Article

व्यक्ति विशेष

भाग - 02.

रमण महर्षि

रमण महर्षि एक महान आध्यात्मिक गुरु थे जो 20वीं सदी के भारतीय सन्यासी और आध्यात्मिक महात्मा थे। उनका जन्म 30 दिसम्बर 1879 को हुआ था और मृत्यु 14 अप्रैल 1950 को हुई थी। वे अपने आत्मज्ञान और आत्मा के अद्वितीयता के लिए प्रसिद्ध हुए थे।

रमण महर्षि ने अपने जीवन के बड़े हिस्से को आरुणाचल प्रदेश के तिरुवन्नामलाया में आश्रम में बिताया था, जहां उन्होंने चुप्तचर ध्यान और सत्संग का आयोजन किया। उनकी शिक्षाएं और उनके सत्संगों ने लाखों लोगों को आत्मज्ञान और आत्मा के साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन किया।

रमण महर्षि का मुख्य सिद्धांत था “कोई भी व्यक्ति अपने आत्मा को जान सकता है” और इसके लिए उन्होंने ध्यान और स्वानुभूति का मार्ग प्रशिक्षण दिया। उनका उपदेश बहुतंत्री में औरों को आत्मा की सच्चाई की ओर प्रवृत्ति करने के लिए प्रेरित करता था।

रमण महर्षि के जीवन और उनके उपदेशों का महत्वपूर्ण स्रोत उनकी लेखनी से है, जिसमें “आत्मविचार” और “आत्मार्पण” जैसे विषयों पर चर्चा की गई है। उनका आध्यात्मिक वास्तविकता का अद्वितीय सिद्धांत भक्ति और ज्ञान के साथ जुड़ा हुआ था।

=========== ============ ============

कवि दुष्यंत कुमार….

कवि दुष्यंत कुमार एक प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे जो भारतीय साहित्य के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट काव्य से पहचान बना चुके हैं। उनका जन्म 1 सितंबर 1933 को हुआ था और उनका नाम स्वर्गीय रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के नाम से जुड़ा है, जो एक अग्रणी हिन्दी कवि थे। दुष्यंत कुमार को ‘दुष्यंत’ के नाम से भी जाना जाता है।

उन्होंने अपनी कविताओं में समाज, राजनीति, प्रेम, और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण को अद्वितीय रूप से प्रस्तुत किया। उनकी कविताएं आम जनता के बीच में बहुत प्रिय हुईं और उन्हें “जननायक कवि” के रूप में जाना जाता है।

दुष्यंत कुमार की कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं:

“हम तो मित जाएंगे”

“सरहद पर एक आशीक़”

“आत्मघाती”

“काले मेघा पानी दे”

“कानपूर की विधवा”

“अयोध्या तथा दूसरे काव्य”

“पर्वतपंक्ति”

दुष्यंत कुमार का योगदान हिन्दी साहित्य में अद्वितीय है और उनकी कविताएं आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। उनकी रचनाएं उत्तेजना भरी हैं और समाज में जागरूकता पैदा करने का कार्य करती हैं।

=========== ============ ============

वैज्ञानिक विक्रम साराभाई

विक्रम साराभाई भारतीय वैज्ञानिक, नवजवानता के सर्वप्रथम अध्यक्ष, और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्षेत्र के संस्थापक माने जाते हैं। उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को हुआ था और उनका नाम भारतीय विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना की और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्षेत्र को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और सफलता के साथ भारत को विश्व अंतरिक्ष समुद्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

विक्रम साराभाई को भी “भारतीय अंतरिक्ष प्रबंधक” के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में विज्ञान, शिक्षा, और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में उदार दृष्टिकोण के साथ कार्य किया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष यान “चंद्रयान-1” की योजना को आगे बढ़ाया था, जिससे भारत ने 2008 में सफलता से चंद्रमा पहुंचा।

विक्रम साराभाई का निधन 30 दिसंबर 1971 को हुआ था, लेकिन उनकी योगदान और उनका प्रभाव आज भी भारतीय विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं।

=========== ============ ============

मृणाल सेन….

मृणाल सेन एक भारतीय फिल्म निर्माता और निर्देशक हैं। उन्होंने अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशंसा प्राप्त की है। मृणाल सेन का जन्म 23 दिसंबर 1979 को हुआ था। उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत महेंद्र सिंह धोनी की जीवनी पर आधारित फिल्म “मेरी कहानी” (2016) से की थी, जिसमें सुशांत सिंह राजपूत ने महेंद्र सिंह धोनी का किरदार निभाया था।

मृणाल सेन ने एक और बड़ी हिट फिल्म “बद्लापुर” (2015) को निर्देशित किया, जिसमें वरुण धवन और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मुख्य भूमिकाओं में अभिनय किया था। यह फिल्म ने उन्हें नामचीन निर्देशकों में गिना दिया।

मृणाल सेन ने अपने निर्देशकीय कौशल के लिए भी सराहना प्राप्त की है और उन्होंने अपने दृष्टिकोण और सिनेमाघर में विभिन्न पहलुओं के माध्यम से दर्शकों को मनोरंजन प्रदान किया है।

 

Rate this post
:

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!