News

व्यक्ति विशेष

भाग – 276.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्र

बृजेश मिश्र भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) थे, जिन्होंने 1998 से 2004 तक इस पद पर कार्य किया. वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वरिष्ठ अधिकारी थे और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में एक प्रमुख भूमिका निभाई. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में, मिश्र ने भारत की सुरक्षा नीतियों को दिशा दी और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सलाह दी.

बृजेश मिश्र का जन्म 29 सितम्बर 1928 को हुआ था. उनके पिता का नाम द्वारका प्रसाद मिश्र था जो कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे. बृजेश मिश्र का निधन  28 सितम्बर, 2012 को  नई दिल्ली में हुआ था.

उनका योगदान भारत की विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति में काफी महत्वपूर्ण रहा है. उन्होंने परमाणु नीति, रक्षा सुधार, और आतंकवाद के खिलाफ रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अलावा, मिश्र प्रधानमंत्री वाजपेयी के प्रधान सचिव भी थे, जिससे उन्हें सरकार की आंतरिक और बाहरी नीतियों पर अधिक प्रभाव डालने का अवसर मिला.

मिश्र के कार्यकाल में भारत ने 1998 में पोखरण-II परमाणु परीक्षण भी किया था, जिसके बाद भारत की रक्षा और विदेश नीति में कई बड़े बदलाव आए.

==========  =========  ===========

निर्माता-निर्देशक महमूद अली

महमूद अली (1932-2004) भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख हास्य अभिनेता थे. उन्हें केवल “महमूद” के नाम से जाना जाता था और वह हिंदी सिनेमा के सबसे सफल और लोकप्रिय कॉमेडियन माने जाते थे. उनका कैरियर पांच दशकों तक फैला हुआ था, और उन्होंने लगभग 300 से अधिक फिल्मों में काम किया.

महमूद अली का जन्म 29 सितंबर 1932 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता का नाम मुमताज़ अली के बेटे और चरित्र अभिनेत्री मिन्नो मुमताज़ अली के भाई थे. शुरुआत महमूद ने अपने कैरियर की शुरुआत छोटे रोल्स और सहायक भूमिकाओं से की था उनको पहला ब्रेक वर्ष 1958 की फ़िल्म ‘परवरिश’ में मिला था, जिसमें उन्होंने राज कपूर के भाई की भूमिका निभाई थी.

महमूद को वास्तविक पहचान वर्ष 1961 में फिल्म “ससुराल” से मिली थी. यह उनके कैरियर की अहम फ़िल्म थी, जिसके जरिए बतौर हास्य कलाकार स्थापित होने में उन्हें मदद मिली.

 लोकप्रिय फिल्में: –  पड़ोसन (1968), भूत बंगला (1965), कुंवारा बाप (1974), हमजोली (1970), लव इन टोक्यो (1966).

महमूद ने कई फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया, जिनमें “कुंवारा बाप” एक महत्वपूर्ण फिल्म है. यह फिल्म उनके जीवन के व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित थी. महमूद की कॉमिक टाइमिंग और अदाकारी का जादू ऐसा था कि वे सहायक भूमिकाओं में भी मुख्य पात्रों जितने महत्वपूर्ण माने जाते थे.

महमूद ने अपने कैरियर में कई फिल्मफेयर अवार्ड्स और अन्य पुरस्कार जीते, जिनमें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के लिए कई नामांकित पुरस्कार शामिल हैं. महमूद अली का निधन  23 जुलाई, 2004 को अमेरिका में हुआ था. महमूद ने अपने समय में हास्य की दुनिया में जो स्थान बनाया, वह आज भी अमर है. उनकी फिल्मों और उनके द्वारा निभाए गए पात्रों को आज भी पसंद किया जाता है.

==========  =========  ===========

मुख्य न्यायाधीश एस. एच. कपाड़िया

 सरोष होमी कपाड़िया (एस. एच. कपाड़िया) भारत के 38वें मुख्य न्यायाधीश थे. उन्होंने 12 मई 2010 से 28 सितंबर 2012 तक इस महत्वपूर्ण पद पर सेवा दी. उनका कार्यकाल निष्पक्षता, ईमानदारी और न्यायिक सुधारों के लिए जाना जाता है. कपाड़िया को भारतीय न्यायपालिका में एक सख्त और ईमानदार न्यायाधीश के रूप में पहचाना जाता था, जिनका मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी और न्यायप्रिय बनाना था.

