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व्यक्ति विशेष

भाग – 136.

स्वतंत्रता सेनानी असफ अली

असफ अली एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध भारतीय वकील थे. वो  भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका के पहले राजदूत थे. असफ अली का जन्म 11 मई 1888 को स्योहारा (उत्तर प्रदेश) में हुआ और उनका निधन 01 अप्रैल 1953 को  बर्न, स्विट्जरलैंड में हुआ था.

असफ अली ने ब्रिटिश राज के दौरान भारत की आजादी के लिए संघर्ष में हिस्सा लिया. वे कांग्रेस पार्टी के नेता थे और महात्मा गांधी के साथ निकटता से जुड़े थे. असफ अली ने कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई और ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ संघर्ष करने के कारण उन्हें कई बार जेल में भी बंद किया गया.

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. आजादी के बाद वे भारत के पहले राजदूत के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका में नियुक्त हुए.  उनकी पत्नी, अरुणा असफ अली, भी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थीं और दोनों ने मिलकर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. 

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लेखक सआदत हसन मंटो

सआदत हसन मंटो एक प्रमुख उर्दू और हिन्दी के कथाकार और नाटककार थे, जिनका जन्म 11 मई 1912 में पंजाब के समराला में हुआ था. मंटो को विशेष रूप से अपनी लघु कहानियों के लिए जाने  जाते हैं, जिनमें वे समाज के मार्जिनल तबकों के जीवन को चित्रित करते हैं. उनकी रचनाएँ समाज की विसंगतियों और विरोधाभासों को उजागर करती हैं, और वे अक्सर उन मुद्दों पर केंद्रित होती हैं जो तत्कालीन समाज में वर्जित माने जाते थे.

मंटो की कुछ सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ “टोबा टेक सिंह”, “बू”, “काली शलवार” और “ठंडा गोश्त” हैं. इन कहानियों में उन्होंने विभाजन की त्रासदी, मानवीय संवेदनाओं की पेचीदगियों और व्यक्तिगत संघर्षों को बहुत ही मार्मिक ढंग से दर्शाया है. मंटो के लेखन को उनकी बेबाकी और वास्तविकता के चित्रण के लिए सराहा जाता है, लेकिन उसी के साथ उन्हें अक्सर विवादों का सामना भी करना पड़ा.

मंटो ने अपनी रचनाओं में सामाजिक मुद्दों को बहुत ही गहराई से उठाया और अपने समय के समाज की अच्छाइयों और बुराइयों को बड़ी बेबाकी से प्रस्तुत किया. मंटो की कहानियाँ आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं और उर्दू और हिन्दी साहित्य में उनका स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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शास्त्रीय नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई

मृणालिनी साराभाई एक भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना थीं, जिन्होंने भारतनाट्यम और कथकली नृत्य शैलियों में महारत हासिल की थी. उनका जन्म 11 मई 1918 को केरल के त्रिवेंद्रम में हुआ और उनकी मृत्यु  21 जनवरी, 2016 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था. मृणालिनी साराभाई ने नृत्य की शिक्षा भारत और विदेशों में प्राप्त की और अपनी गहरी समझ और नृत्य के प्रति गहन भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध हुईं.

उन्होंने 1949 में अहमदाबाद में ‘दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स’ की स्थापना की, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत को सिखाने के लिए एक प्रमुख संस्थान बन गया. मृणालिनी ने अपने नृत्य के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को भी उठाया, जिसमें महिला अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, और शांति के लिए नृत्य शामिल हैं. उनकी प्रस्तुतियाँ अक्सर समकालीन मुद्दों पर आधारित होती थीं और उन्होंने नृत्य को एक शक्तिशाली सामाजिक संदेश देने का माध्यम बनाया.

मृणालिनी साराभाई ने अपने जीवनकाल में अनेक पुरस्कारों और सम्मानों को प्राप्त किया, जिसमें पद्म भूषण (1992) और पद्म श्री (1965) शामिल हैं. उनकी नृत्य शैली, उनकी कोरियोग्राफी की कला, और नृत्य के प्रति उनका भावपूर्ण अभिव्यक्ति उन्हें भारतीय नृत्य की दुनिया में एक अनोखी पहचान दिलाती हैं.

