News

व्यक्ति विशेष

भाग – 222.

स्वतंत्रता सेनानी के. एम. चांडी

के. एम. चांडी केरल के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे. के. एम. चांडी का जन्म 6 अगस्त, 1921 को केरल के कोट्टायम ज़िले के पलई नामक नगर में हुआ था.  उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का निर्णय लिया.

के. एम. चांडी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए आंदोलनों में हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया. उन्होंने विभिन्न सत्याग्रहों और आंदोलनों में भाग लेकर देश की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया.

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, के. एम. चांडी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में राजनीतिक कैरियर जारी रखा. उन्होंने केरल की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और राज्य की विकास में योगदान दिया. के. एम. चांडी ने समाज सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किए. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों के लिए काम किया और समाज के कमजोर वर्गों की मदद की. उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए उन्हें विभिन्न पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए गए. उनका जीवन और कार्य आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.

के. एम. चांडी का जीवन स्वतंत्रता संग्राम और समाज सेवा के प्रति समर्पित था और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.

==========  =========  ===========

क्रिकेटर ए. जी. कृपाल सिंह

ए. जी. कृपाल सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के एक प्रसिद्ध खिलाड़ी थे. उनका पूरा नाम अमर सिंह कृपाल सिंह था और वे 1950 – 60 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेले. ए. जी. कृपाल सिंह का जन्म 6 अगस्त 1933 को मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ था. उनके पिता, ए. जी. राम सिंह, भी एक प्रसिद्ध क्रिकेटर थे, जिन्होंने मद्रास (अब तमिलनाडु) के लिए रणजी ट्रॉफी में खेला था.

ए. जी. कृपाल सिंह ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 1955 – 64 तक 14 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने अपने टेस्ट कैरियर में 636 रन बनाए, जिसमें 1 शतक और 3 अर्धशतक शामिल थे. उनके नाम 10 विकेट भी दर्ज हैं. कृपाल सिंह ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में मद्रास (तमिलनाडु) के लिए खेला और 96 मैचों में 4,409 रन बनाए, जिसमें 10 शतक और 23 अर्धशतक शामिल थे. उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 87 विकेट भी लिए. कृपाल सिंह ने अपने टेस्ट डेब्यू में न्यूजीलैंड के खिलाफ 100 रन बनाए, जिससे वे अपने पहले टेस्ट मैच में शतक बनाने वाले कुछ भारतीय खिलाड़ियों में से एक बने.

कृपाल सिंह एक ऑलराउंडर थे, जो दाएं हाथ से बल्लेबाजी और दाएं हाथ से ऑफ ब्रेक गेंदबाजी करते थे. उन्होंने अपने गेंदबाजी कौशल से भी कई महत्वपूर्ण विकेट लिए. ए. जी. कृपाल सिंह का क्रिकेट कैरियर और योगदान भारतीय क्रिकेट के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है. उनका जीवन और कैरियर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.

ए. जी. कृपाल सिंह का निधन 22 जुलाई 1987 को हुआ, लेकिन उनका योगदान और खेल कौशल आज भी क्रिकेट प्रेमियों द्वारा याद किया जाता है.

==========  =========  ===========

पर्यावरणविद् राजेन्द्र सिंह

राजेन्द्र सिंह, जिन्हें “जल पुरुष” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख पर्यावरणविद् और जल संरक्षण के क्षेत्र में उनके असाधारण कार्यों के लिए विख्यात हैं. उन्होंने राजस्थान में पानी की कमी से जूझ रहे इलाकों में जल संरक्षण के लिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं.

राजेन्द्र सिंह का जन्म 6 अगस्त 1959 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में ही प्राप्त की. वर्ष 1980 के दशक में, राजेन्द्र सिंह ने राजस्थान के अलवर जिले में काम करना शुरू किया. उन्होंने देखा कि पानी की कमी से लोग और पर्यावरण दोनों ही गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इसके बाद उन्होंने जल संरक्षण और पुनर्भरण के क्षेत्र में काम करने का निर्णय लिया.

