राजा राममोहन राय
राजा राममोहन राय एक प्रमुख भारतीय समाज सुधारक और विचारक थे. जिन्होंने 19वीं सदी में भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण सुधार किए. उनका जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधा नगर में हुआ था. राममोहन राय ने बहुभाषी शिक्षा प्राप्त की और उन्होंने संस्कृत, फारसी, अरबी, उर्दू, हिंदी, बंगाली, अंग्रेजी और लैटिन भाषाओं में दक्षता हासिल की.
राजा राममोहन राय ने समाज में व्याप्त रूढ़िवादी प्रथाओं और अंधविश्वासों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उन्होंने सती प्रथा, बाल विवाह और जाति प्रथा के खिलाफ विशेष रूप से काम किया. राजा राममोहन राय के प्रयासों की वजह से 1829 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा था.
उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की, जिसका उद्देश्य धार्मिक और सामाजिक सुधार करना था. इस संगठन के माध्यम से उन्होंने हिन्दू धर्म के भीतर से अंधविश्वासों को दूर करने की कोशिश की और धर्म के नैतिक और आध्यात्मिक पक्ष को मजबूत करने पर जोर दिया.
राजा राममोहन राय ने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने आधुनिक शिक्षा प्रणाली की वकालत की और विज्ञान तथा तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया। उनका मानना था कि शिक्षा से ही समाज में व्यापक सुधार संभव है.
राममोहन राय की मृत्यु 27 सितंबर 1833 को इंग्लैंड में हुई थी. उनकी विरासत आज भी भारतीय समाज और शिक्षा प्रणाली में गहराई से महसूस की जाती है.
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हिंदी और रूसी साहित्यकार मदन लाल मधु
मदन लाल मधु हिंदी और रूसी साहित्य के एक साहित्यकार थे. उन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी रचनाओं के माध्यम से और रूसी साहित्य के अनुवादों के जरिए अपनी विशेष पहचान बनाई. उनका काम दो साहित्यिक परंपराओं के बीच सेतु का काम करता है, जिससे उनके द्वारा अनुवादित रूसी साहित्य हिंदी पाठकों के लिए सुलभ हुआ.
मधु ने विशेष रूप से रूसी कवियों और लेखकों के कार्यों का अनुवाद किया, जिससे भारतीय पाठकों को रूसी साहित्यिक संस्कृति की गहराई और विविधता का पता चला. उनके अनुवादों में रूसी भाषा की गहराई और भावनात्मक पक्ष को संभालने की उनकी क्षमता दिखाई देती है, जिसने उन्हें एक सम्मानित अनुवादक के रूप में भी प्रसिद्धि दिलाई.
मदन लाल मधु की रचनात्मकता और साहित्यिक योगदान ने न केवल हिंदी साहित्य में, बल्कि भारतीय और रूसी साहित्य के बीच की सांस्कृतिक विनिमय में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके काम ने दोनों साहित्यिक दुनियाओं के प्रति समझ और आदर को बढ़ावा दिया.
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मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती
महबूबा मुफ्ती एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री रही हैं. उन्होंने 4 अप्रैल 2016 से 19 जून 2018 तक इस पद पर कार्य किया। महबूबा मुफ्ती जम्मू और कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं और वह जम्मू और कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की संस्थापक सदस्य भी हैं.
महबूबा मुफ्ती का जन्म 22 मई 1959 को बिजबेहारा, जम्मू और कश्मीर में हुआ था. उन्होने कश्मीर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की. उनका राजनीतिक कैरियर उनके पिता, मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ काम करते हुए शुरू हुआ, जो स्वयं दो बार जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे थे. महबूबा मुफ्ती ने अपने पिता के साथ मिलकर 1999 में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में शांति और विकास सुनिश्चित करना था.
महबूबा के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कश्मीर घाटी में शांति और स्थिरता के लिए कई पहल की, हालांकि उनके कार्यकाल को कई चुनौतियों और विवादों का सामना भी करना पड़ा। उनकी सरकार ने विशेष रूप से शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्र में कई परियोजनाएं शुरू कीं. उनका राजनीतिक जीवन कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है.
