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व्यक्ति विशेष

भाग – 143.

नाथूराम गोडसे

नाथूराम गोडसे एक हिन्दू राष्ट्रवादी थे और उन्हें महात्मा गांधी की हत्या के लिए जाना जाता है. नाथूराम का पूरा नाम नाथूराम विनायक गोडसे था. जबकि उनका वास्तविक नाम रामप्रसाद था.

गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को मुंबई-पुणे के बीच में एक राष्ट्रवादी हिन्दू परिवार में हुआ था. गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में गांधीजी पर गोली चलाई थी. उसे उस हत्या के लिए दोषी पाया गया और फिर उसे मृत्युदंड दिया गया था.

गोडसे ने यह कदम उठाया था क्योंकि वह गांधी की नीतियों और विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के प्रति उनके दृष्टिकोण से असहमत था. गोडसे का मानना था कि गांधी की नीतियाँ भारत के हित में नहीं हैं. महात्मा गाँधी की हत्या करने के कारण नाथूराम गोडसे को फ़ाँसी की सज़ा सुनाई गई थी. उन्हें  15 नवम्बर 1949 में अंबाला (हरियाणा) में फ़ाँसी दी गई थी.

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राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी

नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति थे और उनका कार्यकाल 1977 – 82 तक था.  नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में हुआ था. रेड्डी ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान की थी और वे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे.

वे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे और दो बार लोक सभा के अध्यक्ष के पद पर भी आसीन हुए. उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी सादगी और समर्पण के लिए प्रशंसा प्राप्त की. रेड्डी का राष्ट्रपति पद पर चयन एक ऐतिहासिक घटना थी, क्योंकि वे निर्विरोध चुने गए थे, जो कि भारतीय इतिहास में एक दुर्लभ उपलब्धि है. उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर निर्णय लिए गए थे.

नीलम संजीव रेड्डी का निधन 1 जून 1996 को हुआ था. उन्होंने भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी है और उनकी सेवाएं आज भी सराही जाती हैं.

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लेखक रस्किन बॉण्ड

रस्किन बॉण्ड एक प्रसिद्ध भारतीय-ब्रिटिश लेखक हैं, जिनका जन्म 19 मई 1934 को कसौली, हिमाचल प्रदेश में हुआ था. उन्होंने अपना अधिकांश जीवन भारत में बिताया है, और उनका साहित्यिक कार्य भारतीय परिदृश्यों और जीवन की छवियों से भरपूर है. बॉण्ड की रचनाएँ उनके द्वारा निभाई गई भूमिकाओं और उनके अनुभवों से प्रभावित हैं.

रस्किन बॉण्ड की लेखनी में विशेष रूप से बच्चों के लिए कहानियाँ, उपन्यास, निबंध और कविताएँ शामिल हैं. उन्होंने कुछ बहुत ही लोकप्रिय किताबें लिखी हैं, जैसे कि “द ब्लू अम्ब्रेला”, “रूस्टी” श्रृंखला, और “द रूम ऑन द रूफ”, जिसे उन्होंने अपनी किशोरावस्था में लिखा था और जिसके लिए उन्हें जॉन लेवेलिन रीस पुरस्कार प्राप्त हुआ था.

रस्किन बॉण्ड को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें से प्रमुख हैं पद्म श्री (1999) और पद्म भूषण (2014). उनकी लेखनी ने न केवल बच्चों बल्कि बड़ों को भी गहराई से प्रभावित किया है, और उनकी कहानियाँ भारतीय साहित्य में एक अमूल्य योगदान मानी जाती हैं.

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अभिनेता गिरीश कर्नाड

गिरीश कर्नाड एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, नाटककार, और निर्देशक थे, जिनका जन्म 19 मई 1938 को मैसूर, कर्नाटक में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा धरवाड़ और पुणे में पूरी की और बाद में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी, पॉलिटिक्स, और इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की. कर्नाड ने भारतीय थियेटर को आधुनिक कन्नड़ नाटकों के माध्यम से नई दिशा दी, जिसमें उनके नाटक “ययाति”, “तुगलक”, “हयवदन”, “नागमंडल” और “अग्नि मत्तु मले” प्रमुख हैं.

कर्नाड के नाटक भारतीय मिथकों और इतिहास को आधुनिक संदर्भ में पुनः प्रस्तुत करते हैं, और वे अपने समय की सामाजिक और नैतिक दुविधाओं को उजागर करते हैं. उन्होंने फिल्म और टेलीविजन में भी काम किया, जहाँ उन्होंने विविध भूमिकाएँ निभाईं और कई प्रसिद्ध फिल्मों में अभिनय किया, जैसे कि “मंथन”, “निशांत”, “इकबाल”, और “दोर”.

गिरीश कर्नाड को उनके योगदान के लिए कई सम्मान से नवाजा गया, जिनमें से प्रमुख हैं पद्म श्री (1974) और पद्म भूषण (1992).  वे 2019 में अपने निधन तक भारतीय कला और संस्कृति के एक सक्रिय प्रवक्ता रहे। उनकी मृत्यु 10 जून 2019 को हुई थी.

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अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी एक भारतीय अभिनेता हैं, जिन्होंने अपने दमदार अभिनय और विविध भूमिकाओं के जरिए भारतीय सिनेमा में खास पहचान बनाई है. उनका जन्म 19 मई 1974 को उत्तर प्रदेश के बुढाना में हुआ था. नवाज़ ने अपनी शिक्षा नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से पूरी की, जो भारत के प्रमुख अभिनय संस्थानों में से एक है.