वर्ष 1985 में, उन्होंने “तरुण भारत संघ” नामक एक गैर-सरकारी संगठन की स्थापना की. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण और ग्रामीण विकास था. उनके नेतृत्व में, तरुण भारत संघ ने पारंपरिक जल संचयन प्रणालियों जैसे कि जोहड़, चेक डैम, और अन्य तकनीकों का पुनरुद्धार किया. उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप, राजस्थान के कई इलाकों में पानी के स्तर में वृद्धि हुई और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जीवन फिर से लौट आया. उनके काम से अलवर जिले की पांच नदियों (अरवरी, रूपारेल, सागरमती, सरसा और भगानी) को पुनर्जीवित किया गया. उनकी पहल ने न केवल पानी की समस्या को हल किया, बल्कि कृषि उत्पादन और जैव विविधता में भी सुधार किया.

वर्ष 2001 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा “पद्म श्री” से सम्मानित किया गया. वर्ष 2015 में, उन्हें प्रतिष्ठित “स्टॉकहोम वाटर प्राइज” से सम्मानित किया गया, जिसे जल के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के रूप में जाना जाता है. इसके अलावा, उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं. राजेन्द्र सिंह का जीवन और कार्य यह संदेश देते हैं कि सामुदायिक भागीदारी और पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करके पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. उन्होंने यह साबित किया है कि सही दृष्टिकोण और समर्पण से स्थायी परिवर्तन संभव है.

राजेन्द्र सिंह का योगदान न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में जल संरक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय है. उनके कार्यों ने जल संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता के महत्व को प्रमुखता से उजागर किया है.

==========  =========  ===========

फ़िल्म निर्देशक एम. नाइट श्यामलन

एम. नाइट श्यामलन एक भारतीय-अमेरिकी फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, और निर्माता हैं. अपने अनोखे और रहस्यमयी फिल्म निर्माण शैली के लिए जाने जाने वाले श्यामलन ने हॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

एम. नाइट श्यामलन का जन्म 6 अगस्त 1970 को महे, पांडिचेरी, भारत में हुआ था, लेकिन वे फ़िलाडेल्फ़िया, पेंसिल्वेनिया, अमेरिका में बड़े हुए. उनका पूरा नाम मनोज नेलियट्टु श्यामलन है. उनके माता-पिता दोनों डॉक्टर थे, और उन्होंने श्यामलन को विज्ञान की ओर प्रेरित किया, लेकिन उनकी रूचि हमेशा फिल्म निर्माण में थी.

श्यामलन ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के टिश स्कूल ऑफ आर्ट्स से फिल्म निर्माण में डिग्री प्राप्त की. इस दौरान उन्होंने कई शॉर्ट फिल्में बनाईं और फिल्म निर्माण के अपने कौशल को निखारा. श्यामलन की पहली प्रमुख फिल्म “प्रेयिंग विथ एंगर” (1992) थी, जिसमें उन्होंने निर्देशन, लेखन और अभिनय भी किया. उनकी अगली फिल्म “वाइड अवेक” (1998) थी, जो एक नाटक थी, लेकिन उन्हें प्रमुख सफलता नहीं मिली.

प्रमुख फिल्में: –

द सिक्स्थ सेंस (1999): – यह फिल्म एक विशाल सफलता थी और इसे छह अकादमी पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था, जिसमें सर्वश्रेष्ठ चित्र, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, और सर्वश्रेष्ठ मूल पटकथा शामिल थे. फिल्म में ब्रूस विलिस और हेली जोएल ओस्मेंट मुख्य भूमिकाओं में थे.

अनब्रेकबल (2000): – यह एक सुपरहीरो थ्रिलर फिल्म थी, जिसमें ब्रूस विलिस और सैमुअल एल. जैक्सन मुख्य भूमिकाओं में थे. यह फिल्म भी बड़ी सफल रही.