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पटकथा लेखक सागर सरहदी

सागर सरहदी एक भारतीय पटकथा लेखक, नाटककार और निर्देशक थे. उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी गहरी भावनात्मक और यथार्थवादी पट कथाओं के लिए खास पहचान बनाई. सागर सरहदी का जन्म 11 मई 1933 में अब्बोटाबाद, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था और विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया.

सरहदी ने अपने कैरियर में कई मशहूर फिल्मों के लिए पटकथा लिखी, जिनमें “कभी कभी” (1976), “सिलसिला” (1981), और “बाजार” (1982) शामिल हैं. इन फिल्मों में उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और जटिल रिश्तों को बहुत ही सूक्ष्मता से चित्रित किया, जिससे दर्शकों के बीच गहरी प्रतिध्वनि उत्पन्न हुई.

सागर सरहदी ने अपनी पटकथाओं में अक्सर पारिवारिक मूल्यों, प्रेम और विश्वासघात के विषयों को उठाया. उनका लेखन इतना प्रभावशाली था कि उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे योग्य और संवेदनशील पटकथा लेखकों में गिना जाता है. सरहदी का निधन 22 मार्च 2021को हुआ था  लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई साहित्यिक विरासत आज भी हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को जीवंत रखती है.

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अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर

सदाशिव अमरापुरकर एक प्रतिभाशाली भारतीय अभिनेता थे, जिन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में अपने विविध अभिनय कौशल का प्रदर्शन किया. उनका जन्म 11 मई 1950 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुआ था. सदाशिव अमरापुरकर का असली नाम गणेश कुमार नारायण पाटिल था, लेकिन वे अपने मंच नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए थे.

सदाशिव अमरापुरकर को विशेष रूप से उनके नकारात्मक किरदारों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने 1983 में फिल्म “अर्ध सत्य” में अपने किरदार ‘रामा शेट्टी’ के लिए व्यापक पहचान और प्रशंसा प्राप्त की, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला. उनकी अन्य प्रमुख फिल्मों में “सड़क” में महारानी का उनका चरित्र बहुत चर्चित रहा, जिसे बॉलीवुड के सबसे यादगार विलेन में से एक माना जाता है.

सदाशिव ने कॉमेडी और गंभीर भूमिकाओं में भी काम किया और उन्होंने अपनी प्रतिभा को विविध भूमिकाओं में प्रदर्शित किया. वे एक उत्कृष्ट कलाकार थे जिन्होंने अपने प्रत्येक किरदार में जीवंतता और गहराई लाने की क्षमता रखते थे. सदाशिव अमरापुरकर का निधन 3 नवंबर 2014 को हुआ, लेकिन उनकी फिल्में और उनके अभिनय की यादें आज भी दर्शकों के बीच जीवंत हैं.

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पहली महिला पायलट आबिदा सुल्तान

आबिदा सुल्तान  भोपाल रियासत की राजकुमारी थीं. आबिदा सुल्तान को भारत की पहली महिला पायलट होने का गौरव प्राप्त था. उन्हें 25 जनवरी, 1942 को उड़ान लाइसेंस मिला था. आबिदा सुल्तान मूल रूप से भोपाल की राजकुमारी थीं और भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान की बेटी थीं

उनका जीवन बहुत ही रोचक और विविधतापूर्ण रहा है. आबिदा सुल्तान ने न केवल पायलट के रूप में काम किया, बल्कि वे खेलों में भी सक्रिय थीं, विशेष रूप से शूटिंग और घुड़सवारी में. भारत के विभाजन के बाद, वह पाकिस्तान चली गईं और वहां उन्होंने अपने शेष जीवन को समर्पित किया. उन्होंने पाकिस्तान में विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक भूमिकाएँ निभाईं और पाकिस्तान के लिए भी उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा. आबिदा सुल्तान का जीवन उनकी बहादुरी, नेतृत्व क्षमता और बदलाव के प्रति उनके साहसिक निर्णयों का प्रमाण है.

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