ और उनके साहसिक योगदान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अमर हैं.

==========  =========  ===========

जन्म : –

मलयालम भाषी कवि वल्लथोल नारायण मेनन: – वल्लथोल नारायण मेनन का जन्म 16 अक्टूबर 1878 को उत्तरी केरल के एक धनी और प्राचीन विचारों वाले नायर परिवार में हुआ था. वर्ष 1909  में उन्होंने बाल्मीकि रामायण का मलयालम भाषा में अनुवाद किया था.

अन्य: –

दिल्ली की गद्दी पर बैठाया: – 16 अक्टूबर 1788 में मराठों ने शाह आलम को दिल्ली की गद्दी पर बैठाया था.

द्वीप समूह के अधिकार ब्रिटेन को बेचा: –  16 अक्टूबर 1868 में डेनमार्क ने निकोबार द्वीप समूह केअधिकार को ब्रिटेन से बेच दिया था. इसके साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप से डेनमार्क के दखल का आखिरी निशान भी मिट गया था.

बंगाल का विभाजन प्रभावी हुआ: – 16 अक्टूबर 1905 को  बंगाल का विभाजन प्रभावी हुआ था. ज्ञात है कि, भारत के तत्कालीन वाइसराय कर्जन ने 19-20 जुलाई, वर्ष 1905 को बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा की गई थी. बंगाल विभाजन का मुख्य उद्देश्य था कि बंगाल की संगठित राजनीतिक भावना को समाप्त करना तथा राष्ट्रीयता के वेग को कम करना साथ ही पूर्वी बंगाल में मुसलमानों का बहुमत तथा पश्चिमी भाग में हिन्दुओं का बहुमत रखना जिससे हिन्दू-मुस्लिम एकता समाप्त हो जाए.

कप्तान कपिल देव ने क्रिकेट जीवन की शुरुआत की: – 16 अक्टूबर 1978 में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव ने पाकिस्तान में फैसलाबाद टेस्ट से अपने क्रिकेट जीवन की शुरुआत की थीं.

शतक’ बना चुके फ़ौजा सिंह ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया: – 16 अक्टूबर 2011 में शतक’ बना चुके ‘फ़ौजा सिंह’ ने सबसे अधिक उम्र में टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन पूरा करके नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है.

5/5 - (1 vote)
:

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!