साइन्स (2002): – यह फिल्म एक साइंस फिक्शन हॉरर फिल्म थी, जिसमें मेल गिब्सन और जोकिन फीनिक्स मुख्य भूमिकाओं में थे.

द विलेज (2004), लेडी इन द वॉटर (2006), द हैपनिंग (2008), द लास्ट एयरबेंडर (2010), आफ्टर अर्थ (2013): – ये फिल्में अलग-अलग स्तरों पर सफल रहीं और उन्हें मिश्रित समीक्षाएं मिलीं.

स्प्लिट (2016): – यह फिल्म जेम्स मैकएवॉय की मुख्य भूमिका में एक थ्रिलर थी और इसे काफी प्रशंसा मिली.

ग्लास (2019): – यह फिल्म “अनब्रेकबल” और “स्प्लिट” का सीक्वल थी.

श्यामलन ने अपनी फिल्मों के साथ-साथ टीवी सीरीज़ “सर्वेंट” का भी निर्माण किया है, जो 2019 में एप्पल टीवी+ पर प्रीमियर हुई. श्यामलन की फिल्मों की पहचान उनके अप्रत्याशित मोड़ों और रहस्यमयी तत्वों से होती है. वे अक्सर खुद की फिल्मों में छोटे किरदारों में भी नजर आते हैं. श्यामलन को उनकी फिल्मों के लिए कई पुरस्कार मिले हैं और वे हॉलीवुड में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली निर्देशक के रूप में माने जाते हैं.

एम. नाइट श्यामलन की फिल्में दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती हैं और उनकी अनूठी शैली उन्हें अन्य फिल्म निर्माताओं से अलग बनाती है.

==========  =========  ===========

राजनीतिज्ञ भूपेश गुप्ता

भूपेश गुप्ता एक भारतीय राजनीतिज्ञ और कम्युनिस्ट नेता थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के प्रमुख सदस्य थे और अपने स्पष्ट विचारों और प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे.

भूपेश गुप्ता का जन्म 24 अक्टूबर 1914 को बारीसाल (अब बांग्लादेश) में हुआ था. उनकी शिक्षा कोलकाता और लंदन में हुई, जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई की. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल हुए और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष किया. भूपेश गुप्ता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रमुख नेता बने और पार्टी की विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लिया.

वर्ष 1952 में, वे भारतीय संसद के लिए चुने गए और राज्यसभा के सदस्य बने. वे लगातार 1952 – 81 तक राज्यसभा के सदस्य रहे, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. राज्यसभा में अपने कार्यकाल के दौरान, गुप्ता ने श्रमिकों, किसानों और निम्न वर्ग के लोगों के अधिकारों की जोरदार वकालत की. वे समाजवाद और समानता के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस की.

भूपेश गुप्ता को उनकी प्रखर वक्तृत्व कला और तार्किक क्षमता के लिए जाना जाता था. वे अपने विचारों को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में सक्षम थे. उन्होंने भूमि सुधार, श्रमिकों के अधिकार, और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे अक्सर संसद में आर्थिक नीतियों और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाते थे. गुप्ता ने भारतीय राजनीति में समाजवादी और कम्युनिस्ट विचारधारा को मजबूती से प्रस्तुत किया और उनकी नीतियों और विचारों ने कई लोगों को प्रेरित किया.

भूपेश गुप्ता का जीवन सादगी और प्रतिबद्धता का प्रतीक था. वे हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के पक्ष में खड़े रहे और उनकी भलाई के लिए संघर्ष करते रहे.6 अगस्त 1981 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत और उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है.

भूपेश गुप्ता का जीवन और कार्य भारतीय राजनीति में समाजवाद और समानता के सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उन्होंने अपने जीवन को समाज की सेवा में समर्पित किया और उनके योगदान को हमेशा सराहा जाएगा.