नवाज़ुद्दीन ने अपने कैरियर की शुरुआत छोटे और सहायक भूमिकाओं से की थी, लेकिन उन्होंने जल्द ही अपनी प्रतिभा से खुद को मुख्य भूमिकाओं में स्थापित कर लिया. उनकी प्रमुख फिल्मों में “गैंग्स ऑफ वासेपुर”, “मांझी – द माउंटेन मैन”, “रमन राघव 2.0”, “मॉम” और “बजरंगी भाईजान” शामिल हैं. इन फिल्मों में उनके चरित्र निर्वाह ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई और समीक्षकों की भी सराहना प्राप्त की.

नवाज़ुद्दीन की अभिनय क्षमता ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पहचान दिलाई है. उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सवों में भारतीय सिनेमा का प्रतिनिधित्व किया है. उनकी अभिनय प्रतिभा और सिनेमा के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें न केवल दर्शकों का, बल्कि फिल्म समीक्षकों का भी दिल जीता है.

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उद्योगपति जमशेदजी नसरवानजी टाटा

जमशेदजी नसरवानजी टाटा भारतीय उद्योग जगत के एक अग्रणी पुरोधा माने जाते हैं. उनका जन्म 3 मार्च 1839 को नवसारी, गुजरात में हुआ था. टाटा ने भारतीय उद्योग क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की, जिनमें टाटा स्टील, जो एशिया की पहली स्टील मिल थी, और टाटा पावर, जो भारत का पहला हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्लांट है, शामिल हैं.

जमशेदजी की दूरदृष्टि ने उन्हें औद्योगिकीकरण की ओर प्रेरित किया, जिसके फलस्वरूप उन्होंने भारत में आधुनिक उद्योगों की नींव रखी. उनका सपना था कि भारत स्वयं के संसाधनों का उपयोग करके अपने उद्योग खड़े करे, और इस दिशा में उन्होंने भारी निवेश किया. उन्होंने जमशेदपुर शहर की स्थापना की, जिसे उनके सम्मान में ‘टाटानगर’ के नाम से भी जाना जाता है.

जमशेदजी टाटा ने शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में भी योगदान दिया. उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बंगलुरु की स्थापना के लिए धनराशि और जमीन प्रदान की, जो आज भी भारत के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में से एक है.

जमशेदजी टाटा की 19 मई 1904 को मृत्यु हो गई, लेकिन उनकी विरासत आज भी टाटा समूह के विशाल औद्योगिक साम्राज्य के रूप में जीवित है, जो विश्वभर में अपनी उत्कृष्टता और नैतिक मूल्यों के लिए जाना जाता है.

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लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी एक भारतीय लेखक, आलोचक, और साहित्यिक इतिहासकार थे. उनका जन्म 19 अगस्त 1907 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था. द्विवेदी जी ने हिंदी साहित्य में अपने विशद ज्ञान और गहरी अंतर्दृष्टि के माध्यम से एक विशेष स्थान बनाया.

उनके साहित्यिक कार्यों में उपन्यास, निबंध, आलोचना और इतिहास का समावेश होता है. उनके प्रमुख उपन्यासों में “बाणभट्ट की आत्मकथा”, “चारु चंद्रलेख”, और “अनामदास का पोथा” शामिल हैं. इन कृतियों में भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति उनकी गहरी समझ और प्रेम स्पष्ट दिखाई देता है.

आचार्य द्विवेदी ने भारतीय साहित्य के विभिन्न युगों और उनकी विशेषताओं को उजागर करने वाली महत्वपूर्ण आलोचनात्मक कृतियाँ भी लिखीं. उन्होंने “हिंदी साहित्य का इतिहास” नामक पुस्तक में हिंदी साहित्य के विकास को व्यापक रूप से चित्रित किया है, जिसे आज भी इस विषय पर एक आधारशिला माना जाता है.

उन्होंने कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाज़े गए, जिनमें पद्म भूषण (1957) और साहित्य अकादमी पुरस्कार (1973) शामिल हैं. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का निधन 19 मई 1979 को हुआ था. उनके साहित्यिक योगदान ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा और गहराई प्रदान की.

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रंगमंचकर्मी विजय तेंदुलकर

विजय तेंदुलकर भारतीय रंगमंच के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक थे. उनका जन्म 6 जनवरी 1928 को महाराष्ट्र में हुआ था. तेंदुलकर ने मराठी थियेटर को अपने बोल्ड और चुनौतीपूर्ण नाटकों के माध्यम से एक नई दिशा प्रदान की. उनके नाटकों में सामाजिक और राजनीतिक विषयों का गहराई से चित्रण किया गया, जिसने दर्शकों को न केवल मनोरंजन किया बल्कि उन्हें सोचने पर भी मजबूर किया.

उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध नाटकों में “घाशीराम कोतवाल”, “सखाराम बाइंडर”, और “कन्यादान” शामिल हैं. इन नाटकों में उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया, जैसे कि सत्ता का दुरुपयोग, जातिगत विषमता, और महिलाओं के प्रति हिंसा. तेंदुलकर के नाटक अक्सर विवादस्पद रहे हैं, लेकिन उन्होंने समाज की गहराइयों में छिपे हुए सत्यों को उजागर करने का काम किया.

विजय तेंदुलकर को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिसमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण भी शामिल हैं. उनका निधन 19 मई 2008 को हुआ, लेकिन उनके नाटक और उनकी सोच आज भी भारतीय थियेटर के लिए एक मार्गदर्शक प्रेरणा के रूप में मानी जाती हैं.

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