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व्यक्ति विशेष

भाग – 230.

राजनीतिज्ञ एस. के. पाटिल

एस. के. पाटिल (शंकरराव खरगे पाटिल) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे. वह महाराष्ट्र राज्य से आते थे और मुंबई (तब बॉम्बे) के प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्वों में से एक थे. एस. के. पाटिल को उनकी राजनीतिक सूझबूझ और संगठनात्मक कौशल के लिए जाना जाता था.

वह 1950 – 60 के दशकों में कांग्रेस पार्टी के भीतर एक महत्वपूर्ण नेता थे और कई वर्षों तक मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. उन्हें “बॉम्बे का बॉस” भी कहा जाता था, क्योंकि उस समय मुंबई की राजनीति में उनका बड़ा दबदबा था.

पाटिल केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल रहे और उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में काम किया. वर्ष 1960 के दशक के अंत में वह प्रमुख रूप से चर्चित हुए जब कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी और पुराने गार्ड (जिसे “सिंडिकेट” कहा जाता था) के बीच विभाजन हुआ. एस. के. पाटिल “सिंडिकेट” के समर्थक थे और इंदिरा गांधी के खिलाफ थे.

आखिरकार, इंदिरा गांधी ने पार्टी पर नियंत्रण पा लिया और “सिंडिकेट” के नेताओं की शक्ति कम हो गई. इस घटना के बाद एस. के. पाटिल की राजनीतिक शक्ति भी कम हो गई। उनका निधन 1979 में हुआ.

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लेखक एवं पत्रकार कुलदीप नैयर

कुलदीप नैयर एक प्रमुख भारतीय लेखक, पत्रकार, और मानवाधिकार कार्यकर्ता थे. उनका जन्म 14 अगस्त 1923 को सियालकोट (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था. वह पत्रकारिता में एक लंबा और प्रतिष्ठित करियर रखते थे, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर लिखा.

नैयर ने कई प्रमुख भारतीय अखबारों के लिए काम किया, जैसे कि “द स्टेट्समैन”, “द इंडियन एक्सप्रेस”, और “द टाइम्स ऑफ इंडिया”. उन्होंने एक संपादक, स्तंभकार और संवाददाता के रूप में अपनी पहचान बनाई. उनके द्वारा लिखे गए लेख और कॉलम व्यापक रूप से पढ़े जाते थे और उनकी राय को गंभीरता से लिया जाता था.

कुलदीप नैयर को विशेष रूप से उनके इमरजेंसी के दौरान (1975-1977) सरकार के आलोचक के रूप में जाना जाता है. उन्होंने इस अवधि के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता के पक्ष में और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए जोरदार आवाज उठाई. उनकी आत्मकथा, “बियोंड द लाइन्स”, एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो उनके जीवन, पत्रकारिता के अनुभवों और भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय की घटनाओं पर प्रकाश डालती है.

कुलदीप नैयर ने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और दोस्ती को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया. वह उन कुछ लोगों में से थे जिन्होंने 1990 के दशक में “एट्टीवालों की बैटरी” पहल की शुरुआत की, जिसमें दोनों देशों के नागरिकों के बीच संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया गया.

उनका निधन 23 अगस्त 2018 को नई दिल्ली में हुआ, लेकिन उनका काम और लेखन आज भी भारतीय पत्रकारिता और समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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भौतिक विज्ञानी टी. वी. रामकृष्णन

टी. वी. रामकृष्णन (थानिकाचलम वेंकट सुब्रमणियन रामकृष्णन) एक प्रख्यात भारतीय भौतिक विज्ञानी हैं, जिन्हें संघनित पदार्थ भौतिकी (Condensed Matter Physics) में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 14 अगस्त 1941 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था.

टी. वी. रामकृष्णन को विशेष रूप से धातुओं में इलेक्ट्रॉनों की व्यवहारिक समझ और उनकी परिवहन विशेषताओं के अध्ययन के लिए जाना जाता है. उन्होंने विकार और अपर्याप्तता (disorder and localization) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो यह समझने में मदद करता है कि किस तरह से इलेक्ट्रॉनों की गति और उनके गुण धर्म विभिन्न सामग्रियों में बदलते हैं.

उनका सबसे प्रमुख कार्य “अंडरसन लोकलाइजेशन” (Anderson Localization) के क्षेत्र में रहा है, जिसमें उन्होंने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर उस स्थिति की जांच की जब एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में विकार के कारण इलेक्ट्रॉनों की सामान्य गति अवरुद्ध हो जाती है. इस क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया.