==========  =========  ===========

मलयालम साहित्यकार एस. के. पोट्टेक्काट्ट

एस. के. पोट्टेक्काट्ट  एक प्रमुख मलयालम साहित्यकार थे, जिनका योगदान मलयालम साहित्य में महत्वपूर्ण है. उनके लेखन ने उन्हें मलयालम साहित्य के महानतम लेखकों में से एक बना दिया है. एस. के. पोट्टेक्काट्ट का पूरा नाम सुंकनन केशव पोट्टेक्काट्ट था. उनका जन्म 14 मार्च 1913 को केरल के कोझिकोड जिले के कुत्तियाड़ी में हुआ था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा कोझिकोड में प्राप्त की. शिक्षा के बाद, वे अध्यापक के रूप में कार्य करने लगे, लेकिन उनका दिल साहित्य में रमा हुआ था.

पोट्टेक्काट्ट ने अपने साहित्यिक कैरियर की शुरुआत कविताओं से की, लेकिन बाद में वे उपन्यास, कहानियों, और यात्रा वृत्तांतों की ओर मुड़े. उनकी पहली कहानी “Vydyutha Shakthi” 1934 में प्रकाशित हुई. उन्होंने मलयालम साहित्य को कई यादगार कृतियाँ दीं. उनके प्रमुख उपन्यासों में “Oru Theruvinte Katha” (1960) और “Nadan Premam” शामिल हैं. उनकी यात्रा वृत्तांतों में “Balidwipangal” और “Kappirikalude Naattil” प्रसिद्ध हैं. उन्होंने अपनी यात्राओं के अनुभवों को जीवंत तरीके से वर्णित किया, जिससे पाठकों को विभिन्न स्थानों और संस्कृतियों का अनुभव हुआ.

एस. के. पोट्टेक्काट्ट को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले. वर्ष 1980 में, उन्हें उनके उपन्यास “Oru Desathinte Katha” के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है. उन्हें 1972 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया.  “Oru Theruvinte Katha” को 1961 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला. पोट्टेक्काट्ट का साहित्यिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन अत्यंत सादगीपूर्ण और प्रेरणादायक था. उनके लेखन ने मलयालम साहित्य में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया. एस. के. पोट्टेक्काट्ट का निधन 6 अगस्त 1982 को हुआ. उनकी कृतियाँ आज भी पढ़ी जाती हैं और मलयालम साहित्य में उनकी महत्वपूर्ण जगह है. उनके लेखन की शैली और विषय वस्तु ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है.

एस. के. पोट्टेक्काट्ट का साहित्यिक योगदान और उनकी कृतियाँ मलयालम साहित्य के अमूल्य रत्न हैं. उनका जीवन और कार्य हमें समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को समझने और सराहने की प्रेरणा देता है.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री दीपिका कक्कड़

दीपिका कक्कड़ एक भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री हैं, जो अपनी अदाकारी और विभिन्न टेलीविजन शो में अपने प्रमुख किरदारों के लिए जानी जाती हैं. दीपिका कक्कड़ का जन्म 6 अगस्त 1986 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद हवाई परिचारिका (एयर होस्टेस) के रूप में कैरियर शुरू किया, लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें यह नौकरी छोड़नी पड़ी और उन्होंने अभिनय की ओर रुख किया.

दीपिका ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत 2010 में की, जब उन्होंने टीवी शो “नीर भरे तेरे नैना देवी” में लक्ष्मी के किरदार में काम किया. इसके बाद उन्होंने “अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो” में भी काम किया, जिसमें उन्होंने एक सहायक भूमिका निभाई.

प्रमुख टेलीविजन शो: –

ससुराल सिमर का (2011-2017): – इस शो में उन्होंने सिमर भारद्वाज की मुख्य भूमिका निभाई, जिससे उन्हें घर-घर में पहचान मिली. इस शो ने दीपिका को एक स्टार बना दिया और उनकी अदाकारी को सराहा गया.

कहाँ हम कहाँ तुम (2019-2020): – इस शो में उन्होंने सोनाक्षी रस्तोगी की भूमिका निभाई, जो एक सफल अभिनेत्री थी और इस शो ने भी दर्शकों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की.

