साहित्यकार विष्णु प्रभाकर
विष्णु प्रभाकर (1912-2009) भारतीय साहित्य के साहित्यकार थे. वे एक लेखक, उपन्यासकार, नाटककार और निबंधकार थे. उन्होंने हिंदी साहित्य में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं और उनकी रचनाएँ समाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर आधारित होती थीं.
विष्णु प्रभाकर का जन्म 21 जून, सन् 1912 को मीरापुर, ज़िला मुज़फ़्फ़र नगर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. उनकी आरंभिक शिक्षा मीरापुर में हुई थी. उन्होंने सन् 1929 में चंदूलाल एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल, हिसार से मैट्रिक की परीक्षा पास की. इसके उपरांत नौकरी करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय से ‘भूषण’, ‘प्राज्ञ’, ‘विशारद’ और ‘प्रभाकर’ आदि की हिंदी-संस्कृत परीक्षाएँ भी उत्तीर्ण कीं. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से ही बी.ए. की डिग्री भी प्राप्त की थी.
उनकी प्रमुख कृतियाँ: –
अर्धनारीश्वर – यह उनका प्रसिद्ध उपन्यास है जिसमें उन्होंने नारी और पुरुष के बीच के संबंधों का गहन विश्लेषण किया है.
धरती अब भी घूम रही है – यह कहानी संग्रह है जिसमें उन्होंने सामाजिक परिवर्तन और संघर्षों को प्रस्तुत किया है.
सत्यकाम – यह नाटक है जिसमें उन्होंने सच्चाई और ईमानदारी के महत्व को दर्शाया है.
आवारा मसीहा – यह शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की जीवनी पर आधारित है.
विष्णु प्रभाकर को साहित्य में उनके योगदान के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और ‘पद्म भूषण’ प्रमुख हैं. उनके लेखन में समाज की गहरी समझ और मानवीय मूल्यों का प्रतिफलन मिलता है.
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उपन्यासकार मुद्राराक्षस
मुद्राराक्षस (1933-2016) भारतीय साहित्य के एक प्रमुख उपन्यासकार, नाटककार और आलोचक थे. उनका असली नाम सुभाष वर्मा था, लेकिन वे अपने साहित्यिक नाम ‘मुद्राराक्षस’ से प्रसिद्ध हुए. उनकी लेखनी समाज के विभिन्न मुद्दों, राजनीति और मानव स्वभाव के विविध पहलुओं को उकेरती है.
मुद्राराक्षस का जन्म 21 जून, सन 1933 में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के पास बेहटा नामक गाँव में हुआ था. उनका मूल नाम सुहास वर्मा था.
प्रमुख रचनाएँ: –
धर्म और उसका विकृत रूप – यह उपन्यास धर्म के नाम पर समाज में व्याप्त कुरीतियों और विकृतियों की आलोचना करता है
मैं हिन्दू क्यों नहीं हूँ – इस पुस्तक में उन्होंने अपने विचारधारा को प्रस्तुत करते हुए भारतीय समाज में धर्म की भूमिका पर गहन चर्चा की है.
हिन्दू समाज में स्त्री – यह पुस्तक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति और उनकी समस्याओं को उजागर करती है.
शब्द शेष – यह उपन्यास भाषा और साहित्य की दुनिया में उनकी गहरी समझ को प्रस्तुत करता है.
मुद्राराक्षस का लेखन समाज के निम्न वर्ग, दलित और स्त्रियों के मुद्दों पर केंद्रित था. उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से सामाजिक न्याय और मानव अधिकारों की आवाज उठाई. उनके लेखन का प्रमुख उद्देश्य समाज में सुधार लाना और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाना था.
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अभिनेत्री रीमा लागू
रीमा लागू (1958-2017) भारतीय फिल्म और टेलीविजन की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं. उन्होंने हिंदी और मराठी सिनेमा में अपने अभिनय का लोहा मनवाया और अपनी मातृभूमि में एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में जानी जाती थीं. रीमा लागू अपने मां के किरदारों के लिए विशेष रूप से मशहूर थीं और उनके द्वारा निभाए गए किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं.
रीमा जी का जन्म 21 जून 1958 को बम्बई में हुआ था. उनका वास्तविक नाम गुरिंदर भदभदे था. रीमा की माता का नाम मन्दाकिनी भदभदे एक अभिनेत्री थीं. रीमा ने अपने कैरियर की शुरुआत मराठी फिल्म “सिंहासन” से की थी.
प्रमुख फिल्मों और टेलीविजन शो: –
फिल्में: –
हम आपके हैं कौन (1994) – इस फिल्म में उन्होंने माधुरी दीक्षित की मां का किरदार निभाया था.