टी. वी. रामकृष्णन को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (1983), भारत सरकार द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के लिए पद्म श्री (2001) और पद्म विभूषण (2005) शामिल हैं.

इसके अलावा, वह इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन, और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (यू.एस.ए.) जैसे कई प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के सदस्य भी रहे हैं. टी. वी. रामकृष्णन ने अपने शिक्षण और शोध कार्य के माध्यम से कई नए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रशिक्षित किया है, और उनके योगदान का भारतीय विज्ञान और तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण स्थान है.

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हास्य अभिनेता जॉनी लीवर

जॉनी लीवर का वास्तविक नाम है जॉन प्रकाश राव जनुमाला एक प्रसिद्ध भारतीय हास्य अभिनेता हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में अपने कॉमेडी किरदारों के लिए जाने जाते हैं. उनका जन्म 14 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में हुआ था, लेकिन उनका बचपन मुंबई के धारावी में बीता.

जॉनी लीवर ने अपने कैरियर की शुरुआत स्टेज पर मिमिक्री करने से की. उन्होंने कई बॉलीवुड अभिनेताओं और गायक किशोर कुमार की नकल कर दर्शकों को हंसाया. उनकी मिमिक्री ने उन्हें काफी लोकप्रिय बना दिया, और जल्द ही उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका मिला. उनका पहला बड़ा ब्रेक 1986 की फिल्म “धर्म अधिकारी” में मिला, लेकिन 1993 की फिल्म “बाज़ीगर” में उनके अभिनय ने उन्हें एक घर-घर में पहचाना जाने वाला नाम बना दिया.

उन्होंने अपने कैरियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया है, जिनमें “गोलमाल 3,” “राजा हिंदुस्तानी,” “हेरा फेरी,” “आवारा पागल दीवाना,” और “दिलवाले” जैसी हिट फिल्में शामिल हैं. जॉनी लीवर को उनके अद्वितीय हास्य शैली, चेहरे के हावभाव, और संवाद अदायगी के लिए जाना जाता है, जो उन्हें एक अलग पहचान दिलाती है.

जॉनी लीवर को अपने कैरियर के दौरान कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें फिल्मफेयर अवार्ड्स भी शामिल हैं. वह पहले कॉमेडियन थे जिन्हें फिल्मफेयर अवार्ड्स में “बेस्ट कॉमेडियन” का अवार्ड दिया गया. उन्होंने यह पुरस्कार कई बार जीता और इसके अलावा कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान भी प्राप्त किए हैं.

जॉनी लीवर न केवल फिल्मों में बल्कि स्टेज परफॉर्मेंस, टीवी शो, और लाइव इवेंट्स में भी सक्रिय रहे हैं. उनका मानना है कि हास्य एक ऐसा साधन है जो लोगों के दिलों तक पहुंचता है और उन्हें खुशी देता है. उन्होंने अपने कैरियर में कई बार सामाजिक संदेश भी हास्य के माध्यम से दिए हैं.

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क्रिकेटर प्रवीण आमरे

प्रवीण आमरे एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट कोच हैं, जो अपने खेल कैरियर के दौरान एक कुशल बल्लेबाज के रूप में जाने जाते थे. उनका जन्म 14 अगस्त 1968 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. प्रवीण आमरे ने 1991 से 1994 तक भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए खेला.

प्रवीण आमरे ने अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत 1992 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ की, और अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक बनाकर सुर्खियों में आ गए. यह शतक सेंचुरियन में बनाया गया था, जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक यादगार पल था. वह एक मध्य क्रम के बल्लेबाज थे और अपनी ठोस तकनीक और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे.

आमरे ने भारतीय टीम के लिए कुल 11 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 42.50 की औसत से 425 रन बनाए. इसके अलावा, उन्होंने 37 वनडे मैचों में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें उन्होंने 24.08 की औसत से 513 रन बनाए.

अपने खेल कैरियर के बाद, प्रवीण आमरे ने कोचिंग में कदम रखा और कई युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षित किया. वह घरेलू क्रिकेट में महाराष्ट्र और मुंबई की टीमों के कोच भी रहे. उनके मार्गदर्शन में, कई युवा भारतीय क्रिकेटरों ने अपने खेल को सुधारने में सफलता पाई. उन्होंने अजय जडेजा, सुरेश रैना, और रोबिन उथप्पा जैसे खिलाड़ियों के व्यक्तिगत कोच के रूप में भी काम किया है.