सरोष होमी कपाड़िया का जन्म 29 सितंबर 1947, मुंबई में हुआ था. कपाड़िया का कैरियर एक क्लर्क के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत और प्रतिभा के दम पर न्यायिक पदों तक की यात्रा तय की. वर्ष 1991 में, उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल: 12 मई 2010 – 28 सितंबर 2012.

कपाड़िया एक प्रगतिशील और निष्पक्ष न्यायाधीश माने जाते थे. उन्होंने कई ऐतिहासिक निर्णय दिए, जो भारतीय न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर बना.

प्रमुख फैसले: –

उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण निर्णय दिए. जैसे कि 2G स्पेक्ट्रम मामले में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है. वहीँ, पर्यावरण संरक्षण और खनन के मामलों में उन्होंने कठोर रुख अपनाया, जिससे प्राकृतिक संसाधनों की अनियमित खपत पर रोक लगाई गई.

कपाड़िया अपने न्यायिक सिद्धांतों के लिए जाने जाते थे. वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर जोर देते थे. वह अपनी सादगी और विनम्रता के लिए भी चर्चित थे. 28 सितंबर 2012 को अपने 65वें जन्मदिन पर वह सेवानिवृत्त हो गए.

एस. एच. कपाड़िया का कार्यकाल न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण दौर के रूप में देखा जाता है. उन्होंने न्यायिक प्रणाली को और अधिक सशक्त और निष्पक्ष बनाने के लिए कई पहल कीं, और उनके योगदान को न्यायिक इतिहास में सम्मान के साथ याद किया जाता है.

==========  =========  ===========

महिला तैराक आरती साहा

आरती साहा (1940–1994) भारत की एक प्रमुख तैराक थीं, जो अंग्रेजी चैनल पार करने वाली पहली एशियाई महिला के रूप में जानी जाती हैं. उनका यह ऐतिहासिक उपलब्धि 29 सितंबर 1959 को दर्ज की गई, जब उन्होंने लगभग 42 मील लंबी दूरी को तैरकर पार किया. इस उपलब्धि के बाद, उन्हें भारत सरकार द्वारा 1960 में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिससे वह यह पुरस्कार पाने वाली पहली महिला एथलीट बनीं.

आरती का जन्म 24 सितंबर 1940 को कोलकाता (तब के कलकत्ता) में हुआ था. बहुत कम उम्र में ही उन्होंने तैराकी शुरू की और सात साल की उम्र में उन्होंने कई तैराकी प्रतियोगिताएं जीतीं. उन्हें तैराकी की प्रेरणा मशहूर भारतीय तैराक मिहिर सेन से मिली, जो अंग्रेजी चैनल पार करने वाले पहले भारतीय थे.

अंग्रेजी चैनल को पार करना तैराकों के लिए सबसे कठिन चुनौतियों में से एक माना जाता है. आरती ने इसे पार करने के लिए कड़ी मेहनत की और पहली बार असफल रहने के बाद, दूसरी बार 29 सितम्बर 1959 को उन्होंने सफलता प्राप्त की. 16 घंटे और 20 मिनट की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने इस चुनौती को पूरा किया, जिससे वह एशिया की पहली महिला बनीं जिसने अंग्रेजी चैनल पार किया.

आरती साहा की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने भारत में महिलाओं के खेल में एक नई दिशा दिखाई.उन्हें तैराकी के क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल के रूप में देखा जाता है. आरती साहा की दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस ने उन्हें भारतीय खेल इतिहास में एक विशेष स्थान दिलाया. उनका जीवन यह दर्शाता है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री ईशा श्रावणी

ईशा शरवानी एक भारतीय अभिनेत्री और पेशेवर समकालीन नृत्यांगना हैं, वह अपने नृत्य कौशल के लिए विशेष रूप से जानी जाती हैं और बॉलीवुड फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. ईशा ने अपने कैरियर में अभिनय से अधिक नृत्य में ध्यान केंद्रित किया, और उनके नृत्य प्रदर्शन ने उन्हें एक अनूठी पहचान दिलाई है.

ईशा शरवानी का जन्म 29 सितंबर 1984 को  ऑस्ट्रेलियन पिता और गुजरती माँ के घर हुआ था. उनके माता-पिता  तिरवेन्दुपुरम में एक एकेडेमी का संचाल करते हैं. श्रावणी ने बहुत छोटी उम्र में ही नृत्य सीखना शुरू कर दिया था.