हम साथ साथ हैं (1999) – इस फिल्म में उन्होंने एक बार फिर मां का किरदार निभाया.
मैंने प्यार किया (1989) – इस फिल्म में भी उन्होंने सलमान खान की मां का रोल किया था.
वास्तव (1999) – इस फिल्म में उन्होंने संजय दत्त की मां का सशक्त किरदार निभाया.
कुछ कुछ होता है (1998) – इस फिल्म में उन्होंने शाहरुख खान की मां का किरदार निभाया था.
टेलीविजन शो: –
तू तू मैं मैं – इस कॉमेडी सीरियल में उन्होंने सास का किरदार निभाया था, जो बहुत लोकप्रिय हुआ.
श्रीमान श्रीमती – इस शो में भी उनका अभिनय बहुत सराहा गया.
रीमा लागू का अभिनय सरलता, संवेदनशीलता और स्वाभाविकता से भरपूर था. वे अपने किरदारों में इतनी घुल-मिल जाती थीं कि दर्शकों को लगता था कि वे सचमुच उनकी अपनी मां हैं. उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले.
रीमा लागू का निधन 18 मई 2017 को मुंबई में हुआ था. उनके अचानक निधन से भारतीय फिल्म और टेलीविजन जगत को गहरा धक्का लगा. उनकी यादें और उनके द्वारा निभाए गए किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं.
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अभिनेत्री मुक्ति मोहन
मुक्ति मोहन एक भारतीय अभिनेत्री, नृत्यांगना और कोरियोग्राफर हैं. उन्होंने अपने नृत्य कौशल और अभिनय के माध्यम से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है. मुक्ति मोहन को उनके अभिनय और नृत्य के लिए जाना जाता है, और उन्होंने कई टेलीविजन शो और फिल्मों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है.
मुक्ति मोहन का जन्म 21 जून 1987 को नई दिल्ली में हुआ था. उनकी दो बहनें हैं शक्ति और नीति मोहन. शक्ति फिल्म अभिनेत्री और फिल्म कोरियोग्राफर हैं और बड़ी बहन नीति हिंदी सिनेमा में पार्श्व गायिका हैं. उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई बिरला बालिका विद्यापीठ पिलानी राजस्थान से की हैं.
मुक्ति ने 9 दिसंबर 2023 में अपने लम्बे समय के बॉयफ्रेंड कुणाल ठाकुर से शादी की है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत स्टार वन के डांस बेस्ड रियलिटी शो जरा नच के दिखा से की थी.
टेलीविजन: –
ज़रा नच के दिखा (2010) – मुक्ति मोहन ने इस डांस रियलिटी शो में हिस्सा लिया और अपनी नृत्य प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया.
झलक दिखला जा (सीजन 6) – इस शो में भी उन्होंने बतौर प्रतियोगी हिस्सा लिया और अपनी नृत्य प्रतिभा का लोहा मनवाया.
कपिल शर्मा शो – मुक्ति मोहन ने इस लोकप्रिय कॉमेडी शो में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया.
फिल्में: –
साहिब बीवी और गैंगस्टर (2011) – इस फिल्म में मुक्ति मोहन ने सहायक अभिनेत्री के रूप में काम किया.
उनकी प्रमुखता नृत्य और रियलिटी शो में रही है, लेकिन उन्होंने फिल्मों में भी अपनी पहचान बनाई है.
वेब सीरीज: –
भूतपुर OLD MONK (2021) – इस वेब सीरीज में मुक्ति मोहन ने अभिनय किया और दर्शकों का मनोरंजन किया.
मोहन बहनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और भारतीय मनोरंजन उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
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अभिनेत्री गौतमी कपूर
गौतमी कपूर एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जिन्होंने टेलीविजन और फिल्म दोनों में अपने अभिनय से पहचान बनाई है. उनका जन्म 21 जून 1974 को हुआ था. गौतमी ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत 1999 में की और तब से वे विभिन्न प्रमुख भूमिकाओं में नजर आई हैं.
टेलीविजन: –
कहता है दिल (2002-2005) – इस टेलीविजन शो में गौतमी ने ‘जया’ का मुख्य किरदार निभाया, जिससे वे बहुत लोकप्रिय हुईं।
क्यूं की सास भी कभी बहू थी (2006-2008) – इस लोकप्रिय धारावाहिक में गौतमी ने ‘तुलसी विरानी’ का किरदार निभाया, जो उनके कैरियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था.
परवरिश – कुछ खट्टी कुछ मीठी (2011-2013) – इस शो में उन्होंने ‘स्वीटी अहलूवालिया’ का किरदार निभाया.