प्रवीण आमरे ने दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) और मुंबई इंडियंस जैसी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की टीमों के साथ भी काम किया है. उनके कोचिंग कौशल की सराहना की जाती है, खासकर युवा खिलाड़ियों के विकास में उनके योगदान के लिए. प्रवीण आमरे का क्रिकेट कैरियर भले ही छोटा रहा हो, लेकिन उन्होंने जो प्रभाव छोड़ा है, वह बहुत ही गहरा है.

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राजनीतिज्ञ रामेश्वर तेली

रामेश्वर तेली एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं और असम राज्य से हैं. उनका जन्म 14 अगस्त 1970 को डिब्रूगढ़, असम में हुआ था. वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य हैं और वर्तमान में भारतीय संसद के लोकसभा के सदस्य हैं, जो डिब्रूगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

रामेश्वर तेली ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत असम राज्य में की. वह 2001 में पहली बार असम विधानसभा के लिए चुने गए. वर्ष 2014 के भारतीय आम चुनावों में, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर डिब्रूगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद, वह 2019 के आम चुनाव में फिर से डिब्रूगढ़ से चुने गए.

रामेश्वर तेली को नरेंद्र मोदी सरकार में 2019 में केंद्रीय मंत्री के रूप में शामिल किया गया. उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद दिया गया. उनके नेतृत्व में, उन्होंने भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास और विस्तार के लिए काम किया, खासकर पूर्वोत्तर भारत में. वर्ष 2021 में, उन्हें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में भी राज्य मंत्री का कार्यभार दिया गया. इन मंत्रालयों के माध्यम से, उन्होंने देश में ऊर्जा सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम किया है.

रामेश्वर तेली अपने क्षेत्र में सामाजिक कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने असम के ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों, शिक्षा, और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए काम किया है. उनके नेतृत्व में, डिब्रूगढ़ क्षेत्र में कई विकास परियोजनाओं को लागू किया गया है.

रामेश्वर तेली ने अपने राजनीतिक और सामाजिक कार्यों के माध्यम से असम के लोगों के बीच एक मजबूत जनाधार बनाया है, और वह भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली नेता के रूप में उभरे हैं.

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पार्श्व गायिका सुनिधि चौहान

सुनिधि चौहान एक प्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायिका हैं, जो अपनी आवाज़ की विविधता और शक्तिशाली गायकी के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 14 अगस्त 1983 को नई दिल्ली में हुआ था. सुनिधि चौहान ने अपने कैरियर की शुरुआत बहुत ही युवा उम्र में की थी और उन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है.

सुनिधि चौहान ने अपने कैरियर की शुरुआत 1996 में “लक्ष्य” नामक फिल्म के लिए गाए गए गाने से की थी. हालांकि, उनकी वास्तविक सफलता 1999 में फिल्म “मस्त” के गाने “छमक छल्लो” से मिली, जिसे उन्होंने अपनी अनूठी आवाज़ से सजाया. इस गाने ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई और इसके बाद उनकी कई हिट गाने आईं.

प्रमुख गाने: –

“दीदी तेरा देवर दीवाना” (फिल्म: “हम”),

“सेक्सी सेक्सी” (फिल्म: “सच्चाई”),

“सच कह रहा है” (फिल्म: “जोरू का गुलाम”),

सुनिधि चौहान की गायकी में विविधता है, और उन्होंने रोमांटिक गानों से लेकर भजन, लोरियाँ और डिस्को ट्रैक्स तक विभिन्न शैलियों में गाया है. उनकी आवाज़ की क्षमता और अभिव्यक्ति की क्षमता उन्हें एक अद्वितीय गायिका बनाती है.

सुनिधि चौहान को अपने कैरियर के दौरान कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें फिल्मफेयर पुरस्कार, आईफा पुरस्कार, और ज़ी सिने अवार्ड्स शामिल हैं. उन्होंने अपनी गायकी के लिए बहुत सारे प्रशंसा पत्र और पुरस्कार प्राप्त किए हैं. सुनिधि चौहान का विवाह 2012 में डायरेक्टर-प्रोड्यूसर शेखर कपूर के साथ हुआ था, और वे दोनों एक खुशहाल परिवार की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं. उनका एक बेटा भी है.

सुनिधि चौहान की गायकी की शक्ति और विविधता ने उन्हें भारतीय संगीत उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है, और उनकी आवाज़ आज भी कई हिट गानों के रूप में सुनाई देती है.