ईशा शरवानी ने अभिनय की शुरुआत फिल्म किसना: द वॉरियर पोएट (2005) से की थी, जिसे सुभाष घई ने निर्देशित किया था. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में काम किया, जिनमें किसना, रॉकी: द रिबेल, गुड बॉय बैड बॉय, और लक बाय चांस जैसी फिल्में शामिल हैं. फिल्मों में उनके प्रदर्शन की सराहना हुई, लेकिन उन्होंने मुख्य रूप से अपने नृत्य के प्रति अधिक झुकाव रखा.

ईशा एक प्रतिभाशाली समकालीन नृत्यांगना हैं और उन्होंने कथक, कलारीपयट्टु और अन्य भारतीय नृत्य शैलियों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है. वह अपने माता-पिता द्वारा स्थापित डांस स्कूल “दक्षा शेत्य नृत्यशाला” से जुड़ी रही हैं. उन्हें मुख्य रूप से उनकी अद्वितीय नृत्य शैली के लिए पहचाना जाता है, और उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर अपने नृत्य का प्रदर्शन किया है.

ईशा का क्रिकेटर ज़हीर खान के साथ एक लंबे समय तक संबंध चर्चा में रहा, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए. ईशा ने रियलिटी शो झलक दिखला जा में भी हिस्सा लिया, जहाँ उनके नृत्य कौशल को सराहा गया. ईशा शरवानी को उनकी फिल्मों से अधिक उनके नृत्य प्रदर्शन के लिए जाना जाता है. नृत्य और कला के प्रति उनकी समर्पण भावना ने उन्हें भारतीय नृत्य जगत में एक विशेष स्थान दिलाया है.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री प्रीति देसाई

प्रीति देसाई एक भारतीय अभिनेत्री, मॉडल और पूर्व मिस ग्रेट ब्रिटेन हैं. वह पहली भारतीय मूल की महिला हैं जिन्होंने यह खिताब जीता. अभिनय और मॉडलिंग के अलावा, प्रीति को उनके आकर्षक व्यक्तित्व और फैशन सेंस के लिए जाना जाता है.

प्रीति देसाई का जन्म 29 सितंबर 1984 कोमिडल्सब्रो, इंग्लैंड, यूनाइटेड किंगडम में हुआ था. उनके पिता का नाम जितेन्द्र देसाई और माँ का नाम हेमलता देसाई है.उनकी एक बहन भी हैं- अंजलि देसाई जोकि एक पार्श्व गायिका हैं. प्रीति देसाई ने अपनी शुरुआती आरसी प्राइमरी स्कूल कल्बी नेव्हम से सम्पन्न की है.

प्रीति देसाई ने अपने मॉडलिंग कैरियर की शुरुआत वर्ष 2007 में मिस बिर्टेन का ख़िताब जीतकर की थी. इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग कैरियर की शुरुआत की और विभिन्न फैशन ब्रांड्स और मैगज़ीन के कवर पर दिखाई दीं. प्रीति ने बॉलीवुड में डेब्यू 2011 में आई फिल्म शोर इन द सिटी से किया, जिसमें उन्हें उनके अभिनय के लिए सराहा गया. इसके बाद उन्होंने वन बाय टू (2014) में अभिनय किया, जिसमें अभय देओल उनके सह-कलाकार थे. फिल्म में उनके प्रदर्शन ने आलोचकों का ध्यान खींचा.

प्रीति ने कई प्रतिष्ठित फैशन शो में भाग लिया और भारत के प्रमुख फैशन डिजाइनरों के लिए रैंप पर चलीं. वह फैशन और ग्लैमर इंडस्ट्री में एक जानी-मानी हस्ती हैं. प्रीति का नाम अभिनेता अभय देओल के साथ जोड़ा गया था, और उनके साथ काम करने के दौरान उनके रिश्ते की खबरें मीडिया में चर्चा का विषय बनीं.

फिल्मोग्राफी: –

शोर इन द सिटी (2011)

वन बाय टू (2014)

प्रीति देसाई ने अभिनय और मॉडलिंग की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उनके अभिनय कौशल के साथ-साथ उनका फैशन और स्टाइल सेंस भी उन्हें एक ग्लैमरस हस्ती बनाता है.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री वमिका गाबी

वमिका गब्बी एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से पंजाबी, हिंदी, तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में काम करती हैं. अपने अभिनय कौशल और विविधता भरे किरदारों के कारण वमिका ने फिल्म उद्योग में एक मजबूत पहचान बनाई है.

