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ज्येष्ठ पूर्णिमा…

ज्येष्ठ पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. यह तिथि अत्यंत पवित्र मानी जाती है और इसे धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

वट सावित्री व्रत: – इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं. इस व्रत का नाम सावित्री के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से वापस प्राप्त किया था. व्रत रखने वाली महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं और उसके चारों ओर धागा लपेटती हैं.

बुद्ध पूर्णिमा: – हालांकि बुद्ध पूर्णिमा आमतौर पर वैशाख महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है, लेकिन ज्येष्ठ पूर्णिमा का भी बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है. इस दिन बौद्ध धर्मावलंबी विशेष पूजा और ध्यान करते हैं.

स्नान और दान: – इस दिन गंगा नदी या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इसके बाद दान करने की परंपरा भी है. लोग अन्न, वस्त्र, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करते हैं.

पूजा और हवन: – इस दिन विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है. वट वृक्ष की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है.

व्रत और कथा: – वट सावित्री व्रत की कथा सुनाई जाती है और महिलाएं इस दिन निराहार व्रत रखती हैं.

ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन भक्ति भाव से परिपूर्ण होता है और इसे पूरे भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है. इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है, और लोग इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं.

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Jyeshtha Purnima

Jyeshtha Purnima is celebrated on the full moon day of the month of Jyeshtha, according to the Hindu calendar. This date is considered extremely sacred and has religious and spiritual significance. Many religious and cultural programs are organized on the day of Jyeshtha Purnima.

Vat Savitri Vrat: – On this day, women observe Vat Savitri Vrat for the long life and happiness and prosperity of their husbands. This fast is named after Savitri, who got her husband Satyavan’s life back from Yamraj. Women observing the fast worship the Vat (Banyan) tree and wrap a thread around it.

Buddha Purnima: – Although Buddha Purnima is usually celebrated on the full moon day of the month of Vaishakh, Jyeshtha Purnima also has an important place in Buddhism. On this day, Buddhists perform special worship and meditation.

Bath and donation: – Bathing in the Ganges river or any holy reservoir on this day is considered extremely auspicious. There is also a tradition of donating after this. People donate food, clothes, and other essential items.

Puja and Havan:- Special pujas and havans are organized on this day. The worship of the Vat tree is especially important.

Vrat and Katha:- The story of the Vat Savitri Vrat is narrated and women observe a fast without food on this day.

The day of Jyeshtha Purnima is filled with devotion and is celebrated in various forms across India. The religious, cultural, and spiritual significance of this day is immense, and people celebrate it with great enthusiasm and devotion.

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