दीपिका ने कई रियलिटी शोज में भी भाग लिया है. उन्होंने “नच बलिए 8” में अपने पति शोएब इब्राहिम के साथ भाग लिया.

बिग बॉस 12 (2018-2019): – उन्होंने इस रियलिटी शो में भाग लिया और विजेता बनकर उभरीं. उनकी सरलता और सच्चाई ने दर्शकों का दिल जीत लिया.

दीपिका ने 2018 में अपने सह-कलाकार शोएब इब्राहिम से शादी की. उनकी शादी की खबरें और समारोह काफी चर्चा में रहे. शादी से पहले, दीपिका का नाम कई बार विभिन्न सह-कलाकारों के साथ जोड़ा गया, लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को निजी रखा. दीपिका ने विभिन्न टीवी विज्ञापनों में भी काम किया है और ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी कार्य किया है. उन्होंने अपने फैशन सेंस और स्टाइल से भी दर्शकों को प्रभावित किया है और वे सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं.

दीपिका कक्कड़ ने अपनी अदाकारी से भारतीय टेलीविजन पर एक मजबूत पहचान बनाई है. उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिभा ने उन्हें टेलीविजन इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है. उनके प्रशंसक उन्हें उनके वास्तविक जीवन में भी बहुत प्यार और समर्थन देते हैं.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री हंसिका मोटवानी

हंसिका मोटवानी एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से तमिल और तेलुगु फिल्मों में काम करती हैं. उन्होंने हिंदी, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी काम किया है. हंसिका ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी और तब से लेकर अब तक वे कई प्रमुख फिल्मों में नजर आ चुकी हैं.

हंसिका मोटवानी का जन्म 9 अगस्त 1991 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रदीप मोटवानी है, जो एक व्यवसायी हैं, और उनकी माता का नाम मोना मोटवानी है, जो एक त्वचा विशेषज्ञ (डर्मेटोलॉजिस्ट) हैं. हंसिका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल और इंटरनेशनल करिकुलम स्कूल से प्राप्त की. हंसिका ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी.

टीवी धारावाहिक प्रमुख: –

शाका लाका बूम बूम: – इस धारावाहिक में उन्होंने करुणा का किरदार निभाया.

देश में निकला होगा चाँद: – इस शो में भी उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

क्योंकि सास भी कभी बहू थी: – इसमें उन्होंने सविता विरानी की भूमिका निभाई.

इसके अलावा, उन्होंने हिंदी फिल्म “कहो ना… प्यार है” (2000) में एक छोटी सी भूमिका निभाई थी. हंसिका ने बतौर मुख्य अभिनेत्री के रूप में अपनी शुरुआत तेलुगु फिल्म “देसमुदुरु” (2007) से की, जिसमें उन्होंने अल्लू अर्जुन के साथ मुख्य भूमिका निभाई. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार (साउथ) मिला.

प्रमुख फ़िल्में: –    कंट्री (2008), बिल्ला (2009), कांटिरेगा (2011), ओका ओक्का जीवन (2012), सिंघम II (2013), अरनमनई (2014), रोमियो जूलियट (2015), भोले चुडियाँ (2019). हंसिका ने कन्नड़ फिल्म “बिंदास” (2008) और मलयालम फिल्म “विल्ला” (2013) में भी काम किया है.

हंसिका को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले हैं. उन्होंने तेलुगु और तमिल सिनेमा में अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता है. 2007 में उन्हें तेलुगु फिल्म “देसमुदुरु” के लिए सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

हंसिका मोटवानी ने अपने अभिनय से भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है. उनकी खूबसूरती, अभिनय क्षमता और मेहनत ने उन्हें दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक बना दिया है.

==========  =========  ===========

राजनीतिज्ञ सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जी

सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे. वे एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ, शिक्षक, और पत्रकार थे. उनका जीवन और कार्य स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं.

सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का जन्म 10 नवंबर 1848 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए. उन्होंने प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की और भारतीय सिविल सेवा (ICS) परीक्षा में सफल हुए, हालांकि नस्लीय भेदभाव के कारण उन्हें इस सेवा से बाहर कर दिया गया था.