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अभिनेता राजित कपूर
राजित कपूर एक भारतीय अभिनेता हैं, जो अपने विविध और प्रभावशाली अभिनय कौशल के लिए जाने जाते हैं. वे खास तौर पर दूरदर्शन के लोकप्रिय टीवी धारावाहिक “ब्योमकेश बक्शी” में ब्योमकेश बक्शी की भूमिका के लिए बेहद प्रसिद्ध हुए. इस शो में उनकी बारीक और गहन अभिनय शैली ने दर्शकों के बीच उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया.
रजित का जन्म 22 मई 1960 को अमृतसर, पंजाब, भारत में हुआ था. उन्होंने थिएटर में भी अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है और विभिन्न नाटकों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं. उनका अभिनय कैरियर फिल्मों और टेलीविजन दोनों में समान रूप से सराहा गया है. फिल्मों में भी उन्होंने विविध भूमिकाएं निभाई हैं और कई अलग-अलग प्रकार की फिल्मों में काम किया है.
उनकी कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में “ट्रेन टू पाकिस्तान”, “मोनसून वेडिंग” और “द मेकिंग ऑफ़ महात्मा” शामिल हैं. इन फिल्मों में उनके अभिनय की गहराई और विविधता ने उन्हें एक सम्मानित और प्रशंसित अभिनेता के रूप में स्थापित किया है.
राजित कपूर का कैरियर उनके अभिनय कौशल और विविध भूमिकाओं के चयन के लिए प्रशंसा का विषय बना रहता है, और वह भारतीय सिनेमा और रंगमंच के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक हैं.
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अभिनेत्री सुहाना खान
सुहाना खान जानी-मानी बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की बेटी हैं. उनका जन्म 22 मई 2000 को हुआ था. सुहाना का नाम अक्सर मीडिया में उनके प्रसिद्ध पिता के संदर्भ में आता है, लेकिन उन्होंने खुद भी अपनी पहचान बनाई है.
सुहाना ने अपनी शिक्षा दुनिया के कई प्रतिष्ठित संस्थानों से की है और उन्होंने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में फिल्म स्टडीज का अध्ययन किया है. वह रंगमंच और अभिनय में भी रुचि रखती हैं और अपने स्कूल और कॉलेज में विभिन्न नाटकों में हिस्सा ले चुकी हैं.
वह सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं और उनके कई प्रशंसक हैं जो उनकी पोस्ट्स को फॉलो करते हैं. सुहाना की फिल्म उद्योग में आने की अटकलें हमेशा से रही हैं, और उनके प्रशंसक उन्हें बड़े पर्दे पर देखने का इंतज़ार कर रहे हैं.
अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत करने से पहले, सुहाना ने कुछ लघु फिल्मों और वीडियो प्रोजेक्ट्स में काम किया है, जिससे उनके अभिनय कौशल की एक झलक मिलती है.
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शेरशाह सूरी
शेरशाह सूरी जिनका वास्तविक नाम फरीद खान था और वो एक प्रमुख अफगान शासक थे जिन्होंने मुगल साम्राज्य को पराजित कर भारत पर 1540 – 45 तक शासन किया. वे अपने कुशल प्रशासन और सैन्य कौशल के लिए जाने जाते हैं। शेरशाह सूरी ने बहुत कम समय में अपने प्रशासनिक ढांचे को मजबूत किया और उसमें सुधार किए, जिसका प्रभाव बाद के युगों में भी महसूस किया गया.
उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार किए जैसे कि चलनी मुद्रा (रूपया) की शुरुआत, जिसे बाद में मुगल शासकों ने भी अपनाया. शेरशाह ने भारतीय राजमार्ग प्रणाली का विस्तार और सुधार किया.
उनका प्रशासन बहुत ही केंद्रीकृत और संगठित था, और उन्होंने अपने राज्य में कानून और व्यवस्था को मजबूती से लागू किया. शेरशाह ने साम्राज्य की आंतरिक सुरक्षा और विकास के लिए भी कई योजनाएं बनाईं.
शेरशाह सूरी का निधन 1545 में हुआ था, लेकिन उनके द्वारा किए गए सुधार और प्रशासनिक नीतियां मुगल साम्राज्य के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती रहीं. उनके शासनकाल को भारतीय इतिहास में एक उल्लेखनीय काल के रूप में देखा जाता है.