वमिका गब्बी का जन्म 29 सितंबर 1993, चंडीगढ़, पंजाब में हुआ था. उनके पिता, गोवर्धन गब्बी एक पंजाबी लेखक हैं और उनकी मां राज कुमारी एक शिक्षाविद हैं. उनके छोटे भाई हार्दिक गब्बी भी एक उभरते अभिनेता और संगीतकार हैं. वमिका ने हिंदी सिनेमा में छोटी भूमिकाओं से कैरियर की शुरुआत की. उनकी पहली महत्वपूर्ण भूमिका 2007 की फिल्म जब वी मेट (Jab We Met) थी, जिसमें उन्होंने एक सहायक किरदार निभाया.

प्रमुख फिल्में: –  तू मेरा 22 मैं तेरा 22 (पंजाबी, 2013), भलई हौंसला (पंजाबी, 2016), गॉडहा (मलयालम, 2018),  नाइन (मलयालम, 2019),  83 (हिंदी, 2021),  काली जोटा (पंजाबी, 2023).

वमिका का अभिनय स्वाभाविक और भावनात्मक होता है, जिससे वह हर भाषा और फिल्म उद्योग में सफल रही हैं. उन्होंने कॉमेडी, ड्रामा और रोमांस जैसी विभिन्न शैलियों में काम किया है.

वमिका ने डिजिटल प्लेटफार्म पर भी अपनी पहचान बनाई है. वह ग्रहण (2021) जैसी सीरीज़ में नजर आईं, जिसमें उनके अभिनय की जमकर तारीफ हुई. वमिका का जन्म और परवरिश चंडीगढ़ में हुई. वह हमेशा से ही अभिनय और कला के प्रति आकर्षित रही हैं और कम उम्र से ही इस क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया.

 वमिका को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, और वे पंजाबी सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक मानी जाती हैं. वमिका गब्बी की बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें विभिन्न फिल्म इंडस्ट्रीज़ में सफल बना दिया है, और वह अपने कैरियर में निरंतर आगे बढ़ रही हैं.

==========  =========  ===========

महिला क्रांतिकारी मातंगिनी हज़ारा

मातंगिनी हज़ारा एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका जीवन साहस, त्याग और निडरता का प्रतीक है, और उन्हें खासतौर पर पश्चिम बंगाल में सम्मान के साथ याद किया जाता है.

मातंगिनी हज़ारा का जन्म 19 अक्टूबर, 1870 ई. में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर ज़िले में हुआ था. मातंगिनी का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था. कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी गई थी, लेकिन जल्दी ही उनके पति का निधन हो गया, जिसके बाद वे विधवा हो गईं. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का निश्चय किया और सक्रिय रूप से स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गईं.

मातंगिनी हज़ारा गांधीजी के असहयोग आंदोलन और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभिन्न आंदोलनों से जुड़ीं. वह भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय रूप से भाग ले रही थीं, जब उन्होंने तामलुक में ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व किया. जब वह तामलुक पुलिस स्टेशन पर तिरंगा फहराने की कोशिश कर रही थीं, ब्रिटिश पुलिस ने उन पर गोली चला दी. मातंगिनी हज़ारा ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक तिरंगा हाथ में थामे रखा और “वंदे मातरम” के नारे लगाते हुए शहीद हो गईं.

मातंगिनी हज़ारा ने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका को मजबूत किया. उन्होंने साहस, निडरता और देशभक्ति का जो उदाहरण पेश किया, वह आज भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में प्रेरणादायक है.

मातंगिनी हज़ारा की मृत्यु 29 सितंबर 1942 को पश्चिम बंगाल में हुई थी. मातंगिनी हज़ारा की वीरता और देशभक्ति की कहानियां भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के योगदान को उजागर करती हैं.वह उन गुमनाम नायिकाओं में से एक हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया.

==========  =========  ===========

क्रांतिकारी गोपाल सेन का निधन 29 सितंबर 1944 को हुआ था.

अभिनेता टॉम ऑल्टर का निधन 29 सितंबर 2017 को हुआ था.

5/5 - (1 vote)
:

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!