सुरेन्द्रनाथ बनर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक थे और उन्होंने 1883 में भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन की नींव रखी. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में दो बार सेवा कर चुके हैं, 1895 और 1902 में. उन्होंने भारतीयों के लिए उच्च शिक्षा और सरकारी सेवाओं में अधिक प्रतिनिधित्व की मांग की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया.

सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने “बंगाली” नामक एक अखबार की स्थापना की, जिसमें उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मुद्दों पर जोरदार लेख लिखे. उन्होंने 1879 में इंडियन नेशनल एसोसिएशन की स्थापना की, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गई. यह संगठन भारतीयों के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता था. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने भारतीयों के लिए शिक्षा के महत्व को भी समझा और इसके प्रसार के लिए कार्य किया. उन्होंने “रिपन कॉलेज” (अब सुरेन्द्रनाथ कॉलेज) की स्थापना की.

सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और अंग्रेजों के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया. वे भारतीय समाज में सुधार और स्वतंत्रता के प्रति समर्पित थे. उन्होंने भारतीयों को आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करने के लिए प्रेरित किया.

सुरेन्द्रनाथ बनर्जी को 1921 में नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था. यह सम्मान उन्हें उनके राजनीतिक और सामाजिक कार्यों के लिए दिया गया. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का निधन 6 अगस्त 1925 को हुआ. उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण माना जाता है और उनकी विरासत आज भी जीवित है. उन्हें “राष्ट्रगुरु” के नाम से भी जाना जाता है, जो उनके प्रति लोगों के गहरे सम्मान को दर्शाता है.

सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का जीवन और कार्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है. उनकी प्रतिबद्धता, साहस और नेतृत्व ने भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में प्रेरित किया और वे आज भी भारतीय इतिहास में एक प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में स्मरण किए जाते हैं.

==========  =========  ===========

केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की प्रमुख सदस्य थीं. उन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला.

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को अम्बाला, हरियाणा में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अम्बाला में प्राप्त की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने राजनीति विज्ञान में भी अध्ययन किया और भारतीय राजनीति के प्रति अपनी गहरी रुचि का प्रदर्शन किया.

सुषमा स्वराज ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय जनसंघ (जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी) से की. वे 1970 के दशक में भारतीय जनसंघ की युवा शाखा से जुड़ीं और जल्द ही प्रमुख नेता बन गईं. सुषमा स्वराज ने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला. उन्होंने केंद्रीय मंत्री के रूप में विभिन्न विभागों का नेतृत्व किया: –

सूचना और प्रसारण मंत्री (1998-1999): – इस दौरान उन्होंने मीडिया और सूचना प्रसारण क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री (1998-1999): – उन्होंने स्वास्थ्य सुधारों और परिवार कल्याण कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

विदेश मंत्रालय (2014-2019): – विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारतीय विदेश नीति को सक्रिय रूप से प्रस्तुत किया और कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर काम किया.

सुषमा स्वराज को उनकी प्रभावशाली वक्तृत्व कला, कुशल प्रशासनिक कौशल और सच्ची सेवा भावना के लिए जाना जाता था. विदेश मंत्री के रूप में, उन्होंने विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों की सहायता के लिए कई पहल की और उनके लिए आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराईं. उन्होंने ट्विटर पर भी सक्रियता दिखाई और कई लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास किए.

सुषमा स्वराज का विवाह 1975 में स्वराज कौशल से हुआ था. उनके एक बेटी है, जिसका नाम बांसुरी स्वराज है. सुषमा स्वराज का निधन 6 अगस्त 2019 को हुआ. उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा झटका था. सुषमा स्वराज का जीवन और कार्य भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय है. उन्होंने अपनी राजनीति, नेतृत्व और समर्पण से भारतीय जनता को प्रेरित किया और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.

5/5 - (2 votes)
:

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!