तेरा यार हूं मैं (2020-2022) – इस शो में उन्होंने ‘जानवी बंसल’ का महत्वपूर्ण किरदार निभाया.
फिल्में: –
फना (2006) – इस फिल्म में गौतमी ने ‘जीनत’ का किरदार निभाया
शादी से पहले (2006) – इस कॉमेडी फिल्म में उन्होंने अभिनय किया.
Student of the Year (2012) – इस फिल्म में गौतमी ने एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
गौतमी कपूर का विवाह प्रसिद्ध अभिनेता राम कपूर से हुआ है. दोनों की मुलाकात टेलीविजन शो ‘घर एक मंदिर’ के सेट पर हुई थी. उनके दो बच्चे हैं, एक बेटी सिया और एक बेटा अक्स.
गौतमी कपूर का अभिनय सरलता और स्वाभाविकता से भरपूर होता है, जिससे दर्शक उनसे आसानी से जुड़ जाते हैं. उन्होंने अपनी विविध भूमिकाओं के माध्यम से भारतीय टेलीविजन और सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
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अभिनेत्री रुचिका कपूर
रुचिका कपूर एक भारतीय अभिनेत्री और फिल्म निर्माता हैं, जो प्रमुखता से एकता कपूर की बालाजी मोशन पिक्चर्स में क्रिएटिव प्रोड्यूसर के रूप में काम कर चुकी हैं. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत फिल्म निर्माण और प्रोडक्शन से की और बाद में अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. रुचिका का जन्म 21 जून 1988 को मुंबई में हुआ था.
फिल्म निर्माण और प्रोडक्शन
लैला मजनू (2018) – इस फिल्म में रुचिका कपूर ने प्रमुखता से क्रिएटिव प्रोड्यूसर के रूप में काम किया.
जबरिया जोड़ी (2019) – इस फिल्म में भी रुचिका ने क्रिएटिव प्रोड्यूसर का कार्यभार संभाला.
ड्रीम गर्ल (2019) – इस हिट फिल्म में रुचिका ने प्रोडक्शन टीम का हिस्सा बनकर महत्वपूर्ण योगदान दिया.
टेलीविजन और वेब सीरीज
रुचिका कपूर बालाजी टेलीफिल्म्स के विभिन्न टेलीविजन शो और वेब सीरीज के निर्माण में भी शामिल रही हैं. उन्होंने कई प्रोजेक्ट्स में क्रिएटिव और प्रोडक्शन हेड के रूप में काम किया है. रुचिका कपूर का विवाह प्रसिद्ध अभिनेता शाहिर शेख से हुआ है. दोनों ने 2020 में शादी की और सोशल मीडिया पर उनके संबंध को लेकर कई चर्चाएं हुईं.
रुचिका कपूर ने अपने कैरियर में न केवल फिल्म और टेलीविजन प्रोडक्शन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, बल्कि अपनी मेहनत और समर्पण से उन्होंने इंडस्ट्री में एक सशक्त पहचान बनाई है. उनकी क्रिएटिव दृष्टि और प्रोडक्शन में दक्षता ने उन्हें एक सफल निर्माता और अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया है.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (1889-1940) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक थे, जो भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है. उन्होंने भारतीय समाज को एकजुट करने और उसे स्वदेशी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक बनाने के उद्देश्य से 1925 में RSS की स्थापना की. उनका जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था.
डॉ. हेडगेवार का प्रारंभिक जीवन संघर्षमय था. उन्होंने अपनी मेडिकल शिक्षा कलकत्ता (अब कोलकाता) से प्राप्त की. वे बचपन से ही देशभक्ति की भावना से प्रेरित थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया.
RSS की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में की गई. इस संगठन का उद्देश्य भारतीय समाज को संगठित करना और हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा करना था. हेडगेवार का विचार था कि भारतीय समाज को एकजुट करना आवश्यक है ताकि वह स्वतंत्रता संग्राम में अधिक सशक्त और संगठित रूप से भाग ले सके.
संगठनात्मक कौशल: डॉ. हेडगेवार ने RSS को एक सशक्त संगठन के रूप में स्थापित किया, जो अनुशासन, सेवा और राष्ट्रीयता के मूल्यों पर आधारित है. हेडगेवार ने अपने संगठन के माध्यम से हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को प्रचारित किया. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थक थे और अपने संगठन के माध्यम से देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित किया.
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का निधन 21 जून 1940 को हुआ. उनके द्वारा स्थापित RSS आज भी भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और सेवा कार्यों में सक्रिय है.
डॉ. हेडगेवार का जीवन और उनकी विचारधारा आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है. उन्होंने अपने संगठन के माध्यम से भारतीय समाज को संगठित करने और उसे आत्मनिर्भर बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया.