भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी
कर्णम मल्लेश्वरी भारत की एक भारोत्तोलक (वेटलिफ्टर) हैं, जिनका जन्म 1 जून 1975 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में हुआ था. वे ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं. उनके इस महान उपलब्धि ने भारत के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा और भारोत्तोलन में भारतीय महिलाओं को प्रोत्साहित किया.
कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था. उन्होंने बहुत ही कम उम्र में भारोत्तोलन की शुरुआत की और अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए कड़ी मेहनत की. मल्लेश्वरी ने 1990 के दशक में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कैरियर की शुरुआत की. वर्ष 1994 –95 में विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपनी योग्यता साबित की. वर्ष 2000 के सिडनी ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा. वे ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. उन्होंने 1998 के एशियाई खेलों में भी रजत पदक जीता.
कर्णम मल्लेश्वरी को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. उन्हें 1994 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और 1999 में पद्म श्री पुरस्कार मिला. वे देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं.
कर्णम मल्लेश्वरी का ओलंपिक पदक जीतने का कारनामा भारतीय खेल इतिहास में एक मील का पत्थर है. इसने भारोत्तोलन और अन्य खेलों में भारतीय महिलाओं के लिए एक नई दिशा प्रदान की. उन्होंने अपने कैरियर के दौरान अपने अनुभवों और प्रेरणाओं को साझा किया और नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रेरित किया.
कर्णम मल्लेश्वरी का विवाह राजेश त्यागराज से हुआ है और उनके दो बेटे हैं. उन्होंने अपने खेल कैरियर के बाद विभिन्न सामाजिक और खेल संबंधित गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई है. कर्णम मल्लेश्वरी का जीवन और कैरियर भारतीय खेल प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता की ऊंचाइयों को छुआ और अपने देश का नाम रोशन किया.
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महिला क्रिकेटर राजेश्वरी गायकवाड़
राजेश्वरी गायकवाड़ एक भारतीय महिला क्रिकेटर हैं, जो भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए खेलती हैं. उनका जन्म 1 जून 1991 को कर्नाटक के विजयपुर में हुआ था. वे मुख्य रूप से एक बाएं हाथ की ऑर्थोडॉक्स स्पिन गेंदबाज हैं और उन्होंने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारतीय महिला क्रिकेट टीम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
राजेश्वरी गायकवाड़ ने अपनी शिक्षा विजयपुर में ही पूरी की और क्रिकेट की ओर उनका रुझान बचपन से ही था. राजेश्वरी ने 19 जनवरी 2014 को श्रीलंका के खिलाफ अपने वनडे (ODI) कैरियर की शुरुआत की. उन्होंने 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत की.25 जनवरी 2014 को उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ अपने टी20 कैरियर की शुरुआत की. राजेश्वरी ने कई महत्वपूर्ण मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जिससे भारतीय टीम को जीत हासिल करने में मदद मिली है.
राजेश्वरी गायकवाड़ ने कई अंतर्राष्ट्रीय मैचों में अपनी शानदार गेंदबाजी से टीम को मजबूती दी है. 2017 महिला क्रिकेट विश्व कप में उनके प्रदर्शन को विशेष रूप से सराहा गया, जहां उन्होंने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 विकेट लेकर टीम को फाइनल में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
राजेश्वरी एक बाएं हाथ की ऑर्थोडॉक्स स्पिनर हैं और उनकी गेंदबाजी में विविधता और सटीकता होती है. वे अपनी विकेट-टेकिंग क्षमताओं और इकॉनमी रेट के लिए जानी जाती हैं, जिससे विपक्षी बल्लेबाजों को रन बनाने में कठिनाई होती है.
राजेश्वरी गायकवाड़ ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे नई पीढ़ी की महिला क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता ने उन्हें एक सफल क्रिकेटर बनाया है.
राजेश्वरी का क्रिकेट कैरियर उनके समर्पण और कड़ी मेहनत का परिणाम है. उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान और सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
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अभिनेत्री पूजा गौर
पूजा गौर एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी टेलीविजन उद्योग में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 1 जून 1991 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था. पूजा ने टेलीविजन धारावाहिकों में अपने अभिनय के लिए व्यापक लोकप्रियता और प्रशंसा प्राप्त की है.
पूजा गौर का जन्म और पालन-पोषण अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अहमदाबाद में पूरी की और बाद में अभिनय के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए मुंबई चली गईं.
पूजा ने अपने टेलीविजन कैरियर की शुरुआत 2009 में स्टार प्लस के शो “कितनी मोहब्बत है” से की थी, जिसमें उन्होंने पूजा नामक किरदार निभाया था. उन्हें असली पहचान स्टार प्लस के लोकप्रिय धारावाहिक “मन की आवाज़ प्रतिज्ञा” (2009-2012) में प्रतिज्ञा सिंह की मुख्य भूमिका निभाने से मिली. इस शो में उनके प्रदर्शन को दर्शकों और आलोचकों ने खूब सराहा. इसके बाद उन्होंने “खतरों के खिलाड़ी” सीजन 5 में भाग लिया और अन्य शो जैसे “सावधान इंडिया” और “एक थी नायिका” में भी काम किया.
प्रमुख धारावाहिक: – “कितनी मोहब्बत है” (2009), “मन की आवाज़ प्रतिज्ञा” (2009-2012), “सावधान इंडिया” (2013-2016) और “एक थी नायिका” (2013).
पूजा गौर ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार जीते हैं, जिसमें इंडियन टेली अवार्ड्स और अन्य सम्मान शामिल हैं. उन्होंने अपने किरदारों के माध्यम से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है और उनकी अभिनय क्षमता की व्यापक सराहना हुई है.
पूजा गौर ने अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को हमेशा से ही निजी रखा है और सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहती हैं, जहां वे अपने प्रशंसकों के साथ अपने जीवन के महत्वपूर्ण पल साझा करती हैं. वे अपने फिटनेस रूटीन और जीवनशैली के बारे में भी जागरूकता फैलाने का काम करती हैं.
पूजा गौर का टेलीविजन कैरियर उनके समर्पण, मेहनत और प्रतिभा का प्रमाण है. वे नई पीढ़ी की अभिनेत्रियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और उनकी भूमिका ने भारतीय टेलीविजन उद्योग में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है.
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अभिनेत्री नर्गिस
नर्गिस हिंदी सिनेमा की महान अभिनेत्रियों में से एक मानी जाती हैं. वह महान अभिनेता सुनील दत्त की पत्नी और अभिनेता संजय दत्त की मां थीं. नर्गिस का वास्तविक नाम फातिमा राशिद था. उनका जन्म 1 जून 1929 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल में हुआ था और उनकी मृत्यु 3 मई, 1981 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ था.
नर्गिस का जन्म कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में हुआ था. उनकी मां, जद्दनबाई, एक मशहूर क्लासिकल सिंगर और अभिनेत्री थीं. नर्गिस ने अपने कैरियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की और उनका पहला प्रमुख रोल “तलाश-ए-हक” (1935) में था. उन्होंने 1950 –60 के दशक में कई यादगार फिल्मों में अभिनय किया.
नर्गिस को असली पहचान राज कपूर के साथ फिल्मों में मिली. उनकी जोड़ी राज कपूर के साथ “बरसात” (1949), “आवारा” (1951), और “श्री 420” (1955) जैसी फिल्मों में बहुत सफल रही. वर्ष 1957 में आई फिल्म “मदर इंडिया” में उनके प्रदर्शन को अत्यधिक सराहा गया. इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया.
नर्गिस ने 1958 में अभिनेता सुनील दत्त से विवाह किया. उनका यह विवाह उस समय हुआ जब सुनील दत्त ने “मदर इंडिया” के सेट पर एक आग से नर्गिस की जान बचाई थी. नर्गिस के तीन बच्चे हैं: संजय दत्त, नम्रता दत्त, और प्रिया दत्त.
नर्गिस को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें पद्मश्री (1958) और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1968) शामिल हैं. वर्ष 1968 में उन्हें “रात और दिन” के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. नर्गिस ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा समाजसेवा को समर्पित किया. वे कई सामाजिक और चैरिटेबल संगठनों से जुड़ी रहीं.
नर्गिस का निधन 3 मई 1981 को कैंसर के कारण हुआ. उनकी मौत से पहले, वे अपने बेटे संजय दत्त की पहली फिल्म “रॉकी” की रिलीज देखने की इच्छा रखती थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश, उनकी मृत्यु फिल्म की रिलीज से कुछ दिन पहले ही हो गई. नर्गिस की विरासत आज भी जीवित है और उन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है.
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छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी
नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति थे, जिनका कार्यकाल 1977 – 82 तक रहा. वे एक वरिष्ठ राजनेता थे और स्वतंत्र भारत के प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्वों में से एक थे. उनका जन्म 19 मई 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के इलुरु गाँव में हुआ था.
नीलम संजीव रेड्डी का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए मद्रास (अब चेन्नई) चले गए, जहाँ उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की.
रेड्डी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया. उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में कई आंदोलनों में भाग लिया और जेल भी गए. वर्ष 1956 में वे आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने जब राज्य का पुनर्गठन हुआ. नीलम संजीव रेड्डी दो बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे (1956-60 और 1962-64). बाद में उन्होंने केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में भी कार्य किया और विभिन्न मंत्रालयों का भी कार्यभार संभाला. वे 1967 – 69 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे. इस भूमिका में उनके कार्य को बहुत सराहा गया और उन्हें एक निष्पक्ष और सक्षम अध्यक्ष माना गया.
वर्ष 1977 में नीलम संजीव रेड्डी भारत के राष्ट्रपति चुने गए. वे बिना किसी विरोध के निर्वाचित होने वाले पहले राष्ट्रपति थे. उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संविधान की मर्यादा और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
नीलम संजीव रेड्डी को उनके उत्कृष्ट राजनीतिक कैरियर और देश के प्रति योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए. नीलम संजीव रेड्डी का विवाह नीलम नागरत्नम्मा से हुआ था और उनके दो बच्चे थे. नीलम संजीव रेड्डी का निधन 1 जून 1996 को हुआ. उनके निधन पर देश ने एक महान नेता को खो दिया जिसने अपनी पूरी जिंदगी देश और समाज की सेवा में समर्पित कर दी.
नीलम संजीव रेड्डी का जीवन और कैरियर भारतीय राजनीति में एक प्रेरणादायक कहानी है. उन्होंने अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर अडिग रहते हुए देश की सेवा की और अपने कार्यकाल के दौरान लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत किया.