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उपन्यासकार अमृत राय

अमृत राय एक प्रमुख भारतीय उपन्यासकार, कहानीकार और निबंधकार थे. उनका जन्म 22 अगस्त 1904 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गाँव गंगनहर में हुआ था. अमृत राय का वास्तविक नाम “रामधारी सिंह” था, लेकिन साहित्यिक दुनिया में वे अमृत राय के नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए.

अमृत राय की लेखनी हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. उन्होंने उपन्यास, कहानी, और निबंधों के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया. उनके लेखन में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं का गहरा अनुभव मिलता है.

प्रमुख कृतियाँ: –

उगता सूरज – यह उपन्यास उनके साहित्यिक कैरियर का महत्वपूर्ण काम है, जिसमें उन्होंने समाज और राजनीति के जटिल पहलुओं को छूआ है.

नदी और महिला – इस उपन्यास में भी सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर गहन विचार किया गया है.

महानगर – इस उपन्यास में उन्होंने शहरों की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का चित्रण किया है.

अमृत राय का लेखन भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं और चुनौतियों को चित्रित करता है, और उनके काम में समाज सुधार के संकेत मिलते हैं. उनके लेखन की शैली और विषयवस्तु ने उन्हें एक विशिष्ट पहचान दिलाई है.

अमृत राय के लेखन में सामाजिक मुद्दों पर उनकी गहरी दृष्टि और संवेदनशीलता दिखाई देती है. वे अपने समय के समाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों पर चिंतन करते हुए लेखनी का माध्यम चुने. उनके काम ने पाठकों को सोचने पर मजबूर किया और भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका निधन 11 जनवरी 1997 को हुआ, लेकिन उनके द्वारा लिखी गई कृतियाँ आज भी साहित्य प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं.

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अभिनेता शम्मी कपूर

शम्मी कपूर भारतीय सिनेमा के एक अभिनेता और फिल्म निर्माता थे. उनका जन्म 21 अक्टूबर 1931 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. शम्मी कपूर को हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय और चार्मिंग अभिनेता माना जाता है, जिन्होंने 1950 – 60 के दशकों में कई हिट फिल्मों में अभिनय किया.

शम्मी कपूर ने अपने कैरियर की शुरुआत 1953 में फिल्म “जंगल की कली” से की थी, लेकिन उन्हें वास्तव में प्रसिद्धि 1957 की फिल्म “ट्वेंटी-फाइव-ट्वेंटी” से मिली। उनकी पहचान 1960 के दशक में फिल्म “चाहत” और “सिर्फ तुम” जैसी फिल्मों से बनी, जिसमें उन्होंने अपने विशिष्ट नृत्य शैली और ऊर्जा के लिए सराहना प्राप्त की.

फ़िल्में: –

कश्मीर की कली (1964) – इस फिल्म में उनके गीत “ये चाँद सा रोशनी” ने उन्हें बहुत प्रसिद्धि दिलाई।

राजकुमारी (1961) – इस फिल्म में उनके द्वारा किया गया अभिनय और नृत्य बहुत लोकप्रिय हुआ.

दिल देके देखो (1959) – यह फिल्म उनकी सबसे हिट फिल्मों में से एक है, जिसमें उनके अभिनय को बहुत सराहा गया.

ब्रह्मचारी (1968) – इस फिल्म के गीत और उनका अभिनय दर्शकों को बहुत पसंद आया.

शम्मी कपूर को उनके नृत्य और खास स्टाइल के लिए जाना जाता है. उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए नृत्य शैली ने हिंदी फिल्म उद्योग में एक नया मोड़ दिया. उनका नृत्य अक्सर जोश पूर्ण और उत्साही होता था, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता था.

शम्मी कपूर के परिवार में भी फिल्मी पृष्ठभूमि रही है. उनके छोटे भाई शशि कपूर और राज कपूर भी प्रसिद्ध अभिनेता थे. उनकी पत्नी का नाम गीता बाली था, जो स्वयं एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं. शम्मी कपूर को उनके कैरियर के दौरान कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. वर्ष 2006 में, उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड” से सम्मानित किया गया.

शम्मी कपूर का निधन 14 अगस्त 2011 को हुआ. उनके अभिनय और उनके द्वारा पेश किए गए मनोरंजन ने उन्हें भारतीय सिनेमा का एक अमूल्य हिस्सा बना दिया। उनकी फिल्में और उनके गीत आज भी दर्शकों को आनंदित करते हैं.

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